00:01विनायक पूरम नामक गाव में बालाजी नामक एक बुजुर्ग था। उसके राम, शाम और शिवा नामक तीन बेटे थे। तीनों भाई बहुत मिल जुलकर रहते थे।
00:15राम और उसकी पत्नी चावल का व्यापार करते थे। उसी तरह शाम और उसकी पत्नी कर्स का व्यापार करते थे।
00:25शिवा की शादी नहीं हुई थी पर उसे फलूट बजाना बहुत पसंद था वो हर रोज बाजार जाकर फलूट बजाता था उसकी प्रतिबा देख सभी उसकी प्रशंसा करते हुए पैसे देते थे
00:41वाह, क्या पजाते हो शिवा
00:44तुम्हारी कला और प्रतिपा की चितना भी तारीफ करूना कम ही है
00:49एक दिन अच्छानक बालाजी का सीहत खराब हो जाता है
00:54और वो बिस्तर पे पड़े रहता है
00:57राम, शाम, शिवा
01:01याद रखना बेटा
01:04जिन्दगी में अगर पैसे गए, तो वापस कमा पाएंगे
01:10लेकिन अगर रिष्टा गया, तो इतनी आसानी से वापस नहीं आएगा
01:17मुझे वाचन दो, कि चाहे कुछ भी हो जाए, तुम लोग साथ में ही रहोगे
01:24जी पापा
01:27उसके बाद बाला जी का देहांथ हो जाता है
01:32धर की जिम्मदारियों के बारे में बात होते वक्त
01:35मा पदमावती अपने बेटों से ऐसे कहती है
01:39तुम्हारे पिता ने एक जगा पे तीन सूटकेसों को रखा है
01:44मुझे हमेशा कहते थे कि उसमें बहुत कीमती चीज़े है
01:48तुम तीनों वहाँ जाकर उन सूटकेसों को लेकर आओ
01:52ये सुनकर तीनों अगले दिन उन सूटकेसों को हासल करने की सोचते है
01:58लेकिन उस रात रमनी और कुसमा अपने पतियों से ऐसे कहते है
02:03सुनिए ससुर जी ने हमें एक फूटी कोडी भी नहीं दी
02:07अब जो बता रहे हैं कि कीमती चीज़े हैं तो जल्दी जाकर लेकर आजाओ
02:11उस सारे हमारे ही होने चाहिए
02:13हमारे व्यापारों के लिए भी यही अच्छा है
02:16सुनिए ससुर जी ने हमें एक फूटी कोडी भी नहीं दी
02:25अब जो बता रहे हैं कि कीमती चीज़े हैं तो जल्दी जाकर लेकर आजाओ
02:30उस सारे हमारे ही होने चाहिए
02:32हमारे व्यापारों के लिए भी यही अच्छा है
02:34दोनों एक दूसरे को बताये बिना उस जगा को जाते हैं
02:39वहाँ एक दूसरे को देख वो दोनों परिशान हो जाते हैं
02:43अर शांग तुम यहां क्या कर रहे हो
02:46मेरा छोड़ो तुम यहां क्या कर रहे हो और आये क्यूं
02:50चलो ठीक है छुपाने से कोई मतलब नहीं है
03:04बात तो सही है, लेकिन शिवा का क्या करें?
03:10उसकी बाद में सोचते हैं, पहले इसमें क्या है देखो?
03:14जब राम और शाम उन सुटकेसों को खोल कर देखते हैं,
03:18तो उन्हें ये दिखाई देता है,
03:20कि शाम और राम नामक सुटकेसों में सोना भर के था.
03:24लेकिन शिवा के बकसे में सोने के साथ ही एक फ्लूट भी था
03:31तब वो दोनों शिवा के बकसे में मौजुद सोने को दो हिसों में बांट कर वो अपनी बकसों में भर देते हैं
03:42और शिवा के बकसे में सिर्फ पत्तर भरते हैं
03:45अगले दिन जब वो तीनों जाकर बक्सों को खोलते हैं
03:55राम और शाम की बक्से देखतर पत्निया दोनों बहुत खुश होते हैं
03:59लेकिन जब शिवा उसका बक्सा खोलता है
04:01तो उसमें एक फ्लूट के सिवाए और कुछ न होने के कारण वो परेशान हो जाता है
04:07अरे ये क्या मेरे बक्से में तो फ्लूट के अलावा कुछ नहीं है
04:13शिवा कोई दुखी देख उसके भाई दोनों उसके पास जाकर ऐसे कहते हैं
04:18बुरा मत मानो भाई हम है ना
04:21हाँ हम तो है ही ये लो ये पांच सोने के सिक्के लो हमसे
04:26हाँ हाँ मैं भी दे रहा हूँ पांस सोने के सिक्के ये लो
04:32मा चलो हम निकलते हैं
04:35अरे भया शाम भया ये आप क्या कर रहे हो
04:39हमने पापा को वचन दी है कि हम साथ में रहेंगे अंध तक
04:43हाँ बेटा अग पापा भी नहीं रहे तुम लोग भी चले गए तो कैसे होगा
04:50आँ मा वो जाना तो हमें भी नहीं है सासुमा लेकिन जाना पड़ेगा
05:01जी सासुमा फिकर मत कीजे अगर कोई भी परिशानी हो हमारी जरूरत पड़े तो हम यहीं है न
05:08हमारे घर आए हम आपका बहुत अच्छा ख्याल रखेंगे चलते हैं मा
05:15ऐसे बहुत बोलने के बावजूत राम और शाम अपने अपने रास्तिच चले जाते हैं
05:22अपने दोनों भाईयों को घर पे ना रहते देख शिवा बहुत निराश होता है
05:26वो हर रोज मारकेट जाकर वहाँ फ्लूट बजाके आए हुए पैसों से अपनी जिंदगी गुजारता था और अपनी मा का ख्याल रखता था
05:35लेकिन दूसरी तरफ राम और शाम का व्यापार बहुत अच्छा चलता है
05:39और कुछी दिन बाद पद्मावती का तब्यद भी खराब हो जाता है तुम्हारी मा का ओपरेशन करना पड़ेगा दो लाग खर्च होगा उसके पास पैसे ना होने के कारण शिवा राम के पास जाता है
05:54भाईया मा का तब्यद खराब है भाईया ओपरेशन के लिए डॉक्टर में दो लाग पूछे हैं अगर आप देप आओगे तो
06:06मा के बारे में सुनकर मुझे भी बहुत दुख हो रहा है लेकिन मेरे पास उतने पैसे नहीं है शिवा तुम जाकर शाम से पूछो शिवा जब शाम को पूछता है तो वो
06:19क्या? तुमें क्या लगता है?
06:22कि पैसे हमारे घर के पॉधों पे खिलते हैं?
06:26कि तुम जैसे पुछे तैसे दे दू मैं?
06:28वरना मैं अपसे उढ़ा ले लूँगा, भया.
06:32मैं चुका दूँगा सारे पैसे.
06:33मेरे पास कोई पैसे नहीं है.
06:35चलो निकलो यहां से तुम पहले
06:37अपने दोनों भाईयों से कोई मदद ना मिलने के कारण
06:41शिवा को बहुत दुख होता है
06:43और उसी दुख में वो जोर से चिलनाने लगता है
06:46ये भगवान अब सिर्फ तुम मेरी मदद कर पाओगे
06:50तुम्हें ही कुछ करना होगा
06:52ठीक तबी अचानक उसके बगल में मौजूद बक्सा अपने आप खुलता है
06:59शिवा आश्चर चकत होकर उसकी ओर देखते रहता है
07:03इतने में उससे बाहर वही जादूई फ्लूट हवा में तैरते हुए बाहर आता है
07:11और उसमें से बहुत मधूर ध्वनी बाहर आती है
07:15शिवा को सब कुछ समझ में आता है
07:17वो उस फ्लूट को लेकर अगले दिन बाजार में जाकर उसे बजाता है
07:21तब तक भीड़त बाजार एक तम चुप चाप हो जाती है
07:26और शिवा के मधूर ध्वनी को सुन सब भी आश्चर चकित हो जाते है
07:32इतना ही नहीं एक अमीर आदमी शिवा की इस ध्वनी को सुन उसके पास आकर
07:37देखो शिवा तीन दिन में मेरी बेटी की शादी है
07:41तुम हमारे घर आकर इस फ्लूट को ऐसे ही बजाओ
07:45ये कहकर वो शिवा को दो लाख देते हैं
07:49और बस शिवा तुरंथ हां बोलकर उन पैसों से अपनी मा का इलाज करवाता है
07:55उसके बाद उस फ्लूट की उप्योग करते हुए शिवा आमीर बन जाता है
08:00लेकिन दूसरी तरफ उसके दोनों भाई राम और शाम को उनके व्यापार में बहुत नुकसान पहुंचता है
08:06पदमावती अपने बेटों को ऐसे नहीं देख पाती है
08:09तुखी और निराश मत हो बेटा तुम दोनों शिवा के पास जाकर उसकी मदद मांगो
08:15उस जरूर करेगा
08:16राम और शाम दोनों शिवा के पास जाकर उनके परेशानियों के बारे में कहते हैं
08:22हाला कि शिवा को ये बात याद था कि उनके भाईयों ने उसकी मा की ऑपरेशन के लिए कोई पैसों का मदद नहीं की