00:00एक दन मोहन सीटी मारते हुए एक जगा पहुचता है जहां पे बहुत सारे बाइक्स पार्क किये हुए थे।
00:06इधर उधर देखते हुए उसके पास मौझूच चाबी की गुत्ति निकालकर उसके पास के चाबियों से बहां मौझूच सारे बाइक पे ट्राय करते रहता है।
00:36मोहन एक बहुत सुस्त आदमी था। हमेशा या तो खाते रहता था वरना टाइम पास करते रहता था। कोई भी पेड़ वेड के नीचे बैट कर सीटी वीटी बजाते रहता था। उसकी मा मोहन को हमेशा डाणती थी। लेकिन फिर भी मोहन में बदलाव नहीं आया था। ग
01:06से कहती है।
01:07अरे बेवकूफ। हमेशा ऐसे सुवर की तरब पड़े रहे रहे से बैतर तुम कोई काम क्यों न ढूण लेते।
01:17सब ही उनके कामों में बिजी तो है मा, मुझे कौन काम देगा इस बिजी में।
01:22हाँ, अब ऐसी जवाब देने में ही तेरा दिमाग काम करेगा न। जब कोई काम बोलती हो तब तो दिमाग काम नहीं आता तेरा।
01:32वाह, क्या है मा तुभारी प्राब्लम। बोलो, क्या गरना है अभी।
01:38बाजार जाकर मटन लेकर आओ, मुझे खाना पकाना है, जल्दी जाओ।
01:42मटन नहीं खाय तो अब क्या ही हो जाएगा मा, घर में जोबी है वो बना के तो रख सकती है।
01:48बाहर ना जाने के बहाने मत बनाओ तुम। चलो निकलो यहां से।
01:53जब वो बाहर जाने की कोशिश करता है तो उसे उसकी बाइक की चाबी रजर नहीं आती है।
01:59और इस चाबी के लिए पूरा घर ढूनता है, फिर भी नहीं मिलता है।
02:04यह सब देखकर उसकी मा, अरे क्या ढून रहा है तु।
02:08मैंने क्या कहा और तुम क्या कर रहे हो।
02:10अरे रुको मा, बाइक की चाबी नहीं दिख रही है। उसे को डून रहा हूँ मैं।
02:16कैये तो जाने दो ना, तुम एक फूटी कोडी घर नहीं ला रहे हो।
02:20हमेशा उस बाइक पे लगे रहते हूँ इदर उदर घूमते हुए आवारा की तरह।
02:24तो अच्छा ही हुआ ना, आजसे साब चल कर जाएंगे सब भी जगा।
02:28ऐसे डानती रहती है।
02:30यह देख मोहन को बहुत गुस्सा आता है।
02:32तब वो बाहर आकर यही सोचता है कि अब बाइक कैसे ओपन करे।
02:36चलते चलते उसे वहाँ एक चाबी बनाने वाला दिख जाता है।
02:40उसके पास जाकर वो ऐसे कहता है।
02:42मेरी बाइक की चाबी खो गई है।
02:45खोलोगे तुम लोग बाइक लेकर आओ तब खोलेंगे।
02:49अब अगर मैं घर गया तो मेरी मा बहुत डांटे की यार।
02:52अब यह सब करने की क्या ज़रूरत है।
02:54यह सोचकर अब बाइक के बना चाबी नहीं खोलेगी क्या।
02:59ऐसे पूछता है।
03:00अगर उसको मैच करने वाली चाबी मिल गई तो खोल सकते हैं।
03:04तो फिर तुमारे पास वैसे चाबी है क्या।
03:07बहुत चारे हैं।
03:08ऐसे कहकर उसके पास मौजूट सारे चाबिया वह अद्दी दिखा देता है।
03:12बस मौण उन चाबियों को लेकर वहां से भाग जाता है।
03:30लेकिन एक भी चाबी से उसकी बाइक नहीं खुलती है।
03:32तब वह निराश होकर गाउं में चलते रहता है।
03:35रस्ते में उसे एक पेड़ के नीचे एक स्वामी जी दिख जाता है।
03:38वो नकली स्वामी जी था।
03:40भक्तों के प्रश्णों का समादान देते हुए वो पैसे कमाते रहता है।
03:45उस नकली स्वामी जी के पास मोहन पहुचकर ऐसे पूछता है।
03:50स्वामी मेरा एक मुसीबत है।
03:54बोलो बेटा, मेरे पास मौझूद कोई भी चाबी मेरे बाइक में फिट नहीं हो रहा है स्वामी, मेरा बाइक वो आगे कहने ही जा रहा था कि स्वामी जी ये सुनकर हसकर ऐसे कहते हैं
04:06ये भी कोई समस्या है बेटा, तुम्हारे पास मौझूद चाबी अगर तुम्हारे बाइक पे नहीं लग रहे हैं तो वो बाइक ढूंड़ो जिसकी चाबी तुम्हारे पास है
04:17कह रहा होना हमारे पास जो नहीं है उसके लिए हमें परेशान नहीं होना है
04:23जो हमारे पास है उसी से हमें खुशी मिलनी चाहिए
04:26ये भी नहीं पता बेटा तुम्हें ऐसे कहते हैं
04:30स्वामी जी का हल सुनकर मोहन को भी यही बाट सच लगती है
04:34तब से उसके पास मौजुद चावियों से वो एक एक चावी उसके सामने रस्ते में जो भी बाइक निले उस पे ट्राइ करते रहता है
04:41जिस बाइक को वो सेट होता था उस बाइक को लेकर वो उसका काम पूरा कर लेता था
04:47काम हो जाने के बाद वो उस बाइक को वहाँ छोड़ कर चले जाता था
04:50दूसरी तरफ पोलिस को बहुत लोग आकर कंप्लेन करते हैं कि उनकी बाइक्स मिसिंग है
04:59और ये भी कि उनके बाइक वो एक जगा पार्क कर रहे हैं और वो दूसरी जगा मिल रहे हैं
05:05ऐसी ही टाइम पे पोलिस लोगों को मोहन मिल जाता है इसलिए उसे जेल में डालते हैं
05:10जेल में मौझुद मोहन के पास पुलीस आकर ऐसे पूछते हैं
05:14कितने दिनों से कर रहा है ये चोरी तू?
05:17साब मैं चोर नहीं हूँ साब मेरे पास मौझुद जो भी चापी है
05:21मैं मेरे आंगों के सामने बाइक पे ट्राय कर लेता हूं साब
05:25जो भी फिट होता है उसको लेकर अपना काम कर लेता हूं बस
05:29काम के बाद उन बाइक्स को वहाँ छोड़ कर मैं चले जाता हूं साब
05:32ऐसे वो बेफकूफ समादान देता है
05:34ये सुनकर पुलिस और क्रोधित होते हैं और उससे ऐसे पूछते हैं
05:38तुझे ये आइडिया सूजा कहां से?
05:42वो एक स्वामी जी ने बताया था साब
05:45उन्होंने कहां था कि हमारे पास जो नहीं है उसके बार में परेशान नहीं होना है
05:49जो है उसी से खुश रहना है
05:51अरे सुन पहले उस स्वामी जी को थाने में लाओ
05:54वहां मौझूद कॉने स्टेबल तब स्वामी जी को थाने लाता है
05:59और मोहन के रूम में ही डाल देते हैं
06:02साब, साब मुझे क्यों अरेश किया साब आपने?
06:05साब को मुफ्त का एडवाईस जो दे रहा है तू
06:09साब मैं तो दो फूटी कॉड़ी के लिए एक काम कर रहा हूं साब
06:14मेरे पास जो भी लोग आते हैं उनको बस दो चार अच्छी चीज़े बोल देता हूं साब
06:18मैंने कोई क्राइम नहीं किया है साब
06:21तेरे बागल में जो बैठा है उसको तूने ही तो दिया है एडवाईस की चोरी कर लो
06:26इसको? साब मैंने तो इसको कभी देखा ही नहीं ऐसे कहता है स्वामी जी
06:31ये क्या स्वामी जी जब मैंने आपसे पूछा कि मेरे पास की चाबी मेरे बाइक को फिट नहीं हो रही है
06:37तो आप नहीं कहा था ना कि वो चाबी जिस बाइक पे फिट हो रही है वही यूज करो
06:42और ये भी की हमारे पास जो नहीं है उसके लिए रोना बंद करो और जो है उससे खुश रहो
06:48हाई भगवान नजाने तूने क्या पुछा और मैंने क्या कह दिया
06:52ये कह कर
06:53साब साब मैंने ये सोच कर नहीं कहा था साब
06:56ऐसे चिलाते हुए इस बेवकूफ ने मुझे बुग कर दिया यार
07:01ऐसे रोते हुए पुलिस से बहुत भीग मांगता है लेकिन तब तक बहुत लेट हो चुका था
07:07तब जाकर स्वामी जी को समझाता है कि मुफ्त में अडवाईस नहीं देना है
07:12और मोहन को समझाता है कि किसी का भी अडवाईस नहीं लेना है