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  • 7/11/2025

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00:00श्रीपुरम नामके गाव में शरबया नामके किसान रहता था
00:03शरबया उसकी पत्मी शकुंतला, बेटा सुकुमार और बहुँ श्रीदेवी के साथ एक ही घर में रहते थे
00:10जितना अच्छा शरबया था उतनी ही बुरी उसकी बीवी शकुंतला थे
00:14वो हमेशा सब के साथ छोटे छोटे चीजों पर लड़ाई करती थी
00:18वो इतनी धीट थी कि घर पे भी उसका फैसला था कि सब उसी के बाद सुने और इसी रहे सब पर चलाती थी
00:25शकुंतला का व्यवार देख घर में कोई भी उसके व्यतरे बात ना कर पाने के कारण एक तम चुप रहते थे
00:32हर रोज शकुंतला उसके पती और बेटे के खेत जाने के बाद उसकी बहु से वो बहुत काम करवाती थी
00:40ऐसे ही एक दिन जब उसके पती और बेटा दोनों खेट जाते हैं वो अपने बहु को बुला कर
00:45ओए बहु आज मुझे बहुत भूख लग रही है पांच प्रकार के व्यांजन बनकर अभी लाओ
00:51हैसे कैसे सासुमा अभी अभी तो आपने इतने फल खाये थे आपको फिर से भूख लग रहा है
00:57हाँ अभी खाये तो मैं वापस नहीं खा सकती हूँ क्या क्या मुझे भूख नहीं लग सकता
01:02नहीं नहीं सासुमा मेरे ये इरादा नहीं था वो दरसल
01:07क्या बगबग कर रही हो
01:13जाओ
01:13जल्दी व्यनजन सारे बनाकर मेरे पास लेके आओ
01:16अभी क्याभी
01:18ऐस प्रकार के व्यनजन में कहाँ से बनाओंगी सासुमा
01:21उस सब के बारे में सोचना मेरा काम नहीं है
01:24हाई भावाण
01:26अब तुल ही बच आओगे मुझे
01:27ये कहकर वो जल्दी जल्दी वहां से निकलकर खाना पकाना शुरू करती है
01:31खाना पकाने के कुछ ही देर बाद शकुंतला जोर-जोर से चिलाने लगती है
01:36क्या हुआ बहू? इतनी देर लगा रही हो
01:38खाना जल्दी लेकर आओ, मुझे बहुत भूक लग रहा है
01:41जी सासुमा आ रही हूँ
01:43ये कहकर वो आधा पका हुआ व्यांजन को लेकर उसके सासुमा के पास जाते हैं
01:49कामते हुए उनको देती है
01:50उसका स्वात चक्कर उसकी सासुमा प्लेट को श्रीदवी के मुँँ पर फेकती है
01:55एक काम तो ठीक से आता ही नहीं
01:57जाओ यहां से
01:57आध जो भी नौकरों का काम है वो तुम करोगी
02:00वही तुमारी सजा है
02:01ऐसे गुसे में बोलती है
02:03और श्रीदवी रोते हुए वहां से जाकर घर साफ करके
02:07खाना पकाकर बरतन साफ करती है
02:12ठकान के कारण उसे बहुत भूग लगती है
02:15रसोई घर में जाकर जैसे ही खाने लगती है
02:18शकुंतला वहां आकर
02:19एई क्या कर रही हो ऐसे चलाती है
02:23अब सासुमा वो भूख लग रही थी
02:26तो मैंने सुचा खा लूँगी
02:28आज तुम्हें खाना नहीं मिलेगा
02:30पहले काम सारे खतम करो
02:32एक भी काम नहीं करी
02:34और खाने आ गई बड़ी
02:36ऐसे कहती है
02:37आज से जब तक मैं कहूंगी
02:39तुम खाओगी नहीं और काम रोकोगी नहीं
02:42समझे ऐसे उसे हुकुम करती है
02:45ऐसा नहीं है सासुमा
02:47काम तो सारे खतम हो गए
02:48बहुत कमजोर लग रहा था
02:50तो इसलिए घर के काम करोगी
02:53तो हो जाएगा
02:53बाहर के काम कौन करेगा
02:55आओ बाहर खड़े पशुओं को खाना डालो
02:58उसके बाद उनके गोबर को निकाल कर
03:00डस्बिन में फेक दो
03:01उसके बाद कुए से पानी निकाल कर
03:03पशु को डालो
03:04ये सारे काम देकर
03:06श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्रीदेवी श्
03:36को खाना परोज कर उनका खाना खतम होने तक वो वही दजार करती है उनके खाने के बार उनके प्लेट्स को लेकर वो वापस घर चलती है रास्ते में उसे एक बड़े पेड के नीचे मौजूद एक बेंच पर एक गुड़िया नजर आती है उसे देख शीदेवी उस गुड़
04:06नजाने क्या है मेरी जिन्दगी क्या से क्या बन गया नजाने मेरी जिन्दगी कब बदले की और मैं कब खुश रहूंगी ऐसे सोचते हुए वहां से वो उस गुड़िया को लेकर वापस घर चले जाती है अगले दिन उसी दुख में उस गुड़िया को अपने गोद में ब
04:36सारा बया, क्या, बहुसे काम करवा रही हो? तुम पागल हो गई हो ग्या?
04:44क्या हुआ जी? आवास उची हो रही है आपकी, दुख हो रहा है कि आपको मैंने काम नहीं बोला, आपको भी बोल दूँ?
04:50नहीं नहीं शकुल्टला, मेरी बात तो सुनो
04:52घर के नौकरों को आने से मना करके बहुसे ये सारे काम करवाना आच्छा नहीं लग रहा है
04:59किस से क्या काम करवाना है ये मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है
05:03आपको सला देनी की कोई जरूरत नहीं है
05:06जाओ जाकर खेती करो
05:08परना चुप चप यही बैट जाओ
05:11ऐसे कहती है
05:12उसकी बातों के व्यतरेक बात ना करपाने के कारण
05:15शर्वया चुप चप वही बैट जाता है
05:18इतने में गुड़िया को लेकर शीदेवी वहां आती है
05:21क्या हुआ सासुमा आपने बनाया
05:23ऐसे कहती है
05:25घर के सारे काम छोड़ कर आश कर रही हो
05:28मेरे सारे काम अगर ये करेगी न
05:30तब पता चलेगा इसको कि कितना मुश्किल है
05:32ऐसे शीदेवी मन में सोचती है
05:34और बस उसके हाथ में मौजूद गुड़िया धीरे से रोशन करती है
05:39ये क्या ये कहां कि रोशनी है
05:42ऐसे उसे देखते ही रहती है
05:43कि इतने में उसकी सामने बैठी शकुंतला
05:47कुर्सी से उपकर घर साफ करके
05:49पशुक को खाना देकर बरतन साफ करती है
05:52खाना पकाके ये सब देख
05:55शीदेवी को लगता है कि कोई जादू है
05:57एक के बाद एक सारे काम करती हुई
05:59उसकी सास को देख
06:00शीदेवी चौंक जाती है
06:02सारे काम करने के बाद
06:04शकुंतला धग जाती है
06:06भूक लगने के कारण
06:07वो रसोई घर में जाकर खाना खाने की कोशिश करती है
06:10और बस हाद रहे उसका प्लेट
06:13उसके मुँपे खुद गिरता है
06:14इस सब जादू को देख
06:17अरी बहू
06:18कहां हो तुम
06:20जो का मैंने तुम को दिया है
06:22वो सारे तो मैं ही कर रही हूँ
06:24ये कौन सी माया है
06:25क्या कर दिया तूने चुडेल
06:27ऐसे कहती है
06:29मैंने कुछ नहीं किया सासुमा
06:32लेकिन आंदर ही अंदर
06:33वो बहुत खुश होती है
06:35और उसे समझ में आता है
06:36कि शायद ये सब उस जादूई गुडिया का ही काम है
06:39उसके बाद शकुंतला आकर
06:41कुरसी में बैठ जाती है
06:43अरे बहू
06:43थोड़क पैर तो दबादो
06:46ऐसे कहती है
06:47और बस तुरंत श्रीदेवी कुरसी में बैठी रहती है
06:51और शकुंतला खुद जाकर
06:52उसके पाउ दबाने लगती है
06:54हाई भगवान
06:55ये कौन सी माया है
06:57जो काम मैं तुझे बोल रही हूँ
06:58वो तो मैं खुद कर रही हूँ बहू
07:00पता नहीं सासुमा
07:02मैं तो कुछ नहीं कर रही हूँ
07:04ये सब तो मुझे भी माया लग रहा है
07:07ऐसे वो मन में हसते हुए बोलती है
07:09ये सब देख शरवया सोचता है
07:12हाँ भगवान का शुकर है
07:14इसे सबक तो सिखाया किसी ने
07:16ये सोचकर जोर से हसता है

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