03:36को खाना परोज कर उनका खाना खतम होने तक वो वही दजार करती है उनके खाने के बार उनके प्लेट्स को लेकर वो वापस घर चलती है रास्ते में उसे एक बड़े पेड के नीचे मौजूद एक बेंच पर एक गुड़िया नजर आती है उसे देख शीदेवी उस गुड़
04:06नजाने क्या है मेरी जिन्दगी क्या से क्या बन गया नजाने मेरी जिन्दगी कब बदले की और मैं कब खुश रहूंगी ऐसे सोचते हुए वहां से वो उस गुड़िया को लेकर वापस घर चले जाती है अगले दिन उसी दुख में उस गुड़िया को अपने गोद में ब
04:36सारा बया, क्या, बहुसे काम करवा रही हो? तुम पागल हो गई हो ग्या?
04:44क्या हुआ जी? आवास उची हो रही है आपकी, दुख हो रहा है कि आपको मैंने काम नहीं बोला, आपको भी बोल दूँ?
04:50नहीं नहीं शकुल्टला, मेरी बात तो सुनो
04:52घर के नौकरों को आने से मना करके बहुसे ये सारे काम करवाना आच्छा नहीं लग रहा है
04:59किस से क्या काम करवाना है ये मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है
05:03आपको सला देनी की कोई जरूरत नहीं है
05:06जाओ जाकर खेती करो
05:08परना चुप चप यही बैट जाओ
05:11ऐसे कहती है
05:12उसकी बातों के व्यतरेक बात ना करपाने के कारण
05:15शर्वया चुप चप वही बैट जाता है
05:18इतने में गुड़िया को लेकर शीदेवी वहां आती है
05:21क्या हुआ सासुमा आपने बनाया
05:23ऐसे कहती है
05:25घर के सारे काम छोड़ कर आश कर रही हो
05:28मेरे सारे काम अगर ये करेगी न
05:30तब पता चलेगा इसको कि कितना मुश्किल है
05:32ऐसे शीदेवी मन में सोचती है
05:34और बस उसके हाथ में मौजूद गुड़िया धीरे से रोशन करती है
05:39ये क्या ये कहां कि रोशनी है
05:42ऐसे उसे देखते ही रहती है
05:43कि इतने में उसकी सामने बैठी शकुंतला
05:47कुर्सी से उपकर घर साफ करके
05:49पशुक को खाना देकर बरतन साफ करती है
05:52खाना पकाके ये सब देख
05:55शीदेवी को लगता है कि कोई जादू है
05:57एक के बाद एक सारे काम करती हुई
05:59उसकी सास को देख
06:00शीदेवी चौंक जाती है
06:02सारे काम करने के बाद
06:04शकुंतला धग जाती है
06:06भूक लगने के कारण
06:07वो रसोई घर में जाकर खाना खाने की कोशिश करती है