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00:00रामापूरम नामक गाउं ने चंद्रया नामक मिठाई व्यापारी था
00:04अच्छी गुनवत्ता की मिठाई को कम दाम में देने के कारण
00:08उस गाउं के सारे लोग उसी के पास मिठाई खरीदते थे
00:11एक दिन चंद्रया के पास उसका दूर का रिष्टता रमना आता है
00:16अब कैसे हो चंद्रया? आरे मैं ठीक हो रमना, घर में सबी ठीक हैं? अब मैं क्या ही बोलू चंद्रया, घर का हालत तो खराब है, मैं तो तुम्हारे पास नौकरी की आशा में आया हूँ. बुरा मत मानो रमना, कल से हमारे दुकान आकर काम शुरू करो. धन्यवा चंद्रया
00:46कम समय में रमना को व्यापार कैसे करना है, ये समझा जाता है. लेकिन लाल्ची बनकर एक दिन वो चंद्रया के पास जाकर ऐसे कहता है. चंद्रया, आज से मैं तुम्हारे पास काम नहीं करूंगा. क्यों रमना, तुम्हारे साथ काम करने वालों के साथ कुछ हुआ है क्या
01:16चंद्रया के दुकान के सामने ही एक और मिटाई का बंडार खोलता है।
01:20उसके इच्छा के अनुसार ही रमना की नई व्यापार उसे बहुत लाब देता है।
01:25दोनों रमना और चंद्रा प्रतीस परता से उनके दुकान चलाते थे।
01:31उसके पास काम करके उसके सामने ही व्यापार लगाने के बावजूत चंद्रया को रमणा के खिलाब कुछ नहीं था।
01:39लेकिन लालची रमणा यही फैसला करता है कि वो चंद्रया का आंथ देखेगा।
01:47एक दिन रात रमणा के दुकान में चोरी चुपके जाकर उसके मिठाई के सामगरी में कुछ मिश्रन मिलाता है और क्योंकि चंद्रया को ये बात नहीं पता था वो अगले दिन हर उसकी तरह मिठाई बनाता है उसी मिश्रन के साथ।
02:04उसको खरीदे हुए सारे गाउवाले वही स्वीट्स खाकर उनका सेहत खराब करते हैं।
02:10कुछ दिन बाद सब को समझ आता है कि चंद्रया के यहां मिठाई खाने के कारण ही उन सब का सेहत खराब हो गया है।
02:17इसी वजे को लेकर वो सब चंद्रया के दुकान को बंद करवाते हैं।
02:22और इस कारण चंद्रया बहुत दुखी होता है।
02:25ये देख रमना तुरंत वहां आकर चंद्रया को संभालने की नाटक करता है।
02:30रमना नाटक करता है लेकिन अंदर ही अंदर उसे बहुत खुशी होती है कि उसकी योजना सफल हो गई है।
02:37अगली सुबह चंद्रया रमना के पास जाकर रमना तुमने तो देखा ही है मेरा व्यापार अब नुकसान में है।
02:45अरे हाँ हाँ जैसे ही मैं सुनता हूँ मुझे बहुत दुख होती है। व्यापार को शुरू करने में थोड़ा देर लगेगा इसलिए उस समय तक क्या तुम्हारी दुकान में मुझे एक नौकरी मिलेगी।
02:57अरे रे मीरा भी मन कर रहा है कि मैं तुम्हे काम दूँ लेकिन अभी दुकान में चार लोग तो हो भी गहना। अब नहीं हो सकता शायद। तब चंद्रया वहाँ बुरा मानते हुए निराश होकर चले जाता है। जा रहे चंद्रया को बुलाकर रमना ऐसे कहता है।
03:15चंद्रया अगर काम की ज़रूरत पड़ी तो सबसे पहरे तुम्हे ही बुलाओंगा। बस ये बात सुनकर चंद्रया खुश होता है और अपने घर पहुँचता है। चंद्रया की पत्नी वंदना क्या हुआ जे कि आपको कोई काम मिला है।
03:30हाँ, नहीं वंदना, सारा गाउं घूमने के बावचूद एक भी नौकरी नहीं मिली है।
04:00तब चंद्रया को चंगल के बीच में आम के पेड़ के नीचे एक मिट्टी का मटका दिखाई देता है।
04:08क्योंकि वो मटका उसे आकरशत कर रहा था, वो पास जाकर देखता है। देखने पर उसे उस मटके पे एक मंत्र दिखाई देता है।
04:16उस मंत्र को चंद्रया पढ़ने लगता है ठीक उसी समय एक बंदर के उच्छलने के कारण उस पेड़ से एक आम उस मटके में गिरता है और तुरंथ वो कच्छा आम सोनी के रंग में बदलकर एक पके आम की तरफ बदल जाता है
04:32और उसे देख चंद्रया चौंग जाता है उस आम को खा कर देखता है उस आम की स्वात देखकर फुट आश्चर रचकित होता है उसके बाद वो उसके पास मौजुद पानी को भी उस मटके में डालने के बाद वो स्वच गुनवत्ता की पानी में बतल जाता है
04:51बात समझाने पर चंद्रया उस मटके को घर ले जाकर उसकी बीवी को उसके बारे में समझाता है
04:58अगर आप जो कह रहे हो वो सच है तो हम अमारे मिठाई की सामगरी इसमें ही डाल कर उसे बनाते हैं
05:05अरे हाँ हाँ यही करेंगे बंदना
05:07तब वो दोनों मिठाई के मिश्रम को उस मटके में डाल कर मंत्र पढ़ते ही वो सारे गुनवत्ता और स्वच्छ मिठाई में बदल जाते हैं
05:17मिठाई का स्वात चपते ही दोनों चौंग जाते हैं
05:22अरे वाह अगर इस मिठाई को हम मार्केट में जाकर बेचेंगे ना वंदना तो हमें बहुत सारे पैसे मिलेंगे
05:29बात तो सही है जी चलो देर किये बिना इस सारी मिठाई को मार्केट में जाकर बेचते हैं
05:36अगली दिन चंद्रया मार्केट में अलग प्रकाल के मिठाई बेचने लगता है।
05:40ये देख वहां के गाम वाले चंद्रया के पास आकर उसके दुकान बंद करने के लिए कहते हैं।
05:46उनकी बाते सुनकर चंद्रया ऐसे कहता है।
05:49सुनिए, जो भी इससे पहले हुआ है, वो मेरी गलती थी, मुझे माफ कीजिए।
05:54पर बस एक बार इस मिठाई को चकर देखिए, मैं वादा करता हूँ, ये बहुत अच्छा है।
05:59ये कहते हुए, चंद्रया वहां के सारे लोगों को एक-एक मिठाई मुफ्त में देता है।
06:05जैसे ही वो चकते हैं, वहां के लोग पागल हो जाते हैं, और चंद्रया के पास मोजो सारी मिठाई खरीद लेते हैं।
06:13ये देख रमना को बहुत जलन होती है।
06:15ठीक तबी एक काम करने वाला चंद्रया के पास लिए मिठाई को रमना के हातों में देता है।
06:22जैसे ही रमना वो चकता है, वो आश्यर रचकित होता है।
06:25सोचता है कि इतनी स्वादिश्ट मिठाई ये कैसे बना रहा है।
06:30उसी रात किसी को बताए बिना चुप चाप चंद्रया के घर जाकर देखता है।
06:35ठीक उसी समय चंद्रया और उसके पत्नी दोनों मिठाई बनाते रहते हैं।
06:41हमारे योजना के मुताबिक ही इस जादूई मटके में हमने जो भी मिठाई बनाये हैं, वो तो एक घंटे से पहले ही बिग गए।
06:49अरे वा, तो कल के लिए और भी मिठाई बनाते हैं जी।
06:53उसके बाद चंद्रया और उसकी पत्नी अलग प्रकार के मिठाईय बनाकर सो जाते हैं।
06:58जैसे ही वो नींद में चले जाते हैं, वही मौजूद रमना कोई भी शब्द किये बिना उस मट्टे को चोरी से उठाकर बहां से चले जाता है।
07:09घर पहुंचने के तुनत बाद रमना उसमें मिठाई पकाना शुरू करता है।
07:14ठीक तबी उस गाउं का सरपंच रमना के पास आकर ऐसे कहता है।
07:19कल का जो मेला है उसमें सबी के लिए मिठाई तुमेही बनाना होगा
07:24जरूर सरपंच साब मिठाई तयार करके मैं आपको देता हूँ
07:28ये सुनकर सरपंच वहाँ से चले जाता है
07:30रमणा सारी रात मिठाईया बनाते ही रहता है
07:34अगली सुबह मेला शुरू होती है
07:36और उस मेला में चंद्राया और रमना दोनों मिठाईया बनाकर बेचते रहते हैं
07:42वहाँ आये हुए लोग सारे उन दोनों के पास बहुत सारी मिठाईया खरीदते हैं
07:48एक तरफ चंद्रया के पास जिन्होंने भी मिठाई खरीदा है वो खुशी से मेले का मजा लेते हैं लेकिन दूसरी तरफ जिन्होंने भी रमणा के पास मिठाई खरीदा है उन लोगों का सेहत खराब होता है।
08:02जैसे ही ये बात सबको पता चलती है
08:04रमणा के पास सरपंच पुलीस के साथ जाकर ऐसे कहता है
08:09इस गाउ में तुम अच्छा मिठाई बनाते हो इसलिए मैंने तुम्हें ये सौंपा है
08:13आपके आदेश के अनुसार मैंने तुम मिठाई दे दी है
08:17हाँ वही मिठाई खाकर अब सबका सेहत बिगड रहा है
08:21मैं सच कह रहा हूँ मैंने मिठाई में कुछ नहीं मिलाया है साथ
08:26अगर तुमने कुछ नहीं मिलाया तो लोग ऐसे उल्टी क्यों कर रहे हैं
08:30ठीक तभी चंद्रया भी उसके जादूई मटके को ढूंते वहां आता है
08:35सरपंच और पुलीस को रमना के पास देख चंद्रया रमना के पास जाते हैं
08:40अब तुम्हारी बाते मैं नहीं सुनूँगा पुलीस स्ट्रेशन आओ
08:43ये लो आगे हैं चंद्रया उसको पूछेगे तो सच तुम्हें पता चल जाएगा
08:48मिठाई का काम मैंने तुम्हें सौंपा है चंद्रया से मैं क्या पूछूँगा
08:52मैंने ये मिठाईया उसके पास चोरी किये जादूई मटके में ही बनाए है
08:57क्या? मेरे मटके का चोरी तुमने किया है?
09:02कल रात चुपके से मैं तुम्हारे घर आकर तुम दोनों की बाते सुन लिया
09:05इसलिए उस मटके को मैंने चोराया
09:08ठीक है अगर तुम्हारी बात सच है
09:11तो चंदरयय के पास जिन्होंने भी मिठाई खरीदा है
09:14वो सब क्यों ठीक है? वही मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है
09:18यहां के लोग सारे उल्टी इसलिए कर रहे हैं
09:24क्यूंकि मिठाई बनाने से पहले तुमने मटके पे मंत्रा नहीं पड़ा है
09:29रमणा को तब उसकी गलती का एसास होता है
09:33और चंद्रया के एसान को भूल कर लालच में आकर उसको धोका देने के लिए वो माफी मांगता है
09:39उसके बाद पोलीस रमणा को वहां से ले कर जाते हैं
09:43देखा आपने लालची बुद्धी बुरी बुद्धी है

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