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  • 6 days ago

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00:00एक समय में एक गाव में रामन्ना नामकिक रेलवे कूली था
00:06रामन्ना उसके बीवी और दो बच्चों के साथ एक चोटे घर में रहता था
00:13वो रोज की वेतन के लिए रेलवे स्टेशन में सूटकेस और बैग्स को उठाता था
00:20वो अच्छा आदमी था लेकिन उसकी बुद्धी थोड़ा तेड़ा था
00:24रामना स्टेशन के प्लाटफॉर्म पे खड़े होके आते जाते प्रयानी कोंग को कूली के लिए पूछता था
00:32कूली बाबु कूली भया कूली साब
00:37ऐसे वो कूली काम के लिए स्टेशन में आते जाते हर लोग से पूछता था
00:42लेकिन रामना को एक भी कूली का काम नहीं मिल रहा था
00:46रामना को सुबह खाने की आदत थी
00:48लेकिन उस दिन कुछ ना खाने के कारण वो फीका पड़ गया था
00:53दिवार पे थोड़ा ऐसा जुक कर खड़ा था
00:55इतने में एक बुजर्ग
00:57सुनो बाबो कूली
00:59चार सूटकेस हैं
01:02ट्रेन के आते ही इन सूटकेसों को उसमें लगाना है
01:05जी साब लगा दूँगा
01:07रक तो मैं दूँगा लेकिन कितना दोगे ये तो बोलिये
01:11हर सूटकेस का पांच रुपए मानकर मैं तुम्हें बीस रुपए दूँगा
01:15क्या?
01:16पांच रुपए दोगे?
01:18तो तुम ही उठालो ये बैग
01:19जाओ जाओ
01:20सूटकेस का पच्चिस रुपए मानकर
01:22सौ रुपए दे दो
01:23क्या?
01:25सूटकेस का 25 रुपए
01:27मैंने सूटकेस उठानी को बोला है
01:30ट्रेन के भोगी को नहीं
01:32जाओ जाओ
01:33मैंने भी सूटकेस के बारे में ही बात किया
01:36रेल की भोगी की नहीं
01:38चार सूटकेस का 20 रुपए देता बोला
01:41आया बड़ा
01:42कंजूस आदमी
01:43क्या बोला तुमने 20 रुपए कम है और मैं कंजूज हूँ चलो हटो यहां से तुम नहीं हो तो बहुत सारे कूलियें यहां पे हाँ बड़े आ जाएंगे लाइन में तुम्हारे इस 20 रुपए के लिए तुम्हें खुद उठाकर रख देंगे रेल में जाओ जाओ
02:01इतने में रेल स्टेशन पे पहुँच भी गई और रामना के देखते देखते ही चला भी गया लेकिन रामना को एक भी कूली का काम नहीं मिला था एक तो पैसे नहीं थे और दूसरा उसे भूख लग रहा था इसी कारण रामना को गुसा आ गया था अपने आप पे और अपनी
02:31नहीं मिला ऐसे दिन धल भी गया और उसे एक भूटी कोड़ी भी नहीं मिली उसी दुख में वो अपने घर का रास्ता पकड़ा घर पहुंचते ही पापा के इंतजार में बैठे उनके दोनों बच्चे दिखे उसको अपने पिता को खाली हाथ देख दोनों बच्चे बहुत �
03:01इसकी बिमारी बीवी को देख आज सुबह मिले उस 20 रुपए की कूली कर देता अपनी बीवी की दवाई तो ना हो पाता लेकिन कम से कम मैं बच्चों को तो खिला पाता
03:16ऐसे वो अपनी घमंडी नियत को कोस कर कुछ काम ढूणने के लिए तुरंत रेलवे स्टेशन के और भागने लगता है आधी रात तक काम करने के बावजूर उसे उसकी खर्चों के लिए काफी पैसे भी नहीं मिलते हैं
03:32इतने में रेलवे स्टेशन में मौझुद पुलीस आधी रात को रामना को उधर मंड़ाते हुए देख उस पर शक करते हैं
03:39चोर समझ कर उसे पुली स्टेशन ले जाते हैं
03:43साब साब मैं कोई चोर नहीं हूँ साब मैं एक कूली हूँ साब
03:47ऐसे उसके कहने के बावजूद पोलीस उसका बात नहीं मानते हैं
03:52उसके पास मौजूद थोड़ी बहुत चिलर भी ले जाते हैं
03:55तुम्हारे कूली का पैचान लेकर कल स्टेशन आओ तब तुम्हें छोड़ते हैं
04:00साब, साब मैं कोई चोर नहीं हूँ साब, मेरी बात तो सुन लो साब
04:04ऐसे रामाना पोलीस को समझाने की बहुत कोशिश करता है
04:09लेकिन उसकी बात ना मान कर पोलीस वहां से चले जाते हैं
04:13इस कारण रामया स्टेशन में अकेले बैठ कर
04:16है भगवान, मेरी इतनी बुरी हालत क्यों कर दी तुने
04:21मेरे पास बचे चिलर भी उन्होंने ले लिया
04:24आज मैं अपने बच्चों को क्या खिलाऊंगा
04:27ये सब सोचते हुए निराश होकर रामया स्टेशन में चलते जाता है
04:34इतने में रेलवे पे खड़े एक ट्रेन में से एक प्रयानी
04:38उनके खाने के बाद बचे हुए खाने को रामया को देते हैं
04:43उस खाने को लेकर रामया खुशी-खुशी अपने घर की ओर बढ़ता है
04:47घर पहुँचते ही अपने बच्चों को इंतजार करते हुए देख रामना जल्दी जल्दी उनके पास जाकर उस खाने का कवर खोल कर उसमें बचे रोटी को उन दोनों में बांट देता है।
04:59रामना का छोटा बेटा उसके दिये हुए रोटी को जल्दी खाकर पापा भूग लग रही है ऐसे कहता है और बस रामना के हाथ में बचे आखरी तुकड़ा भी वो उसके छोटे बेटे को दे देता है।
05:15ये देख रामना की बेटी उसके पास जाकर पापा आप नहीं खाओगे ऐसे पूछती है मैं तो कब का खा लिया बेटा मैं ये खाना तुम्हारे लिए लाया हूँ ये कहकर वो पानी से अपना पेट भरके सो जाता है।
05:31अगले दिन उसकी बीमार बीवी, भूके बच्चे, गरीब हालत के बारे में सोचते हुए भगवान की किरपा से अगर आज कुछ काम मिला तो अपनी बीवी के लिए दवाई, बच्चों के लिए खाना ले जाओंगा।
05:50इसी सोच के दुख में वो स्टेशन के ओर बढ़ता है।
05:55आज रामना घमंडी ना होकर जितना भी काम मिले, सारा कर देता है। दिन धलते ही, वो कुछ पैसे कमा लेता है।
06:06चलो, आज कुछ तो पैसे मिले। ऐसे सोचते हुए, वो उसकी घर जाने के लिए स्टेशन से बाहर जाने लगता है।
06:16इतने में उसे स्टेशन के एक बेंच पे एक सूटकेस दिखता है। उस समय में स्टेशन में कोई रैल नहीं था। चारो और एक भी आदमी नहीं था। वो सोचने लगता है कि ये सूटकेस किसका हो सकता है।
06:31चारो और कोई ना दिखने के कारण वो सोचता है कि कोई उसका सूटकेस भूल गया होगा। इसलिए उस सूटकेस को लेकर वो पलीस स्टेशन जा पहुचता है। जो पोलिस उससे कल रात पैसे लिए थे वो उसे वहाँ दिख जाते हैं।
06:47उनके पास जाकर साब मुझे ये सूटकेस जेशन में मिली है साब वहाँ कोई नहीं था। लगता है कोई भूल गया। आप ही इसको इसके मालिक के पास पहुचा दीजे साब।
07:00उसके कारण पोलिस को समझाता है कि ये चोर नहीं, नेक इंसान है। ये देख उससे बोलते हैं।
07:08ठीक है, तुम घर चले जाओ। हम इस सूटकेस को उसके मालिक तक पहुचा देते हैं। ऐसे कहकर उसे वहाँ से बेज देते हैं।
07:17उस दिन कमाए हुए पैसों को लेकर, रामना उसके परिवार वास्यों केरे खाना लेकर, बीमार बीवी के लिए दवाई भी लेकर घर जाता है।
07:29अगले दिन, आज पताने कैसे रहेगा। ऐसे सोचते हुए स्टेशन पहुचता है। पहुचते ही उसके सामने स्टेशन मास्टर दिख जाते हैं।
07:40आ गये तुम, तुमारा ही इंतजार कर रहा था मैं। उनकी ये बाते सुनकर, रामना डर जाता है।
07:47क्या हो गया साब, क्या मैंने कुछ गलत किया है।
07:55अरे रे, ऐसा कुछ नहीं है रामना।
07:59कल रात के तुम्हारे अच्छे काम के लिए तुम्हें तौफा मिला है।
08:05तुमने जो सूटकेस पुलिस लोगों को पहुचाई थी, वो एक अमीर आदमी का है।
08:10तुम्हारी अच्छाई की दाग देकर तुम्हारे लिए कुछ पैसे बिजवाया उन्होंने।
08:15हर अच्छे काम का प्रतिफल होता है।
08:18ये कहते हुए स्टेशन मास्टर रामना को वो पैसे देता है।
08:23अच्छे काम करते हुए अपनी जिन्दगी और जिम्मेदारी निभाओगे तो उसका प्रतिफल तुम्हें हमेशा मिलेगा।
08:31झालिए अच्छे काम काम करते हुए और जिम्मेदारी निभाओगशद सेुए वो जिन्दगी और जिम्मेदारी चाहते है।

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