00:00वो सीतापुरम का गाउं था बहुत ही सुन्दर गाउं हरे बरे खेत कोयल की राग और हर सुबह सीता राम के मंदर से आ रही भक्ति की गाने वहां सुहान असा वातावरन था उसी गाउं के रंगया और लक्ष्मी का इकलोता बेटा राम
00:23राम बहुत अच्छा बच्चा था वो बड़ों का बहुत गौरव करता था राम हर रोज सुबह जल्दी उठकर उसके पिता के साथ जंगल जाकर लक्डियां लेके आता था बेटा राम चलें जी पापा
00:39जंगल से लौटने के बाद राम नहाकर पाच्छाला के लिए तयार होता था राम उसके पाच्छाला जाता था और उसके माबाप उसी समय काम पे निकल जाते थे
00:53राम उसके गाव में मौझूद सरकारी पाच्छाला में पांचवी कक्षा पड़ रहा था वो हर रोज पाच्छाला जाने से पहले उसी गाव में मौझूद सीतारा मंदर में भगवान की दर्शन करके जाता था इतना ही नहीं वो उसके कक्षा में भी सबसे तेज था सारे �
01:23लिखते हुए खाना खा लेते थी तोने से पहले हर रोज राम की मां उसे एक नैतिक कहानी सुनाती थी उसके बाद सबी सोच आते थे
01:31राम की घर के सामने एक दिन किराई पर रहीम और उसकी मां रेश्मा आते हैं
01:38रहीम के पिता का उसके बच्पन में ही देहांद हो गया था और रहीम को उसके मां ने लाड़ों से पाला था
01:47रहीम बहुत होश्यार था और उसको अपनी मां से बहुत प्यार था वो बच्पन से ही अपनी मां की हर बात सुनता था
01:55मा को वो बहुत अच्छी तरह समझता था
01:58राम की मा एक दिन रहीम की मा के पास जाकर उनसे बात करने लगती है
02:03ऐसे मेरा बेटा भी इसी गाउं के सरकारी पाथशाला में पांचवी कक्षा पढ़ रहा है भावी
02:10अरे वा भावी मेरा भी बेटा राम उसी पाथशाला की उसी कक्षे में बढ़ रहा है
02:16इतने में रहीम उसके घर पहुंचता है
02:19लक्ष्मी भावी अरे भावी सुनिए यही मेरा बेटा रहीम है
02:23उसी समय राम भी उसके दोस्तों के साथ घर आते रहता है
02:28राम अपनी मा को देखते ही उनके पास चल ले जाता है
02:31ये लो ये ही मेरा बेटा राम है
02:35नमस्ते आंटी
02:36आपका बेटा बहुत त्यारा है
02:39बेटा राम कल से तुम्हारे साथ मेरे बच्चे को भी पाथशाला लेके जाओ ना
02:44जरूर आंटी
02:46अगले दिन पाथशाला को जाने से पहले राम रहीम के घर जाकर
02:50रहीम पाथशाला जाना है चलो
02:54आया राम
02:55ऐसे वो दोनों स्कूल के लिए निकल जाते हैं
03:00और क्यूकि राम को हर रोज पाथशाला से पहले मंदर जाने की आदत थी
03:04वो रहीम को मंदिर के अंदर बुलाता है
03:08रहीम चलो भगवान की दर्शन करके मंदिर होकर जाते हैं
03:14राम हम मुसल्मान है हम मंदिर नहीं आ सकते तुम जाकर आओ
03:19ठीक है रहीम ये कहकर राम मंदिर के अंदर जाकर भगवान की दर्शन करके बाहर आता है
03:26उसके बाद वो दोनों पाच्छाला चले जाते हैं
03:30रहीम पाच्छाला में भी राम की बगल में बैखता है
03:33राम रहीम दोनों स्कूल में अच्छा पढ़ाई करते हैं
03:37दोनों की माक्स अच्छी आती थी
03:39ऐसे ही धीरे धीरे राम रहीम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन जाते हैं
03:45हर रोज मिलकर स्कूल जाना, साथी खेलना ऐसे दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन जाते हैं
03:52राम के माता पता भी रहीम का बहुत अच्छा ख्याल रखते हैं
03:58राम की माँ रहीम को खुद अपने हाथों से खिलाती थी, ऐसे कुछ दिन बीच जाते हैं, ऐसे ही एक दिन जब राम 45 से पहले मंदर जा रहा था, उसे अचानक एक प्रश्न सूचता है, रहीम मंदर क्यों नहीं आता है, तब राम रहीम से ऐसे पूछता है,
04:16रहीम तुम मंदर क्यों नहीं आते हो
04:20क्योंकि हम मुसल्मान है राम
04:22तुम्हारे मंदर को हम नहीं आ सकते हैं
04:26और ये बात छोटे राम को समझ में नहीं आता
04:29उसे हर हाल में रहीम को मंदर के अंदर लेके ही जाना था
04:33इसलिए वो रहीम का हाथ पकड़ कर उसे मंदर की अंदर खीचता है
04:37दोनों भगवान के पास जाते हैं
04:41वहां मौजोद पंडित रहीम को देख ऐसे कहते हैं
04:46अरे ये क्या है राम इसको यहां लाए हो ये तो मुसल्मान है
04:50पंडित जी हम मुसल्मान को मंदर के अंदर नहीं लेके आ सकते हैं
04:55ऐसा नहीं है राम
04:56हमारे पाच्शाला में अध्यापक ने कहा है कि भारत देश में सभी एक है
05:02कोई भेद भाव नहीं है
05:04वो सब पड़ाई के लिए होता है राम
05:07पर मेरी माने भी तो सिखाया कि सबका मालिक एक है
05:12यानि सबका भगवान एक ही होता है
05:15वही मौजोद राम की अध्यापक ये सुनकर उसके पास जाता है
05:20बहुत अच्छा बोला राम तुमने
05:23पंडित जी ये सब तो हमें बच्चों को सिखाना है
05:27बच्चे तो भगवान का रूप होते हैं
05:30उनको भला अलग से कैसे देखें
05:32कुछ देर सोचने समझने के बार
05:34पंडित जी राम से ये कहते हैं
05:35तुम्हारे माता पिता ने तुम्हें बहुत अच्छा सिखाया राम
05:38इतने छोटे उमर में बड़ी सोच है तुमारी
05:41चलो जाओ राम अपने दोस्त को लेकर भगवान की दर्शन करो
05:47और बस राम रहीम दोनों भगवान की दर्शन करके
05:51खुशी खुशी अपने पाठ्शारा चले जाते हैं
05:54देखे हर रोज नैतिक कहानी सुनाने के कारण
05:58राम के कितने अच्छे विचार है
06:01इतनी छोटी सी उमर में उसने जान लिया कि भेद भाव नहीं होते हैं