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  • 2 days ago

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Transcript
00:00अरे हाई रमेश कैसे हो तुम
00:09अरे मैं तो ठीक हो सुरेश तुम कैसे हो
00:13हाँ हाँ मैं भी ठीक हो
00:15तो यहाँ आना कैसे हुआ
00:18अरे वो ना मेरे रिष्टदारों के घर में एक शादी है
00:22इसलिए उनके शादी के लिए जरूरी सामगरी लेने यहाँ आया
00:25अरे ये तो खुशकबरी है यार आओ आओ आओ आकर जो लेना है लेके जाओ
00:30तब सुरेश लगबग सूपरमार्केट पे मौजुद सामगरी में आधा उसके गाड़ी में डालकर वहां से चले जाता है
00:38अगले दिन आकर उससे कहता है कि वो पैसे लोटा देगा
00:42और क्योंकि सुरेश रमेश का बचपन के दोस्त था वो सुरेश के बातों पे यकीन करता है
00:48और इतना ही नहीं उसे बहुत खुशी होती है सुरेश उसके दुकान से इतने सारे सामान ले जाता है
00:55अगले दिन रमेश सुरेश का इंतजार करते रहता है दुकान पे
01:00लेकिन बहुत टाइम बीटने के बावचूद वो उसके सूपरमार्केट नहीं आता है
01:05ऐसे एक हफता बीट जाता है
01:07लेकिन फिर भी सुरेश नहीं आता है
01:09इस सब के बाद रमेश फैसला लेता है कि ये बात अब पोलिस को बतानी चाहिए
01:14लेकिन उससे पहले ही पोलिस खुद उसके दुकान आते है
01:17आपके दुकान में लिए समगरी से खाना पकाने के कारण ही
01:20एक शादी में भहुत चारे लोग बिमार बढ़े है
01:23और ये कहते हुए सुरेश नामक एक आत्मी आपकर कंप्लेंट करा है
01:26कलती सामगरी बेशने के कारण आपको हम गिरफतार कर रहे हैं और आपके दुकान को सीज कर रहे हैं
01:33ये कहकर रमेश और उसकी पती अपनी को पलिस गिरफतार कर लेती हैं
01:38और इस कारण राहुल अकेले बढ़ जाता है
01:40कुछ दिन बाद खाने के लिए खाना ना होने के कारण
01:44और हाथ में पैसे भी ना होने के कारण
01:46और माबाप को बाहर कैसे लाए
01:48इस सोच में पड़े राहूल रोड पे इधर उधर घूमते रहता है
01:52ऐसे कुछ दिन बीच जाते हैं
01:55राहुल फैसला करता है कि ऐसे खाली बैठने के बजाए कुछ काम कर लेते हैं, कम से कम पैसे तो मिल जाएंगे, तब उसे उसके ही उमर के कुछ लोग सडक पे मौजूद कचरा और प्लास्टिक बॉटल उठाते हुए दिख जाते हैं, तब वो उनके पास जाकर उसकी परीस्
02:25में लेने, ऐसे कहते हैं, ये बात मानकर राहुल भी उन बच्चों के साथ ही सडकों पे घूनते हुए, कचरा उठाकर शाम होते ही उन्हें एक दुकान में बेच देता है, वहां से कमाए हुए कुछ ही पैसों से वो सडक पे मौजूद कुछ खाना खा लेता है, और उसके �
02:55ठीक से नहीं कहा पाता, आधी भरी पेट से ही सोता था राहुल, ऐसे ही एक दिन हमेशा की तरह राहुल सडकों में घूमते हुए, कचरे को उठाते हुए रहता है, तब उसे सुरेश एक पान शौप में नज़र आता है, उसे कुछ दिन पहले उसके दोस्त से पता चलता है
03:25बोलकर अपने पापा को फसाया है, तब वो ठान लेता है, इस सुरेश को कुछ भी करके सबक सिखाना ही होगा, लेकिन वो इस सोच में पढ़ जाता है, कि वो सबक कैसे सिखाएगा, ऐसे सोच में पढ़े, वो सडकों पे कचरे के लिए ढूनते ढूनते एक अमीर वाली गल
03:55यह कहकर वो उसके काम आने वाली चीजों के लिए ढूनते रहता है, तब उसे पैक किया हुआ एक बड़ा सा पारसर दिखाए देता है, उसे भाड़ने के बाद उसे पता चलता है, कि इस पैकेट पे तो सारे सची कड़क नोट्स हैं, और बस राहुल की खुशी का तो कोई
04:25संभाल के छुपाता है, उन में से थोड़ा पैसा वो अपने बैग में डाल कर उसके कचरा जमा करने वाले दोस्तों के पास जाकर अरे सुनो, हमें उस सुरेश को न पुलिस के हवाले कर देना होगा, पकड़वा देना होगा उसको, और उसके लिए मेरे पास एक उपाय है,
04:55और राहुल के संग सुरेश के दुकान जाते हैं
04:58राहुल के बाकी दोस्त सारे सुरेश को उनके बातों में मगड कर देते हैं
05:03और ठीक तबी राहुल उसके बैक से वो पैसों के नोटों को निकाल कर
05:08सुरेश के दुकान में मौझूद पैसों के ड्रॉर में डाल देता है
05:12और उसके बाद वो बाहर आकर पुलिस को फोन करके ऐसे कहता है
05:17साब हमें कच्रे में 10 लाग मिले साब
05:20हमसे एक दुकानदार ने वो पैसे छीन लिये साब
05:24ऐसे कम्प्लीन करता है
05:26पुलिस के आने के बाद सभी बच्चे एक ही बात पे रहते हैं
05:29कि सूरेश ने हमसे जबरदस्ती पैसे चीन लिया है
05:34ए सुनो पैसे खीच कर कहा चुपाया तुने
05:40सर ये लोग तो जूट बोल रहे हैं
05:43मैं उनसे क्यों पैसे लूँगा
05:45अब आप ये मत कहो कि आप उनका यकीन कर रहे हो साब
05:48नाई सर अब भी हमसे पैसे खीच कर उसने उसके पैसों के ड्रॉर में डाल दिया
05:54और हमने दीखा आप भी ठून लीजे
05:57तुम अपने पैसों का लॉकर खोलो पहले
05:59साब मैं तो रो रहा हूँ कि सुबस से एक भी ग्रहक नहीं आया
06:03और आप कहरे हो कि मेरे लॉकर में दस लाक मिल जाएंगे
06:06कहां से आएंगे सर उड़के चलो आप ही देख लीजे
06:10ये कहकर वो उसका लॉकर खोलता है
06:12खोलते ही वहां उसे दस लाक दिखते हैं
06:15ये देख सुरेश चौंग जाता है और कहता है
06:18साब ये पैसे यहां कैसे आये मुझे सच में नहीं पता साब
06:23अच्छा पुलिस के साथ खेल रहा है तो
06:27ऐसे कहकर उन पैसों को पुलिस लेकर यहां मौजुद पैसे सरकार के हवाले कर दो
06:33ये कहते हुए और उसके बाद सुरेश को गिरफतार भी करता है राहुल बहुत खुश होता है कि उसका उपाय काम आ गया उसके बाद वो उसके दोस्तों को उसके घर ले जाता है
06:46और ऐसे कहता है अपसे तुम लोग मेरे ही साथ रहना हम सब मिलकर ना एक सूपर मार्केट शुरू करेंगे उसमें मैं तुम लोगों को भी हिस्सा दूंगा तब उसके दोस्त खुशी से इस बात को मान जाते हैं ऐसे राहुल उसके मिले हुए पैसों में से थोड़ा अपन
07:16अच्छा नाम भी कमाते हैं कुछ दिन बाद वो अपनी माता पिता को निर्दोश साबद करता है और उनको जेल से बाहर निकलवाता है राहुल जेल से बाहर आने के बाद रमेश और उसकी पत्नी अवनी अपने बेटे की तेज बुद्धी होशियारी और अच्छाई को दे
07:46और ऐसे सबी खुशी से जीते हैं

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