00:00रेलवी स्टेशन में गंदे फटे हुए कपड़े पहन कर, हाथ में चाई लेकर, पूरा स्टेशन घूंगते हुए चाई बेचती रहती है शारदा
00:10स्टेशन में आते जाते लोगों से भाया चाई, दीदी चाई ले लोना दीदी, करमा गरम चाई
00:19ऐसे कहते हुए उनके आगे पीछे घूंगती रहती है शारदा, कुछ लोग तो चाई पी लेते हैं, लेकिन बहुत लोग शारदा को देख, घिन आकर उससे दूर चले जाते हैं
00:31शारदा बहुत ठक जाती है, लेकिन फिर भी वो सूरज के ढलने तक चाई बेचती रहती है, उसके कमाई हुए पैसों से ही वो कुछ सामगरी लाकर उस रेलवे स्टेशन के पीछे एक शेट में मौजूद उसके दादा दादी के पास जाती है, और उन दोनों के लिए खान
01:01चाई को लेकर स्टेशन जाती है, और वहाँ शाम होने तक चाई बेचती रहती है, उनी कमाई हुए पैसों से वो अपने बुड़े दादा दादी का ख्यान रखती है, हर रोस की तरह शारदा रेलवे स्टेशन में चाई बेचती रहती है, लेकिन उस दिन उसके पास एक ब
01:31मेरा नाम शारदा है जी, तुम्हारा चाई का व्यापार कैसे चल रहा है बेटी? हाँ कुछ चल रहा है जी, हर रोस बस सामगरी खरीदने के लिए पैसे कमा लेती हूँ, कभी कबार तो पैसे भी नहीं मिलते हैं, ऐसे भोल इपन से कहती है, अगर तुम इन फटे कपड़ो
02:01अच्छा है तो नहीं चलेगा बेटी, तुम्हें भी तो साफ रहना है, मेरे पास दो ही दो कपड़े हैं, उनी को मैं पैनती रहती हूँ, अब नए कपड़े खरीदने के लिए मेरे पास फैसे भी नहीं है, तुम्हारे माता पता क्या करते हैं बेटी?
02:18मेरे माबाब मर गे, मैं अपने ताता ताती के पास रहती हूँ, ओ, ऐसा क्या, वो का हैं बेटी? वो दोनों इस रेलवे स्टेशन के पीछे एक शेड में रहते हैं, ओ, तो तुम्हों के पास घर भी नहीं है, तुम कौनसी गाउं से हो, ऐसे पूछता है चलमया, यही पास
02:48हम वही रहते थे, अच्छा, तो फिर अब यहां क्यों आये तुम लोग? क्योंकि कुछ दिन पहले हमारे गाउं का सरपंच हमारा घर हमसे चीन कर हमें बाहर बेज दिया है, ऐसा क्या? क्यों? तब शारदा जो कुछ भी हुआ, चलमया को बताती है, कुछ दिन पहले हमारे �
03:18खड़ा था, वो वोट मांगने हर घर को जाता था, और ऐसे ही हमारे भी घर आये, तब मेरा दादा पिछली बार जब सरपंच बने थे, तो गाउं के सारे पैसे तुम ही खा गए, सरकार के प्रोजेक्स के पैसे भी तुम ने ही खा लिया, तुम को मैं वोट नहीं डालूँ
03:48मेरे जीतने के बाद मैं तुम्हें इस गाउं से ही बार निकाल दूँगा, ऐसे उसने चेताब नहीं दी थी, उसके कहें कि अनुसार वो जीत गया, और उसके कुछी दिन बाद वो अधिकारियों को लेकर हमारे घर आया था, ये कहते हुए कि हमने इस घर को गैर कानूनी से
04:18बाहर निकाल दिया, मेरे दादा दादी बहुत बोड़े है ना, हमने अधिकारों से मिलने की बहुत खोशिश की, लेकिन कोई हमारी मदद नहीं कर रहा, इसलिए मैं चाय बेचकर जो भी पैसे कमाती हूं, उसी से उनका देखबाल कर रही हूं, ऐसे वो बहुत दुख में क
04:48ऐसे कहते हैं, पर मेरे पास तुप पैसे नहीं है दादा, धीरे धीरे से दे दे ना बेटी, तुम पहले व्यापार तो शुरू करो, अगरे ही दिन चलमा या शारदा को नए कपड़े और चाय बनाने के लिए जरूरी सामगरी एक महीने तक का खरीद के देता है, ऐसे शार
05:18के चाय बनाते हुए, सबको उसकी तरफ आकर्शित करते आ रही थी, कुछी दिन में रेल्वे स्टेशन को आये वाले यात्रिगनी नहीं, बल्कि गाउं से भी लोग उसके चाय पीने आ रहे थे, ऐसे कुछी दिनों में शारदा के दुकान वाली रेल्वे स्टेशन से कु�
05:48बन जाते हैं, एक चाय की दुकान से शुडू करके शारदा कुछी दिनों में इन सारे ब्रांचस की मालिक बन जाती है, इतनी छोटी उमर में इतना सारा काभियत से हासल करने के कारण बहुत सारे मीडिया लोग शारदा से उसकी इंटर्वियों मांगते हैं, तब शारदा �
06:18ये जानकर उस जिल्ला का कलेक्टर शारदा का साराहन करते हुए बल्रामया को गिरफतार भी करता है, जो काम उसने गैर कानूनी से किया है, वो सब कानून हासल कर लेता है, और जिन अधिकारीों ने उसकी मदद भी की थी, उनको भी गिरफतार बर लेते हैं, और इस सब के �
06:48तुम्हें चला जाए तो खुद अपना सर नीचे करना होगा