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  • 6/22/2025

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Transcript
00:00एक जंगल में जोर की बारिश होने लगी थी
00:03देखते देखते ही बिजलियां गरच कर वो तूफान बन चुका था
00:08वो देख तोता अपने पती कबूतर से ऐसे कहती है
00:13सुनिए ये देखकर मुझे तो तूफान के तरह लग रहा है
00:18मेरा मन भी यही कह रहा है कि कुछ बुरा होने वाला है
00:21हम अभी उस परवत पे मौझूद जंगल में चले जाते हैं
00:24जैसे ये बारिश रुख जाएगा हम वापस आ जाएंगे
00:27हाँ हाँ आई है देखो भविश्वानी
00:31तुम्ही क्या लगता है मैंने इसी बरसाथ और तूफान नहीं देखा है
00:35पहले ऐसे कही ना आते हैं और जाते हैं
00:39जाओ जाओ जाओ जाकि काम करो
00:41मैं जो भी कहूं आपको मजा की लगता है
00:45अब कब सुनते हो मेरे बात
00:48जाओ पहले यहां से जाकर पहले पकोड़े बनाओ
00:53ऐसे तोटे की बात को अंसुना कर देता है कबूतर
00:58तब ही वहाँ पहुचकर कववा ऐसे कहता है कबूतर से
01:02अरे क्या हुआ जीजू सारा जंगल बारिश के वज़े से उपर नीचे हो रहा है
01:08और आपके घर में से पकोड़े की सुगंदा रही है
01:11हाँ हाँ तुमारी बेहन यहां आकर भविशवानी जो बन गई
01:16मेरे ही भविशे के बारे में मुझे बता रही थी
01:19इसलिए मैंने सोचे कि खाली रहेगी तो यही बोलेगी
01:22तो काम बोल दिया मैंने
01:23लगता है वही काम कर रही है अब तुम भी आ गए न दो पकोरे खा करी जाओ
01:28अरे हाँ हाँ चीजू कह रहे हैं तो अभी रुकना ही बड़ेगा न खा करी जाओंगा
01:35इतने में गर्मा गर्म पकोरे लाकर तोता ऐसे कहती है
01:40अरे कवा भाई कवा है आप
01:44अभी आया बहन, मैंने सोचा कि तेरे हाथ के पकौरे खा करी जाओ
01:50हारेरे क्यों नहीं, बिल्कुल खाईए भीया
01:55कवा पकौरे खाते हुए
01:58और जीजू, बताओ क्या हाल चल
02:00क्या है होगा, सब ठीठा
02:05वैसे ऐसी बारिश में इतने गर्मा गर्म पकौरे खाने का मज़ा ही कुछ और है
02:10कितना स्वादिष्ट है
02:14ऐसे खाते रहता है कबूतर
02:16देखो ना भाईया, मैं यहां इस बरसाथ से डर कर कह रही हूँ
02:23कि उस परवत के जंगल पे चले जाते हैं
02:25और यह यहां पकौरे खा रहे हैं
02:27कम से कम आप बोलिये न
02:30क्यों जीजू, बेहन के बाद के अनुसार हम भी उस परवत के जंगल पर चले जाएं क्या
02:37उसकी बातों को ज्यादा भाव मत दो
02:39हमने ऐसे कितने बरसाथ देखे हैं, यह दो कुछ भी नहीं है
02:43बात तो सही है जीजू, लेकिन
02:50ऐसे कुछ कहने ही वाला था की
02:52वैसे तुमने कुछ देर पहले कहा था की हम भी उस परवत पर चले जाएंगे
02:57मतलब इससे पहले तुम्हारी बेहन की तरह ढर कर कोई हमारे जंगल से गया है क्या
03:03हां, बोलो
03:05ऐसे जोर से हसने लगता है कबूतर
03:07दरसल वो जीजू, जाने के सोच में नहीं, बलकि बहुत लोग पहले से चले भी गए
03:15अरे रे हां क्या, दरपोक है सब, पहले से ही भाग गे
03:20वो डरपोक नहीं, अकलमंद है, बारश अगर ज्यादा हुआ तो हम उड़ भी नहीं पाएंगे
03:26अभी कम है तो कम से कम, परवत वाली जंगल पे कम से कम पहुँच पाएंगे
03:30इसलिए मैं भी कह रही हूँ, लेकिन मेरी बाते तो आपको मजाक लगते है
03:35रे रे रेने दोग, थोड़ा सा धील छोड़ दिया तो मुझे सिखाने आ जाती है
03:42बेहन की बातों में तो सच है जीजू
03:46या तुम लोग भी ना, और वैसे, वैसे अगर उतना ही डर लग रहा है, तो तुझे भी जाना था ना
03:53ऐसे कबूतर कवे से कहता है
03:55ऐसे कैसे कह दिया जीजू, आपको बताये बिना क्या मैंने कभी कुछ कहा या किया
04:02तुम लोग जाना हो, मैं भी वही रहूंगा ना
04:06ऐसे ही, पेट पे मौजूद ये तीनों पक्षियां दूर से बरसात को देखते रहते हैं
04:13देखते देखते ही बारश बहुत बहुत बढ़ जाता है
04:16बिजनियां गरजने लगी जोर जोर से
04:19और दिन दहाडे भी इतना बारश आ गया था कि सूरज दिखी नहीं रहा था
04:25और क्यूकि वो पेड़े घाट में था, पानी पूरा जमा होने लग गया
04:30इतना भरने लगा कि पेड़ तक पहुँच गया
04:32ये देख कबूतर अपने आप में सोचता है कि जितना उतने सोचा था उतना छोटा बारश तो नहीं है ये
04:39लेकिन उसे डर था कि अगर बाहर ये कह गया तो उसके बीवी के सामने ये छोटा बन जाएगा
04:45इसलिए कुछ ने कहता है और बस ये ही सोचता है कि जो होगा देखा जाएगा
04:49कवा तो अंदर ही अंदर डरने लग गया
04:53कुछ और देर बीट गया तो पानी पेड़ के उपर तक आ जाएगा
04:59ये भगवान मुझे ता भी चले जाना था जब मेरे दोस्त बुला रहे थे
05:04मैं जीजु के साथ यहाँ ठक गया आए भगवान ये सोचते हुए वो निराश होकर रो बैटता है
05:17इतने में किसी की जोर की चीके सुनकर तीनों पक्षी बाहर देखते हैं
05:24तब वो देखते हैं कि एक गौरया उसके पती गौरया के साथ एक नाव लेकर सारे उन पक्षियों को बिठाते हैं
05:36जो इन बरसात के कारण घायल हो गए हैं और उन सब को एक नाव में बिठाकर वो कबूतर और तोते के घर की और बढ़ने लगते हैं
05:46तब वो तोते को देखकर ऐसे कहते हैं
05:48हम यहां तुम लोगों को बचाने आए हैं बहुत पक्षियों को अब तक बचा कर हम उने सही सलामत उस परणत के जंगल पे छोड़ गए हैं तुम लोग भी हमारे साथ आओ
06:00ऐसे कहते हैं
06:02ओह मुझे इसका चेहरा कभी नहीं देखना था लेकिन देखना पड़ गया चाह ऐसे कहता है कपूतर गुसे में
06:14अरे यह सब तो पुरानी बाते हैं जी इसको छोड़ दीजिए यह सब वोकर बहुत समय बीट गया है
06:21अरे चुप तुम मुझे क्या समझा रही हो उसका चेहरा देखना ही पाप है और उसके नाव में चड़ना होगा ही नहीं
06:29अब उस सब से क्या लेना देना जीचू कुछ देर में लगता है हम सब दूप जाएंगे जीचू चलेंगे ना उनके साथ
06:37ऐसे कहता है कवा
06:39देखो मैं ऐसे कोई एरे गेरे से मदद नहीं लूँगा अगर जाना है तो तुम दोनों चले जाओ मैं तो यही रहूँगा
06:48ये सुनकर उसका बूतर को अकेले ना चुड़ने के कारण तीनों वहीं रह जाते हैं
06:54ये देख गुराया को लगता है कि जो लोग पहले नाव में हैं उनको बचाना ज़रूरी है इसलिए उनको लेकर वहां से चले जाती है
07:09मुझे पता था कि मेरा जीजू मूर्ग है लेकिन इतना मूर्ग है ये तो नहीं पता था
07:15कई साल पहले उनकी बेटी उने चोड़ कर चली गई उसका गुस्ता तो नहीं अब तक है हाई भगवान नजाने क्या ही होगा
07:24ये सोचकर सभी एक ही बार अतीत को याद करते हैं गौराया कबूतर और तोते की इकलौती बेटी थी और उसको बहुत प्यार से वो दोनों बड़ा करते हैं
07:36कुछ दिन बाद गौराया के पास के रिष्टेदार एक कवे से उसका रिष्टा पक्का होता है।
07:44लेकिन गौराया को ये रिष्टा मंजूर नहीं था। तब वो ऐसे कहती है।
07:48भापा, मुझे ये शादी मंजूर नहीं है, मुझे ये शादी नहीं करना है।
07:54क्या बच्पन से तुम्हारा मर्जी पूछ कर ये सब कर रहा हूं मैं।
07:58चुप चाप जो कह रहा हूं सुन लो बस।
08:01मैंने एक और गराया से प्यार किया है।
08:04मुझे उसी से शादी करना है।
08:06ओ, तुम मुझे पूछे बगैर शादी भी करने का फैसरा तुमने खुद कर लिया।
08:11इतनी बड़ी बन गई तुम।
08:14हम। मैंने उनको मेरा वचन दिया है।
08:17वचन नहीं निभाऊंगा, तो मेरा इज़त घट जाएगा।
08:21तुम्हारे दिल से कई ज्यादा मैंने मेरा इज़त रखता है।
08:24इसलिए चुप चाप मेरी बात सुनकर शादी कर लो उससे।
08:28ये कहकर कबूतर वहां से गुस्से में चले जाता है।
08:31आगले दन गौराईया वहां से चुप चाप भागकर
08:35अपने दोस्तों के समक्ष में उसके गौराईया प्यार से शादी कर लेती है।
08:41उसके बाद वो अपने पती के साथ अपने माबाग का आशरवात लेने घर आती है।
08:46ये कहकर कबूतर वहां से चले जाता है।
08:59उसके बाद वो गौराईया अपने प्यार के साथ परवत्वे मौजूद जंगल में बचों के साथ खुश रहती है।
09:07ऐसे वो बारिश में अपने पती के साथ नीचे घाट वाले जंगल में अटके पक्षियों को बचाने नाम लेकर आती है।
09:17और ऐसे ही उसके घर तक जाती है। उसे पता था कि उसके माबाप नहीं आएंगे।
09:23इसलिए वहां से चले जाती है वो। उन सारे पक्षियों को परवत के जंगल पर पहुंचाने के बाद।
09:29उसे लगता है कि उसे एक और बार अपने माबाप के पास जाकर उन्हें बचाने की कोशिश करना होगा।
09:35इसलिए वो वहां नाम लेकर आके उसके माँ को पकारती है।
09:39तब तोता कववा भाया चलो हम यहां से चले जाते हैं। उन्हें अगर नहीं आना है तो रहने दो। उनको यहां पे मरना है तो मरने दो।
09:49यह कहकर कववा और तोता दोनों नाव में बैठ जाते हैं। नाव में बैठ कर सभी उनका थोड़ा इंतजार करते हैं।
09:58तब क्योंकि यह कबूतर और कुछ कर नहीं पाता वो आकर नाव में बैठ जाता है
10:02तब वो सब घरचते हुए बरसते हुए उस बारिश में उस परवत के जंगल तक पहुंचते हैं
10:10सब भी उस गौराया के घर में जाकर खाना खाके आराम करते हैं
10:15तोता अपनी बेटी को प्यार से गले लगा कर
10:17आज तुमने इतने लोगों का चान बचाया है बेटी हमेशा खुश रहो
10:24आरे मा इतनी बड़ी बाते क्यों
10:29तुमने जो किया वो तुम्हें कभी नहीं कर पाती बेटा
10:33जितना भी बड़ा आशिरवाद तो कम ही पड़ जाएगा
10:36मुझे तो मेरे पती का सहारा है मा इसलिए आज ये सब कर पाई
10:40बात तो सही है जो पती हमारे जीवन का ही साथ ही नहीं
10:46बलकि बातों में और फैसलों में हमारे साथ तो वो मिलने में मुश्किल है
10:51और जब ऐसे लोग मिलते हैं और हमारे भगल में होते हैं तब अपने आपको किस्मत वाले कह सकते हैं
10:58कुछ लोग रहते हैं सिर्फ अपने जित पे अड़े रहते हैं और कभी किसी और की सुनते नहीं है
11:03मूर खोते हैं वो
11:04ऐसे उसके पती कपूतर के सामने ही कहती है तोता
11:08जीजु की साई टक्कर है मेरी बहन
11:12तब सब बारिश कम होने तक वही गोराया के घर पे आराम करते रहते हैं

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