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  • 2 days ago

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00:00राजा रम जलते हुए धूप में भीड़त बस्टैंड में गन्ने का जूस बेच रहा था।
00:06वो गन्ने को मशिन के अंदर डालकर, उसे निचोड़कर, एक ग्लास में नीम्बू पानी डालकर उसमें गन्ने का जूस भरता था।
00:15और इस जूस को उसके ग्रहकों को बेचता था।
00:19वो तीन दिन से यही काम कर रहा था।
00:21लेकिन वो कोई भी पैसे नहीं कमा पाया।
00:23तब वो ऐसे सोचता है कि कोई नए प्रकार का व्यापार शुरू करके
00:27इस गने के व्यापार का लाब बढ़ाना होगा।
00:31ऐसे सोचते सोचते उसे एक उपाई सूचता है।
00:34राजाराम अपने आपने ऐसे सोचता है।
00:37इस गर्मी में अगर किसी को गने का जूस पीना भी है
00:40तो उनकी अपने कामों के बिजी में नहीं पी पाते हैं।
00:43और कुछ लोग बस छूट जाने की टेंक्शन में बस उतर कर पीने नहीं आते हैं।
00:49कोल्डरिंग और लस्सी जैसे बेचा जाता है।
00:52वैसे ही अगर गने का जूज भी उनके पास पहुचाय जाये तो मेरा व्यापार शायद अच्छा चलेगा।
00:59ये सोचकर वो तुरंत कुछ प्लास्टिक कवर्स में गने का जूज जालकर उन्हें पैक करके उन्हें एक प्लेट में डालकर बेचने जाता है।
01:07बस्टान में सारे बसों के पास जाकर गने का जूस बाबू, गने का जूस, ताजा ताजा जूस, बिरा कोई मिलावट के एकदम घर से बना हुआ जूस, अलग प्रकार के कूल्डिंग्स के बदले में ये ताजा ताजा गने का जूस पियो बाबू, ऐसे उनको बेचने लगत
01:37अभी आता हूँ, यह कहकर बहां से चले जाकर वो उसके प्लेट में मॉझूत
01:41सारे गणे के जूस के पैकेट को बेच देता है।
01:45फिर से गणे की जूस बनाने के लिए गणे को निच्छौड़ने जाता है,
01:48कि सुजाता वहां आकर गुसे में
01:51क्या कर रहे हो आप?
01:53पागल हो गए हो क्या?
01:54या फिर एक ही दिन में आपको सारा गना बेचना है
01:56खाए बिना पिए बिना ये सब क्या कर रहे हो आप?
01:59पहले आप इधर आए खाना खा लीजे
02:01ऐसे वो गुसे में कहती है
02:03तब राजाराम जल्द बाजी में बहाँ नीचे बैटकर खाना खा लेता है
02:08उसके बाद तुरंट वो गन्य के जूस बनाने मशीन के पास जाकर उन्हें निचोडने लगता है
02:13उसके बाद जूस बनाकर उनको वापस उसी जल्द बाजी में बेचने जाता है
02:18नचाने क्या काम करते हैं ये, जो खाया वो भी ठीक से नहीं खाया उन्होंने, मैंने तो अब तक सिर्फ गन्य के जूस को बेचने वालों को एकी जगह पर ठाने हुए देखा है, ये तो हर जगह जाकर गन्य का जूस पेच रहे हैं, ऐसे सोचती है,
02:32ये सब दूर से देख रही एक बूरी औरत सुजाता के पास आकर ऐसे कहती है, एक गलास गन्य का जूस तो बेटी, तब सुजाता एक गलास ठंडा गन्य का जूस देती है, वो जूस पीते हुए बूरी औरत ऐसे कहती है, क्या बेटी, तुम दोनों व्यापार में नए हो क्या
03:02मेहनत से काम करोगे न, सब कुछ आसान बन जाएगा बेटी
03:08ऐसे कहती है बूड़ी औरत
03:10ये हर रोज यही व्यापर नहीं करते हैं जी
03:14वो देखिये, हाँ, वहाँ का गन्ना जब तक खत्म न हो जाए
03:17ये यही काम करते रहेंगे, ऐसे कहती है
03:20उस बूड़ी औरत को कुछ समझ नहीं आता है
03:23इसलिए वो थोड़ा आश्यर रिचकित हो जाती है
03:25और वो सुजाता की और देखने लगती है
03:27ये बहुत लंबी कहानी है जी
03:30ऐसे कहती है सुजाता
03:32मेरा बस पहुँचने में बहुत टाइम है बेटी
03:36तब तब बतादो उतनी लंबी कहानी क्या है
03:40ऐसे पूचती है वो बुड़ी औरत
03:42हाँ, असल में तो हम खेती करते थे
03:45हमारा गावना पास में है
03:48हमारे पास बहुत बड़ा जमीन है
03:49और हम वहाँ अलग प्रकार के पौधों को उगाते हैं
03:53पिछले साल हम हमारे केत में गन्य उगाये थे
03:56जब गन्या हाथ में आया
03:57हमेशा की तरह हमारे पास मौझूद गन्य के फैक्टरी के लोग
04:01गन्य को लेकर उनके पास पहुचाने के लिए कहा था
04:04मेरा पती भी सारे गन्य को
04:06वो दिखी हाँ उस गाड़ी में फाक्टरी लेके गए
04:10सुनो राजाराम तुम्हारा सारा लोड न वही पे छोड़का चले जाओ
04:15सारा लेने के बाद हम तुम्हें कॉल कर देंगे और पैसे भी तब ही देंगे
04:20क्या ऐसे तो नहीं होगा साब
04:23पिछले साल भी आपने ऐसे ही बोलकर आधही पैसे दिया था
04:28बाकी तो आपने दिया ही नहीं
04:31क्यों राजाराम साउंड कुछ ज्यादा नहीं आ रहा है तुम्हारा
04:35हमारे साथ आपका बरताप देखकर तो ऐसे ही बड़ा होगा ना साब
04:39जिस गाड़ी में मैं गन्ना लाया वो गाड़ी भी आप कह रहे हो कि यहीं छोड़ दू मैं
04:44यह तो नाइन साफी है या जितने दिन आप गाड़ी को रख रहे हो उतने दिन उस गाड़ी का किराया आप दोगे क्या ऐसे पूछता है
04:51एह निकल जाओ तुम अगर इतना ही मुश्किल है तो अपना गाड़ी लेकर चले जाओ
04:56इस साल भी आधे ही पैसे दूँगा मैं तुम्हें जो करना है कर लो निकला
05:01तब राजा राम भी बहुत क्रोधित होता है
05:05आधे ही पैसो में तुम्हें ये गन्ना बेचना मुझे भी नहीं पसंद है
05:08और जब तक तुम लोड यहाँ पे उतरवा न दो तब तक गाड़ी यहां रखने की कोई जरूरत भी नहीं है मुझे
05:14ये कहकर वो गाड़ी लेकर चले जाने ही वाला था कि
05:19तुम ये गाड़ी लेकर यहां से 200 किलो मिटर भी गए न तो ये गन्ना तुमसे कोई भी नहीं लेगा
05:26इसको तुम कई भी नहीं बेच पाओगे
05:29यहां तो तुम्हें कम से कम आधा दाम मिल रहा है
05:31ये कहकर वो आदमी हसने लगता है
05:34इसे पहले कि ये गन्ना खराब हो जाए
05:37इस हफते के अंदर ही इस सारे गन्ने को मैं बेच तूँगा
05:41और वो भी पचास किलोमेटर के अंदर
05:44ऐसे कहता है राजाराम
05:45ग्या? इतना गन्ना को तुम अकेले बेच होगे?
05:49मजाग लग रहा है क्या?
05:51एक किसान के मैनत पे हसने वाले तुम जैसे लोगों से मैं क्यों तमाशा करूँगा?
05:55अब मैं करके ही दिखाऊंगा
05:57देखते रहना
05:58ये सुनकर क्रोधित दुकान वाला ऐसे कहता है
06:01तो फिर ये भी सुन लो
06:02अगर तुम पचास किलोमीटर के अंदर इस सारे गन्य को बेच पाए
06:06तो जितना पैसे तुम्हें मिलते हैं
06:09उसका दुगना मैं तुमें दूँगा
06:10ऐसे वो गन्य के फाक्टर का मालिक सबके सामने वचन देता है
06:15ठीक है फिर दुगना दाम देने के लिए तयार हो जाओ
06:18ये कहकर गन्य का लोड लेकर राजाराम वहां से चले जाता है
06:23उसके जाने के बाद वो मालिक सबके साथ हासते हुए ऐसे कहता है
06:27देखो उसका घमंड
06:30हफते के अंधर ही मेरे पैरों पे गिर जाएगा और बोलेगा
06:34कि यहां गन्य कोई ने खरीद रहा है कम से कम आधा तो दाम देदो
06:38सुजा था ये सब उस बुड़ी औरत को बोलकर
06:42तो ये थी वो लंबी कहानी
06:45इसलिए मेरा पती उस सारे गन्य को बेचने के लिए तीन दिन से बहुत मैनत कर रहा है
06:50दो और दिनों में उस सारे गन्य को में बेचना होगा
06:53ये ही उनका फैसला है
06:55ऐसे कहती है
06:56अच्छों का अच्छा ही होगा
07:00चलो मेरे बस का टाइम हो रहा है बेटी
07:02मैं जा रही हूँ
07:03ऐसे कहती है वो बुड़ी औरत
07:06ऐसे वो दो दिनों में उस सारे गन्नी को बेच देता है
07:10खाली गाड़ी लेकर वो उस गन्ने के फैक्टरी के मालिक के पास जाता है
07:24देखा आपने सारा गन्ना मैंने हफते के अंदर
07:28पचास किलोमीटर के अंदर बेच दिया इस सब को बेच कर ये लो इतने पैसे कमाये है मैंने
07:34इसका दुगना दाम आपको देना ही पड़ेगा और वो भी जल्दी ये सब देखकर वो मालिक डंग रह गया
07:41उसे डर था कि ये सब सच हो गया इसलिए वो ऐसे कहता है
07:45सबूत का है कि ये सब तुमने ही बेचा है और वो भी पचास किलोमीटर के अंदर
07:50शाइपूरा गन्ना कई तुमने छुपा लिया हो किसको पता ऐसे कहता है
07:54तब वहाँ पे मौजद किसान नहीं साब वो बस्टान पे दिन रात मैनत करके बेच रहा था
08:01हमने देखा है ऐसे कहते हैं तब वो कुछ नहीं कर पाता है इसलिए ठीक है अभी तुम्हारा किस्मत अच्छा है तुम्हारे पैसों का दुगना दाम मैं दूँगा ठीक है
08:12ऐसे कहता है रोते हुए राजाराम के कमाये हुए पैसों से दुगना देता है वो मालिक और वो भी सब के सामने तब राजाराम को ऐसे लगता है कि उस मालिक को किसानों का पवर दिखाना है तब वो कहता है आपका जमीन मैं खरीद लूँगा दे दो मुझे अभी के अभी पै
08:42राजारम पूरा गन्ना लेकर पास्वे मौजुद शहर जाकर हर एक चौरस्ते में एक एक गन्ने के जूस का डिबा लगाकर वहाँ पे लोगों को नौकरी पे भी लगाकर गन्ने के जूस को पैकटों में बेचता था
08:56बहुत ही जल्द वो बहुत सारा लाब बनाता है
08:59ऐसे ही उसने साबित कर दिया था कि अगर एक किसान को कुछ करना है तो वो करके दिखाएगा
09:05और ये भी सबक सिखाता है कि किसानों को कभी नीचा नहीं देखते

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