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  • 2 days ago

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00:00एक लंब ऐसा में पहले रामापूरम नामक गाउं में सामबडू और गाउरी नामक पति-पत्नी रहते थे
00:09वो दोनों एक छोट इसे घर में रहते थे
00:12इनका एक मध्यम वर्ग परिवार था
00:15सामबडू के पास चार भैस थे
00:18वो हर सुबह उसे दूद निचोड़कर उस दूद को बेचकर पैसे कमाता था
00:26आये हुए उन्ही पैसो से वो अतनी जिन्दगी चलाता था
00:32वो उन भैसो को उसके घर के बाहर बाल देता था
00:37हर सुबह और शाम वो हरी घास को लाकर उनको खिलाता था
00:44ऐसे ही एक दिन जब वो अपने भैसों को घास खिला रहा था
00:49एक गाई कहीं से आकर वहां मौजूद घास को खाती है
00:53और क्यूकि सामबडू को जानवरों से बहुत प्यार था
00:57उस गाई को देख वो सोचता है कि बिचारी भूकी होगी
01:01इसलिए उस गाई को कुछ नहीं कहता है
01:04वो गाई वहां की घास खाकर चले जाती है
01:07अगरी दिन सुबह वो गाई वापस आती है
01:11और घास खाकर चले जाती है
01:15ये देख सामबडू की पत्नी गावरी उससे ऐसे कहती है
01:19सुनिए वो गाई हर रोज हमारे पास घास क्यों का रही है
01:24वही मैं भी सोच रहा हूँ गाउरी
01:27जानवर है इसलिए मैं भी कुछ नहीं कह पा रहा हूँ
01:31ठीक है जी लेकिन आपको पता है न गाई का दूद सिहत के लिए बहुत अच्छा होता है
01:36इसलिए उस गाई का दूद निचोड़ो हम पीएंगे ठीक है गाउरी
01:41ये कहकर दूद के लिए कटोरी लाकर उस गाई का दूद निचोड़ता है
01:46लेकिन उस गाई के दूद को सोनी के रंग में देख वो चौक जाता है
01:51गवरी गवरी ये दूद देखो सोनी के रंग में है
01:56सामडू की चीखे सुन गवरी जब वहां पहुचती है
02:00सोनी के रंग में दूद देख वो भी आश्चर चकित हो जाती है
02:04ये क्या है जी दूद सची में सोनी का रंग है
02:08वही तो मुझे भी नहीं समझ में आ रहा गौरी
02:11तब वो दोनों उस दूद को लेकर घर के अंदर रसोई घर में उसे उबालने की कोशिश करते हैं
02:19उबालते वक्त वो दूद सामबडू और गौरी के आंखों के सामने ही चमकते हुए सोने की गांट में बदल जाती है
02:27ये देख सामबडू और गौरी खुशी और आश्चर एक ही साथ महसूस करते हैं
02:34उसके बाद सामबडू उस गाय को उसके घर के बाहर बांद कर उसको घाने के लिए घास देकर सो जाता है
02:41सुबा उस भैस और गाय को रखे हुए जगर को साफ करने सामबडू जाता है
02:47उस गाय के पास जाने पर वो देखता है कि उसके पैर के पास फिर से सोने का गांट मौजूद है
02:54आश्चरी में तब वो उस गोबर को एक तोकरी में डालकर घर के अंदर जाता है
03:00घर के अंदर जाकर गवरी गवरी ऐसे उसके बीवी को पुकारता है
03:06अपने पती की चीके सुन गवरी वहाँ जाकर क्या हुआ जी ऐसे पूछती है अरे ये देखो उस गाई का गोबर भी सोना है वो देख खुशी के मारे गवरी ऐसे कहती है
03:20सुनिए शायद शायद हमें इस थिति में देख भगवान ने खुद इस गाई को हमारे घर बेजा है
03:28मुझे भी ऐसे ही लगता है कवरी मैं अब बिस सोनी को शहर ले जाकर इसको बेचकर पैसे वापस घर ले आता हूँ
03:36सांबडू शहर जाकर उस सोने को बेच कर पैसे वापस घर ले आता है उसके बाद ऐसे ही कुछ दिन सांबडू उस सोने के दूद और सोने का गोबर लेकर उसे शहर में बेच कर उन पैसों को जमा करता है
03:50जमक ये उन्ही पैसों से सामडु और कौरी एक बड़ा घर लेते हैं
03:56और इतना ही नहीं उन जानवरों के लिए भी एक बड़ा सा जगा लेते हैं
04:01ऐसे ही वो उस गाय के दूद और कोबर से आय हुए पैसों को जमाते रहता है सामडु
04:07सामडु को ऐसे ही एकदम अमीर बनते देख गाव में सारे लोग उसी के बारे में बात करने लगते हैं
04:14उसी गाव में रंगडु नामक एक आदमी को ये बात हजर नहीं होती है कि सामडु इतने जल्दी इतना अमीर बन गया
04:22रंगडू को जानना था कि सामडू ऐसे अचानक अमीर कैसे बन गया
04:27इसलिए वो एक रात सबके सोने के बाद सामडू के घर चोर की तरह जाता है
04:33सामडू के घर में मौजूद सोने का गोबर देते एक गाय को देखता है
04:38आहां तो सामडू इसके द्वारा कमा रहा है
04:43ऐसे सोचकर वो उस गाय को हासिल करने का एक योजना बनाता है
04:48रंगडू अगले दन सुबा ही सामडू के घर जाकर उससे ये कहता है
04:53सामडू तुम्हारे घर आये हुए गाय मेरी है वो हमारे घर से भाग गई है
04:59मैं हर रोज उसे डूण रहा हूँ
05:01जब मैंने सबसे पूछा तो उन्होंने बताया के तुम्हारे घर आयी है
05:06मुझे मेरा गाय वापस दे दो यार
05:08ये सुनकर सामडू
05:10क्या ये तुम्हारी गाय है नहीं हो सकता
05:14अब मैं उसका पालन कर रहा हूँ
05:16मैं नहीं दूगा
05:18ऐसे कहता है
05:19कैसे नहीं दोगे
05:20वो मेरी गाय है
05:22बहुत पैसो से उसे खरीदा है मैंने
05:24अब अगर तुमने उस गाय को वापस नहीं किया
05:27तो मैं तुम्हें पंचायत लेके जाऊंगा
05:29और वहां मैं सब के सामने बोलूँगा
05:31कि तुमने मेरी गाय की चोरी की है
05:34तब वो गाई के साथ जुर्मा नामी भरने बोलेंगे पंचाइती का नाम सुनते ही सामडू बिचारा डर कर ठीक है लेके जाओ ऐसे कहता है
05:46उस गाई को लेकर दुष्ठ हसी हसते हुए जाता है रंगडू उस गाई को रंगडू उसके घर ले जाकर उसे बाहर बांध कर उसके पास मौजुद सारे पैसों को दावे पे लगाकर उस गाई के लिए अच्छी गुणवत्ता की घास किलाता है रंगडू लेकिन बहुत खा
06:16लेकिन दूद भी नहीं देती है वो गाय, लाख कोशिशों के बाद भी वो गाय रंगडु को कुछ नहीं देती है, फिर रंगडु को लगता है कि उस गाय को परेशान करने पर वो शायद दूद या गोबर देगी, इसलिए वो उसे परेशान करने लगता है, लेकिन उसके ब
06:46तब रंगडू को लगता है कि वो जान बूच कर उसके पेट में सारा सोना छुपा कर रख रही है इसलिए दो दिन उसको कोई भी घास नहीं खिलाता है विचारी गाय से भूका पेट सहा नहीं गया इसलिए वो एक रात रसियों को तोड़ कर वहां से चले जाती है
07:05रंगडू के लालच की कारण ना उसे सोना मिलता है और ना ही उसके पास कोई पैसे बचे रहते हैं इसलिए वो रोने लगता है और इसी विशय को जाकर सामबड उसे कहता है
07:18मुझे माफ करो सांबा, वो मेरी गाए नहीं थी, मैंने देखा कि वो गाए तुझे सोना दे रही थी, इसलिए लालच में आकर मैंने ऐसे किया, अब मेरी आशा नहीं मुझे निराश कर दिया है, और मेरी पास कोई पैसे नहीं है, तुम क्या मेरी सहायता कर पाओगे?
07:37ऐसे विंती करता है, गाए के चले जाने की वारता सुन, सांबडु बहुत मिराश होता है, जब वो गाए भूकी थी, मैंने उसे खिलाया, इसलिए उसने मेरी मदद की है, मैंने ये सब कभी लालच में आकर नहीं किया, मैं सिर्फ अपना काम कर रहा था, ये सब तुम्हारे ल
08:07सारे पैसे खोकर रंगडु रोते रहता है

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