00:00एक लंग पैसमे पहले कावेरी नदी के किनारे मगदा का सामराज्य था
00:05उस राज्य का पालन विक्रमातित्या करता था
00:09कई सालों से वो उस राज्य को उसकी बुद्धी और अकल से बचा दे आ रहा है
00:14विक्रमातित्या का हमेशा से यही मानना था कि ताकत से दिमाग बढ़ कर है
00:19विक्रमातित्या की उमर अब बढ़ गई थी
00:22इसलिए उसके बाद सामराज्य का ख्याल रखने के लिए उसको एक अकलमंद आदमी को चुनना था
00:28एक दिन विक्रम आदितिया उसके बगल में मौजुद मंत्री से ऐसे कहता है
00:32मंत्री मेरी उमर यहां बढ़ते जा रही है
00:37और मेरे बाद इस सामराज का ख्याल रखने के लिए मुझे एक अकलमंद आदमी की जरूरत है
00:43राजा आपके बगल में ही इतने सारे काबल मंत्री है
00:51आपकी शेहत की और इस राज के बारे में आपको और कैसी चिंता हम उनका देखबाल करेंगी
00:57हमें पता है कि आप इस राज को कैसे चलाते आएं इतने साल
01:02सबसे पहरे तुमें एक अकलमंद आदमी को ढूंड़ो
01:05वरना धूंडने की योजना बनाकर मेरे पास आओ
01:08ऐसे गुस्से में कहकर वहां से चले जाती है
01:11जी प्रबू मैं कोशिश करूँगा
01:13ये कहकर एक हफता गुजर जाता है
01:16तब विक्रमादतिया उस मंत्री को बुलाकर
01:19आपको मैंने एक काम दिया था
01:21वो कहां तक आया
01:22माफ कीचे प्रबू
01:23मैंने बहुत ढूंडा है
01:25लेकिन आपके काबियत के बराबर
01:27अकलमन मुझे कोई नहीं बला है
01:29और थोड़ी देर लगनी ही वाली है
01:31और बस विक्रमादतिया को समकुछ समझाता है
01:35विक्रमादतिया के जाने के बाद
01:37ये सारे मंतरी बस उनकी कुरसी को
01:40आधिन करने की इद्जार कर रहे हैं
01:43लेकिन उनको एक काबिय अकलमन्द आगमी ढूने की
01:46कोई इच्छा नहीं है
01:48ठीक है मंतरी
01:49कल से मैं खुद प्रजा में जाकर
01:52एक अकलमन्द आगमी ढून कर आऊंगा
01:55राजा आपका इस उमर में बाहर जाना शायद ठीक नहीं है
02:00कोई चिंता नहीं मंत्री मेरा सेहत बिलकुट ठीक है
02:05मेरे बाद इस सामराज का परिपालन करने के लिए काबिल अकल्मन्थ आदमी ढूणना अब सबसे जरूरी काम है
02:13ये कहकर महाराज अगले ही दिन राज में प्रजा के पास जाकर उनकी बुश्किले सुनते हुए उनका हल ढूँते हुए
02:23इस राज में उस अकल्मन्थ आदमी को ढूँते हुए रहते हैं
02:28उनको पता नहीं चलता कि उस आदमी को ढूंडने के लिए उनको क्या करना बड़ेगा
02:32ऐसे ही उनके सफर में एक जगा जाने के लिए उनको एक जंगल से गुजरने की जरूरत थी
02:39उसी जंगल में एक कोने में बैठी एक हाती रोते हुए नजर आती है
02:45तब विक्रम आदत्या उसके पास जाकर अरे रे प्यारी हाती की बच्ची क्यों रो रही हो ऐसे बूचता है
02:53मेरी मा को इस जंगल में बेड़ काटने वाले ले गए यहाँ से मा को कहीं और लेके जाएंगे
03:01और मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूँ
03:04ऐसे दुख में कहती है मैं तुम्हारी मा को वापस लाँ काटने
03:09ये कहकर तुरंथी वहां मौजूद भटों से कहता है कि गैर कानूनी से इस हाती को चुराए हुए उन लोगों को यहाँ लाया जाए
03:18और उन्हें कारागार में बंद किया जाए और इस हाती की मा को आजाद करता है तब वो छूटी सी हाती की बच्ची मेरी मा को बचाने के लिए बहुत शुक्रिया राजा ऐसे कहती है इस राज में मौजूद प्रजा ही नहीं पशु भी मेरी ही जमदारी है तुम्हारे मु�
03:48कं सकते हैं हाराजा अगर आपको कोई ईतरास न pengineio क्या आपकी समस्या हमें चाहिए एब अर्थ की मुझे रजा उन्की समस्या हाति को समझातना तो अब अकल्मन्त और काबल इंसान को धूमना इस का है मेरे पास तब लिक्रमादत्या कहता है दया करकरने वह मुझे बता द
04:18नदी पे एक बांध बनवा रहा है अगर वो पूरा हुआ तो हमारे राज को पानी बिल्कुल नहीं आएगा तब ये नदी भी सूख जाएगा और हमारा राज भी पानी के बिना तडबेगा अगर कोई इस समस्या का हल ढून पाया तो उसे आप राजा बना देजे ऐसे कहती ह
04:48पूरे में डंडोरा पिटवाता है चारों और मोजुद सारी मंत्री उस समस्या की हल ढूने में लगे रहते हैं क्योंकि उनको किसी दिहाल में राजा बनना था इतने में एक युवक राज दरबार को आकर मेरा नाम विजयवर्मा है और मेरे पास समस्या की उपाय है मैंने �
05:18ठीक है कोशिश कर सकते हो मुझे कुछ भटों की जरूरत है मन्जूर है इस युवक को जो भी आवश्यक है तुरंत दिया जाए ऐसे कहता है विख्रमादतिया तीन भटों को लेकर पडोसी राज के लिए निकलता है विजयवर्मा उस पडोसी राज के राजा का एक आदत �
05:48लगा कर लगबक हर घंटे पे उस घंटे को बचाने की आदेज दिया था इस प्रकार राजा को समय का पता लगता था और वो समय पे सारे काम करते थे ठीक इसी बात का उपयोग करके विजयवर्मा उनके समस्या का परिश्कार करने वाला था
06:06तीनों भटों के साथ घंटी के पास बहुच कर उस घंटी बजाने वादे को पैसे देखकर तुम कल तक काम पे मताना हो
06:15ऐसे कहकर उन तीनों भटों में से एक का भेश बदल कर वहां उस आदमी के स्थान में रखते हैं
06:22आधी रात होने के बाद हर आधे गंटे को तुम्हें ये घंटी बजाना होगा।
06:28याद रखना ऐसे कहकर बचे दोनों भटों को लेकर विजय वर्मा वहां के राज़ दरबार के ओर निकलता है।
06:36वहां मौजुद महराज के सामने मेरा नाम विजय वर्मा है।
06:40आपसे विंती करनी थी। इसलिए पडोसी सामराज मगदा से मैं आया हूँ।
06:46ऐसे कहता है। कहो क्या कहना है तुम्हें।
06:50कावेरी नदी पे जो बांदा बनवाने की कोशिश कर रहे हैं उसके कारण हमारा राज सूखा पड़ जाएगा।
06:56इसलिए इस प्रैत्न का अंत आपको अभी करना होगा।
07:00क्यूँ? अगर नहीं करा तो क्या कर लोगे तुम मगदा सामराज वाले।
07:05ऐसे उन्हें नीचा दिखाते हुए हसते हैं।
07:08ठीक हैं, अगर आप हमारे राज आने वाले पानी को रोग देंगे,
07:11तो ज़रा ये भी याद रखना कि सूरज आपके राज को हमारे राज से आता है।
07:17और मैं उस सूरज को आने नहीं दूँगा।
07:20ऐसे कहता है, बस आशिर चकित होकर राजा।
07:24क्या? तुम सूरज को हमारे राज आने से रोखोगे?
07:28क्या तुम्हारा दिमाग खराब है? ऐसे कहता है राजा।
07:33ठीक है, तो फिर आज ही मैं सूरज को गायब कर दूँगा।
07:38कुछी देर में सूर्यस्थम होगा और वही तुम्हारी आखरी बार होगा।
07:43इसके बाद इस राज में सूरज कब भी नहीं आएगा।
07:46अगर तुम लोगों को कोई शक है, तो अभी देख लोगो।
07:50ठीक है, जरा मैं भी देखू कि तुम सूरज को कैसे गायब कर दोगे।
07:55मंत्रिकन और राज मिलकर, राज प्रसादम पे बैटकर, विजय वर्मा की ओर देखते रहते हैं।
08:01कुछी देर में आधी रात बीच चुकी है, इस बात का इशारा देते हुए घंटी बचने लगती है।
08:09कुछ और देर के बाद सुबह हो गई है, इस बात का इशारा करते हुए घंटी बचते रहती है।
08:16मगर कही भी सूरज का एक किरन भी नहीं दिखता है, एक और घंटा बीटता है, और फिर भी सूरज का एक किरन तक नहीं दिखाई देता है, अब तक तो सूरज को आ जाना था, अब तक क्यों नहीं आया, यही बात सोचते हुए वहां के लोग परेशान हो जाते हैं, सब एक द
08:46आपके सामराज में कभी सूरज नहीं आएगा और तुम्हारा राज हमेशा हमेशा के लिए अंधकार में रह जाएगा ऐसे कहता है विजय वर्मा तब वहां मौजुद मंत्री तुरंट उटकर राजा के पास जाकर ऐसे कहते हैं
09:02राजा अगर और देर करेंगे तो लग रहा है कि और बड़ी मुसीबत आजाएगी हम उस बांध का काम यही रोग देंगे कही बोल दीजे आप उनको ऐसे वो उनके राजा से कहता है ये सुनकर राजा ठीक है विजय वर्मा हमको अब समझा गई है कि तुम सूरज को गायब कर
09:32ये मेरा वादा है क्योंकि आपने खुद वादा किया कि आप से गलती हो गई है और आप बांध बनवाना अभी रोग दोगे मैं इस बार के लिए आपको माफ करके सूरज को आपके राज में भेज रहा हूं
09:46आइंदा मुझे अगर पता चला कि ऐसी कोई भी कोशिश आपने किया है तो इस बार मैं आपके सारे राज को अंदकार में घसीर दूंगा और इतना ही नहीं तुम्हारे राज पे मैं दंड यात्रा करूंगा खबरदार ऐसे उन लोगों को चिताबनी देता है विजय वर्म
10:16खुश होकर विजय वर्मा का आधर सतकार करते हैं और उनको वापस बेज देते हैं मगद सामराज पहुंचने के बाद विजय वर्मा विक्रम आदित्या से ऐसे कहता है अब ये समस्या रही नहीं ये कहकर वहाँ जो कुछ पी हुआ विक्रम आदित्या को बताता है
10:33राजा को ये बात बहुत अच्छी लगती है कि छोटी से छोटी आपती के बिना किसी का प्रान खोए बिना ही इतनी बड़ी समस्या का हल निकाल पाया है और वो भी उसकी अकल से विजय वर्मा को गर्व से देखते हुए मैं जिस आगमी के तलाश में था तुम तो पही नि
11:03राजा का आधर देकर उनका पटा भी शेक करता है विख्रमादत्या