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  • 7/6/2025

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00:00एक लंब ऐसा में पहले अंगराज में अरविंद नामक एक भोला आदमी था
00:07अरविंद उसके माँ अन्नपूर्णा के साथ एक छोटी से घर में रहता था
00:13वो दोनों बहुत गरीब थे वो दोनों पास में मौजुद जंगल जाकर
00:18शहद एखटा करके वही गाउवालों को बेच कर पैसे कमाते थे
00:34ऐसे ही उनका घर चलता था
00:36लेकिन अरविंद के भोलेपन के कारण गाउवालों में कुछ लोग अरविंद से ज्याता शहद लेकर उसके कम पैसे देते थे
00:46ऐसे उसके भोलेपन का फैदा उठाते थे
00:49मगर क्योंकि अरविंद भोला था उसे पता भी नहीं था कि ये सब उसके साथ हो रहा था
00:54वो सिर्फ अपने काम से काम रखता था
00:56शहद बेचकर आए हुए पैसों को वो उसकी मा अनपूर्ना के हाथों में देता था
01:01ऐसे वो दोनों अपना जिन्दगी गुजार रहे थे
01:03अनपूर्ना हमेशा उसके बेटे अरविंद के बारे में चिंता करती थी
01:08क्योंकि अरविंद बहुत भोला था
01:10जंगर आकर उसके साथ शैत इखटा करने के जवाए उसे और कोई काम नहीं आता था
01:16और वो कुछ नहीं जानता था
01:18एक दिन चिंतित बैटी अनपूर्ना के पास पड़ोसी शुशीला आती है
01:22क्या हुआ अनपूर्ना ऐसे चिंतित बैटी हो?
01:28हाँ, अब कुछ नया क्या है शुशीला
01:30मेरे भोले बेटे के बारे में मेरा चिंता है
01:33उसको कुछ नहीं पता
01:35शायद इखटा करने के सवाय उसे और कोई काम नहीं आता है
01:39मेरी भी तो उमर बढ़ रही है
01:41जब तक मैं हूँ मैं उसकी देखबाल कर लूँगी
01:44लेकिन मेरी जाने के बाद उसका क्या होगा
01:46उसे खाना कौन देगा
01:48ऐसे वो दुखी होती है
01:49रो मत अनपूर्णा
01:51रो मत सब तक दीर है
01:54जैसे लिखा है वैसे होगा
01:56वैसे तुम डरो मत
01:58गामे कोई ना कोई उसे खाना दे ही देगा
02:01हाँ यहां तो लोग उसके भोलेपन का फैदा उठाते हैं
02:06या फिर उस पे हसते हैं
02:08मगर उसका ख्याल कोई नहीं रखता है
02:13भोला है मगर बुरा नहीं
02:15वो बहुत अच्छा है
02:16और अच्छों को हमेशा अच्छा ही होता है अनपूर्णा
02:20तुम चिंता मत करो
02:22यह कहकर शुशीला वहां से चले जाती है
02:25ऐसे कुछ दिन बीच जाते हैं
02:28एक दिन अनपूर्णा का सेहत खराब होता है
02:31और अरविंद को समझ में नहीं आता है कि क्या करें
02:34वो उस गाउं के डॉक्टर को वहां लेकर आता है
02:37जांच करने के बाद वो डॉक्टर कुछ दवाईया देकर चले जाता है
02:42मगर फिर भी अनपूर्णा का सेहत ठीक नहीं होता है
02:45और यहाँ दूसरी तरफ अरविंद के पास मौचुद सारे पैसे खतम हो जाते है
02:50अब उसे समझाता है कि फिर से शार्द इखटा करने के बाद ही उसे पैसे मिलेंगे
02:55इसलिए वो अकेले जंगल जाता है और शहद को ढूणने लगता है
02:59लेकिन कहीं भी उसे शहद का च्छता नजर नहीं आता है
03:03ऐसे वो घूम घूम कर ठकान के कारण एक जगब बैठ जाता है
03:08वहाँ बैठ कर वो अपने आप में ये क्या आज एक भी मधूम की का च्छता नहीं नजर आया
03:16अब शहद के बिना मैं पैसे कैसे कमाऊंगा और मा का हिलाज कैसे करवाऊंगा
03:22ऐसे दुखी होता है ठीक तबी उसी रस्ते से गुजर रहे एक स्वामी जी
03:27चिंतित बैठे अर्वन को देख
03:29क्या हुआ बेटा ऐसे चिंतित बैठे हो ऐसे पूछता है
03:35नमस्कार स्वामी जी मेरी मा की हालत खराब है और मेरे पास दवाईयों के लिए पैसे नहीं है
03:43आज मुझे शहद का छटा भी नजर नहीं आया और अब मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ
03:50ऐसे उन्हें सब कुछ समझाता है
03:52तुम्हें आज के लिए शहद चाहिए या तुम्हारी मा का सेहत ठीक होना चाहिए
03:58पूछते हैं स्वामी जी
04:00मा की सहत ठीक होनी चाहिए स्वामी जी लेकिन अगर मुझे वो दवाईयां खरीदनी है तो पैसों की जरूरत होगी ना
04:09इस प्रकृती में हर एक मुसीबत का दवाई होती है
04:13मेरे साथ आओ ऐसे कहते हैं स्वामी जी के पीछे पीछे चलता है अर्विंद
04:18ऐसे चलते चलते वो एक जगा पहुंचते हैं
04:22जाडियों में से एक पौधे को निकाल कर ये लो पौधा इस पौधे के पत्तों का रस बनाकर उसे चावल में मिलाकर अपनी मा को खिलाओ
04:32ऐसे कहते हैं
04:34घर आते ही उस पौदे की पतों का रस बना कर
04:38उसे चावल में मिला कर अपनी मा को खिलाता है अर्विंद
04:43कुछी देर में उसकी मा का सेहत पूरी तरह से ठीक हो जाता है
04:47आश्यरे चकित होकर अन्नपूर्णा अर्विंद को बलाती है
04:51बेटा ये कैसे कर पाए हो तुम ये कौनसी दवाई थी किसने दिया तुम्हें ऐसे उससे सवाल करती है
05:00तब अर्विंद जो कुछ भी हुआ अपनी मा को समझाता है
05:04ये सब सुनने के बाद अन्नपूर्णा अपने मन में उस्वामी जी का शुक्रियादा करती है
05:09मगर दूसरी तरफ अर्विंद का ऐसे पत्तों से औशक बनाना जंगल जाना ये सारी बाते गाउं में फैलती है
05:18तब गाउं में जिन का भी सेहत खराब होता है वो सारे अर्विंद के पास दवाईयों के लिए आते थे
05:25इसी कारण अर्विंद फिर से उस जंगल जाकर उस्वामी जी को ढूणने लग जाता है
05:30बहुत ढूणने के बाद स्वामी जी के कही ना दिखने के कारण ठक कर वो एक जगा बैठ जाता है
05:37बहुत देर बात उस तरफ जाते हुए स्वामी जी वहां अर्विन को बैठे देख
05:45क्या हुआ बेटा फिर से चिंतित बैठे हो स्वामी जी मैं तो आपको ही ढूणते आया
05:52क्यों बेटा क्या हुआ तुम्हारी मा का सेहत ठीक नहीं हुआ है क्या
05:57उनका सेहत ठीक हो गया है स्वामी जी लेकिन गाव में सारे लोग उनके सेहत के दवाईयों के लिए मुझे यहाँ भेज रहे हैं
06:07मुझसे पूछ रहे हैं कि उनके लिए औशदे मैं लाओं
06:11मुझे तो नहीं पता चल रहा था कि मैं क्या करूँ
06:14इसलिए यहाँ बैठा हूँ स्वामी ऐसे कहता है
06:18हरे इतनी सी बात मेरे साथ आओ मैं तुम्हे कुछ प्रकार के औशद की पौधे दिखाता हूँ
06:25स्वामी जी कुछ तरह के औशद की पौधों को अर्विंद को दिखाते हैं
06:30इन सब को अच्छी तरह से याद करो इन ही पौधों से तुम उनका इलाज कर पाऊगे
06:35ऐसे कहते हैं आपको बहुत धन्यवाद स्वामी मेरी मा का इलाज करने के लिए
06:40और अब इतने लोगों के इलाज करने में मेरी मदद करने के लिए
06:45ठीक है आगे से भी अगर तुम्हें कोई ओशत या पौधा की जरूरत हो
06:51तो मेरे पास आना मैं तुम्हारी मदद कर दूँगा
06:55ये कहकर वहाँ से चले जाते हैं स्वामी जी
06:57स्वामी जी के सहायता से जो भी पौधे उसको मिलते हैं
07:05वो सारे वो इखटा करके अपने गाउं ले जाता है
07:07और जो भी बीमार थे उनको ये सारे आउशत बना कर देता है
07:13और बस दो ही दिरों में अंगराज में सारे लोगों के मूपे अरविंद का ही नाम था
07:22ऐसे बात फैलते फैलते उस राज के राजा अंगराज तक पहुँचती है
07:27तुरंत वो अपने सैनिकों को अरविंद को लाने की आदेश देते हैं
07:32अगले ही दिन अरविंद को राजा के सामने लाया जाता है
07:35अरविंद यहां डरने लगता है क्योंकि उसे पता नहीं चलता है कि राजा के सामने उसे क्यों लाया गया
07:41राजा अरविंद को देख आपके बारे में हमने बहुत सुना है
07:45हमें पता चला है कि आप कोई भी तरह के बिमारी का इलाज कर सकते हो
07:50आम वो राजा
07:53हैसे डर के मारे मेरी इकलौती बेटी है
07:57बहुत दिनों से वो बस बिस्तर पे बीमार पड़ी है
08:01हमारे आस्थान वैद भी इनका कुछ नहीं कर पाए है
08:05अगर तुम उनका इलाज कर पाए
08:08तो मेरे सारे जायदात में आधा हिस्सा तुम्हारे नाम लिख दूँगा मैं
08:12मैं जो भी कर पाऊंगा करूंगा राजा
08:16ऐसे वो बिस्तर पे लेटी राजा के बेटी के पास जाकर
08:20उसके पास मौजूद पौधों से औशद बनाकर युवरानी को देता है
08:26औशद लेने के कुछी देर में सालों से विस्तर पर पड़ी युवरानी उठकर बैठती है
08:32राजा खुशी से पगला कर
08:36शभाश अरविंद मेरे बादे के अनुसार मेरे जायदात का आधा हिस्सा अब तुम्हें तौफा दे रहा हूँ
08:43और इतना ही नहीं राजा बहुत मरियादा और इजज़त से अरविंद को धूम धाम से उसके घर वापस बेचता है
08:51ये देख अन्नपूर्ना उसके बेटे के भविश्य के बारे में चिंता छोड़ देती है
08:58और सारा गाउं अरविंद के नसीब को देख खुश होती है
09:13और सारा गाम से अरविंद के बारे में चुश होती है

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