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  • 7/5/2025

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00:00एक लंबे समय पहले एक गाव में जगदांबा नामक एक कंजूस और घमंडी जमंदार थी
00:07सिर्फ अमीर होने के कारण वो उसके पास काम कर रहे सारी लोगों को भला बुरा कहती थी
00:13जमाने पहले किये हुए करण का ब्याज लेते हुए उनसे मुफ्त में काम करवाती थी
00:19इतना ही नहीं अगर गाव में कोई पैसों की जरूरत के लिए मदद मांगने उसके घर आता था
00:25उनके पशुओं को लेकर या उनके पास मौझूद कीमती चीज़ों को गिर्वी रखती थी
00:30उन लोगों के कर्स चुकाने के बावजूद वो सारी कीमती चीज़ों को अपने पास रखकर कहती थी
00:36यहां तो ब्याजी खतम नहीं हुआ तुम असल के बारे में बात कर रहे हो जाओ जाओ पहले कर्स चुकाओ
00:43हर रोज उसके पास मौझूद गहने और पैसा देख वो बहुत खुश हो जाती थी
00:49और इसी सोच में पड़ी रहती थी कि और पैसे कैसे कमाओ इन पैसों को दुगना कैसे बनाओ
00:55दूसरी तरफ जगदामबा का बेटा शहर में पढ़ाई खतम करके घर वापस आता है
01:01अपनी बेटे को देख जगदामबा का तेज दमाग एक योजना बनाता है
01:06तूरंद पंडित को बुलाकर मेरे बेटे की शादी कती है
01:09यहां मौजोच सारे गाओ में मुझसे भी अमीर खांदान की बेटी लाओ
01:14ऐसे कहती है
01:15पडोसी गाओ में एक अमीर खांदान की बेटी मंदाकनी का अपने बेटे से शादी करवाती है
01:22और क्योंकि मंदाकनी उनकी एकलोती बेटी थी, उसकी खांदान का सारा पैसा वो मंदाकनी के शादी में दहेच के रूप में देते हैं, मंदाकनी के माता पता
01:32और बस जगदांबा की खुशी की तो कोई सीमा नहीं थी, उसका जायदात एक ही बार में दुग न हो चुका था, लेकिन मंदाकनी जगदांबा की तरह कंजूस नहीं थी, वो अपना मन पसंद खाना खाती थी, मन पसंद चीजे करती थी और उसको जैसे पसंद था वैसे ही र
02:02है, इतना अच्छा मौसम है, तुम घर में टीवी क्या देख रही हो, ये कहकर टीवी को बंद करके, आओ बहु, बाहर आओ, इस प्रकृती का मजा लो, ऐसे कहती है, एक और दिन, जब मन दाकनी अपने मन पसंद के दो तीन व्यंजन मंगा कर, उसके सामने रखकर खाने ही �
02:32ठक जाती है, और वो ठान बैठती है, कि वो अपने सास को सबक भी सिखाएगी, और उनमें बदलाव भी लाएगी, वो उसके घर में मौझूद पुराना टीवी फेक कर, एक बड़ा टीवी और फैन को निकाल कर एसी लगवाती है, ये देख जगदांबा, अरे बापरे बह
03:02मैंने, इससे आपका कोई लेना देना नहीं है, तुम्हारे पैसे? यहां कहां से आये तुम्हारे पैसे? मेरे माबाप ने मेरी जायदात दहेज में दिया था तुम्हें सासुमा? ये भूलिये मत, अब आपके पास जितना भी परजायदात मौझूद है ना, उसमें आधा ह
03:32व्यंजन मंगवा कर, उन सबको खाने लगती है मन दाकिनी, ये देख जगदांबा, हाई भगवान बापरे बापरे, ये कौन सी खाना है बहू? इतने सारे व्यंजन एक ही साथ में कोई खाता है क्या? और सबको खरीदने में तुमने कितने पैसे गवा दिया? क्या तुम्ह
04:02हूँ, उन्हें इखटा कर रही हूँ मैं, इतना सारा पैसा इखटा करके आप क्या ही कर लोगे सासुमा? इस दुनिया में पैसे है तो सब कुछ होगा, पैसो से हम कोई भी चीज खरीद पाएंगे, आच्छा, ऐसा है क्या? ठीक है, तो फिर मैं आपको साबित करती हूँ कि
04:32हाँ, पैसो से हम कुछ भी खरीच सकते हैं, मन्जूर है, तो ठीक है, फिर मैं साबित कर दूँगी, अगले ही दिन उसके घर में ब्यास के लिए काम कर रहे सारे नौकरों को मन्दाकिनी बुलाती है, तुम्हारे सारे कर्ज मैंने चुका दिया है, अब तुम लोग यहां से
05:02क्या कर रही है यह समझ ना आने के कारण चुप-चाप उसे देखती रहती है जगदामबा, दोपहर का समय होते ही जगदामबा को भूक लगने लगता है, घर में तो नौकर नहीं है, काम करने भी कोई नहीं है, इसलिए बहु को बुला कर खाना बनाने कहती है जगदामबा
05:32तो फिर आप बहर से मंगाओ, आपके पास तब पैसों की कोई कमी नहीं है न सासुमा, यह कहकर मंदा की निवहां से चली जाती है, जगदामबा को पैसे खर्च करने की इच्छा नहीं होती है, इसलिए सारा दिन वो भूके पेट पे ही सोती है, अगले दिन जोर की भूक ल
06:02की तो होना ही था, हाँ, ऐसे कहते हैं, यह सुनकर जगदामबा कुछ नहीं कह पाती है, और वहां से चली जाती है, जगदामबा को देख मंदा की नि, क्यूं सासुमा, क्या हाल, आपको नौकर नहीं मिले क्या, हाँ, मैंने तो ये भी कहा कि मैं पैसे दे दूंगी, फिर भ
06:32देफ कूफी है, और आप जो आप हार गए, आपका सारा जायदात मीरा है, घर की जिम्मदारी मुझ पर छोड़ दीचे, और आप एक कोनी में बैटकर खुश रहिए, बाकी मैं संभाल लोंगी, ऐसे कहती है मंदाकिनी, जगदामबा चुप चाप घर की जिम्मदारी और च
07:02हमारे व्यवहार से ही कुछ चीजों को कमाया जाता है,

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