00:00वो कृष्णापुरम का अग्रहार था, वेदों के माहिर और पंडित रहने वारी एक जग़, बहुत सुहाना सा वातावरन था, पवित्र गोदावरी न दी, हरे भरे खेतों से भरा एक गाउं, उसी गाउं का एक वेदों का पंडित, नारायनचारी और लक्षमी का एकलोता �
00:30उनके कंट पे था, लेकिन तीस साल होने के बावजूत वो ब्रम्हचारी था, कृष्णमाचारी श्री कृष्ण भगवान का बहुत बड़ा भक्त था, हर रोज सुबा उटके, पवित्र गोदावरी में स्नान करके, श्री कृष्ण भगवान के मंदर को जाता था, वो हर र
01:00वेद और श्लोका सिखाता था, उन सारे बच्चों का कृष्णमाचारी ही गुरू था, कृष्णमाचारी को सारी काम आते थे, और वो इनसान भी बहुत नेक और अच्छा था, लेकिन उससे हमेशा इस बात का गम होता था, कि उसकी शादी नहीं हुई है, वो हर रोज कृ�
01:3012,000 गोपिकाएं थी, क्या मेरे लिए किसी गोपिका को पैदा नहीं किया आपने, इस जनम में क्या मेरा विवाह की योग्यता नहीं है, ऐसे उन्हें पूछते रहता है, ऐसे ही एक दिन वो उसके घर के बरांदे में बैठ कर पंचांग श्रवन पढ़ते रहता है, ठीक त�
02:00मैं खृष्णमाचारी, यह तीनों खृष्णमाचारी से ऐसे पूछते है, गुरुजी आप हम तीनों को आपके शिश्य बना दोना, ऐसे विंती करते हैं, हम भी वेद बढ़ना चाते हैं गुरुजी, इस गाओं के सारे लोग सिर्फ आपी को कहते हैं वेदों का पंडित,
02:30रहेंगे ऐसे वो तीनों उस दिन से कृष्णमाचारी के साथ ही वेद पाठ्षारा चलते रहते हैं हमेशा कृष्णमाचारी के पीछे ही रहते हुए उनके सारे कामों में मदद करते हैं
02:44और क्योंकि ये तीनों थोड़े येडे थे, कृष्णमाचारी को इनके कारण सिर्ध दर्द आता था
02:52कुछ समय बाद कृष्णमाचारी के माता पिता उसके लिए एक रिष्टा लाते हैं
02:59और पंद्रा दिनों में उसकी शादी पक्की करते हैं
03:03जब उसके शिश्यों को ये बात पता चलती है तो वो
03:06गुरु जी आपको हमें एक वाचन देना होगा
03:10आपके शादी से समध्दित हर काम हम तीनों ही करेंगे
03:15ठीक है ठीक है सबसे पहले शामियाना डालो ऐसे कहते हैं
03:21तब वो तीनों खेट जाकर पेड़ों पे बंदरों की तरह चड़कर नारियल पेड़ के पत्ते लेके आकर शामियाना की तरह सजाते हैं
03:31शबाश शामियाना अच्छा लगाए अच्छा आप सुनो ऐसे ही कल भी मंगनी के लिए हमें अंगूटा खरीदना होगा
03:40तुम तीनों सीधा दुकान आ जाओ ऐसे कृष्णमाचारे उनसे कहते हैं
03:46ठीक है गुरू जी ये कहकर वो तीनों कल सुबह गुरू जी के साथ कांक्योर चल बसते हैं
03:53गहनों के दुकान जाकर वहां सभी अंगूटे देखते रहते हैं
03:59मगर ये तीनों बगल में जाकर
04:01अरे सुनो गुरुजी की शादी है तो हमें भी अच्छा दिखना है
04:06तो हम भी एक-एक अंगूठा ले लेंगे
04:10ये फैसला करके खुद के लिए एक-एक अंगूठा ले लेते हैं
04:15उसका बिल लिखवा के सीधा गुरुजी के पास ले जाकर
04:19गुरुजी हमारी शापिंग हो गई है ये लीजे हमारा बिल
04:24आप बिल भर के आ जाएए ये कहकर वो तीनों वहां से चले जाते हैं
04:29उनकी इस काम से भले ही कृष्णमाचारे को गुस्सा क्यों ना आए वो कुछ नहीं कहते हैं
04:35लेकिन घर पहुँचते ही उन पे बहुत गुस्सा करता है
04:39चिची बेकार हो तुम लोग अब से मैं तुम लोगों को कही लेकर नहीं जाओंगा
04:44ऐसे वो क्रोध में बात करके वहां से चले जाते हैं
04:48उसके बाद एक दिन कृष्णमाचारिया अपनी शादी की कार्ट प्रिंटिंग करवाने के लिए इन तीनों को भेजता है
04:55तब वो तीनों जी गुरु जी कहकर कार्ट छपवाने जाते हैं
05:00उस कार्ट के आखिर में आमंत्रन करने वाले की जगा गुरु की शिश्यों करके लिखा होता है
05:12गुरु जी ये देखकर आमंत्रन करने वालों की जगा तुम लोगों का नाम क्यों लिखा है
05:19ऐसे गुसा करते हैं जिसका जवाब ये तीनों ऐसे देते हैं
05:25गुरू जी, आपके शादी के सारे का मा भी कर रहे हैं न?
05:29वैसे भी जब कोई वहाँ आए, तो हम ही उनको लेने आएंगे.
05:34इसलिए हमने हमारा नाम लिखवाया.
05:37हाई भगवान, तुम लोग कितने ना समझ हो.
05:41तुम लोगों को ये काम देने के लिए मुझे अपने आपको कोसना पड़ेगा.
05:46ये कहकर वो अंदर चले जाते हैं.
05:50अगले दिन कपड़े खरीदना था.
05:53इसलिए इन तीनों को बिल्कुल ना आने के लिए कहता है गुरू जी.
05:59अरे गुरू जी तो ऐसे ही कहेंगे.
06:11आदी की जिम्मेदारी ले रहे हैं.
06:14ऐसे वो अपने आपको समझा कर.
06:19गाव में मौझूद कपड़ों के दुकान को जाकर.
06:23तीनों रेशम कपड़े खरीद कर.
06:25दुकानदार को.
06:26बाबू, हम इस गाव के वेद पंदित नारायन अचारी के बेटे के शिष्ष हैं.
06:34वो हमारे गुरू जी हैं.
06:36दो दिन में उनकी शादी भी है.
06:39इसलिए उन्होंने कहा कि हम यहाँ दुकान में कपड़े खरीद सकते हैं.
06:45पैसे वो खुद भर देंगे.
06:47हम अभी कपड़े ले जाएंगे.
06:49तुम शाम को उनसे पैसे ले ले ना. ठीक है?
06:53ये कहकर वो वहाँ से चले जाते हैं.
06:57जब तक कृष्टमाचारे शहर से वापस लोटता है,
07:01वो दुकानदार उसके घर के बाहर इंतजार करते हुए दिखता है.
07:05क्या हुआ? अप ऐसे आए?
07:07उनके ऐसे पूछने पर आपके शिष्ष हमारे दुकान से कपड़े खरीच चुके साब.
07:13उन्होंने कहा कि पैसे आप दे देंगे.
07:15उस दुकानदार और गुरुजी के बीच में हो रही बाते,
07:18ये तीनों चुप-चुप सुनते रहते हैं.
07:21उन तीनों को कोस्ते हुए,
07:23कृष्टमाचारी उस दुकानदार को पैसे देता है.
07:26दुकानदार के घर से बाहर जाते ही,
07:29गुरुजी आ गए!
07:31ऐसे कहते हुए, वो तीनों बाहर आते हैं.
07:34ये ही बड़े हो तुम लोग!
07:36त्रिमूर्ती की तरह तीनों के तीनों ही हो!
07:39त्रिमूर्ती तो इस दुनिया को बचाता है!
07:41तुम लोग तो मेरा नुकसान कर रहे हो!
07:44ना समझ बेकार लोग हो तुम!
07:45जब से तुम आये हो, मैं सब कुछ खो ही रहा हूँ!
07:48गुरूजी के कोसने के बावजूद वो तीनों हाहा! ठीक है गुरूजी!
07:55ऐसे हसते हुए बात करते हैं!
07:57उसके बाद ये तीनों गुरूजी की शादी!
08:01नामक एक बड़ा सा फ्लेक्सी लगाते हैं गाउं में!
08:04कृष्णमाचारी का नाम भूलकर वो फ्लेक्सी में गुरूजी वेज्ज, गुरूजी की पत्नी लिखवाते हैं!
08:12ये देख गाउं के सारे लोग हस परते हैं!
08:16कल सुबो मेरी शादी है! इन तीनों का मैं क्या करूँ? ऐसे निराश होता है!
08:22आखिरकार शादी का दिन आही जाता है! वो तीनों अच्छे से तयार होकर शादी में हल्ला मचाते हैं!
08:30आए हुए अथिदियों का आदर सत्कार करते हैं! शादी धूम धाम से होती है!
08:36शादी के बाद पत्नी के साथ घर आए हुए गुरुजी से ये तीनों दर्वाजे पे उनको रोक के पूछते हैं!
08:44गुरुजी वैसे आपने शादी क्यों किया? ऐसे पूछते हैं! ये सुनकर कृष्णमाचारिया अपने आपको कोस्ता है! और कृष्णमाचारिय को देख सारा गाव हस परता है! शुब!