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00:00एक लंबर समय पहले रंगया नामकी किसान था। उसके रामू, सोमू नामक दो पेटे थे। उनमें रामू बड़ा था और सोमू छोटा।
00:14सोमू हमेशा अपने पिता की मदद करता था। उसके पिता के हर काम में खेती, लकडिया काटना और बेचना। ऐसे सारे कामों में उसके पिता का साथ देता था। कभी कबार तो अपने पिता को आराम करने के लिए कहकर सारे काम खुद कर लेता था।
00:37ऐसे वो दोनों बहुत मैनत से काम करके आई हुए पैसों को बचाते रखते हैं
00:45लेकिन दूसरी तरफ रामो कोई भी काम नहीं करता था
00:50वो हर रोज दोपहर के समय में उठकर घर में सारा खाना खा लेता था
00:55गाउं के बीच मौजोद बड़े पेड के पास आराम से लीट कर सुस्त रहता था
01:02उसके पिता के बार बार कहने के बावजूत उनकी बात एक बार भी नहीं मानी थी उसने
01:07उसके पिता के कहे कोई भी काम नहीं करता था
01:10हमेशा आलसी, सुस्त रहकर सारे गाव में बस इधर उधर घूमते रहता था
01:17ऐसे कुछ दिन पीच जाते हैं
01:20एक दिन रंगया, रामो को देख बहुत क्रोधित होता है
01:25हमेशा आलसी और सुस्त रहने वाले अपने बेटे के पास जाकर
01:29सुनो रामो, ऐसे ही आलसी और सुस्त बनकर और कितने दिन गुजारोगे
01:35कोई तो काम करो
01:38घर पे तो नौकर तो है, अब मैं क्यों काम करो
01:42क्या, तुमें हम नौकर देख रहे हैं
01:45हम यहाँ जो मेहनत करके कमा रहे हैं, वो तुम सुस्त बैठकर गवा रहे हो
01:50शर्म नहीं आ रही तुमें
01:51देखो पापा, कुछ लोग मेहनत करने के लिए जन लेते हैं
01:56और कुछ लोग ऐश करने के लिए
01:57मैं ऐसे ही हूँ
01:59ऐसे कहता है
02:00तुझे तो जिन्दगी के कोई कदर नहीं है
02:04एक ना एक दिन तो सबक सीख ही जाएगा
02:07जाओ जाओ, ऐसे बहुत सुना है मैंने
02:10ऐसे कहता है रामो
02:11रंगया को गुसा आता है
02:13और वो वहाँ से खेत की ओर बढ़ने लगता है
02:15रस्ते में उसे उसका दोस्त रमना मिलता है
02:19क्या हुआ रंगया?
02:20ऐसे हो, क्या हो गया?
02:23अब क्या ही बोलू रमनया
02:25हमेशा का ही तो है
02:26उनकी मा नहीं है
02:27इसलिए लाडो से पाला है उन दोनों को
02:30अब लग रहा है कि वही गलती है मेरी
02:32क्यों रंगया
02:33बचे बात नहीं मान रहे है क्या
02:35छोटा वाला तो ठीक ही है
02:37महनत करता है
02:38लेकिन ये बड़ा वाला ही
02:40इतनी उम्र आने के बावजूद
02:42घर पे सुस्त पड़े रहके
02:44आश करते रहता है बस
02:45उसी की चिनता है बस
02:48कहते हैं कि कुछ लोग
02:50शादी के बाद सुदर जाते हैं
02:52तुम्हारे बेटे का वैसे भी
02:53शादी का टाइम आ गया है
02:55तो करवा दो शादी
02:56वो खुद नालायक है
02:58अब उससे शादी कौन करेगा
03:00ऐसे सोचता है रंगया
03:03अरे ऐसे ही लोगों का न
03:05बीवी जिन्दगी सुदार देते हैं
03:08आने दो ये खुद सबक सीख जाएगा
03:10चिनता मत करो
03:12पहले शादी करवा दो
03:13ऐसे कहता है रमनया
03:15कुछ दिन बाद
03:16रंगया रामो की शादी करा देता है
03:19शादी के कुछ दिन बाद
03:20रामो की पत्नी सरला
03:22आराम से सुस्त में बैटे हुए
03:25अपने पती को देख
03:26सोचती है कि अगर पती ऐसे ही रहेगा
03:29तो उसके भविश में तो अंधकार ही रहेगा
03:32तब वो फैसला करती है
03:33कि उसके पती का सारा जायदात
03:35इसके मुठी में होनी चाहिए
03:37तब वो रामो के पास जाकर
03:42सुनिये
03:43ससुर्जी से कहिए
03:45कि हमारे हिसाब की जायदात हमें मिल जाए
03:47वरना मुझे तो लगता है
03:49कि सारा जायता तुम्हारा भाई ही ले लेगा
03:52ऐसे राम उसे कहती है
03:54सारा जायता तो वो क्यों लेगा
03:57वैसे ऐसे क्यों सोच रही हो तुम
03:59क्यों नहीं लेंगे
04:01आप कोई भी काम करें बिना
04:04हर रोज ऐसे सुस्त बैठे रहते हैं
04:06तुम्हारे पिता और भाई ही मेहनत करके ये सब कमा रहे हैं।
04:10अगर कोई दिन आकर यही कहेंगे कि तुमने कुछ नहीं किया तो ये सारा जायदा तुमें मिलेगा भी नहीं।
04:16तो तब हम कहां जाएंगे। बोलिए।
04:18ये सुनकर रामू भी सोच में पढ़ जाता है।
04:21उसे लगता है कि उसकी बीवी के बातों में सच तो है।
04:25तब उसकी बीवी ऐसे कहती है।
04:27अब ज़्यादा सोचिये मत। जाओ और हमारे हिसाब का जायदा लेकर आओ।
04:31पैसे मिल गए तो ऐसे हर दिन सुस्त में आराम से बैट पाओगे। ठीक है।
04:36और इतना ही नहीं। एक बार जो हमें हमारा हिसाब मिल गया न।
04:40तो आपके भाई और पिता भाड में जाए। हमको क्या लेना देना।
04:44बात तो सही है। ऐसे कहता है रामू। अगली दिन सुबह रामू उसके पिता के पास जाकर
04:51बाबा हमारे हिसाब का जाएदत हमें दे दो। ऐसे कहता है। क्या जाएदात में हिसाब तुम्हारा है ही कहा जाएदात।
05:02ये सुनकर आश्यर चकित होकर, रामू, हाँ, ये क्या, जो भी हमारे पास है, उसमें तो आधा मेरा हिस्सा है ना, और इतना ही नहीं, मैं तो बड़ा बेटा हूँ, इस कारण तो मुझे ज्यादा मिलना चाहिए,
05:16अब तक तुमने एक भी काम नहीं किया, एक रुपए भी नहीं कमाया, और तुम्हें आधे से ज्यादा जायदात मिलनी चाहिए,
05:25काम नहीं क्या तो क्या हुआ
05:28हमारी वंच की परंपरा के हिसाब से
05:30तो मुझे जायदात आधे में मिलनी चाहिए
05:33ठीक है
05:34मेरे कमाए हुए पैसों में
05:36ये घर और वो खेत
05:38बस ये दोनों आएंगे
05:39इसलिए इसमें आधा हिसा
05:41तुम्हारे नाम पर मैं लिख दूँगा
05:43लेकर चले जाओ
05:45ऐसे कहता है रंगया
05:47हाँ
05:49तो फिर बाकी के खेत
05:51वो सब तुम्हारे भाई का
05:53मेहनत का काम है
05:54वो तुझे कैसे देगा
05:56उन पर तुम्हारा हक भी नहीं है
05:58ये सब देख हैरान होकर
06:01रामू उसके बीवी के पास जाकर
06:03उसे सब कुछ बताता है
06:04ठीक है कम से कम ये तो मिला
06:06पहले वो सब न मेरे नाम कर दो
06:09वरना वो भी ले जाएंगे
06:11तुम्हारे परिवार वाले
06:12हाँ
06:12उसकी ये बाते सुनकर
06:14रामू बिना कुछ सोचे समझे
06:17सारा जायदाद
06:19उसके बीवी सरला के नाम कर देता है
06:21अब तक काम पे नहीं गए तुम
06:24काम का शब्द सुनते ही
06:29क्या?
06:31मैं काम पे जाऊं?
06:33क्या बात कर रही हो?
06:34आराम से सुस्ती में बैठने के लिए
06:36तुम्हारे मेहनत के पैसे नहीं है यहां पे
06:38आज से जितना तुम कमाओगे
06:41उतने मेही तुम्हे खाना मिलेगा
06:43वरना अभी से तुम्हारा खाना पीना बंद
06:46ऐसे गुस्से में कहती है
06:48ये सब सुनकर हैरान होता है रामो
06:52क्या?
06:55दो दिन पहले ही तो पूरा जायदात मिला है हमें
06:57ऐसे क्यों कह रही हो कि मेरे पास पैसे नहीं है
07:00कहता है रामो
07:01वो मेरा जायदात है
07:03मेरे नाम पे लिखा है
07:05आज से तुम मेहनत करके जो भी कमाओगे
07:08वही तुम्हारा होगा
07:11आज से हम दोनों को खाने के लिए
07:13घर में समान के लिए
07:15जरूरी चीजे तुम कमा कर लाओगे
07:18अगर तुमसे नहीं होगा तो बोल दो
07:20मैं ये सारा जायदा बेच कर
07:23पैसे लेकर अपने माय के चली जाओंगी
07:26कहती है
07:27ये क्या है सरला ऐसे बात कर रही हो
07:30कहता है रामू बिना कुछ सोचे समझे
07:33वरना क्या तुम्हारे जैसे आलसी सुस्त
07:36पती के साथ मैं कितने दिन रहूंगी
07:39खुद का खाना नहीं कमाना आता
07:41और पतनी चाहिए
07:43ऐसे कहती है
07:45ये सुनने के बाद
07:46रामू को उसके पिता की बात याद आती है
07:49उसके बाद
07:50अपना व्यवहार बदल कर
07:53उसी दिन से महनत से
07:55काम करना सीख जाता है
07:57उसको जाइदात में मिले खेत में
07:58वो खेती करना शुरू करता है
08:00पशु के दूद में चोड़कर
08:02सबको बेचता है
08:05लकडिया काटकर
08:06और थोड़ा कमाता है
08:08ये सब काम करके आय हुए
08:10पैसों को उसके बीवी के हाथों में देता था, तब ही उसकी बीवी उसे खाना देती थी, ऐसे वो हर रोज महनत करना सीख जाता है, कुछी दिनों में उसका वेतन भी बढ़ता है, महनत करके पैसे कमानी का मज़ा रामू को समझाता है, महनत से काम कर रहे अपनी बेटे राम�
08:40नहीं रहता है तो समय खुद उसे एक सबक सिखा देता है

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