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  • 6/14/2025

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Transcript
00:00एक लम्ब है समय पहले तुम्बुरू नदी किनारी तरकसिला नामक एक राज्य था
00:06वहाँ अलग प्रकार के आलू रहते थे
00:11में से सुन्दर और कोमली नामक पती पत्नी के तीन बच्चे थे जुन्नो, मुन्नी और बन्नी
00:18एक दिन बन्नी उसकी बड़ी बहन मुन्नी के पास जाकर
00:23बीबी, कर रात जोर से बारश आई थी ना, बहुत साया पानी भी आया, वो पानी कहां चला गया
00:32ऐसे पूछता है, ये सुनकर मुन्नी
00:35अरे बापरे इसने शुरू कर दिया, इसके उटपठांग सवाल
00:39और क्योंकि वो उसका जवाब नहीं दे पाई, वो किसी के बुलाने का नाटक करके
00:43हाँ मा, अभी आई
00:47कहकर चली जाती है
00:49तब बनी जुन्नू के पास जाकर
00:53भाया, वो कल रात
00:57करके वही सवाल पूछता है, तब जुन्नू
01:01अरे, इतना आसान सा सवाल
01:05कुछ नहीं बनी, वो सारा पानी धर्टी के अंदर चले जाता है
01:09ऐसे ही वो उसके प्रश्न का जवाब देता है
01:11तो फिर धर्टी के अंदर बहुत सारा पानी है क्या?
01:17हाँ, हम जो भी पानी हर रोज उपयोग करते हैं
01:21वो सब धर्टी में ही रहता है
01:23ओ, तुफे, एक दिन क्या धर्टी पानी से भर कर पलून की तरह फट जाएगा क्या?
01:33ऐसे वो भोला बच्चा कहता है
01:35ऐसा नहीं फटता है, हमारा धर्टी बहुत मस्बूत और ताकतवर है
01:41जितना भी मस्बूत क्यों नहीं हो, एक ना एक दिन तो उसे पट नहीं होगा ना?
01:48हरे ले, हमारे धर्टी का आस्मान से एक कनेक्शन होता है
01:52जब भी धर्टी में पानी बहुत ज्यादा हो जाता है ना?
01:55वो आस्मान की बादलों में भर कर पारिश की तरह बरसता है
01:59ओ, ये है बाद, ये तो बहुत प्यारा सेटिंग है
02:04ऐसे कहता है
02:05वो जुन्नो की तरह उस प्रश्ट से नहीं भागता है
02:08उसके बजाए उसको अच्छे से उसकी भाशा में समझा कर
02:12उसके छोटे भाई का बहुत अच्छा ख्याल रखता है
02:15बन्नी का उमर सबसे भले ही कम क्यों नहों
02:19वो सबसे ज्यादा तेज था
02:20वो अपने भाई जुन्नो और बहन मुन्नी से हमेशा कोई न कोई सवाल पूछते ही रहता था
02:28इन तीनों का ख्याल रखते रखते
02:30माबाब सुन्दर और कोमली कभी-कभी ठक जाते थे
02:33लेकिन उन तीनों को साथ में खेलते देख वो बहुत खुश होते थे
02:38ऐसे ही एक दिन वो तीनों उस राज में हो रहे एक बाजार के लिए निकलने की तैयरी करते हैं
02:46मगर उस बाजार तक पहुँचने के लिए उनको तुमबर नदी पार करना होगा
02:51इसलिए सब एक बड़ा सा नाव चरते हैं उन सब के साथ ही कुमारी भी उस नाव में बैठती है
02:57जब वो नाव में जा रहे थे बन्नी को देख कुमारी ऐसे कहती है
03:07आपका बेठा बहुत प्यारा है जी क्या आप मुझे ये बच्चा दे दोगे मैं उसको बड़ा करूंगी
03:14ये सुनकर सुन्दर और कोमली चौंक जाते हैं
03:20हाँ ये कैसा प्रश्ण था हाम नहीं दे सकते ये हमारा बेटा है ऐसे वो दोनों एक साथ कहते हैं
03:28मुझे माफ कीजे मेरे कोई बच्चे नहीं है इसलिए आपके इस प्यारे बेटी को देख मेरी मन में एक आशा उठी थी
03:36मुझे ऐसा नहीं कहना था माफ कीजे
03:38ऐसे कहती है कुमारी इतने में नाव दूसरी तरफ के किनारे पे पहुँचता है
03:43तब सुन्दर और कोमली उनके अपने बच्चों को लेकर बाजार जाते हैं
03:50सारे चीजों को खरीदने के बाद अचानक बन्नी दिखाई नहीं देता है
03:54और वो चारों बहुत परेशान होते हैं
03:58उनके परिवार में एक-एक सदस्य एक-एक दिशा में जाकर बन्नी को धूनने लगते हैं
04:02लेकिन बन्नी कहीं नहीं दिखाई देता है
04:05ठीक तबी सुन्दर और कोमली को उनके साथ नाव में आए एक कुमारी की याद आती है
04:11तुरंत वो कुमारी को धूनने लग जाते हैं
04:13एक जगह कुमारी अपना काम करते हुए दिखाई देती है
04:19वहाँ जाकर सुन्दर और कोमली ऐसे कहते है
04:22हमारा बेटा कहा है? बोलो, कहां चुपा दिया तुमने? बोलो
04:27ऐसे कहते हैं, ये देख कुमारी आश्यर चकित होती है
04:30हाँ, मैं तुम्हारे बेटी को कहां चुपाऊंगी? क्या बात कर रहे हो तुम दोनों?
04:36ना तक मत करो, अभी नाव में तुम कह रही थी? तुम्हारा बच्चा दे दो, मैं बढ़ा करूंगी?
04:41हाँ, मैंने कहा था
04:44तो तुमने हमारे बेटी को हमसे चुरा लिया? कह दो, कहां है मेरा बेटा?
04:51ऐसे जोर-जोर से रोते हुए उसे पूछते हैं
04:54हरे रे, तुम्हारा बच्चा मेरे पास नहीं है, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ
04:59ऐसे कहती है कुमारी
05:00ये सब दूर से राजा के भट देख रहे थे
05:03इसलिए उन सब को राज़दर्बार लेकर जाते हैं
05:07दोनों तरफ सुनकर वहां का राजा पुलके सी
05:11इस औरत को दो दिन गिरफतार करके जेल में डाल दो
05:14इसका घर, गाउं, हर जगा ढूंदो
05:17अगर तब भी बेटा नहीं मिला
05:19तो इस लड़की को छोड़कर उस बच्चे के बाकी निशानों के लिए ढूंडो
05:24इस सब के दौरान दो सैनिक बनी को लेकर वही राज़दर्बार में आते हैं
05:30राजा ये बच्चा नदी में डूब रहा था
05:34तब कुछ लोग इसको बचाकर हमारे पास लेकर आए
05:37ऐसे कहते हैं
05:38बनी को देख उसके माबाप बहुत बहुत खुश होते हैं
05:42सुन्दर, कोमली, जुन्नू, मुन्नी सब बनी के पास पहुंचते हैं
05:47तब सुन्दरी देखा प्रबु आपने
05:49मैंने कोई कलती नहीं की
05:51मुझ पे जूटा इलसाम लगाया गया था
05:54तब राजा
05:54उस बच्चे को इदर लेकर आओ
05:58तब सैनिक बनी को राजा के पास लेकर जाते हैं
06:02तब राजा बनी से ऐसे पूचता है
06:04बेटा बनी, माबाप को छूड़ कर तुम कहां गए
06:07तुम नदी तक क्यों गए
06:09हाँ, मैं नाओ के नीचे मजूद उस बड़े इंसान को देखने गया
06:16कहता है बनी भोले बन से
06:19हाँ, वो बड़ा सा आदमी नाओ के नीचे था
06:24आँ, नाओ के नीचे बड़ा सा आदमी क्यों होगा बेटा
06:27किस ने कहा तुम से है
06:29हुआ ये था कि जब सभी नाओ में बैटकर नदी के उस किनारे तक जा रहे थे
06:35तब सुन्दर और कोमली कुमारी के साथ बात कर रहे थे
06:39छीक उसी समय में बनी उसके भाईया जुन्नू से ऐसे पूछता है
06:43भाईया, नाओ ऐसे अपने आप कैसे जा रहा है
06:48और वो भी इतने तेजी से
06:51नाओ के नीचे एक बड़ास आदमी है
06:54वो ही हमें तेजी से लेकर जाता है
06:57वो नाओ को अपने सिर पे लगा कर
07:00हमको नदी के किनारे लेकर जाता है
07:03इसलिए नाव दूबे बिना एक किनारे से दूसरे किनारे तक जाती है
07:08ऐसे वो उसको जो मन में आया वो कह देता है बन्नी को
07:11इसी कारण बन्नी उस बड़ी से आदमी को देखने नदी के किनारे गया था
07:16और उसी कोशिश में वो डूब भी गया था
07:18और ठीक तभी कुछ लोग उसे बचा लिये थे
07:21तब ये बात सबको समझ आती है
07:23और उसका भूलापन देख सबी हस पड़ते है
07:30मुन्नी जुन्नू और बन्नी को समझ नहीं आता है कि सब हस क्यों रहे हैं
07:36लेकिन कुछ देर बाद वो भी हस पड़ते हैं
07:41तब तुलकेसी
07:42बहुत समय बात मुझे बहुत हसी तुम लोगं के वज़े से ही आई है
07:47ये कहकर सबको सोनी के सिक्के देकर वहां से उन्हें भेज देता है
07:52दूसरी तरफ सुन्दर और कोमली को बहुत खुशी होती है
07:56कि परेशान करने के बाद कम से कम उनके बच्चों को सोनी के सिक्के तो मिले
08:01और बच्चे सही सलामत भी थे

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