00:00बेटे के शादी सारे रिष्टदारों के सामने धुम धाम से करवाती है मंगमा
00:05वहाँ आये उसके सहेलिया मंगमा से ऐसे कहते हैं
00:09तुम्हारी बहु कितनी सुन्दर है
00:12काली वसुदा को देख वो उसका मज़ा कुडाते है
00:15हाँ हाँ कितनी प्यारी लड़की है
00:19वैसे भी मंगमा न सुन्दरता को थोड़ी देखती है
00:23ऐसे कहते हैं
00:25आरे हाँ मंगमा तुम्हारी इतनी सुन्दर बहु दहेज में कितना लाई है
00:31हाँ क्या दहेज का एका दहेज
00:35तुम्हें पता है ना मैं पैसों को उतना मूल्य नहीं देती
00:38क्योंकि मेरे ही पास बहुत पैसा है
00:41इसलिए पैसों को छोड़ कर मैं अच्छी घर से अच्छी मन की बहु लाई हूँ
00:46बाहर तो मंगमा यही कह रही थी
00:49लेकिन अंदर वसुता जो सौ एकर का भूमी अपने साथ धेज में ला रही है
00:54उसके बारे में सोचते वे बहुत खुश होती है
00:57तू तो जल रही है कि मुझे बहुत अच्छी मन की बहु मिली है
01:01यह कहकर मंगमा वहां से चली जाती है
01:03कुछ दिन बाद मंगमा की सहेलिया वहां आते है
01:06अरे रे, क्या हुआ मंगमा, इतनी अच्छी मन की बहु को इतना उल्टा सीधा कह रही हो, ऐसा क्या हो गया?
01:15हाँ, अच्छे मन को क्या खा जाओंगी मैं? इसके बाप ने मुझे वचन दिया था कि वो सौ एकर का भूमी देगा मुझे, लेकिन शादी के बाद तो उसने सिर्फ पचास एकर दिया है, कुट्ता कही का।
01:27और मैं यहाँ सपने बुन रही कि इसके लाए हुए सो एकर से मैं इस गाओं का जमनदार बन जाओंगी, लेकिन जैसे मैंने सोचा ऐसे कुछ नहीं हुआ, ऐसे वो अपने सहेलियों के साथ उसका पूरा गुसा कह देती है, यह सब सुनकर मंगमा की सहेलिया अंदर ही अंद
01:57हो गया, सो हो गया, वैसे इतनी अच्छी मन की भोली बहु और इतनी सुन्दर बहु पाने के लिए लिए लिखा होना चाहिए, तुम्हारे जैसे, ऐसे हसते हुए उसका मजा कुड़ा कर वहां से चले जाते हैं, चह, इस पहु के कारण ये लोग भी मेरा मजा कुड़ा रह
02:27मैं तुम्हारे बेटे के शादी में नहीं आ पाई, लेकिन बहु को तो दिखा दो, ऐसे कहती है, ठीक तभी, वहां वसुदा को गुजरते हुए देख, मंगमा, कौन है ये आती सुन्दर लड़की, तब मंगमा, जो कुछ पी हुआ, उसे बताती है, ये सुनकर वो रिच्
02:57क्या सोच रही है मंगमा, इस कच्रे को ये ही से भगा दो, उसके बाद तेरे बेटे के लिए एक अच्छी सुन्दर बड़े घर की बेटी मैं लाओंगी, ऐसे कहती है, वहीं खड़ी ये सब सुनती है वसुदा, वो दुर्गा मा के पास जाकर ऐसे रोने लगती है, देवी
03:27इनके पैसों की प्यास में क्या मेरी जिन्दगी वियर्थ हो जाएगी, ऐसे रोती रहती है, आगले दिन मंगमा के घर के सामने एक मुनी आता है, और भवती विक्षाम देही, ऐसे पोचते हैं, ये सुनकर वसुदा एक ठाली में सारे व्यांजनों को लगा कर उस मुनी के �
03:57नहीं छोड़ा है, आई बड़ी, तूझे खिलाना ही बहुत ज्यादा हो गया, और तू इसको खिला रही है, चल निकल यहां से, ऐसे गुस्सा करती है, हाथ में ठाली वही पे छोड़कर, माफ कीजिये स्वामी, और उसके बाद कुछ और कहने ही वाली थी कि मुनी, मुझे
04:27आईने में अपने आपको देखती है, तो वो चौंक जाती है, क्योंकि वो सफेद और बहुत सुन्दर बन जाती है, ये देख वो खुशी-खुशी बाहर आती है, वही पैठे मंगमा और उसके सहेलिया वसुदा को देख चौंक जाते हैं, इतने में ही वसुदा बेहोश हो
04:57हरे आप दादी बनने वाले हैं।
04:59ऐसे वसुदा के जीवन में उस देवी के आश्रवात के कारण खुशिया ही खुशिया थी।
05:05नैतिक, जब मुश्किलों का सामना करना हो, तो हिम्मत से काम लेना होगा,
05:10क्योंकि सिर्फ तब भगवान कोई ना कोई रूप में तुम्हारी मदद कर देगा।