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00:00अकलपूर नामक एक सहरीली गाउं में
00:03सुरेखा उसके पती वरुन, सास भानुमती और ससुर आंजिनेलू के साथ एक बड़े घर में रहती थी
00:11बाब बेटे दोनों उसी गाउं में एक दुकान में सबजी बेच कर आए हुए पैसों से उनके परिबार का देख बाल करते थे
00:20भानुमती पहत आलसी थी, वो कम से कम उसके खुद के काम नहीं करती थी
00:25वो अपने बहु को बस सारी काम करते हुए देखती थी, मगर उसकी कभी कोई भी मदद नहीं करती थी
00:31हमेशा बस घर पे पड़े हुए सोती रहती थी
00:35उसके बारे में सबको पता होने के कारण कोई भी उसे कोई काम करने के लिए नहीं कहता था
00:41एक दिन दोपहे के समय में सुरेका उसके सास को खाना परोस रही थी
00:46सासुमा आपको खाना कैसे लगा आज मैंने घर के सारे काम जल्दी ख़तम करके मेरे मन पसंद व्यंजन बनाया है
00:54बाह अब मुझे सारे सवालों का जवाब देना पड़ेगा पर मैं नहीं दूँगी
01:00ऐसे वो सोचकर वो उसके बहु की बाते सिर्फ सुनती है और जवाब नहीं देती है
01:05सासुमा मैं यहाँ इतना बात कर रही हूँ और आप चुपचा बैठे हैं
01:10और उपर से आपने मेरे कोई भी सवाल का जवाब नहीं दिया है
01:13जब वो उसके सासुमा से ऐसे बात कर रही थी उसके घर के सामने से
01:18पड़मा नामक एक औरत को गुजरते हुए देख वो ऐसे कहती है
01:22आप तो वैसे भी मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं दे रही है
01:25तो आपसे बात करके कोई फैदा नहीं है
01:27मैंने पद्मा को बाहर देखा है
01:29आप खाते रहिए मैं उसे बात करके आती हूँ
01:33ऐसे कहकर वो बाहर पद्मा के पास जाती है
01:35पद्मा पद्मा रुको
01:38ऐसे वो जोर-जोर से चिलाती है
01:40उसकी चीके सुन
01:42पदमा रुक के पीछे की तरफ मुरती है
01:44हाई भगवान
01:45सुरेका ने मुझे देख लिया
01:47उसे चुपके जाने की इतनी कोशिश के बाद भी
01:50मैं बच नहीं पाई
01:51अब तो मुझे उसकी बखवा सुनना ही होगा
01:54और कोई चारा ही नहीं है
01:56ठीक तब ही
01:57सुरेका पदमा के पास आती है
01:59और ऐसे कहती है
02:00अरे ये क्या पदमा
02:01मेरे घर के सामने से गुजरते हुए भी
02:04तुम घर आए बिना चली जा रही हो
02:06नहीं नहीं सुरेका
02:08मैंने तुम्हें नहीं देखा है
02:09इसले नहीं आई
02:11वरना पक्का आती
02:12पदमा, आज न, मैंने मेरा मन पसंद बैंगन बनाया है
02:16और पता है
02:17मेरे जैसे तो कोई भी खाना नहीं बना सकता
02:21ऐसे बोट लगातार
02:22पदमा से बाते करती रहती है
02:24और ऐसे बहुत समय बीच जाता है
02:26भाप रे, बहुत समय हो गया
02:28अब अगर मैं इसे नहीं रोकूंगी
02:30तो ये सारा दिन मुझे ऐसे ही
02:32खड़ा करते, बात करती रहेगी
02:34सुरेखा, मैं स्ठप पी
02:36चावल रखके भूल गई, मुझे तुरंट
02:38घर जाना होगा, हाँ ठीक है पदमा
02:41मुझे भी अंदर जाना होगा
02:42सासुमा को खाना पर उसकर बहुत देर हो गया है
02:45ये कहकर वो उसके घर के अंदर जाती है
02:48ऐसे ही पदमा सब के साथ
02:50बहुत बात करती थी
02:52नाया हो या पुराना उसे कोई फ़रक नहीं पड़ता है
02:55हमेशा की तरह एक दन सुरे का उसके सासुमा को खाना परोस कर
02:59पडोसी के घर जाकर उनसे बात करने रखती है
03:03अरी रे मैंने सासुमा को खाना परोसे हुए बहुत देर हो गई है
03:07मुझे घर जाना होगा
03:09चलिए मैं निकलती हूँ
03:11भगवान का शुकर है
03:13कि इसको उसकी सास की याद आ गई है
03:16वना वो सारा दिन यही रह जाती
03:18और ऐसे सुरेका उसके सास के पास जाती है
03:21सासुमा हो गया आपका खाना
03:24ऐसे कहते हुए
03:25वो देखती है कि उसकी सासुमा खाना खतम करके
03:28हाथ धोए बेना वही बैठी रहती है
03:31अरी सासुमा मैंने पानी का गलास भी तो यही रखा है
03:34ऐसे बैठे रहने के बजाए आप हाथ तो धो लेते
03:38चलो अगर गलास लेने में इतनी दिक्कत थी
03:41तो कम से कम मुझे बुला तो लेते
03:43इतनी आलसी रहना अच्छा नहीं है सासुमा
03:46ये लीजे पानी
03:47जब सुरे का पानी का गलास देती है
03:49तब जाकर उसकी सास हाथ धोकर पानी बीती है
03:53पाप रे
03:54सासुमा कितनी आलसी है आप
03:57ऐसे नहीं चलेगा
03:58उसके ऐसे कहने के बाद भी उसकी सास कुछ नहीं कहती है
04:02और ऐसे कुछ दिन भी जाते हैं
04:05एक दिन सुरे का घर के सारी काम खतम करके
04:08बाहर खड़े होकर इदर उदर देखती रहती है
04:12अरे ये क्या आज तो मैंने सारी काम बहुत जल्दी खतम कर दिया
04:15लेकिन बात करने के लिए कोई नहीं देख रहा
04:18यहां तक कि मैं बाहर आकर भी देख रही हूँ
04:22इस रस्ते से तो कोई नहीं गुजर रहा
04:24इतने में उसके घर के सामने से दो आरते गुजर रहे होते हैं
04:29तब सुरेका उनके पास जाती है
04:31कौन हो तुम लोग? मैंनी तो तुम्हें यहां कभी नहीं देखा है
04:35कहा रहते हो तुम? यहां से कहा जा रहे हो?
04:38सुनिए हम दोनों बहने हैं इस गाव में नए आये हैं
04:42बगल वाली गली के एक घर में किराई पे रह रहे हैं
04:46अच्छा ठीक है आप कह रहे हो कि गाव में नए आये हो
04:50तो अगर कोई चीज की जरूरत पड़े तो मेरे घर आ सकते हो
04:54ऐसे वो उनसे बिना रुके बात करते ही रहती है
04:57और ऐसे ही बहुत समय बीच जाता है
05:00सुनिए बहुत देर हो गई है
05:02अब हम घर चलते हैं
05:04कल पक्का तुम्हारे घर आएंगे
05:06ये कहके वो दोनों बहने उनके घर चले जाते हैं
05:10अगले दिन सुरेका उसके घर के सारे काम जल्दी खतम करके
05:13उन दोनों बहनों का इंतजार करती है
05:16कुछ देर बाद वो दोनों सुरेका के घर आते हैं
05:19सुरेखा, घर के काम हो गए क्या? किस का इंतसार कर रही हो?
05:24आरे आप ही का इंतसार कर रही हूँ, मुझे बहुत खुशी है कि तुम दोनों मेरे घर आए, बैचो बैटो, मैं ही तुम्हारे घर आने वाली थी, और इतने में तुम लोग आ गए?
05:33ऐसे वो उन दोनों को बिठा के बात करते ही रहती है
05:37और ऐसे बहुत समय बीच जाता है
05:39सुरेखा जब से हम आये हैं
05:42तुम्हारी सास उसी कुरसी में बैठे हुए
05:44हमें देख रही है बस
05:46कुछ बात नहीं किया उन्होंने
05:48मेरी सास बहुत आलसी है
05:50उनके चारो और कुछ भी हो जाए
05:52वो ऐसे ही बैठी रहती है
05:54कुछ नहीं करती है
05:55बस यूही देखती है
05:57ये कहकर वो उसके परिवार के बारे में
06:00सब कुछ उन दोनों को कहतेती है
06:02ठीक है सुरेखा देर हो रही है
06:05हम घर चलते हैं
06:07कर वापस तुम्हारे घर आते है
06:08और वो दोनों उनके घर चले जाते है
06:11उसके बाद अगले दिन भी
06:13वो दो बहने सुरेखा के घर जाकर
06:16उसकी बाते सुनते रहती है
06:17और ऐसे कुछ दिन बीच जाते है
06:20हर रोज की तरह वो दोनों बहने
06:22सुरेका के घर जाते हैं
06:24अरे सुरेका हर रोज की तरह
06:26तुम अकेले खाना बना रही हो क्या
06:28हाँ तुम दोनों सासु में के पास बैठो
06:31मैं काम खतम करके अभी आई
06:33तब बहने दोनों
06:34उसका घर पूरा चान मारते हैं
06:37बहन हर रोज की तरह
06:38आज भी इसके घर में कोई नहीं है
06:40सिर्फ सुरेखा और उसकी सास है
06:43हाँ दीदी यही सही मौका है
06:46तेर किये बिना सुरेखा को पूछते हैं
06:49कि वो उसके घर में पैसी, कहनी और सोना किधर चुपाती है
06:53उन्हें लेकर यहां से निकल जाना होगा हमें
06:56यह फैसला करके वो दोनों रसोई में खाना पकाते हुए सुरेखा के पास जाकर ऐसे पूछते हैं
07:02सुरेखा, सारा दिन तो वैसे तुम्हारे घर में सिर्फ तुम और तुम्हारे सास रहते हो ना
07:08तो अगर कोई चोर वोर आ गए तुम महंगी चीज़ों को कैसे बचा पाओगी
07:13तुम दोनों को चौकरना रहना पड़ेगा
07:16अरे हमारे घर में चोरी होने की चिंता नहीं है
07:19क्योंकि हमने हमारे पैसे, सोना और गहनों को एक अलमारी में रखके बंद कर दिया है
07:26उसे सिर्फ मैं और मेरे पती खोल सकते है
07:28चलो सुरेका, तुरंत इस अलमारी को खोलो और हमें सारे पैसे, सोना दे दो
07:34वरना हम तुमारे सास को जान से माड डालेंगे
07:37ऐसे वो सुरेका की गले पे चाकू लगा कर कहती है
07:41सुरेका चांक जाती है, और डर के मारे उन्हें अलमारी तक ले जाती है
07:45मैंने तो सोचा कि तुम दोनों बहुत नेक और अच्छे हो
07:49कि सब मेरी गलती है
07:51अगर मैंने तुम दोनों को मेरे घर के अंदर बुलाए नहीं होता
07:54तो शायद ये सब नहीं होता
07:56तुम्हारे बक्वास के लिए हमारे पास कोई समय नहीं है
07:59आलमारी खोलो जल्दी वारना तुम्हारे सास को मार देंगे
08:03मैं अगर इस कुरसी से उठूँगी तो उन दोनों को चुटकी में बाहर फेक दूँगी
08:08तब तक इन्हें जितना हंगामा करना है करने दू
08:11बाहर आते ही इन दोनों का काम तमाम कर दूँगी
08:14सासुमा बाहर जाकर सब को बलाईए
08:17ऐसे सुरेका जोर से चिलाती है
08:20तुम्हारी सास इतनी आलसी है कि खत्रे के समय में भी वो उस कुरसी से नहीं उठेगी
08:29तो उन्हें बलाकर कोई फैदा नहीं है
08:32ये कहते हुए बेहने दोनों सुरेका के मूँ में कपड़ा गुसा कर उसके हाथ और पैक को रसी से बान देते हैं
08:39मेरे पहु को उन लोगों ने रसी से बान दिया है बाहर आने तो उनको मैं एक सबक सिखाती हूँ
08:45ये सोचकर वो उन दोनों को बस देखते रहती है
08:48और इस सब के दोरान वो बहने उसके अलमारी में मौज़त सारे चीजों को लेकर घर से निकल ही रहे थे
08:55कि सुरेका की सास उन्हें देख ऐसे सोचती है
08:58वैसे भी ये लोग सोना और पैसे ही तो चोरी करके लेके जा रहे हैं
09:03जाने दो अबना इस कुर्सी से नहीं उठ पाऊंगी
09:06उन दोनों की जाने के बाद भी वो उसके बहु को रसी से मुक्त करने के लिए भी नहीं उठती है
09:12ऐसे ही शाम हो जाता है
09:14शाम होने के कारण जब उसके पती और बेटा घर आते हैं
09:18तो सुरेका को ऐसे रसी में बंद हुए देख चौंग जाते हैं
09:22भानुमती, बहु को ऐसे रसी में किस ने बांदा?
09:25उसे मुक्त करे बिना तुम यहां क्या कर रही हो?
09:28क्योंकि भानुमती उनने कोई जवाब नहीं दे रही थी
09:31वो सुरेका के मूँ से कपड़ा निकाल कर उसके हाथ और पैर को रसी से मुक्त कर देते हैं
09:37तब जाकर सुरेका उन्हें जो कुछ भी हुआ बताती है
09:40बेटा अब ऐसे रोक कर कोई फैदा नहीं है
09:43अंजान लोगों से ज्यादा बात करोगे तो ऐसे ही होगा
09:47और तुम्हारे साथ ही मेरी बीवी का भी गलती है
09:50उसके आलसी रहने के कारण ही ये हुआ है
09:52सुसुर जी मुझे माफ कीजे
09:55आएंदा मैं ऐसे अंजान लोगों से हमारे बारे में सब कुछ नहीं बताऊंगी
09:59ज्यादा बात नहीं करूंगी
10:01पापा जो हो गया सो हो गया
10:03मेरे बीवी में बदलाव आया है
10:05यही मेरे ले बहुत है
10:06मगर कल सबजिया खरिगने के लिए भी हमारे पास पैसे नहीं है
10:10अब हम क्या करेंगे
10:12पेटा हमने मेहनत से ही तो ये सब कमाया है
10:15आगे भी यही करेंगे
10:17फर्क सिर्व यही है कि अब दो के बजाए चार लोग काम करेंगे
10:21बहू और भानुमती भी
10:23सुनिये तुम दिनों काम करो मैं नहीं कर पाऊंगी
10:26भानुमती तुम ये आज सी रहना छोड़ दोगी और काम करोगी
10:31बस बात हो गया तुम्हारा
10:32उसके पती के ऐसे जोर से कहने के कारण
10:35वो कुछ नहीं कह पाती है
10:37और तब से बाप बेटे उनके पत्नियों से भी दुकान में काम करवाते हैं
10:42अगर मैं उस दिन आलजी नहीं बनती
10:44तो शायद आज मुझे काम करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती
10:47अब तो मुझे चुप चप काम ही करना होगा
10:50इस हालत की वज़ा तो मैं ही हूँ
10:53मुझे कम से कम अप से बेवज़ा इतना ज्यादा बात करना नहीं पड़ेगा
10:57और ऐसे तब से सुरे का ज्यादा बात नहीं करती है
11:01और भानुमती भी आलसी नहीं रहती है
11:04चारों काम करते हुए पैसे कमाते हुए खुश रहते हैं