00:00वेंकया नामकी कादमी रहता था वो बहुत गरीबी में जी रहा था वो अपनी पत्नी और बेटे के साथ एक छोटे घर में रहता था वेंकया एक छोटे होटल में काम करता था वेंकया का मालिक रंगया जो हर रोज की कूली उसे देता था वो वेंकया को बिलकुल काफी नहीं
00:30के कुछ घरों में साफ सफाई करना बर्तन साफ करना जैसे काम करती थी लेकिन वो पैसे भी उनके लिए काफी नहीं थे इस कारण पती-पत्मी दोनों एक दिन घर में बैठ कर ऐसे बात करते हैं
00:43जो भी पैसे कमा रहे हैं, उसी दिन खतम हो जा रहे हैं
00:52ऐसे ही चलता रहा, तो हम हमारे बच्चे को कैसे पढ़ाईंगे?
00:56मुझे खुट समझ में नहीं आ रहा है जी
00:58मुझे भी पता नहीं कमला, कि हमारी जिंदगी कब बदले की
01:02कि हम अपने खुद के गर में आराम से कप सोएंगे, वो दिन कब आएगा।
01:07वरना आप ऐसी छोटी मोटी काम नहीं, कुछ बड़ा देख लीजे न, ऐसा कुछ जो हमें ज्यादा पैसे दे।
01:14ये सुनकर विंकया, ठीक है कमला, कल सुबह जाकर मैं कोई दूसरा नया काम ढूंडूँगा।
01:21ऐसे कहता है, अगली सुबह विंकया उसके मालिक रंगया के पास जाकर ऐसे कहता है,
01:28साब, जो पैसे आप मुझे दे रहे हैं, वो काफी नहीं है साब, इसलिए सोच रहा था कि नया काम ढूंड लूँगा।
01:37अरे, ये कैसी बात हुई विंकया, अभी-भी तो वियाँ पर अच्छा चल रहा है, अब अगर तुम छोड़ दोगे, तो कैसे होगा।
01:44अब, बात तो सही है साब, लेकिन, अब, ठीक, एक काम करो, हमारे होटेल में लोगों को मचली की कर्री बहुत अच्छी लगती है न, तुम्हें मचली पकड़ना तो वैसे भी आता है, तुम हर रोज होटेल को मचली आलाओ, ऐसे करके तुमें भी ज्यादा पैसे मिलेंगे
02:14पास में मौझूद तालाब को जाता है, और वहां कुछ मचली आ पकड़ता है, ऐसे वो उस दिन के पकड़े वे मचली आ लेकर होटेल जाकर उसके मालिक रंगया को देता है, ताजी मचली आ लाने के लिए होटेल का मальिक रंगया वेंकया को उसके रोज की कूली से कई गु
02:44ज्यादा पैसे देता है विंकया को ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा और विंकया को भी ज्यादा पैसे मिलने लगते हैं ऐसे ही चलता रहा तो कुछ दिनों में हम एक घर भी खरीद पाएंगे और हमारे बच्चे को एक अच्छी स्कूल में पढ़ा सकते हैं ये सोच कर पती-पत्
03:14मचलिया नहीं खरीद पाऊंगा और आज भी इतने सारे मचलिया मैं नहीं खरीद पाऊंगा इसलिए थोड़े ही खरीदूंगा और उनके पैसे दे दूंगा यह कहकर कुछी मचलिया लेकर उनके ही पैसे देता है रंगया उसके बाद बाकी मचलियों को हाथ में लेकर वेंकय
03:44जो गया वो गया अब क्या ही करेंगे हमारे नसीब में तो इतना ही लिखाया है शायद ठीक है चलो आज के लिए मैं खाना तो बना लूगी यह कहकर वेंकया के लाए हुए सारे मचलियों मेंसे बड़ी मचली को मचली को काटते ही उसके अंदर उसे सोने की बड़ी मूर्थी �
04:14और स्वच्च सोने से बना है
04:16इसे बेचेंगे तो हमें बहुत पैसे मिलेंगे
04:19ऐसे कहता है
04:20हाँ जी बात तो सही है
04:22मुझे लगता है कि हमें नसीब इस रूप में आया है
04:25वो कहते हैं न कि भगवान जब एक दर्वाजा बंद कर देता है
04:28तो दूसरी तरफ एक और खोल देता है
04:30ऐसे कहती है
04:31अरे हाँ हाँ बिल्कुल ठीक कह रही हो कमला
04:34अगले दिन उस सोने की मूर्थी को लेकर
04:38सोने के दुकान जाता है वेंकया
04:40वहाँ का मालिक उस मूर्थी को जांच कर ऐसे कहता है
04:44अरे ये तो बहुत पूराना मूर्थी है
04:47और इसका मूल्य बहुत ज्यादा है
04:49अब तुम्हें देने के लिए मेरे पास उतने पैसे तो नहीं है
04:53अरे अब क्या करेंगे साब
04:56लेकिन मैं तुम्हें थोड़े थोड़े घर के पैसे दे सकता हूँ
05:02एक ही बार में तो नहीं दे सकता
05:04मनजूर है वेंकया
05:06ठीक है वही करेंगे फिर
05:09ये कहकर उस मूर्थी को बेच कर थोड़े पैसे घर ले जाता है वेंकया
05:13लिए उन पैसों से सबसे पहले वो एक होटेल शुरू करता है
05:17और उस होटेल में वो मचली की बिर्यानी को बेचना शुरू करता है
05:22रंगया के मचली की करी के अलावा उस गाव में किसी ने भी अब तक मचली की बिर्यानी नहीं बनाई है
05:29इसलिए वेंकया के होटेल की बिर्यानी एक दम बहुत प्रसद बन जाता है
05:35इस कारण वो उसके होटल में कुछ लोगों को काम भी देता है
05:39और क्योंकि वेंकया वेतन ज्यादा दे रहा था
05:42ये सुनकर रंगया के होटल में काम करने वाले लोग भी
05:46वेंकया के होटल जाकर काम करने लगते हैं
05:49ये सुनकर रंगया वेंकया के पास जाकर ऐसे कहता है
05:53क्या वेंकया मेरे होटल में काम करने वाले लोगों को भी तुम्हारे होटल में काम करने के लिए लगा दिया तुम्हारे वज़े से मेरा व्यापार खराब हो गया है
06:02तुम कूली का काम करते हुए मचलिया पकड़ते थे
06:05एक बार में जब नसीब बदल गया तो अकड़ चड़ गया दिमाग को
06:08साब मैंने उनसे ये नहीं कहा कि आपके पास काम बंद करके मेरे पास काम करने आ जाए
06:14उनको काम चाहिए था और मेरे पास काम था तो मैंने दिया बस
06:18जरा मैं भी तो देखो कि कितने दिन तुम ऐसे ही व्यापार चलाओगे
06:24व्यापार चलाना आसान नहीं होता है विंकईया
06:26हमारे परिवार में ये बहुत सालों से आ रहा है
06:29एक बार जो नुकसान आ गया ना, तुम वापस कूली का काम ही करने लगोगे, याद रखना, क्या कहीं लिखा है, कि आप जैसे लोग ही व्यापार कर सकते हैं, और हमारे जैसे नहीं, और वैसे भी, मुझे कोई डर नहीं है साथ, अगर मेरा व्यापार नहीं चला, तो मैं वा
06:59गुसे में चुप चाप वहां से चले जाता है रंगया, एक तरफ होटल चलाते हुए गमाकर, दूसरी तरफ उस सोने के दुकान के मलिक से पैसे लेता है वेंगया, उन्हीं पैसों से उसके बेटे को एक अच्छी स्कूर में बढ़ाता है, एक अच्छा घर भी खरीदता है