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  • 2 days ago
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Transcript
00:00मेरा सवाल हाल ही में हुई टावा में गटना को लेकर है
00:03इस्तरकदेश के टावा में कैसा गुना हुआ जिसकी तस्वीरें दरसल शर्म से भर देने वाले हैं
00:09और मुत्र की छीटे भी उनके ठीकी जाती है जिते की उनकी सुझटा के लिए
00:14आला कि मैं भी अचार जी यादो ही हो
00:16आपसे जुदन के बाद खेयर मेरे लिए यह सब माइने नहीं रखता यादा हो गए
00:20लेकिन यह सब इस इने न ठोनी के बाद यह सर Maxwell लिए भरने लग जाता है
00:23इससे बड़ी दिक्कत होती है चारजी, फिर दोस्तों में भी दरार आ जाती है
00:27ये उनकी सफलता हो जाएगी, वो यही चाहते है ना, ये उनकी सफलता हो जाएगी
00:33कि तुम अपने आपको इनसान न समझ करके अदव या ब्राह्मन या कुछ और मानना शुरू कर दो
00:39देखो आज उन्होंने मजबूर कर दिया ना तुमको कि तुमको बताना पड़ा कि यादव हो
00:45एक शुरुआती आनशिक सफलता तो उन लोगों को मिल गई ना, तुमारे परिचे के साथ तुमारी जातिवर्ण ये सब जुड़ गए ना
00:52मानलो महाल अब बिलकुल गर्म आ गया है, तनाव आ गया है, दंगे हो गए है, कुछ भत्याएं हो गई है इन्हीं चीज़ों पर
01:00तो तुमको भी लगने लग जाता है कि तुम यादव हो मैं ब्रामण हूँ
01:03सहज नहीं रह पाते हैं, हो सकता है बात कर लेते हैं, पर भीतर कुछ न कुछ एक काटे जैसा चुब जाता है
01:08और यही उन मूर्खों की सफलता होती, वो चाहते ही यही है, कहने को यह लोकल इवेंट्स होते हैं
01:14और इनके पीछे जो मनशा होती है अकसर, होती है कि यह बात फैले, ठीक वैसे जैसे आतंकवाद होता है
01:21आतंकवादी कोई बहुत ज्यादा लोगों को थोड़े ही मारते हैं, दो, चार, आठ, बीस, पचास, इतने ही लोगों को मारते हैं आतंकवादी
01:28इसे कहीं ज्यादा लोग तो प्रति दिन भारत में शड़ दुर घटना में मर जाते हैं
01:32लेकिन आतंकवादी चाहते हैं कि मन मुटाओ फैले, कि वैमनस से फैले
01:35आतंक फैले, खौफ फैले, दूरियां फैले
01:38आप दूसरे की तेरह देखना शुरू कर दो, वो पर आया है
01:42और इस तरह की घटनाएं आगे भी बहुत घटती रहेंगी
01:45उनको जो तुम सबसे कड़ा जवाब दे सकते हो
01:48वो यही है कि उनकी आँच अपने उपर मताने दो

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