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  • 3 days ago

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00:00:00आपका कोई आदर्श जो समाद से आ रहा है वो आपकी कामनाओं की ही प्रतिमूर्ति के इलावा और कुछ भी नहीं है ये बात खतरना के ये बात हम समझते हैं नहीं है शोटी शोटी बच्चेयां होती है वो आदर्श बना लेती है कि वो फलानी Miss Universe है Oh you know she's my role model वैसे ही लड�
00:00:30में कि जल क्या रहा है देहा है अध्यात में पता करा जाता है कि अंदर क्यात काम जासूसी कई है क्योंकि है कोई जो छुपना चाहरा है है कोई जो अलग-अलग मुखोटे पहन कर आपको जहासा देना चाहरा है है कोई चोर जो आदर्श बनकर सामने खड़ा होना चाहरा है
00:01:00से थोड़े ही होगा उन्हें खत्रा आधिकांशता क्रिश्न भक्तों से होगा
00:01:03रे और रे पर पिछले सूत्र में पिछले सत्र में बात शुरू हुई थी उसी को आगे बढ़ाना है
00:01:30श्रे और प्रे ये भेद की बात हो रही है
00:01:40और कैसे मनुश्य के लिए श्रे श्रेष्ट होता है
00:01:49तो प्रकृतिक है कि हम तुरंट पूशना चाहें कि बता दो फिर कि श्रे ये क्या होता है
00:02:06जो श्रेष्ट है उसी का वर्णन कर दो समझा दो
00:02:13और ऐसे बात बनती नहीं है
00:02:16श्रेष्ट क्या है
00:02:23ये जानना कठिन है जब तक श्रेष्ट की बात को छोड़ ही न दिया जाए
00:02:37मनुश्य के लिए श्रेष्ट क्या है ये जानने के लिए उसे प्रेष्ट पर ध्यान लगाना पड़ेगा
00:02:47क्योंकि श्रेष्ट बहुत दूर की बात है आसमानों की बात है
00:02:55प्रेष्ट के साथ तो हम पैदा होते हैं
00:03:03वो बिलकुल अपनी इन्नी जी प्राकृतिक शारियरिक बात है
00:03:07श्रुआत तो हमेशा वहीं से करनी पड़ती है जहां हम हैं
00:03:13जहां हम हैं उसका कोई पता नहीं उसका कोई नुसंधान नहीं और
00:03:18आसमानों की अफसाने हम उडाने लगें
00:03:25तो कुछ मिलेगा नहीं
00:03:33प्रेय क्या है
00:03:35हम
00:03:37चाहिद ये समझना ही श्रेय की और ली जाए
00:03:47श्रेय की जो ज्यादा बाते होती हैं
00:03:53वो होती ही इसलिए हैं कि प्रेय को न समझना पड़े
00:03:57क्योंकि प्रेय समझ में आ गया
00:04:01तो प्रेय फिर गिरता है
00:04:07फिर श्रेय उभरता है
00:04:11उल्टा खेल है
00:04:13श्रेय की बात करो तो प्रेय बच जाता है
00:04:17तो पूरी दुनिया में उसी की बात हो रही है
00:04:21पूचा क्या है रेष्ठ क्या है
00:04:23मुक्तिप्रद क्या है
00:04:25अंतिम क्या है परम क्या है
00:04:31उसकी बात करने को सब तयार बैठे हैं
00:04:35और
00:04:39वरतमान क्या है निकट क्या है
00:04:45सत्थे क्या है यथार थे क्या है
00:04:51अंकार क्या है
00:04:53इसकी बात कभी उबाव लगती है कभी खतरनाक
00:04:59तो कौन करें
00:05:02दूर वाली बातें बड़ी सोहानी लगती है
00:05:06पर दूर की बात करके जो निकट है
00:05:10हम उससे कन्नी काट लेते हैं
00:05:16जो निकट है उससे बच निकले तो
00:05:20दूर वाले का तो कुछ
00:05:22कभी
00:05:26साक्षात होना नहीं है
00:05:33क्या है प्रेह
00:05:38कामना
00:05:42जो प्रेह होता है उसकी प्रतिक कामना उठती है
00:05:48सारी प्रियता या प्रियता की शुरुवात शरीर से है जन्म से है
00:06:02जो कुछ भी आपको प्रिय है पसंद है उसका मूल कारण शरीर है
00:06:12समाज, शिक्षा, संस्कार, मीडिया ये सब प्रभाव प्राथमिक नहीं है
00:06:22मौलिक नहीं है
00:06:24ये बाद में आते है
00:06:26जो एकदम मूल कारण है
00:06:33कारण था कि इस हिद्धान्त में तीन तरह के कारण होते हैं न
00:06:41बड़े विस्तार से चर्चा करी थी हमने
00:06:45तीन प्रकार के कारणों की अब भूल गए
00:06:51उद्धारन लिया था कि घड़ा बनता है
00:06:56तो एक कारण होती है मिट्टी
00:07:03कोई कह सकता है घड़े का कारण है
00:07:06एक कारण होता है कुमार
00:07:09एक कई अन्य कारण भी होता है
00:07:15सब भूल गए
00:07:16ते लिए ये आज आप खोज के लिखिएगा
00:07:21जो सबसे मूल कारण है
00:07:25जिस वजह से कामना उठती है
00:07:29वो शरीर में नहित है
00:07:30वो समाजिक और गहरा बात नहीं है
00:07:35कि समाज ने आपको किसी चीज़ को चाहना सिखा दी
00:07:38आप कुछ भी चाह रहे हैं
00:07:40उसका मूल कारण तो शारीरिक ही है
00:07:43हाँ उस शारीरिक कारण के ऊपर
00:07:46समाजिक कारण समाजिक प्रभाव
00:07:49ये तह बैठ जाती है
00:07:52और वो दोनों फिर आपस में क्रिया करके
00:07:57कुछ परिणाम ले आ देते हैं
00:07:59लेकिन
00:08:02मूल बात ये है कि हम पैदा ही होते हैं कामना के साथ
00:08:08क्यों कामना के साथ पैदा होते हैं
00:08:17क्योंकि अपूर्ण हैं
00:08:20असुरक्षित हैं
00:08:22तो खुद को बचाना है
00:08:25और किसी तरह कुछ स्वयम में जोड़कर पूर्ण हो जाना है
00:08:31अंकार अपनी सुरक्षा को ले करके बड़ा व्यग्र रहता है
00:08:37असुरक्षित है अपूर्ण है तो सुरक्षा करना चाहता है अपनी
00:08:43अज्यान ये कि सुयम को जानता नहीं तो उसे लगता है कि
00:08:48वो जो कुछ अभी बना हुआ है
00:08:50वो इस लायक है कि उसकी सुरक्षा की जाए
00:08:54तो वो अपनी सुरक्षा में विहसत रहता है
00:08:57तो बताओ
00:08:58सबसे पहले आहम को कौन प्रिय होता है
00:09:01स्वेम आहम
00:09:05क्योंकि वो जो कुछ भी कर रहा है
00:09:08किसी भी विशे की और जा रहा है
00:09:10अपने लिए ही तो जा रहा है
00:09:11मुझे पूर्णता मिल जाए तो
00:09:14उसकी और जा रहा हूँ
00:09:16उसकी और जा रहा हूँ
00:09:17किसलिए जा रहा हूँ
00:09:18मुझे पूर्णता मिल जाए
00:09:20तो जो पहला सरोकार है
00:09:25वो तो खुद से ही है
00:09:29और वो विशे भी प्यारा इसलिए लगता है
00:09:32क्योंकि लगता है कि वो मिल गया
00:09:34तो मैं पूर्ण हो जाओंगा अन्य था उस विशह में अपना कोई मुल्य नहीं है
00:09:39तो शरीर के साथ ही ये बात आ जाती है
00:09:50कि अपनी सुरक्षा करनी है
00:09:55और अपने भी तर जो भी कुछ कमी बेचैनी लग रही है उसका उपचार करना है
00:10:05लेकिन शरीर के साथ ये बात नहीं आती
00:10:10कि पूछ पड़ो
00:10:13किसको पसंद कर रहा हूँ
00:10:19कौन है पसंद करने वाला और कौन है पसंद किया जाने वाला
00:10:24और ये सब चीजें
00:10:28जिनका भरोसा मान रहा हूँ कि पूर्णता दे देंगी
00:10:33मुझे कैसे पता कि इनसे पूर्णता मिलती है
00:10:36ये बात प्राकृतिक नहीं होती
00:10:38आत्म अवलोकन आत्म विद्या
00:10:42इसके लिए शरीर प्राकृतिक तोर पर संग्रचित नहीं है
00:10:49आप किसी छोटे बच्चे को जंगल में छोड़ दीजिए
00:10:58और विवस्था कर दीजिए कि खाना पीना उसका चलता रहे
00:11:01बहुत सारी बाते हो सोयम सीख जाएगा वो चलना सीख जाएगा
00:11:08वो कुछ आवाजें निकालना सीख जाएगा
00:11:12वो ये भेद सीख जाएगा कि कौन सा फल पका है कौन सा कच्चा है
00:11:19वो अंतर करना सीख जाएगा कौन सा पानी पियूँ कौन सा नहीं पियूँ
00:11:23कौन सा जानवर मित्रवत है कौन सा जानवर विशैला है वो ये सब जाएगा
00:11:31गर्मी लगे तो गुफा में घुश जाओ
00:11:38वो ये भी जाएगा ये हथियार कैसे बनाओ
00:11:43हम मान रहे हैं कि ठीक ठाक बुद्ध ही है उसके
00:11:46पत्थर का कुछ छोटा मोटा ओजार हथियार डंडा बना लेगा
00:11:55वो ये भी जान जाएगा कि किसी पशु को किस जगह पर मारो तो जल्दी मर जाता है खाने के लिए
00:11:59ये सब वो धीरे धीरे जान जाएगा
00:12:03ये पुराना आदमी था वो ये सब अपना देख देख के उसने आग जलाना भी सीख लिया था
00:12:17कभी कहीं आग जली रह गई पास में कुछ खाने पीने का पड़ा था तो वो उसी आग में भुन गया
00:12:27तो उसने ये भी देख लिया कि भुन जाने पर ये चलता भी थोड़ा लंबे समय तक है
00:12:34जो चीज भुन गई वो दो-तीन दिन तक सड़ती नहीं है
00:12:37और थोड़ा स्वाद भी अच्छा आ जाता है
00:12:39ये सब वो सीख लेगा, स्वयमी सीख लेगा
00:12:43कोई इसके लिए उसको न तो आत्म ग्यान चाहिए न गुरू ग्यान चाहिए
00:12:47पर ये वो कभी अपने आप नहीं सीख पाएगा
00:12:54कि अंतर गमन करना होता है
00:12:57कभी नहीं
00:13:00और कभी नहीं से मेरा आज रहे समभावना दस लाक में एक की है
00:13:11टेंडिंग टू जीरो
00:13:13कोई बिलकुल ऐसा हो सकता है
00:13:17अतिश्य प्रतिभाशाली
00:13:20कि उसके साथ किसी इस तर पर
00:13:25बिजली कौन्धने लगे
00:13:30कि जैसे कोई पानी पीने गया हो
00:13:36प्यास बुझाने के लिए
00:13:37पर जुकर आह पानी पर तो उसे अपना चहरा दिख गया
00:13:41और चहरा दिखी नहीं गया
00:13:44उस सो कुछ और भी दिख गया चहरे के साथ
00:13:48इसा हो सकता है पर समभावना दस लाक में एक की है
00:13:53तो हम निर्मित नहीं होते हैं अपने आप से आत्न वेशयक प्रश्न पूछने के लिए,
00:14:02just not made for that, सीधी सी बात, खत्म, किसी का दोश नहीं है इसमें,
00:14:08बनाए ही नहीं गए हो ऐसे, और सौ तरह के सवाल पूछ लोगे,
00:14:11बच्चा होता है बहुत छोटा, वो भी कई बार बड़ी तिकडम लगा देगा,
00:14:19घर में लोगे कठा होंगे, तब ही वो पूछ लेगा, मैं कहां से आया,
00:14:25और ये जो ये बहन है छोटी, एकदम ही छोटी है, ये कहां से आयी,
00:14:28अब तुम कहां से आया, इस बारे में तो जूट बोला जा सकता है,
00:14:33क्योंकि तुम्हें कुछ पता नहीं, तुम छोटे थे, पर बहन का तो उसने हिसाब किताब देखा है,
00:14:38पाँ साल का हो गया है, लेकिन ये बच्चा भी जो उधमी है,
00:14:44और अपनी और से कुछ कौतुहल बता रहा, ये भी कभी ये नहीं पूचेगा कि मैं हूँ कौन,
00:14:51मैं उसने पहले ही स्थापित कर दिया, इतना तो उसको पक्का है कि मैं हूँ,
00:14:56जिग्यासा उसकी मातर इतनी ही है कि हूँ, तो आया कहां से ये बता दो,
00:15:01आया कहां से, क्योंकि उसकी जिग्यासा ही बड़ी सतही है, कच्ची है,
00:15:07तो उसको कुछ भी बता दिया जाता है, कि मम्मी गई थी मंदिर और वहां सीड़ियों पर पड़े थे तो ले आई,
00:15:13अच्छा, ठीक, फिर उसके जैसे चार मिल करके और आपस में सर जोड के मंत्रना करते हैं,
00:15:26कि तू कहां से आया, तू कहां से आया,
00:15:32आरी बत, कोई नहीं बीतर प्रवेश करना चाहता है, कोई नहीं पूछना चाहता है,
00:15:40यह जैसे उपनिशद कहते हैं, कि इशावास से, आँखों के पीछे से देख कौन रहा है,
00:15:51कानों के पीछे से सुन कौन रहा है,
00:15:55यह जो मन इतना चंचल है, मन को चलाने वाला कौन है,
00:16:01कोई बच्चा नहीं पूछेगा, नहीं पूछेगा,
00:16:04अशारेरिक सामगरी ही ऐसी नहीं है, कि वो पूछे,
00:16:11यह सब मैंने कहा, not configured for that,
00:16:18आप जाते हो सिस्टम के सामने अपने,
00:16:21तो सिस्टम भी आप से यह पूछता है, कि अपनी identity दिखाओ,
00:16:23तुम कौन हो, अपनी शकल दिखादो, अपना fingerprint दिखादो, अपना password बता दो,
00:16:31कोई सिस्टम ऐसा होता है, जो कहे हूँ है, मेरी identity क्या है, पहले यह तो बता दो,
00:16:38आपने नया laptop मंगाया, और जैसी उसको boot कर रहा हूँ, क्या पूछ रहा है,
00:16:43मैं कौन हूँ, मुझे पहले यह तो बताओ, मैं करूँगा क्या हूँ, बाद में सब कर दूँगा,
00:16:51पर मैं आ कहां से गया,
00:16:55कितनी सारी बातें मैं करने लग गया हूँ,
00:16:59कितनी मेरी processing है, ऐसी मैं calculations कर देता हूँ,
00:17:02मैं हूँ, कौन हा, कहां से गया, नहीं पूछता न,
00:17:05कोई मिला आश्टक laptop, या कोई भी system ऐसा पूछता हूँ,
00:17:09वैसे हमारा भी जो system और यह नहीं पूछता,
00:17:14लेकिन एक भाव रहता है कि मैं हूँ और मुझे खुद को बचाना है,
00:17:18तो पहली पसंद हमारी हम होते हैं,
00:17:23बाकी जितने होते हैं हमारे पसंदीदा,
00:17:26वो हमें हमारी खातिर पसंद होते हैं,
00:17:31आपको कभी भी कोई भी पसंद आया है न,
00:17:33तो अपने लिए ही तो पसंद आया है,
00:17:35और वो बहुत होगा गुणी ग्यानी, उंचा, मुल्यवान
00:17:39जिस खषण आपको इस पश्ट हो जाए
00:17:43किया आपके काम, आपकी कामना
00:17:48कि हथे वो नहीं चड़ सकता
00:17:52उस खषण आप उससे मिलकुल किनारा कर लोगे
00:17:56और ये भी हो सकता है कि पहले बहुत कामना, बहुत आशा
00:18:01उससे जोड रखी हो, तो क्रोधित भी हो जाओ
00:18:04किसी से बहुत उमीदें लगा रखी हूँ
00:18:09बड़े ही दिल दिल में जजबात खुला रखे हूँ
00:18:15और फिर पता चले कि इसके साथ तो बाजी जम ही नहीं सकती
00:18:26बड़ी आग उठती है
00:18:30लकडी जल कोईला भाई, कोईला जल भाया राख
00:18:36मैं भी रही न ऐसी जली
00:18:39कोईला भाई न राख, वो दूसरे अर्थ में है, पर होता ऐसा ही है
00:18:43किसी की उकती है, hell knows no fury
00:18:54कि लाइक वुमन स्पर्ण्ड
00:18:56वहां वुमन में दोनों को मान लो, सब वारते ही है
00:19:02प्रकृति से आशे है
00:19:05स्पर्ण्ड समझते हो, ठुकराय जाना
00:19:08वहारी कामनाओं को जिसने ठुकरा दिया
00:19:12उसके प्रति जो रेज होता है, जो फ्यूरी होती है
00:19:17जो क्रोध होता है, उसका कोई मुकाबला नहीं होता
00:19:22तो उसको उसके लिए थोड़ी चाह रहे थे, उसको
00:19:30अपने लिए चाह रहे थे
00:19:33तो ये पहली बात है
00:19:36ये समस्त कामना का आधार शारी रेक होता है
00:19:41हम पैदा ही हुए हैं कामना करने के लिए
00:19:49क्योंकि पैदा ही होता है अपूर्ण अहम भाव
00:19:54पूर्ण अता की कामना जैविक है, जन्मगत है
00:20:03ये हुई पहली बात, ठीक है?
00:20:08तो कामना कहां से आई? मुलता हा? चरीर से आई
00:20:14अब चरीर के बाद आते हैं समाज, समय, सैयोग
00:20:25चुकि ये तीनों बाहरी हैं तो इसलिए हम इन तीनों को समाज
00:20:33कहकर संबोधित कर लेंगे ये तीनों एक तरह से समाज में समाज आते हैं
00:20:41समाज माने जो आपके बाहर का, तो कामना शरीर से उठी
00:20:47पर अब कामना को लेकर समाज से आपको दो-तीन तरह की प्रतिक्रियाएं या भेद मिल सकते हैं
00:21:05पहली वो कामना होती है जो समाज स्विक्रतिया समाज सम्मत नहीं होती है पर आप जिस समाज के हो आप जिस समय के हो
00:21:21क्योंकि समाज भी समय के साथ मुझलते रहते हैं हमने समय को समाज के भीतर ही डाल दिया है आप जिस समाज की हो वो उस कामना को स्विक्रति नहीं देता
00:21:37कि यहां पर जो आपकी कामना होती है जो आपका प्रय होता है वो बन जाता है फिर पाक्खंड कि यह सबसे से निचला तल है कामना का
00:21:51आप तो चाह रहे हो आप माने कौन शरीर क्योंकि अहम क्या है प्रक्रते भर है
00:21:56तो शरीर तो चाह रहा है मैं कहूं मैं चाह रहा हूं वो बिल्कुल बराबर बात इसके है कि शरीर चाह रहा है क्योंकि मैं क्या हूं
00:22:04प्रक्रते हूं तो शरीर चाह रहा है तो शरीर तो चाह रहा है पर समाज स्विक्रते नहीं दे रहा है
00:22:12तो डर जाते हो ग्योंकि समाज से कई तरीके हैं कारोबार चलता है खाना पीना चलता है लेंदेन चलता है प्रतिष्ठा चलती है
00:22:20क्यादी ब्या समाज में करना है
00:22:22नौकरी चाकरी समाज में करनी है
00:22:24कोई घर के राय पे नहीं देगा
00:22:27असामाज एक हो जाओगे तो
00:22:28वो सकता है जेल में डाल दें
00:22:30समाज के पास ये हक भी होता है
00:22:32जेल में डालने का हक नहीं होता
00:22:34समाज के पास तो विक्ति की जान लेने का भी हक होता है
00:22:36बिलकुल कानूनी तरीके से जान ले सकता है समाज आपकी
00:22:40तो आदमी ज़र समाज से घबराता है
00:22:43समाज से बहुत कुछ मिलता है विक्ति को
00:22:45मिलता जो कुछ है वो कामना के ही तल पे मिलता है
00:22:47पर हम तो कामना के ही पुतले हैं
00:22:49जो कुछ हमें मिलता है हमारे लिए बड़ी भारी बात हो जाती है
00:22:52यह तो आदमी समाज से घबराता है
00:22:54तो समाज ने
00:22:56अपने सयोगों के चलते
00:23:00अपनी स्थिति के चलते
00:23:02समय के चलते
00:23:04जिन कामनाओं को वर्जित कर रखा है
00:23:07वह कामना ये दब जाती हैं मर नहीं जाती है क्योंकि जब तक शरीर नहीं मरेगा कामना कैसे मरेगी कामना क्या है
00:23:33किसीने किसी तरीके से उस कामना को पूरा करो गे
00:23:37चुरी छुपे करोगे, पिछले दर्वाजे से करोगे, हम बात कर रहे थे न, कि आश्रमों में इतनी उंची-उंची क्यों दीवारे होती हैं?
00:23:47बाबा जी बिचारे भी इंसान हैं, उनकी भी कामनाई हैं, और वैसी ही प्राक्रतिक कामनाई हैं जैसे आप लोगों की हैं, और बाबा जी को तो बना दिया बिल्कुल नैतिक्ता का कोतवाल, बाबा जी कैसे अपनी कामनाई पूरी करें?
00:24:09बाबा जी चिकन तंदूरी चबाते हैं, पर दस दर्वाजों के पीछे, आरी पासर, तो हाँ पाखंड का जन्मुत है, बहुत तरह के पाखंड, उन्ही पाखंडों में एक पाखंड है सपना, जो कामनाई समाज ने दबा रखी हैं,
00:24:39जगती हालत में बाहर जाकर के जिनको नहीं पूरा कर सकते, तो सपने में उनके मज़े हो जाते हैं, दर्शन हो जाता है, जानूज कर नहीं होता,
00:24:51पर ये नियम है शरीर का, उसकी कामना हुई है, तो उसको पूरा करने के लिए कुछ न कुछ जुगाड तो करेगा, उसी का एक जुगाड है सपना,
00:25:01वो कहता है सीधे तरीके से, कानूनी तरीके से, समाज सम्मत तरीके से, नहीं कर सकता, तो मासूमियत के तरीके से कर लेता हूँ, मैं कहूँगा, मासूम माने इनोसेंट, इनोसेंट माने, दोशी नहीं, गिल्टी नहीं, तो मैंने तो कुछ किया नहीं, सपने में हो गया,
00:25:26मीठा खाना मना है
00:25:28सपने में दो डबा गुलाब जामु जार दिया
00:25:39किसी बहुत करोध था सपने में हत्या कर दिया उसकी
00:25:42चोरी करना मना है
00:25:46सपने में बन गए जाकर के
00:25:50अशोक महान
00:25:52ये भारी महल है उसमें घूम रहे हैं तन करके
00:25:55ये सब पाखंड है
00:26:00शरीर से उठी है
00:26:02समाज ने दवाई है
00:26:04तो फिर वो भीतर बैठ जाती है
00:26:08और वो फिर अपने पूरे होने के चोर दर्वाजे तलाशती है
00:26:12हमें पता भी नहीं चलता किन किन तरीकों से हमारी कामनाएं ही
00:26:21हमारा इस्तेमाल करके
00:26:24पूरे होने के नए नए शड़ेंतर रच्टी रहती है
00:26:31हमें सच्मे नहीं पता होता Super I
00:26:32तभी तो उसको on-conscious कहते हैंना
00:26:34on-conscious desire
00:26:42नंगा साधू है, उसे पैसे की चाहा है, वो इस चाहत को कभी स्विकार करी नहीं सकता, वो अपनी और से इस चाहत का गला घूंड देगा बिलकुल,
00:26:58इस चाहत कहा जाएगी, वो जा करके नीचे कहीं अपना छुप जाती है, और फिर वो वहाँ से हम कह रहे हैं, जो और दर्वाजे ढूंडती है, बाहर निकलने के, पूरा होने के, तो वो कुछ और करेगा,
00:27:16वो कहेगा, देखो जिनके अस पैसा होता है, उनको इज़त मिलती है, प्राइवेट जेट में चलते हैं, तो इज़त मिलती है, मैं एक दम दिखाऊंगा कि मैं नंगा हूँ, पैदल चलता हूँ, मेरे पास कुछ नहीं है, मैं प्राइवेट जेट वालों से ज़्यादा इ�
00:27:46तुम से ज़्यादा लोग हमारे पास आते हैं, और होगे बहुत बड़े सेट, जब पुत्र रतन चाहिए होता है, तो हमीं से तो आकर के हाथ जोड़ते हो, तो तुम्हारी दौलत हमारे सामने फीकी पड़ गई, यह सब वही पाखंड है, आरी वात समझा, उसके बाद वो
00:28:16इशाय आते हैं, जिनको समाज ने स्वीक्रती दे रखी होती है, और समाज कहता है कि हाँ बिल्कुल जाओ और इनको पालो, यह ठीक है, उसको हम कई बार नाम दे देते हैं, पुरुशार्थ का, आप जिसको पुरुशार्थ होगे रहा कहते हो, कुछ नहीं आप ही कामनाओ
00:28:46मैं बड़ा पुरुशार्थी हूँ, मैंने जिन्दगी में यह सब हासिल किया, और इस कारण समाज में मुझे बड़ी इज़त मिली है, राश्पती से मुझे फलाना तमगा मिल गया, मैं यह अस्पताल का उधगाटन करने के लिए मुझे बुलाया जाता है, जहां भी जात
00:29:16जिसको समाज ठीक मानता है, समाज कहता है यह वाली कामना चलेगी, यह वाली कामना चलाओ, क्योंकि वो कामना ऐसी होती कि उससे समाज का धाचा और मस्बूत होता जाता है, तो समाज वैसी कामनाओं को प्रोचसाहित करता है, उन कामनाओं के साथ महत्वा कांक्षा जोड�
00:29:46आपको महत्वा कांग्शी बना देती है, वो उभर क्या आती है,
00:29:49ambition, महत्वा कांग्शा के रूप में, कोई कोई रोक टोक नहीं है न,
00:29:53जाओ जितना कमाना है कमाओ, एक नहीं, चार महल खड़े कर दो,
00:29:59इन कामनाओं पर तो समाज नहीं मना करता न, आप जा रहे हो,
00:30:08कादी बिहा में और आप बहुत खुबसूरत बनके एक तम गए हो, कोई मना करता है कि और अच्छी बात है,
00:30:14समाज कहता है यह जो बहुत सुन्दर लग रहा है, इनको और आगे बुलाओ, यह आगे आगे नाचेंगे, इनहीं से तो इस पूरी महफिल की शोभा है,
00:30:23तो समाज ने क्या करा, आपने जो कुछ भी करा, उसको और ज्यादा उभार दिया, उसको सुईक्रत ही दे दी, तो आप फिर कहोगे देखा, यह करने से फायदा होता है समाज में, तो अगली बार उसको और ज्यादा करोगे, और ज्यादा करोगे, तो उससे समाज की गाड�
00:30:53उनकी रोटी चला रहे हो, आपने जिम, जिम ट्रेनर, इन सब के घर का भी बंदोबस्त कर दिया होगा, तभी आप इतने फिट हो, उससे पहले आप सलून, स्पा, ये सब भी करके आए होगे, देखो कितने उद्ध्यों, कितने धंधे, समाज के आपकी ओजैसे ही चल रहे हैं
00:31:23कुछ साहित करता है, तो ये दूसरा तल हो गया, प्रेयता का, अब उसके बाद आता है, तीसरा तल, यहां समाज कहता है, देखो, कामनाएं तो आम लोग भी कर लेते हैं, तुम कुछ ऐसा करो जो आम लोगों से आगे का है,
00:31:53और ये दोनों आवाजें समाज से ही आती है, उदाहरन के लिए समाज ही आपको प्रोटसाहित करेगा कि हाँ अच्छी डिग्री ले लिए आप खूब पैसे कमाओ, और समाज ये भी कहेगा, कि देखो, हम उन लोगों को बहुत महान मानते हैं, जो अच्छी डिग्री लेने
00:32:23लाधर्श बना दिया जाता है, आधर्श, यहां पर जो कामनाएँ हैं, वो सिर्फ समाज स्विकृत नहीं हैं, वो समाज द्वारा अधिधिस्ट हैं, अधिदेश समझते हैं, अधिदेश माने, मोटा मोटा समझी आधेश, ये शास्की ये हिंदी होती है,
00:32:50सरकारी कारयाले उमें चलती है
00:32:54अधिदेश माने क्या? आदेश
00:32:58तो एक तो होता है कि
00:32:59allowed और एक होता है mandated
00:33:02ये तुम अगर करो
00:33:06तो तुम महान कहलाओगे
00:33:07तो यहाँ फिर समाज आपको
00:33:12आदर्श देता है कहता है अगर
00:33:13तुम साधारन औसत वर्ग से
00:33:16से उठके दिखा सकते हो तो यह बनके दिखाओ ना
00:33:19और समाज आपको कुछ आधर्श देता है
00:33:22तो कुछ तो बाते यह हैं कि हाँ भई
00:33:24मुझे पैसा कमाना है, मुझे घर बनाना है, मुझे गाड़ी खरीदनी है
00:33:27मुझे बाहर जाके कहीं सेटिल हो जाना है
00:33:29तो समाज कहता है कोई दिख्कत नहीं, कोई आपको पापी बोलता है कि
00:33:32पुछ नहीं, आप अपनी काम नहीं, पूरी करने निकले हो, आप बाजार में जाके खरीद रहे हो
00:33:36आप कुछ कर रहे हो, आप सौ गोल गप्पे खालों को ये थोड़ी बोलेगा नरक में सड़ेगा पापी कीड़ा, ठीक है, उसकी और से आपको पूरी क्या है, अनुमत्य है, अनुमत्य है, उसके उपर वो चीजे आती है, जहां समाज कहता है कि ये अब आदर्श वाली बात ह
00:34:06सबसे उंचा मकाम है जहां इंसान पहुंच सकता है, तो जैसे हमसे कटूपनिशत कहा रहा है कि नहीं, सबसे उंचा श्रे होता है, रे से श्रे उंचा है, वैसी समाज कहता है नहीं, सबसे उंचे आदर्श होते हैं, एक तरह ऐसे समाज आदर्शों को श्रे की जगह दे दे
00:34:36में बताए देते हैं सबसे उंचे क्या होता है सबसे उंचे क्या होता है आधर्ष हम तुम्हें कुछ आधर्ष दे देंगे हम तुम्हें कुछ आधर्ष दे देंगे
00:34:51और वो जो आधर्ष होते हैं वो सचमुच आम जनता से तो थोड़ा उपर क्या ही इस तरके होते हैं
00:34:55उपर के स्थरके होते हैं लेकिन होते आपकी कामनाओं की ही मूर्ति हैं वो भी आपका कोई आदर्श जो समाद से आ रहा है वो आपकी कामनाओं की ही प्रतिमूर्ति के अलावा और कुछ भी नहीं है यह बात खतरना के यह बात हम समझते नहीं है हमें लगता है हमारे आदर्�
00:35:25आदर्श भी उसी आयाम के हैं अंतर बस इतना है कि समाज ने उनको बहुत ऊपर बठा दिया है और उनको श्रे का सस्ता विकल्प बना दिया है
00:35:33नहीं तो आदमी पूछेगा न फिर कि उच्चतम क्या है समाज कैसे जवाब देगा तो समाज कुछ जवाब तयार रखता है कि उच्चतम क्या है तो समाज कहता उच्चतम क्या है वो आदर्श जो हम तुमको बता रहे हैं
00:35:48ठीक है न हम और वो सारे आदर्श बस इसलिए होते हैं ताकि जो वास्तविक श्रेय हैं आप उसकी और न जाओ
00:35:59ये कोई सोची समझी साजिश नहीं होती हमारा तो कुछ भी समझा हुआ नहीं होता तो साजिश भी समझी हुई कैसे होगी हमारी तो साजिश भी सारी बेहोशी की और नसमझी की होती हैं मैं खुद नहीं पता होता कि हम साजिश कर रहे है तो बहुत आदर्श होते हैं हर आदम
00:36:29और वो आदर्ष बस इसलिए हैं ताकि जो असली है आप उसकी और न जाप पाओ, आदर्ष में बैठ जाओ, इससे सम्मानिय होने की भी अनुभूती हो जाती है न, मैं अपने आदर्षों का अनुकरण करता हूँ,
00:36:39मैं किसके पीछे हूँ आदर्षों के, तो भई मैं भी इजददार आदमी हूँ, आप हो गया ध्यात्मिक, लेकिन मैं आदर्षवादी हूँ, तो मुझसे पंगामत लेना, हम कोई छोटे आदमी नहीं है, तो spiritual हो तो हम principled हैं, और मैं आपसे कह रहा हूँ, सारे principles, desires का ही रू
00:37:09अश्टा वक्र गीता, का हिंदी का व्यात्मा कर्थ, आप लोगों के साथ हमने शेयर करा था, ठीक है, हम लारुया जी का, आप सुनते भी हैं, बहुत बार उसकी हम बात कर चुके हैं,
00:37:31तो किसी को बोला मैंने कभी, कि आप ये है, इसको सुनियेगा, तो बहुत ठीक है, ये उन दिनों की बात है, जब आठ दस साल पहले की बात, जब वन-टू-वन परस पर एक अंतिक बात्चीत हो पाती थी,
00:37:53मैंने का, सुनियेगा, वो कृष्टिनबाद वापस आ गए, उनकी जूभी समस्या थी, उज़स की तस थी, मैंने कहा कि सुना क्या, तो बुले नहीं, वो तो नहीं सुना, कुछ और सुनता हूं, मैंने का, क्या सुनते हो, बुले मैं SD बर्मन सुनता हूं, उससे मुझे र�
00:38:23मैंने की अपनी एक्षिष्टता है, पर बात वहां गाई कौन सी जा रही है, वहां पर सारे गीत आपकी कामनाओं के ही तो है, और कौन से गीत हैं वहां पर, लेकिन उनको पूरा भरोसा था, कि अश्टा वक्र को सुनो, या SD बर्मन को सुनो, बात एक ही है, क्योंकि उनको �
00:38:53समझे आरी बात, कहीं पर मैं गया था, कॉलेज की बात, तो मैं उनको बताने लगा, कि कृष्ण निशकामता का संदेश देते हो, निशकामता माने क्या पूरा मैंने समझा लिया, तो उन में से एक खड़ा होता है, बोलता है भारत के एक बड़े महान पूरो राश्पती है
00:39:23ये आदर्श हैं, और आदर्श समाज आपको देता ही इसलिए है ताकि कृष्णों से आप बच सको, और बहुत बड़ी समझ से आती है, जब गीता के सामने आप कोई समानिय सामाजिक आदर्श खड़ा कर देते हो, क्योंकि वो जो आदर्श है, वो इजददार तो है ही,
00:39:53आप राम के सामने रावण को खड़ा कर दो, कोई तकलीफ की बात नहीं है, रावण आप तुरंत गिरा दोगे, धोस्त कर दोगे, पर आप राम के सामने कोई समाज सुईक्रत, सम्मानिय है, हस्ती खड़ी कर दो, जो प्रसिद्ध भी है, प्रचलिद भी है, तो दिक्कत आ
00:40:23अब वहां जितने बैठे हुए थे, वहां छादर जितने बैठे हुए थे, वो सब के सब उसकी हां में हां मिलाने लगे, क्योंकि वो हमारे पूरो राश्च्पती वो उस कॉलेज स्वयम आ चुके थे, और इतन नहीं नहीं था, उनका बहुत बड़ा पोस्टर, उनके कोर्ट
00:40:53के सामने अड़के खड़े हो गए हैं, और वो समाज द्वारा बहुत सम्मान प्राप्त आधर्श हैं, उनको उचे से उचे राश्ट्री सम्मान दिये जा चुके हैं, और राश्पती भी रा चुके हैं वो, तो जितने थे सब बोल लगे कि नहीं नहीं, हमें तो उन्होंने
00:41:23never give up on your dreams, और यह आप क्या बता रहे हैं, यह सब आधर्श जो हैं एक तरह से समाज की चाल होते हैं, और इसी लिए जो मैं आपसे बोलता हूँ,
00:41:37एक स्वस्थ तिरसकार का भाव, healthy contempt towards every role model that the society imposes on you,
00:41:49समाज आपको आधर्श देता नहीं है, the society imposes them on you and you should have a healthy contempt towards them,
00:41:57not angry, not bitter, just healthy,
00:42:01क्योंकि भई समाज जिन लोगों को आपकी और ला रहा है, प्रस्तुत कर रहा है,
00:42:08कि यह बड़े उचे लोग हैं, सम्मानिय लोग हैं, बढ़िया लोग हैं, उन्होंने कुछ तो ठीक काम करी रखे हैं,
00:42:13तो हम ऐसा नहीं कि उनका सम्मान चीनना चाहते हैं, नहीं होगा, आप अपनी जगह अच्छे आदमी हैं,
00:42:24पर यहां गीता की बात हो रही है भाई, हवा आने दे, साइड चल,
00:42:28हारी समस्या तब खड़ी हो जाती है, जब समाज सम्मत जो आपका आदर्श होता है,
00:42:45वो आपको लगने लग जाता है कि बहुत उची चीज है, आपको नहीं दिखाई देता है,
00:42:50कि वो जो आपकी टुची शारियरिक कामना है, उसी का सबसे बड़ा रूप है,
00:42:58कोई अभिनेता है, कोई खिलाडी है, उसके पैसा नहीं हो, आप उसके प्रिसंसक बनोगे, क्या, बुलो,
00:43:09कईयों का तो बाजार भाव बस इसलिए गिर जाता है, क्योंकि उन्होंने शादी कर ली पती या पत्नी खुबसूरत नहीं था,
00:43:14और कईयों का बाजार भाव खासकर इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि वो चुन के किसी बहुत खुबसूरत इंसान से शादी कर लेते हैं,
00:43:21उन्हें पता है, कि लोग इसी बात की कदर करेंगे, कि ये देखो बंदा सफल भी है, और क्या बढ़ियां इसने लड़की पकड़ी ये शादी करने के लिए, तो जो पहले पांस करोड का इंडॉर्समेंट होता था, वो सीथे दस करोड का हो जाएगा,
00:43:35और यही वज़या है कि जब अभिनेतरियां शादी कर लेती हैं, तो उनको फिल्में मिलनी बंदो जाती हैं, क्योंकि अब आपकी कामनाओं और आपके सपनों में वो नहीं आ सकती,
00:43:50आपकी कामना में आएगी, आप बिलकुल उसकी और बढ़ोगे, उसको बिलकुल छू रहे हो, बस तरवस्त उतारने के तयारी है, और तो कुछ करना नहीं होता है, और तभी पीछे से लट पड़ा, मुड़ के देखा, तो पतिदेव खड़े हैं उसके, सब कामना बिलकुल
00:44:20उन्हें पता है कि अब यह हमारी और वैसे भी अभीने देखने तो आते नहीं थे, जिस गरज से आते थे, वो गरज अब इनके सपनों में पूरी हो नहीं सकती, और उन्हें को यह भी हो सकता है कि आप उनको अपना आदर्श मालने, छोटी छोटी बच्चेयां होती है, वो
00:44:50पूछिए किसी ऐसे साल में, जिस साल भारत से कोई Miss World, Miss Universe हो गई हो, उसे पूछिए अपना role model बता हो, तुरंत उसी का नाम बता देगी, तुरंत बता देगी, अब उसको यह नहीं दिख रहा कि वो जिसको मैं अपना role model बना रही हूं, वो कुछ भी नहीं है, वो मेरी ही श
00:45:20पता भी नहीं चलेगा, वो सच मुछ कहेगी, कुछ नाम बता दो उसका, जैसे हो गई है, शुची मैम, शुची मैम, I'm a big fan, I admire her, कौन सी महालक्षमी, महादुर्गा, महासरसुती, शुची देवी, यह होता है कि नहीं होता है, वैसे ही लड़कों के कमरों में जाओ,
00:45:48तो वहाँ पे मेसी, रोनाल्डो, कोहली, पोस्टर लगे हुए हैं बड़े-बड़े, यह काम समाज ने करा है, ताकि उच्चतम के इस्थान पर आप सत्य की जगह, किसी कामना कृत आदर्श को बैठा दो, अब बैठ के आदर्श, असबसे अभागे मैं इसलिए कहता हूँ
00:46:18जिन लोगों को आज तक आपने आदर्श मान रखा था, आप उन्हें बेज़द करने को तयार नहीं हो तो, बेज़द माने यह नहीं कि चौरहे पे लट मार रहे हो, बेज़द माने कम से कम भीतरी तोर पर तुमने उनको जो इज़द दे रखी है, वो तो हटा लो, बहुत
00:46:48हो गए है, वहाँ ते खड़े होके बोल रहे हैं, यस सर, इज़द उनके बिल्कुल कलेजे के भीतर तक घुस गई है, यह कृष्ण को क्या इज़द देंगे, यह मंत्री जी की इतनी इज़द करते हैं, यह मंत्री जी 500 किलिमेटर दूर से भी फोन कर रहे हैं, तो यह कृर
00:47:18और कृष्ण के पास फोन भी नहीं है, बात हो रही है कि भीतर जो दहशत जमी रहती है, वो हटनी चाहिए, और भीतर जो एडूलेशन रहता है, जो बिलकुल दंडवत हो जाने का भाव रहता है, मैं तो फैन हूँ, मैं तो प्रशंसक हूँ, वो हट जाना चाहिए, छाती �
00:47:48क्यों कि वो बहुत अमीर आदमी है, यह हटना चाहिए, मैं फिर बता रहा हूँ, यह सब आदर्श आपकी ही कामना के रूप हैं,
00:48:12उसी कामना के एक रूप को समाज वर्जित कर देता है, और उसी कामना के एक रूप को समाज अनुमोदित कर देता है, अधिदिश्ट कर देता है,
00:48:27वही चीज है जिसको इतना गंदा बोल जाता है कि छिच्छी तुमने वो कामना अगर जाकर के किसी के सामने बोल भी दी,
00:48:42वही कामना जिसके कारण आपके मुँपे थुक दिया जाएगा, वही कामना जब आदर्श की रूप में आती है, तो बिलकुल उस्तुति योग्य हो जाती है, पूज्य हो जाती है, है वही कामना,
00:48:58अध्यात्म दोनों काम करता है, जिन कामनाओं को आपने दफन कर दिया है, कहता है अपने भीतर जाको उनसे बात करो,
00:49:23बात करो,
00:49:28तो एम के साथ स्वस्त संबंध बनाओ, सबसे पहले तो, खुद के ही दो टुकडे करकर जी नहीं पाओगे,
00:49:35और खुद से बात करने करती नहीं कि जो कामनाओं तुमने दफन कर रखी है, तुम्हें उनको पूरा करना है,
00:49:43तुम्हें उनको कम से कम मानना है कि वो हैं, अखनॉलेज करना है, उन्हें अभी सुख्रत ही देनी है,
00:49:48पहली बात तो यह कि जिसको दबा रखा है उस पर रोशनी डालो डरो मत पाखंडी मत बनो क्योंकि वो मौझूद तो रहेंगी बस तो मानोगे नहीं तो हिपुक्रिसी करोगे वही पाखंड है
00:50:00तो जो बातें आम आदमी स्विकार भी नहीं करेगा कि उसकी जंदकी में है आध्यात्मे का आदमी मान लेता है कि हैं प dowud इस मेरे जोंसारीगहष्ट जुनूग यह कहता है अध्यात्मे लोग तो छिचछी गंदे होते हैं
00:50:21वो कैसी कैसी बाते करते हैं गंदी-गंदी
00:50:25वैसे ही जैसे वेदों के नजाने कितने मंत्रों को हम दबा के छुपा के रखना जाते हैं
00:50:35क्योंकि वो सामने आते हैं तो बहुत सारे हैं जो कहते हैं अरे वेदों में ऐसी गंदी-गंदी बाते लिखी हैं
00:50:41औरे भाई उनकों क्यामनाई हैं, वो अपनी कामनाओं का वलोकन कर रहे हैं
00:50:42उन्होंने बता दिया हारे ये कामनाओं है, ये तुनकी मांदारी का सबुत है
00:50:48तुम पाखंडी हो, तुम अपनी कामनाओं दवा चुपा के रखते हूँ
00:50:52है तुम्में भी वही सब कुछ
00:50:54पर तुम्हारी इतनी हिम्मत भी नहीं
00:50:56और तुम्हारा इतना आत्मग्यान भी नहीं
00:50:59कि तुम अपनी कामनाओं को सामने रख सको
00:51:00तो अध्यात में सबसे पहले
00:51:03तो आपके भीतर जो चल रहा है
00:51:05बे खौफ उसका सामना करा जाता है
00:51:07जो गिरा हुआ है उसको अपना हाथ दिया जाता है
00:51:15हमने उसको अचूत बना रखा होता है न वो इतनी गंदी चीज़े हैं हम उसको छू कैसे सकते है
00:51:18जिसको गिरा रखा उसको हाथ देते है और जिसको चड़ा रखा उसको लाथ देते है
00:51:27जिसको चड़ा रखा है आधर्शों को उनको लाथ दी जाती है
00:51:42और लाथ उनको नहीं दोगे तो फिर ये होगा कि जैसे हमारे देश में होता है
00:51:46राजनिताओं के मंदिर बन जाते हैं, अभिनिताओं के मंदिर बन जाते हैं, पूझी पतियों के भी मंदिर बन जाते हैं, यह मतलब समझे रहो कौन सी दो चीज़ों को एक कर दिया गया है, मंदिर किसका होना चाहिए, उश्रे है, उसका मंदिर होना चाहिए न, और तुमने
00:52:16जागर के बैठ जाएं कि यह नेता जी हैं यही महान हैं यही संत हैं यही अवतार हैं यही तो देवता हैं
00:52:28कि अध्यात्में का अदमी किसी को आदर्श नहीं मनता है
00:52:35कोई नहीं
00:52:42कि हमारे नहीं पचास बाप है
00:52:43हम पचास जनों को सर पे चढ़ा के नहीं रखते हम अपमान करने भी नहीं निकले हैं
00:53:01कि नारे बाजी कर रहे हैं और गाली गलोज उस अब भी नहीं कर रहे हैं पर हम मुक्त हैं हम डरे दबे नहीं है किसी से हमारे सर पे कोई नहीं चढ़ा हुआ है
00:53:10हम ऐसे नहीं है कि सामने रिक्षा वाला आ गया तो उसको तो
00:53:16उसका नाम राजेश है तो कह रहे हैं नाम भी नहीं ले रहे हैं उसका
00:53:22अभी बहुत लोग ऐसी बुलाते हैं श्रमिक वर्ग होता है उसका नाम भी नहीं लेते हैं कैसे बुलाते हैं
00:53:32जैसे वो धावे पे अफराध करते हुए जो बाल मजदूर होते हैं उनको क्या बोलते हैं चवन्नी छोटू
00:53:48आप कहां काम चल रहा हो मजदूर लगे हो मुश्किल लगे आपको उनके नाम पताऊंगे
00:53:54क्योंकि आप समाज के गुलाम हैं नहीं पताऊंगे
00:54:02बिल्कुल उसी उम्र का कोई इजद्दार आदमी हो तो आप उसका फिर नाम ही नहीं लेंगे जी करके बात करेंगे
00:54:09शुभंजी गुपता जी मिश्रा जी कैसे जी कैसे हो गई ये जी कैसे हो गई जी बताओ जी जी कैसे हो गई जी कैसे हो गई जी क्यों लगा रहे उसके नाम के साथ
00:54:23और वो अगर जी है मुझे कोई अतराज नहीं है वो अगर जी है तो मजदूर क्यों जी नहीं है
00:54:27क्योंकि तुमने आदर्श बना रखा है ना वो बाहर जाकर के प्रसिद्ध हो गया है इधर उधर अपना
00:54:33हो सकता है वो उस तरह का ही सिंगर हो
00:54:36जो कि ड्रग्स के और फिरारी के आपको पॉप सुनाते हैं
00:54:46पर ये सब करके प्रसिद्ध जाना और असान होता है
00:54:50तो वो आपके सामने आगा तो आप कहेंगे जी जी और दूसरा को या करेंगा ये बताता है
00:54:59कि समाजिक गुलामी कितनी गहरी है कि मन कितना ज्यादा कॉलोनाइजड है समाज के दौरा
00:55:06पुली अगर नहीं समाज उन्हीं को आदर्श मानता है जो समाज के नौकर हो
00:55:15अध्यात्मिक आदमी तो समाज को तोड़ ताड़ देता है विद्ध्वनसयक होता है समाज उसे आदर्श नहीं मानने वाला
00:55:23यहां से एक बड़ा रोचक प्रश्न खड़ा होने वाला है वैसे
00:55:25अध्यात्मिक आदमी को समाज आदर्श कभी नहीं मान सकता
00:55:30समाज आदर्श उसको ही मानेगा जो समाज के धांचे को बरकरार रखने में
00:55:34और पुखता करने में मदद करे वो समाज का आदर्श होगा
00:55:38उसी को पदक मिलेंगे उसी को इज़त मिलेगी
00:55:42उन्हीं को बुला बुला के कहा जाएगा आप ऐसे हैं आप इतने बढ़िया हैं आप ऐसे
00:55:46जो वास्तविक अध्यात में का आदमी होता है उसको समाज आसानी से इज़त नहीं देता
00:55:52प्रश्णी उठता है तो फिर हम रामों कृष्णों और इतने सारे संथ हैं आम इनको इज़त क्यों देते हैं बहुत रोचक प्रश्ण है
00:55:59आप जिसको इज़द दे रहे हो एक छवी है
00:56:04आम आदमी जिस कृष्ण को इज़द दे रहा है
00:56:06वो कृष्ण की एक समाज स्विक्रत छवी है
00:56:10वास्तवे कृष्ण को इज़द देना आम आदमी के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा
00:56:13वास्तविक कृष्ण तो घुसेंगे तो आपका घर, कुनबा, खांदान सब थर थराने लगेगा
00:56:20कैसे इज़त दे लोगे
00:56:25तो आप कृष्ण को इज़त नहीं देते हो
00:56:27आप अपनी कामना जिसको आपने कृष्ण का नाम बस दे दिया आप उसको इज़त देते हो
00:56:32वास्तविक कृष्ण कभी आपके आदर्श नहीं हो सकते
00:56:34बात आरही है समझ में
00:56:39अब कृष्ण से सम्मंध हित जितने तरीके की धारणाएं और अंद विश्वास और माननेताएं चलती रहती हो
00:56:46प्रथाएं चलती हैं समझ में आ रही है न
00:56:47इतनी हम में हिम्मत नहीं कि हम साफ साफ बोल दें कि असली कृष्ण से हमें बैर है
00:56:54यह हम बोल नहीं पाएंगे उसके लिए भी कलेजा चाहिए
00:56:56तो हम यह नहीं बोलते कि हमें असली कृष्ण से बैर है
00:56:59हम असली क्रिश्ण के सामने एक नकली क्रिश्ण खड़ा कर देते हैं और उस नकली क्रिश्ण को आदर्श बना लेते हैं और कहते हैं देखा हम भी तो क्रिश्ण के भक्त हैं तुम क्रिश्ण के नहीं भक्त हो तुम अपने द्वारा निर्मित एक नकली क्रिश्ण के भक्त हो
00:57:29कौरवों और दुरियोधन और करण और कंस से थोड़े ही होगा उन्हें खत्रा आधिकांचिता क्रिष्ण भक्तों से होगा
00:57:37वो कृष्ण भक्त गहेंगे ये कृष्ण होई नहीं सकता क्योंकि ये हमारी छवियों हमारी कलपनाओं हमारे आधर्शों वाला कृष्ण तो लगी नहीं रहा ये तो कुछ और ही है ये तो कृष्ण होई नहीं सकता इसको मार दो
00:57:56बात समझ में आ रही है
00:57:57जब मुक्ति की बात आती है ना तो उसमें आधर्शों से मुक्ति बहुत बड़ी बात है
00:58:05अपने आप
00:58:10को पकड़ियेगा परक्षियेगा
00:58:14सत्ताधारियों के आगे कहीं दिल की धड़कन तो नहीं बढ़ जाती है आपकी
00:58:18पैसे और रुतबे वालों के आगे कहीं सर तो नहीं जुक जाता आपका
00:58:24पकड़ियेगा यह बात यहाँ पर बस दावा करने की नहीं है कि आप बोल देने नहीं बिलकुल नहीं
00:58:28किसी ऐसे के सामने जब पड़ें आप तो अपनी हालत जो होती है उस पर गौर करियेगा
00:58:33या एक वैचारिक प्रयोग कर लिजे थौट एक्सवरिमेंट कोई बहुत बड़ा नेता अभी पीछे दर्वाजा खोले और यहाँ प्रवेश कर जाए
00:58:46कहीं आप भीतर से काप तो नहीं जाएंगे कहीं आप अपनी कुरसियों पर खड़े तो नहीं हो जाएंगे
00:58:49बड़ा नेता बड़े से बड़ा नेता प्रवेश कर राय कर लिजे कलपना
00:58:54और अगर आप खड़े हो जाएंगे तो अभी आप कृष्ण के योग्ये हुए नहीं है
00:59:01बात यहाँ कृष्ण की हो रही है और आगया है कोई नेता होगा बड़ा
00:59:06और उसके लिए आप खड़े हो गए तो कृष्ण के तो योग्ये नहीं है आप
00:59:16बहुत होते हैं ऐसे उन्हें पता भी नहीं होता
00:59:22उनकी लाट पक जाती है उन्हें पता भी नहीं होता चापलूसी का उनका केंदर कप सक्रे हो जाता है
00:59:32उन्हें पता भी नहीं होता कि वो व्यवहारिकता प्रेक्टिकैलिटी के नाम पर तलवे चाटना कब शुरू कर देते हैं
00:59:41वो कहते हैं यह मैं तलवे थोड़ी चाट रहा हूँ, यह तो मैं साधारन इज़त दे रहा हूँ, व्यवहारिक बात है, समाज का इज़तदार आदमी है, तो common courtesy है, common courtesy है, सच मुछ,
00:59:51सच मुछ common courtesy है, इमांदारी से बोलो,
00:59:57यह रूहुकाब गई है तुम्हारी, जैसे उन्होंने कहा था, कि रूहानी सुकून तो मुझे बर्मन साहब के गानों में मिलता है, यह अश्टावकर और गैरा मैं नहीं जानता,
01:00:07इसमें बर्मन साहब का अपमान नहीं कर रहा हूँ, बस यह कह रहा हूँ, कि सबकी अपनी जगा होती है, जिसकी जो जगा है वो ठीक से जान लो,
01:00:22और एक बार तुमने किसी कबीर के साथ साहब जोड़ दिया, तो अब बहुत सोच समझ के किसी को साहब बोलना, जबान से आसानी से साहब नहीं निकलना चाहिए,
01:00:38आएम की बात है, नजाने किस चीज में था, कहीं पर कोई application या proposal देना था, जिनको देना था, शायद हमदबाद electricity corporation का था, project था, as students, जिनको देना था, उनका पूरा पता लिख दिया, पूरा पता लिख दिया, और फिर सीधे आगे, जो letter का description था, मैंने वो शुरू कर दिया,
01:01:08लिखा ही नहीं, कि dear Mr. Tenden, तो हो गया काम, बात अटकी नहीं, लेकिन फिर किसी ने पूछ लिया, बोले वो क्यों नहीं लिखा, मैंने कि dear मैं आसानी से किसी को लिख नहीं सकता, अगर आसानी से मैं सब को dear लिखने लगोंगो ना, तो जो सचमुछ dear है, उनका आपमान हो ज
01:01:38कैसे मैं किसी को भी लिख दूँ, dear, कैसे, हाँ मैं अपमान भी नहीं कर रहा, जिससे बात कर रहा हूँ, तो जो उनका समाजिक उहदा है, वो मैंने लिख करके उनको संबोधित कर दिया है,
01:02:00तो दा कमिशनर है, से ऐसे करके अपना लिख दिया है, ठीक है, पर dear में मुझे अरचन आ जाती है, इसी तरीके से वो जो शब्द होता है, लव, वो सबके लिए नहीं होता, प्रेम तो मातर किस से करा जा सकता है, प्रेम तो उन्हीं से करा जा सकता है,
01:02:30प्रेम का हखदार तो एक ही होता है, अब यहाँ तुम हर किसी को I love you बोल रहे हो,
01:02:40कोई है, किसी किसम का उन्यकल रहा है, पीछे से चिला रहे हो, love you, love you,
01:02:48तुमने प्रेम का भी अपमान कर दिया, और जो सच मुछ प्रेम का हखदार है, उसका भी,
01:02:52कुछ पाते सब के लिए नहीं होते हैं,
01:02:56और जब सब के लिए होती हैं, तो फिर वो किसी के लिए नहीं हैं,
01:03:08साहब अब उसी को बोलो, जो कृष्णों कभीरों के तलका हो, वहीं साहब है, और नहीं कोई साहब है,
01:03:24बाकि ठीक है, श्रीमान बढ़ियां हैं,
01:03:33मिस्टर शुकला, ठीक, महुद है, ठीक,
01:03:38कलभाव तो को जंजट आने वाली है, ओफिस में,
01:03:48पूरा दिनी सासा हब हब, सासा हब हब करते बीचता है,
01:03:52करेंगे क्या, नि कोई दिक्कत नहीं, आप करो जो कर रहे हो, मैं तो ऐसे ही बकता रहता हूँ,
01:03:58आप रुक वैसे भी नहीं पाओगे,
01:03:59तो आदर्श किसको बनाएं, क्या किसी की ओर भी नहीं देखें,
01:04:05क्या निगात रस्ती रहेगी, क्या कोई भी अनुकरणी यह नहीं है,
01:04:10वो है जो श्रेय तक ले जाता हो, जो स्वयम श्रेय बनके न बैठ जाता हो,
01:04:14आदर्श पहले तो बनाने की कोई जरूरत नहीं है,
01:04:24और किसी को अगर आदर्श मानना भी है, तो उसको मानो, जिसका रिष्टा श्रेय से हो,
01:04:30जो एक तरफ से श्रेय से जुड़ा हुआ हो, और एक तरफ से तुम से, बस वही हो सकता है,
01:04:34पश्ट हो रही यह बाती है, तो हमने कहा कि प्रेय जहासा देता है,
01:04:51श्रेय बनके, और जब वो श्रेय बनता है, तो अपना क्या नाम बताता है, आदर्श, मैं तो आदर्श हूँ,
01:04:59मेरे पीछे पीछे चलो, तो यह तो हो गई पूरी प्रेय की कहानी, अब श्रेय क्या है, श्रेय क्या है,
01:05:17तुम प्रेय को जान लो, इसी में श्रेय ता है, श्रेय कहीं नहीं मिलेगा, ऐसे ढूंडने निकल जाओगे तो,
01:05:32गुफा के अंदर, जमीन के नीचे, पेड़ के उपर, नदी के अंदर, कहीं नहीं मिलने वाला,
01:05:38अब वो जो शायरिय हम बोलते हैं, दिल के अंदर मिलेगा, दिल के अंदर, वहाँ भी नहीं मिलने वाला,
01:05:51वो जिसको हम पूरे जहान में ढून रहे थे, वो मिला तो कहां मिला, हमें दिल के अंदर मिला,
01:05:57यह सस्ती शायरी है इससे बचके रहो
01:06:00यह वही है बिल्कुल
01:06:02कि तुमने किसी शायर हो गयरा को आदर्श बना कर उसको किस जगह बैठा दिया
01:06:06यह जो सस्ती शायरी है यह श्लोकों के समतुल्ले है
01:06:10तो क्रिष्नका श्लोक हो
01:06:13या इस तरह की रूहानी शाइरी हो
01:06:15एक ही तो बात है
01:06:16एक ही बात नहीं है
01:06:19शाइरी हो थीक है
01:06:21मनुरंजन के लिए ठीक है
01:06:23विकेंड पर
01:06:29अब शाइरी अच्छी लगती है
01:06:31बढ़िया है
01:06:32बड़ा महाल जमता है
01:06:34बोतल खुली
01:06:38उदर बटन दबा
01:06:40चार यार बैठे
01:06:42अब गम गलत करने लगे
01:06:44शायरी वायरी ठीक है उसके लिए
01:06:46और उसको तुम शलोकों के बगल में मत बैठा देना
01:06:49और साहब साहब करना मत शुरू कर देना
01:06:52कहां से कामना आ रही है
01:07:08और कैसे कैसे रूप ले लेती है कामना ही
01:07:11ये जानना ही श्रेयता है
01:07:16वो कामना ही है
01:07:20जो सन्यास और त्याग का भी रूप ले लेती है
01:07:24तो कृष्ण इसलिए बोलते है कि कर्म सन्यास काम नहीं आएगा बिना आत्म ग्यान के
01:07:28बिना आत्म ग्यान के अगर सन्यास भी ले रहे हो तो कामना का ही रूप है
01:07:34सब कामना के रूप हैं और ये सारे रूप जो अपने आपको प्रस्तुत करते हैं
01:07:46बड़े बड़ी पवित्रता के दंभ के साथ
01:07:53इनकी ही पोल खुलना अध्यात्म है
01:07:56शर्लोक होमस
01:08:01इनक्वाइरी इन्वेस्टिगेशन अब ये जो शब्द हैं ये या तो चलते हैं
01:08:14जासुसी में या चलते हैं अध्यात्म में या फिर विज्ञान
01:08:23जासुसी आलाई काम है कि चल क्या रहा है
01:08:25बस वो पता करते थे कि बाहर क्या चल रहा है अध्यात्म में पता करा जाता है कि अंदर क्यात्म काम जासुसी कहीं है
01:08:40क्योंकि है कोई जो छुपना चाहरा है है कोई जो अलग-अलग मुखोटे पहन कर आपको जहासा देना चाहरा है
01:08:46है कोई चोर जो आदर्श बनकर सामने खड़ा होना चाहरा है कि मैं चोर का हूँ मैं तो आदर्श हूँ
01:08:52मुझे मालाएं पहना ओ और आप मालाएं पहना भी रहो आत्मज्यानी के बराबर किसी को खड़ा मत कर देना
01:09:02कि मैं विज्ञान के सामने बहुत जुखता हूं विज्ञानिकों का बड़ा प्रशंसक हूं और कोई विज्ञान विरुध बात करे
01:09:13एक दम लताड़ देता हूं लेकिन एक बार बैठे हुए थे नोईडा वाले बोटस्थल की बात है तो वहाँ पर रवण महर्शी की बात हो रही थी तो किसी ने कहा कि हां श्रॉड इंजर और आइंस्टीन इनकी बात मैंने का थमजाओ वो सब दुएतवादी थे
01:09:31विज्ञान मूलता दुएतवादी होता है तो अब्जर्वड एंड ऑब्जर्वर विज्ञान इस दुएत को कभी नहीं काट पाता मैं साइंटिस्ट हूं और यह सब मेरा प्रयोक चल रहा है यह मेरे अब्जर्वेशन मेरे प्रयोक शाला है
01:09:50का तुम रमण महरशी के बगल में आइंस्टीन को भी नहीं रख सकते भाई उनका मू उतर गया बोले आइंस्टीन तुम जाओ मंदिर बनवाओ
01:10:01मैं नहीं आउंगा और इसका मतलब यह नहीं कि आप मान कर रहा हूं
01:10:06जितना सम्मान मैं आइंस्टीन का करता हूँगा उतने बहुत कम लोग करते हैं
01:10:13बहुत सम्मान करता हूँ पर हर चीज़ की अपनी एक जगा है
01:10:15एपसलीट माने फिर एपसलीट होता है उसके साथ किसी की तुलना नहीं होती
01:10:23आर यह बात समझ मैं
01:10:29एक चीज और होती है जिन कामनाओं को आदर्श बना दिया जाए उन कामनाओं को छोड़ने का आप कोई कारण
01:10:39नहीं बचता क्योंकि ओटो आदर्श है आइडीयल है उसे क्यों छोड़ने क्यों छोड़ने की कोई वजह हैं
01:10:47तो फिर सब तरह की आदर्श वादिता से कट्टरता का जन्म होता है
01:10:52ये जो आपको प्रिंसिपल्स और दिये जाते हैं सिध्धान्त
01:11:00इनहीं पर जो लोग बड़ी गंभीता से बड़ी दूर तक चले जाते हैं
01:11:06वही कट्टरवादी हो जाते हैं
01:11:09सत्य पर चलकर कोई कट्टर नहीं हो सकता
01:11:16कट्टर होने का मतलब ही है कि कोई सिध्धान्त पकड़ लिया है
01:11:20खुद कई बनाया हुआ समाज का बनाया हुआ
01:11:22और अब लगे हुए हैं उसी सिध्धान्त की खातिर दुनिया का गला काटने में
01:11:27काटना पड़ेगा गला क्योंकि अगर मैं सिध्धान्त बना सकता हूं तो दूसरा ही बना सकता है और उसका और मेरा सिध्धान्त एक तो चलेगा नहीं मेरा सिध्धान्त मेरी कहानी है उसका सिध्धान्त उसकी कहानी है दो कहानिया एक होंगी नहीं तो आपस में लड़ो फि
01:11:57जिन चीजों की और दुनिया हस्रत भरी निगाहों से देखती है उन्हीं चीजों को देखकर आपकी भी टांगे कापने लगती है तो भूल जाओ गीता वगेरा
01:12:27थाओने लगता वो डांगे कापना की कि भी एक उशना की

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