00:00कॉल आया एक महिला का उन्हें बोला कि मैं फिमेल क्रिकेट देख रही थी मेरी सास ने मुझे बोला क्या कर रही है बंद कर रोटी बना लड़कियां है उनको कई बार घरों से ही बोला जाता है जिम जाओगी तो शरीर कोमल नहीं रह जाएगा कंधे चोड़े हो जाएंगे त
00:30तिकावर है थी थी बात यह नहीं है कि स्तरी पराया धन है कि अपना धन है वो धन क्यों है किसी का धन नहीं है वो यह भी जानना चाहते हैं कि हम कैसे पहचाने की सामने वाला हमसे प्रेम करता है प्रेम तो ऐसी चीज़ होती है कि मैं दूंगा प्रेम मांगा थोड़ी जात
01:00वीडियोस देखी है कि जो treatment है हमारे समाज में जो equality है आप ने उसके उपर बात की है तो जब हम females के लिए बोलते हैं कि इसके तो शादी हो जाएगी तो पराया धन है यह जो पराया धन चीज है यह कहां से आई और हम इसको क्यों बोलते है कि वो पराया धन है इसमें इतना ब�
01:30धन माने वो चीज जो जड़ होती है अब ये धन है धन माने जिसकी अपनी कोई चेतना नहीं धन माने जो सदा किसी और के स्वामित्तों में रहेगा वो धन है धन कभी बोल नहीं सकता कि मैं अपने हिसाब से खर्च होंगा धन ऐसा बोल सकता है धन माने वो जो किसी की प्रॉ�
02:00पराया धन है कि अपना धन है वो धन क्यों है किसी का धन नहीं है वो वह एक सवतंतर चेतना है मनुश्य है
02:06तो आज अगर हम उलम्पिक की बात करें और हम जब पिछले कहीं सारे आंकडों पर नजर डालते हैं
02:17कहीं बार हम ये भी देखते हैं कि बात होती है कि महिलाएं पुर्षों का कंपेरिजन चलता रहता है
02:22बट ये जो मैडल्स हैं जब हम इन्हें देखते हैं तो USA में अगर मैं USA ही खास बात करूँ
02:28तो सबसे ज़्यादा जो मैडल हैं महिलाएं ही लेकर आती हैं पिछले इतने सारे वर्षों में
02:33लेकिन हमारे हिंदुस्तान में वो मैडल्स की संख्या महिलाओं की तरफ से इतनी कम क्यूं रही है पिछले इतने वर्षों में
02:41अब बढ़ने लगें अब बढ़ी है इसमें दो मैडल लेकर आएंगें अभी तीन मेंसे दो मैं तो महिला का ही योगदान है
02:48क्यों कम रही है क्योंकि हमने महिला को कभी ये क्षेतर दिया ही नहीं कि योग खेल भी सकती है
02:58ओलम्पिक्स में क्या होता है वो तो बहुत दूर की बात है हमारे गली महलों में क्या होता है बहुत पास की बात है
03:04जब हमारे घरों में और गलियों में और महलों में स्कूलों में हिं लड़कीयां कھیल नहीं रही हैं, तो अलंबिक्स में कहां पहुच जाएंगी
03:12ये बात बहुत दूर की है कि भारत की महिलाओं का प्रते निदित तो संसद में इतना कम क्यों है, बोर्ड रूम्स में इतना कम क्यों है, एकनॉमी में इतना कम क्यों है, सेलरीज क्यों कम होती है, ये बाते तो मैंसे लगता है कहीं और की है, अरे वहाँ नाइंसाफी हो रही ह
03:42लड़कियों को हम
03:44उनके को करिकुलर्स विक्सित करने के लिए
03:46कितना प्रेरिद करते हैं
03:49उनका तो
03:50जो पूरा योगदान है वो ये माना जाता है
03:52कि जा करके घर सवारो
03:54और वन्शुवृद्धी में अपना योगदान दे दो
03:57उनकी अपनी
03:58कोई असमिता है
03:59कि वो महिलाबाद में है
04:02मनुष्य पहले है
04:03ये बाद तो जैसे हमारे भीतर
04:06हमारी संस्कृत में आती ही नहीं है
04:08इसका एक एक एक्जांपल भी मैं देना चाहूंगा
04:12मैंने मेरे रेडियो शो में भी पूछा था कि
04:14जो महिला क्रिकेट है उसको देखने के लिए
04:16इतनी भीड़े खटी क्यों नहीं होती
04:18तो मेरे पास तर एक कॉल आया
04:20एक महिला का उन्होंने बोला कि
04:22मैं फीमेल क्रिकेट देख रही थी
04:25मेरी सास ने मुझे बोला
04:27क्या कर रही है
04:28बंद कर रोटी बना
04:30तो मुझे वहाँ से ये चीज एहसास हुई
04:33आपकी बात से मुझे याद आ गया
04:34कि घर में ही सपोर्ट नहीं मिलता है
04:37तो इतनी बड़े लिवल पर कैचे मिलेगा
04:39बल के जितने काम होते हैं
04:40खेल माने
04:41बल का करमठता का
04:44पौरुश का जीवट का साहस का प्रदर्शन
04:47हम घबराते हैं महिला आगर
04:51बल का पौरुश का जीवट का साहस का
04:53प्रदर्शन कर दे तो
04:54हम कहते हैं ये तो बिलकुल एकदम
04:57अब ठा जाएगी पता नहीं क्या करेगी
04:59अब लड़कियां है
05:03उनको कई बार घरों से ही बोला जाता है
05:05जिम जाओगी
05:06तो शरीर कोमल नहीं रह जाएगा
05:08कंधे चोड़े हो जाएगे तो है पसंद कौन करेगा
05:11क्योंकि पुरुशों को भी लड़की ऐसी चाहिए
05:14जो कोमलांगिनी हो
05:16ताकि उस पर नियंत्रन रखा जा सके
05:20अगर वो आपके ही
05:22समकक्ष बलशाली हो गई
05:24तो उसकी नाक में नकेड डालगे
05:26कैसे रखोगे
05:27और स्पोर्ट्स
05:29और स्पोर्ट्स का तो काम होता है
05:31कि आपके भीतर न सिर्फ शारीरिक
05:33बलकि मानसिक बल भी विक्सित करे
05:36स्पोर्ट्स का काम होता है
05:37कि आपको सिखाए कि हारती हुई हालत में
05:39भी जीता कैसे जाता है
05:41अगर महिला ये सब अगर सीख गई
05:43तो हमारे घरों में बड़ी समस्य हो जाएगी
05:46तो इसलिए हम महिलाओं को
05:48प्रेरित ही नहीं करते कि खेलने जाओ
05:49खेलने जाती भी है तुम कहते हैं लड़कियां
05:52खेल रही है ये सब कौन देखे क्या करें
05:54हाँ एक खेल होता है महिलाओं का
05:56जो पुरुश बहुत चाओ से देखते हैं
05:58वो है स्विमिंग
05:58तर आप से इतनी देर से
06:04मैं बात कर रहा हूं बट जब आपका
06:05बैक्राउंड जाना तो
06:07इंग्लिश बैक्राउंड रहा है आपका
06:10लेकिन आपकी जितनी भी वीडियोज है
06:12जितनी भी समवाद मैंने देखे हैं
06:14वो हिंदी में देखे हैं
06:16ये हिंदी को आप प्रुमोट कर रहे हैं
06:18या फिर आपको लगता है कि हिंदी में भावना है
06:20जाद अच्छी व्यक्त होती हैं
06:21नहीं मैं अंग्रेजी में भी बोलता हूँ
06:23आप हमारे अंग्रेजी चैनल पर जाएंगे
06:24तो वहाँ भी दो-तीन हजार वीडियो मिलेंगे
06:26बट ऐसे मंचुपे जातर मैंने हिंदी में
06:30मैं हिंदी में इसलिए बोलता हूँ
06:31क्योंकि मुझे सब तक पहुचना है भाई
06:34मैं अंग्रेजी में बोल सकता हूँ
06:36अभी यहाँ पर हम बात कर लेते
06:38बहुत बार करीब ही है
06:39पर इमांदारी से बताईए कि
06:41अभी अगर मैं जो बोल रहा हूँ
06:43इसको विशुद अंग्रेजी में बोलना शुरू कर दूँ
06:44तो क्या बात उतनी ही सुग्राय रह जाएगी
06:47जितनी अभी है
06:48अभी हम अपनी मिट्टी अपनी जमीन की भाशा में बात कर रहे हैं
06:51बात हम आसानी से ग्रहन कर पाते हैं
06:53यही बात अंग्रेजी में होगी तो नहीं पहुचेगी
06:56इसके अलावा जो और बड़ी मुद्दे की बात है
07:00मुझे सबसे उंची बात को बिलकुल आखरी आदमी तक पहुचाना है
07:05क्या अध्यात्म पर उनका अधिकार नहीं है जिनको अंग्रेजी नहीं आती
07:10पहारत में आम तौर पर भास्या और आरथिक इस्थिती में, और गष्या शंबंध है
07:16मैं अगर बोलता रहा तो में गरीब होता कभी नहीं पहुच सकता तो जितने ही वन्चित
07:23जलित पिषड़े वर घेन समाज के नहीं पहूं गांगा
07:28और मेरा काम यह नहीं है कि मैं ITIM उस तरफ से आ रहा हूँ,
07:32तो बस मैं उतने ऑलिट गृُप में बात करते हु,
07:35मुझे उसी इलीट गृप में रहना होता तो मैं उही बैठा होता,
07:38मुझे वहाँ नहीं रहना है,
07:39मुझे सब तक जाना है मैं इसलिह आया हूँ,
07:41तो यहां मैं वो सब छोड़ करके आऊं और फिर भी अंग्रेजी पकड़े रहा हूं तो यह बात तो बिलकुल बेमेल हो जाएगी
07:47तो आपके वीडियो आपके विचार लोगों तक पहुच रहे हैं आपको विश्व भर से प्रेम मिल रहा है
07:54और अगर मैं प्रेम की बात करूँ तो लोग ये भी जानना चाहते हैं कि हम कैसे पहचाने की सामने वाला हम से प्रेम करता है
08:01जब तक आपको सामने वाले से प्रेम की बहुत जरूरत है आप में कोई प्रेम नहीं है प्रेम लेने या मांगने की बात नहीं होती है
08:11प्रेम मांगना एक तरह की सूक्षम हिंसा होती है
08:15प्रेम तो अपनी पूर्णता की अभिवेक्ति होता है
08:20प्रेम तो ऐसी चीज होती है कि मैं दूँगा
08:23प्रेम मांगा थोड़ी जाता है
08:26तो सामने वाला मुझसे प्रेम कर रहा है नहीं कर रहा है
08:29ये प्रशन हमें छोड़ देना चाहिए
08:31हमें ये देखना चाहिए कि
08:32हमें प्रेम है या नहीं है
08:35हम प्रेम के लायक हुए हैं
08:37कि नहीं हुए हैं
08:38प्रेम पाने के लायक नहीं
08:39प्रेम देने के लायक
08:41हम हुए हैं कि नहीं हुए हैं
08:43लेकिन हम स्वयम को कभी देखते नहीं, नजर हमारी हमेशा बहार को रहती है, तो हम किसी ऐसे को तलाशते रहते हैं, जो हमसे प्रेम करता हो, और जब हम कहते हैं, कोई मुझे मिल जाए, जो मुझे से प्यार करता हो, तो इससे हमारा आशाय क्या होता है, हमारा आशाय यही त
09:13उतनी है या शायद उससे आदा नफरत भी मिलती होगी।
09:15मैं देखना भूल गया कि लोग मुझे क्या दे रहे हैं।
09:19देख भी लेता हूँ, तो महज आंकड़ों के नाते, एक फैक्ट की तरह है।
09:24अब ही जो मैं बात बोल रहा हूँ, उसका लोगों पर असर क्या पड़ रहा है।
09:28लेकिन मैं लोगों से क्या आ रहा है मुझे को, इस बात को मैं अपने कर्तवे के रास्ते में नहीं आने देता।
09:34आप मुझे प्रेम दो या नफरत दो, मैं आपको वो दूँगा जो मेरे हिसाब से सबसे उची बात है।
09:40आप मुझे ताली दो, चाहे गाली दो, मैं आपको सची ही दूँगा। ये प्रेम होता है।
09:44क्या बात है।
09:46तब प्रेम की बार चली है तो यहां पर मैं पूछना चाहूंगा कि एक जमाना था जब बिना देखे शादी हो जाया करती थी और बुड़ा पे तक टिकाओ रहती थी
09:55आजकर लिविन में भी रहते हैं घूमते भी हैं और फिर शादी के कुछ वक्त के बाद डेवास ले लेते हैं तो यह जो डेवास की केसेज हैं यह क्यों बढ़ते जा रहा है देखे बढ़ते इसलिए जा रहे हैं अब बात तब हो सकता है आपको बहुत प्यारी न लगे पर �
10:25नहीं है कि कोई भी दो व्यक्ति का उम्र एक साथ चल सकें चाहे वो दो बच्चे हो चाहे दो पुरुषों दो इस्त्रियां हो या फिर इस्त्री और पुरुषों तो ऐसा कोई प्रकृति में न बंधन है न विवस्था है कि दो लोगों को साथ हमेशा चल नहीं है पहले च
10:55कहेंगे कि बहुत प्यार की बात है तो क्यों बढ़ने लगा है क्योंकि अब लोगों को हक आ गया है कि वो अलग हो सकते हैं और लोगों को अर्धिकार रहेगा कि वो अलग हो सकते हैं तो अलग होंगे मैं बिलकुल मानता हूं और अच्छी तरह मैंने देखा भी है कि जब मा�
11:25उन परिवारों में भी पड़ता है, जहां माबाब में दिनरात की कलह रहती है, और जहां दो ऐसे व्यक्ति, एक पुरुष साथ रह रहे होते हैं, जिन में आपस में कोई संगती हो इनी सकती, लेकिन ये तो उनों जबरदस्ती एक दूसरे के साथ हैं, और ऐसे परिवारों से
11:55तब आप यहां पर बैठे हुए हैं, लोग हैं, अपनी अपनी कंपनियों में, और्नाइजेशन सीरियस पदों पर होंगे, आप जो भी निरड़े लेते हैं, वो सारी फूल प्रूफ होती है, या हाइरिंग मिस्टेक्स भी होती है, आप किसी को प्रमोशन दे देते हो, आ�
12:25तो शादी के लिए भी आप जिसको चुनते हो, उसमें भी गल्ती हो सकती है, और वो गल्ती हो गई है, तो उसका सुधार करो, सुधार पहले तो ऐसे किया जाता है, कि बातचीत करी, रिष्टा बचाने की उशिश करी, वो भी सुधार का ही एक तरीका है, लेकिन अगर वो �
12:55अगर आप थोड़ा सा रिसर्च करेंगे, तो आपको पताए चलेगा कि दिमागी बीमारी का दुनिया में सबसे बड़ा कारण विवाहा है, यह जो बेमेल रिष्टे हैं, यह सिर्फ अफने की बात नहीं है, यह यथार्थ है, यह फैक्ट है, आप जाएं अगर किसी साइक
13:25करण यह कि आपको इस व्यक्ति साथ एक रहने पर विववशना पड़ रहा है, जिसके साथ आपका कोई मेल बैठी नहीं सकता.
13:34और आप लाइव में पीयर के कन्झपश्फिन बढायी जा रहें, बढायी जा रहें, बढायी जा रहें, बढायी जा रहें.