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घरवाले मेरी बात क्यों नहीं समझते? || आचार्य प्रशांत (2021)
आचार्य प्रशान्त
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2 days ago
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00:00
तुम छोटे से बच्चे हो गया कि मम्मी वापा की शिकायत दूसरे डैडी जी से करने आयो
00:07
और 26 की उमर में जिस से तुम बात कर रहे हो
00:11
वो भी अगर ऐसे ही किसी की शिकायत किसी से कर रहा होता
00:15
तो आज मैं तुम्हारे सामने बैठा होता
00:17
मैं क्यों इस बात पर ध्यान दू कि तुम्हारे मम्मी वापा
00:24
तुम्हारी रुचियों को पसंद करते हैं कि नहीं करते हैं
00:29
ये उनका मामला है वो जब शुवर में आएंगे उनसे बात कर लूँगा
00:32
तुम अपनी बता हो
00:34
तुम 26 साल के हो
00:37
तुम छोटे से बच्चे हो ऐसे शिकायत कर रहे हो खड़े हो करके
00:42
ये लाज की बात है
00:48
मम्मी आपा रोक रहे हैं मम्मी आपा रोक रहे हैं
00:54
दो साल के हो छे साल नहीं 26 साल के हैं
00:58
कैसे रोक रहे हैं
00:59
उन्हें दिखी रहा होगा कि तुम रोकने लाया को इसलिए रोक रहे हैं
01:03
एक जवान शेर को कौन रोक सकता है
01:06
तुम जवान हुए ही नहीं इसलिए तुम्हें रोक रहे हैं
01:10
मैं रोकने वालों की बात करूँ या रुकने वाले की
01:13
हाँ तो अपना बताओ ना तुम्हें कैसे कोई भी रोक लेता है
01:19
यह तुमने पूरी कहानी सुनाई यह सुनने में ही भद्दी थी
01:26
यह कहानी आठ दस बारा साल तक शुभा देती है उसके बाद नहीं
01:36
मैं नौकरी कर रहा हूँ मैं 26 साल का हूँ
01:39
मैं ध्यात्म की और बड़ रहा हूँ जो भी कुछ कर रहा हूँ
01:42
मम्मी ने मना कर दिया
01:45
असपास का जो भी मतलब
01:48
अरे तु क्यों है तुम्हारे असपास
01:51
और अगर तुम्हारे आसपास भी है तो उसकी हिम्मत कैसे पढ़ जाती है तुमसे उल्टी-पुल्टी बाते बोलने की
01:56
लोग भी न बंदा देख करके और शकल देख कर बोलते हैं
02:03
तुम शेयर की तरह रहो शेयर की तरह जीओ किसी की खुदी हिम्मत नहीं पड़ेगी तुम पर आक्षेप आपत्ती करने की
02:10
पहली शर्म तो तब ही आ जानी चाहिए जब कोई आ करके तुम्हारे मसलों में हस्तक्षेप करे
02:18
बात ये नहीं है कि उसने जो भी का वो सही है गलत बात ये कि उसने जो भी का उसने कह कैसे दिया
02:25
जरूर तुम नहीं ऐसे सिगनल दिये हैं कि मैं कमजोर आत्मी हूँ और मुझसे कोई कुछ भी कह सकता है
02:31
तुमने अपना ब्रैंड ऐसा लुचुर-पुचुर बना क्यों रखा है
02:37
और उपर से दूसरों की शिकायत कर रहे हैं
02:46
फलानों ने आके मेरे साथ बड़ी ज्यादती कर दी
02:48
उस चीज से लड़ना कैसे रख
02:54
लड़ने की जरूरत ही नहीं है
02:57
तुम्हें ऐसा हो जाना है कि किसी की हिम्मत ही नहीं पड़े तुम से यह सब बातें बोलने की
03:02
देखो बीमारी भी कमजोर आदमी पर हमला करती है
03:10
सबसे पहले यह समझो कि दूसरे तुम्में कमजोरी देख रहे हैं ना
03:16
इसलिए तुम पर चढ़ने की कोशिश कर रहे है
03:18
अगर तुम में कमजोरी देखेंगे ही नहीं
03:21
तुम पर चढ़ने की कोशिश भी नहीं करेंगे
03:23
और अगर तुम्हारी माबाप हैं
03:27
और कमजोरी देख रहे हैं तो कमजोरी होगी भी
03:29
वो बिलकुल
03:32
तुम्हारी असलियत से वाकिफ है
03:34
उन्हें दिख रहा है कि ये लड़का तो है ही कमजोर
03:36
तो इसका हाथ हुमेट सकते हैं
03:38
इसके कान भी मरोड सकते हैं
03:40
नहीं तो 26 साल के जवान
03:42
पर कौन धौस चला सकता है
03:57
देखो अध्यात्म
03:58
ऐसे ही नहीं होता कि
04:00
हलकी फलकी चीजा कोई भी कर ले
04:02
बैठके कहीं भजानी तो गाने है
04:05
उसके आद बुंदी के लड़ू खाने है
04:06
ये पंजीरी वाला ध्यात्म
04:11
किसी काम का नहीं होता
04:13
इचुन्नू गया मंदिर की घंटी बजाई
04:17
और वहाँ पे चरणामरित और पंजीरी लेखे वापस आ गया और धार में क्या ला गया
04:23
जिघर चाहिए होसला चाहिए भीतर जड़ा
04:31
आग चाहिए आखों में तेज चाहिए
04:38
किसी की हिम्मत नहीं होने चाहिए तुमसे फाल्तू बात करने की
04:49
पहला आप मान तो यही है कि वो ऐसी बात कर कैसे गया
04:52
उसके बाद तुम उसको सजा दे लो चाहिए उसको मना कर दो
04:58
इससे नुकसान की भरपाई नहीं होने वाली
05:02
अपसे वहले तो यही पूछो अपने आपसे कि इसने ऐसी बात करी
05:08
माने इसने मुझ में जरूर कोई कमजोरी देखी है
05:11
कर कैसे दी ऐसी बात
05:13
इसी लिए
05:22
का जाता है ना कि
05:23
महावीर चलते थे तो
05:28
जो हिंसक पशुबी होते थे वो बिलकुल ऐसे गाए की तरह हो जाते थे
05:36
जो अपने एकदब मिकट्टम है अगर कहीं ऐसा मन में आता है कि
05:48
उनको ठेस नहीं पुझानी है या तो बस यही तो कमजोरी है जो उन्होंने देख लिए
05:53
यही तो कमजोरी है जो देख लिए तुमने उन्होंने
06:02
अरे किसी अच्छी चीज़ को ठेस नहीं पहुझाई जाती भई
06:06
तुमारे घर में जाले लगे होते हैं तुम क्या बोलते हैं उनको ठेस नहीं पहुझानी है
06:16
तो अगर आखों में जाले हों किटराक्ट उसको भी ठेस नहीं पहुझानी है
06:26
जब घर के जाले भी हटा देते हो आखों के जाले भी हटा देते हो तो मन के जाले क्यों नहीं हटा सकते
06:36
वहां क्यों बोलते हो, अरे मैं किसी के मन को ठेस कैसे पहुचा दूँ, वहां क्यों बोलते हो
06:40
तुम मन को ठेस नहीं पहुचा रहे, मन के जालों को ठेस पहुचा रहे हो
06:48
और तुम जिसके मन के जाले साफ कर रहे हो, उस पर हैसान कर रहे हो
06:52
ठसक के साथ करो
06:56
इसमें शर्मिंदा होन Ellie की क्या बात है कि मैंने फलाने को ठेस पहुंचा दी
07:03
सरजन प्राइश्चित करने गया क्या मैंने फलाने का पेट फाड़ दिया
07:12
भाई तुमने अहसान करा है उसकी सरजरी करके तुम प्राइश्चित किस बात का कर रहे हूँ
07:17
पर फिर वही न जो कहा हम यथार्च में तो जीते ही नहीं है
07:29
हम तो आधर्शों और कल्पनाओं में जीते हैं
07:32
और तुम हो आधर्श पुत्र
07:33
जो माबाप से भहस नहीं रड़ा सकता
07:47
न सच बढ़ा है न आजादी बढ़िये क्या बढ़े हैं मध्यम वर्गिये संस्कार
07:51
और वही है घर मेरा माणवा भारत चलती थी
07:57
हाँ मैं मानता हूँ मैं डर पोक हूँ कह सकता हूँ
08:03
इस बात पर गिलनानी भी आती कभी बहुत बार आती कि कई बार उनसे
08:07
जो चीज कहनी है वो नहीं कह पा रहा हूँ जैसे कि अभी मैंने आके थोड़ा दूद बगर रहा है डेरी बगर बिलकुल एक त्रीके से छोड़ दिया है
08:16
ना के बराबर है तो कभी कबार उनसे इस बात पर भाष करने को पनच आता है कि करी जाए पर वो एक बात पर सुनते हैं
08:26
कि मतलब सीफ पेरेंस क्गों लेकर नहीं यहां ठीज कि से लह भी डिसकस करो कि यह बात करो हूँ
08:33
से या बात ही मत करो
08:36
तो उसे मैं रहे काफी लोगों ऐसे करते हैं
08:37
सरकल अब बहुत गिने चुने
08:39
लोगा ही हो गया है
08:40
मैं खुछ भी उनसे पर
08:41
एक गिल्ट की बाब नभी क्या दिए
08:44
मैं उनसे क्यों नहीं कह पा रहा
08:46
जो
08:47
जो एकदम जिनको ये करना चाहिए
08:50
जो मैं एकदम लिकटा मैं उनसे क्यों नहीं कह पा रही
08:52
नहीं कहना तुम्हारे हाथ में है
08:54
पर मानना
08:58
या ना मानना उनके हाथ में है
09:00
क्योंकि मानने की कीमत देनी पड़ती है
09:02
भाई
09:02
तुम उन्हें कोई चीज दिखा सकते हो
09:05
और बता सकते हो कि इसकी इतनी कीमत है
09:07
पर तुम उनके लिए उस चीज की कीमत
09:12
खुद तो नहीं अदा कर सकते हो
09:14
जा mm जी चाय नहीं छोड़ना चाती
09:17
तुम उने बार बार बता रहे हो
09:18
कि दूद पीने में करूरता है
09:20
अब जाय तुम मम्मी जी कोई छोड़नी है
09:22
ममी जी के लिए तुम थोड़ी छोड़ सकते हो
09:24
तुम अपने लिए छोड़ सकते हो
09:28
तुमने शाय छोड़ भी दी होगी
09:30
अब तुम लाग बताते रहो ममी जी को
09:33
कि ये जो दूद निकाला जा रहा है
09:36
जो पूरा अद्द्ध दुड्ड़्यों गया ये मास दुड़्यों से जुड़ा हुआ है
09:40
ये फूर्जबं अगर चाय और लसी और खीर की लत लगी हुई है
09:47
तो नहीं छोड़ेंगे अब तुम क्यों परिशान हो
09:53
उनकी करनी उनके साथ
09:54
अरे दूसरे दोस्त बना लो यार
10:07
क्या इतने परिशान हो रहे हो
10:09
नहीं को काय को चाहते हो
10:13
दुनिया में 800 करोड लोग उनको क्यों नहीं चाहते
10:16
जो एकदम मेरे एकदम आसपास है
10:19
तो ये भी तो आसपास बैठे है
10:21
उनको चाहलो ही है
10:23
5-7 लोग
10:24
वो जो आसपास हैं वो आसपास नहीं है उनसे तुमको मानसिक सुरक्षा मिलती है
10:30
हाँ तो तुम ये कह रहे हो कि इनको छोड़ना भी ने पड़े यही सुधर जाएं तो इससे बढ़ियां क्या होगा
10:36
अब वो होई ना सुधरने के लायक तो
10:43
और सुधरना या नहीं सुधरना है यह हर व्यक्तिका निजी फैसला होता है क्योंकि कीमत उसे ही अदा करनी है फिर बता रहा हूँ
10:52
उसके लिए उसके बहाफ पर तुम कीमत नहीं अदा कर पाओगे
10:56
कर सकते ही नहीं नियम है
10:58
चाय उसे ही छोड़नी है
11:00
मास उसे ही छोड़ना है
11:02
तुम कैसे छोड़ दोगे उसकी जग़
11:04
अब वो नहीं छोड़ने को राजी है
11:07
तो अब ये उसका अपना
11:10
स्वाधीन फैसला है
11:11
तुम बस ये कर सकते हो
11:15
कि वो मास नहीं छोड़ रहा है
11:16
तुम उसे छोड़ दो
11:17
हाँ मतलब उनका ये क्यामत कि हमारे
11:20
इस चीज में धखलन जाजी नहीं
11:22
मतलब इन चीज में धखलन जाजी
11:25
मतलब एक तरीके से तुम इंटॉलरेंट हो रहे हो
11:27
या हर एक चीज
11:29
तुम्हें सुनना क्यों जरूरी है
11:30
वो जो भी बोल रहे हैं
11:33
इन टॉलरेंट हो रहे हो कुछ भी बोल सकते हैं
11:35
वो बोल सकते हैं कि तुम कुछ होर हो रहे हो
11:38
तुम एलियन हो रहे हो
11:40
तुम यूएफो हो गए
11:43
वो तुम्हें कुछ भी बोल सकते हैं
11:45
तो उससे क्या हो गया
11:46
बात ये नहीं है कि वो बोल रहे हैं
11:49
बात ये है कि तुम्हें कौन सी मजबूरी है
11:50
कि तुम बैटे बैटे सर जुखाए सुन रहे हो
11:52
उठके चल दो
11:53
वो बोल भी इसी लिए पा रहे हैं
11:57
क्योंकि उन्हें पता है कि तुम सर जुखाए
11:58
सुनते रहोंगे है और जब आपको पता है
12:02
कि आप कुछ भी बोलेंगे सामने वूला सर जुबाके सुनता ही रहेगा
12:05
तो फिर आप वास्ताव में कुछ भी बोलेंगे
12:08
आपकी बेहुद्गी की, जूट की और बत्तमीजी की फिर कोई सीम़ी नहीं रह जाएगी
12:14
क्यों सामने बैठा है वो तो ऐसे ही है
12:18
रीड के बिना लुचुर लुचुर बैठा है
12:22
वो कुछ भी बोलो सुनता रहेगा
12:23
जाहिर सी बात है बिटा
12:28
क्योंकि सुनने सुनाने की बात नहीं है
12:31
कीमत अदा करने की बात है
12:33
जो भीतर से तयार ही नहीं है कीमत देने को
12:38
उसकी कोई प्रगत्य या सुधार कोई दूसरा कैसे कर देगा
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