00:00हमारे साथ अचार प्रशान जी हैं, बहुत-बहुत शुक्रिया हमें समय देने के लिए, मैं सबसे पहले जब मैं यहाँ पर आ रहा था तो मुझे बताया गया है कि अभी,
00:11बिकॉज अगर आप में वैसे ही शायद ही कोई हो जिसको यह पता ना हो कि आप IIT I.M. alumni हैं,
00:17तो I.T. Delhi Alumni Association ने आपको एक अवार्ड दिया भी, काफी महत्रपून अवार्ड है आपसे पहले जिन लोगों की लिस्ट में उसका नाम आता है,
00:28बहुत बड़े बड़े लोग हैं, राश्ट्र विकास में उत्कृष्ट योगदान का आपको फुरुसकार से नमाज आ गया,
00:34तो मुझे लगा कि आज की चर्चा जो है, वो इनी कुछ शब्दों के इर्दगिर्द शुरू करते हैं, सबसे पहले congratulations आपको इस अवार्ड के लिए, दूसरा मैं आपसे जानना चाहूँगा कि राश्ट्र विकास, nation development, राश्ट्र विकास होता क्या है,
00:49या सिर्क GDP कहीं पहुँचना, ट्रिलियंज में आपके economy पहुँचना, उससे लेबल लग जाता है, विकसित देश, विकास शील देश, या गरीब देश, या उसके लिए लोगों का एक आत्म चिंतन, आत्म मन्थन, उनका खुद का एक self development भी important होता है किसी देश को विकसित ह
01:19वो सब इनसानों के लिए हैं, अब और व्यापक तोर पर देखें, तो जितनी प्रजातियां हैं, प्रत्वी पर सब के लिए होनी चाहिए, पर उनको अभी अगर हम अलग भी रख दें, तो राष्ट इनसानों के लिए होता है, जो लोग वहाँ पर रह रहे हैं, आप GDP की ब
01:49मैं वरिद्धिका, ग्रोथ का सूचक मानते हैं, वो मुझे बहतरी दे रहा है कि नहीं दे रहा है, इस से विकास निर्धारित होता है, बाहर बाहर जो चीजें चल रही हैं, उनको हम बोल देते हैं, ग्रोथ, व्रिद्धि, और उस विरद्धिका भीतरी त Optर मुझ पर क्या
02:24तो बिल्कुल हो सकता है कि बाहर बहुत सारी चीज़ें हो गई है,
02:27ये वो, लेकिन मुझे पता ही नहीं कि उन चीज़ों से मुझे क्या मिलना है,
02:30मैं बस हो सकता है, खुश हो रहा हूँ,
02:32या कि एक बहुत बड़ा समुदाय हो, समुध हो खुश हो रहा हो कि बाहर इतना कुछ हो गया है,
02:36पर भीतरी तोर पर मैं अभी भी बिलकुल अपरिपक हूँ और बेचैन हूँ,
02:42और खोखला हूँ, और डरा हुआ हूँ, तो बिलकुल हो सकता है,
02:49तो हम जो कुछ भी करें सिंदगी में, उसका उद्देश मनुष्य होता है,
02:54मनुष्य भीतर से बहतर हो पा रहा है कि नहीं हो पा रहा है हम बाहर भी जो कुछ करें उसका उद्देश आंतरिक बहतरी ही होता है तो विकास माने कि मैं जिस अपूर्णता के साथ पैदा हुआ था
03:07मैं जिस अंधेरे के साथ पैदा हुआ था सभी होते हैं बच्चा छोटा पैदा होता है तो वो तो बस ऐसे ही साधारण वृत्तियों का जानवर जैसी पाशविक वृत्तियों का एक पुतला ही होता है
03:18विकास का मतलब होता है कि मैं अपनी चेतना को उचाईया दे पाया की नहीं मैं भीतर के अपने सब बंधनों को काट पाया की नहीं
03:28और इस विकास के लिए जरूरी हो जाता है कि बाहर भी कुछ परिवर्तन करे जाएं
03:35तो बाहर बाहर जो परिवर्तन होते हो आखरी चीज नहीं होते
03:38उनको हम an end in themselves नहीं कह सकते
03:41वो इसलिए है ताके हम भीतर से ठीक हो पाएं
03:44तो ये तो चीज होई विकास की
03:46दूसरा आपने बड़ा संदर कहा कि राष्ट राष्ट माने क्या
03:51कुछ लोग हैं वो कहते हैं कि हम एक दूसरे से जुड़े हुएं
03:57हम एक दूसरे से एक fraternity बंधुत तो अनुभाव करते हैं
04:01उनको हम कहते हैं now they constitute a nation
04:04अभी एक राष्ट रहें
04:06तो हम आप यहां पाँ साथ दस बीस या बस वीस लाख या दस बीस करोड लोग हो जाएं
04:12और हम सब आपस में किसी आधार पर एक एकत तो अनुभाव करते हों
04:18तो हम अपने आप में एक राष्ट कहलाएंगे राष्ट
04:22अगर मैं इससे पूछू तो फिर तो क्या जिस तरीके का एक पैमाना जीडीपी और एकनॉमिक ग्रोथ को मान लिया गया है
04:29किसी भी देश को डेवलाप डेवलापिंग या अंडर डेवलाप डेश बोलने के लिए
04:35उस पे भी गुनर बिचार क्या आप शकता है
04:39यह तो एकनॉमिक्स भी साफ साफ कहती है कि ग्रोथ और डेवलापमेंट एक चीज तो होते नहीं
04:44यह तो बहुत साधारण सा सिधानत है अर्थशास्त्र का भी
04:46दिक्कत यह है कि जब हम एक बेहोश बहाव में होते हैं तो हमें लगने लग जाता है कि ग्रोथ ही डेवलापमेंट है
04:55और हम जीडिपी जीडिपी करते रहते हैं जबकि जो हुमिन डेवलापमेंट इंडेक्स है जीडिपी उसका एक बहुत छोटा सा हिस्सा है
05:02और ऐसे दुनिया में कई उधारण है जहाँ GDP अच्छा है लेकिन फिर भी
05:08human development के जितने भी कारक हैं और सुचकांक हैं वो अच्छे नहीं है
05:13वहाँ पर आप आएंगे कि income disparity बहुत ज्यादा है
05:17gender disparity बहुत ज्यादा है gender empowerment बहुत पूर है
05:21और अब तो एक happiness index भी आ गया है तो बहुत सारे ऐसे देश हैं जिनका GDP पर capita GDP भी बहुत अच्छा है पर वहाँ पर happiness quotient जो है वो बहुत पूर है
05:34या उल्टा भी है कुछ जगा पर बुटान में बिलकुल बहुत बढ़ी है बहुत बढ़ी है तो इससे हमें ये पता चलता है कि GDP अपने आप में कोई अंत कोई लक्ष नहीं हो सकता
05:45GDP मानें बाहरी तरकी मेरी सड़क बन गई मेरी फैक्टरियां जादा उत्पादन कर रही है मैं ज्यादा दुनिया के साथ व्यापार कर रहा हूं इन सबसे GDP बढ़ता है लेकिन ये अपने आप में अंत नहीं हो सकता वो सब तभी तक अच्छा है जब तक उससे इनसान को ला
06:15अगातार बाहर को देखती रहती है इनको खुद की और मोड़ना विकास की दिशा में पहला कदम है क्योंकि अगर मुझे यहीं नहीं पता फिर कह रहा हूं कि मेरे बंधन कहां है तो मैं फिर मुक्तिकी आजादी की या सोतंत्रता की और कैसे बढ़ सकता हूं तो इसलिए न
06:45इस इकाई मनुष्य के तल पर जो यूनिट है इसके तल पर उसको बहतर नहीं बनाते तो राश्ट्र के विकास का सबसे अच्छा तरीका है राश्ट्र के लोगों को भीतरी तल पर बहतर बनाना
07:00तो क्या आपको लगता है कि उस जन्चेतना में या लोगों को अपने उपर कम से कम खुद पर ध्यान देने में अंदर देखने में
07:09क्योंकि एक बड़ा मुश्किल काम होता है और बहुत लोगों को जो आपसे बात करते होंगे या आपके सुनते हैं उनको लगता है कि शायर उसमें आप उनकी मदद कर पाते हैं अपने खुद के अंदर देखने में
07:17तो क्या आपको लगता है कि वो जो आप अधाबी है एक ट्रडिशनल सेंस में तरक्की की उसमें पीछे छूटते जारी है जन्चेतना खुद के अंदर देखना खुद से सवाल पूछना
07:29भीतर हमारे एक खुखलापन है भीतर एक बेचैनी है तभी तो हम बाहर भी इतना भागते हैं जितना आदमी परिशान होता है इतना वो बाहर की दिशा में भागता है तो मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बाहर की दिशा भागना बंद करो मैं तो कहता हूं कि बाहर जिस दिशा
07:59हो मैं इस दा एंड एंड मिजर ओफ इवरी थिंग हम जो भी कर रहे हैं अपने लिए कर रहे हैं तो जो कर रहा हूं उसमें से मुझे कुछ मिल भी रहा है क्या यह पूछना बहुत जरूरी है तो खुद को देखना माने और क्या होता है मैं इन आखों को मोड करके भीतर तो ल
08:29भागे जा रहे हो कि थोड़ा सा पूछना आफिस जा रहे हो समय लगा रहे हो कब से करे जा रहे हो आगे भी यही करने का इरादा है मिल क्या रहा है और हम यह नहीं कह रहे हैं कि मिल क्या रहा है एक बहुत मासूम सा सवाल है कि क्या मिल रहा है और कुछ तो मिली रहा है दे
08:59भारत में भी बहुत एक बड़ा तबका उभर के आ रहा है जिसको अब आप और ज्यादा पैसा दे दें तो इससे ऐसा नहीं है कि उसकी जो बेसिक वेलफेर या नीड्स हैं वो पूरी होंगी वो सब पहले ही पूरी हो चुकी है तुने अपने आप से पूछना पड़ेगा कि
09:29मतलब शूने सिर्फ बढ़ाते ना जाएं अपने इंकम में हो सोचें कि उससे
09:33हाँ भीतर की शूनेता का क्या हाल है बाहर आप किनीवी चीजों में और शूने शूने शूने बढ़ा के दस सो गुना हजार गुना लेकिन भीतर जो बैठे हुआ है खाली पन रिक्तता एम्टिन ऐसे एक वाइड बैठा है भीतर वो तो वैसे का वैसा और परेशान बहुत
10:03तो उसको लगए है कि देखे मैं टैक्स में देता हूं मेरा भी तो डेवलप्मेंट में कॉंट्रिबूशन हो रहा है लेकिन हम फिर वो स्ट्रेडिशनल सेंस में बात कर रहे हैं तो अगर मैं आभी आप से पूछू कि मैं कैसे जिस राश्टर की हम बात कर रहे हैं जिस ना
10:33अगर मैं बहतर नहीं हूं और मैं कहूं कि मैं बहुत बड़ा राश्टर पीमी हूं या देश भक्त हूं पेट्रियोट हूं नेशनलिस्ट हूं तो ये बात बहुत खोखली है और पाखंड की है एक इंसान जो अपने भीतर उल्जा हुआ है वो किसी के लिए अच्छा नही
11:03पड़ोसी अपनी पतनी अपने पती किसी के लिए अच्छा नहीं हो सकता है तो फिर वो एक व्रहदतर समुदा है एक ब्रॉडर कम्यूनिटी जिसको आप नेशन कह रहे हो वो उनके लिए अच्छा कैसे हो सकता है तो यह सोचना कि मैं आदमी तो गड़बड हूं मुझे को
11:33नहीं हो सकते अगर अभी आप एक सुल्जे हुए इंसान ही नहीं है तो शायद यह जो उन्होंने अवार्ड भी मुझे दिया है यही देख करके और समझ करके दिया है कि अगर आप इंसान को बहतर बना रहे हो तो यह राश्ट्र को बहतर बनाने का सबसे अच्छा तरीका ह