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  • 2 days ago

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00:00चुल मैं कहें कि मैं जिस बिंदू पर आना चाहरा हूं अभी हम उस पर पहुंचे नहीं है
00:03पहुंचाओ
00:04हम कितना भी ग्यान अर्जित कर ले हैं, कितने भी समझदार हो जाएं
00:12पर अन्तु पता नहीं क्या अंदर होता है, वो हमें उस सत्यता से मोड कर
00:15ज्यान बहुता होता है तो और यसका मतलब अब बताओ
00:38जैसे बागवतो जीता में की क्रिष्णों मोलते हैं कि अपना करम किजिए फलकिछ्चा मत किजिए
00:43कोई वीक है और वो अपने लिए स्टैंड नहीं ले पा रहे तो उसे तो मजबूरन समाज का इससा बनना ही पड़ेगा और जैसा लोग जाहेंगे वैसे ही कोई नहीं होता नलायक होते हैं
01:02यह सारी बातें जो सिर्फ उधार की हैं उनको अपना ज्ञान बना कर बैठे हो सुनी सुनाई बात यह सस्ती उड़ती वही अफवाहें वोट्सेप इनुरस्टी वाली गीता प्रश्ण नहीं है तुम्हारे पास तुम्हारे पास माननेताएं हैं
01:19नमस्ते आचारी जी मेरा नाम सचिन है मैं धेली विस्वित द्याले के दुत्ति वर्ष का चात्रू आचारी जी काफी चीज़ें मेरे जहन में आई कई प्रशन उठे परन्तु यह है कि हम कितना भी ज्ञान अर्जित कर लें कितने भी समझदार हो जाएं पर एक आंत्रिक ह
01:49चाहिं के लिए वे लाबकारी होगा और वहो वह किया अंदर होता है वह हमें उस सते तासnes से मोड़कर एक अंधकारर रास्ते लेजाता है
02:04पता होता है कि हम घितरसे हम ज़िवन जीएंगे या फिर जो हम कार करने जा रहchez है उस से आंगे वाले को
02:11ही पैजल जैके नहीं हो रहे है त dispatch करे जा रहा हूं और आनतरीी दिश्ट झास वह बड़ा हूँ वह शोती हो तो ऑजो जो अंदर से
02:35सवाल की शुरूवात में कहा ज्यान हम कितना भी अरजित कर लें और फिर आगे
02:54लगातार पूरी बात यही करी कि पता नहीं है भीतर कौन बैठा है पता नहीं है भीतर कौन बैठा है
03:03पता नहीं है भीतर कौन बैठा है इसी भाव को आगे विस्तार दिया कि चले जाएं तो भी नहीं बहुत अरजित कर लिया और दूसरा गहरा पता कुछ नहीं है तो ग्यान अरजित हुआ ही नहीं है इसका मतलब
03:29जैसे बगवत गीता में कि कृष्ण बोलते हैं कि अपना करम कीजिए फलकिच्छा मत कीजिए नहीं कि बोलते हैं ना
03:42ग्यान इतनी सस्ती चीज नहीं है कि शुरुआत में बोल रहे हो कि ग्यान तो हो गया लेकिन समधान नहीं हुआ
03:58अरे समधान नहीं हुआ माने ग्यान ही नहीं है ग्यान माने क्या होता है बाहरी सूचना और भगवत गीता का उलेक कर रहे हो तो वहाँ ग्यान का मतलब ही है आत्म ग्यान
04:10और का अपना काम करते रहिए कर्म का क्या मतलब होता है बस यूँ ही कोई भी कर्मयाद रचिक
04:16भगवत गीता की बात कर रहे हो तो कर्म का मतलब होता है निश्काम कर्म
04:20अब बताओ क्या ग्यान है तुमको
04:22मतलब मेरे अंदर जो बेचनी ये थी कि मुझे पता होता है कि सत्य क्या है भले ही वो हमें बाहर से पता हुआ हो
04:31नहीं बाहर से नहीं पता होता नहीं जो समाज का जो सत्य समाजिक नहीं होता
04:36नहीं जो हमारे जितने वी आदर्स रहे हैं उन्होंने व nouvelles किiva कही है उपर हमें नहीं पता हैं नहीं फिर वह सब
04:48ह Bonus हम प्रेन की पता नहां हिए हैं उनकी ब्रॉबलम है मैं पता होने के बाद वह उनकी बातों को ध्यान से परणके बाद हाट है हूं
05:06शुरू हो रही है, पता ही नहीं है, तुम क्यों ओड़ना चाहते हो कि पता तो है, ज्ञानी तो हूँ, नहीं हो, भाई ज्ञान, ज्ञान दो-चार किताबे पढ़ने का या 20-40 भी किताबे पढ़ने का नाम नहीं होता, ज्ञान मने आत्म ज्ञान, तो ज्ञान की शुरुवा
05:37ग्यान की दृष्टी से सबसे शुद्ध हिस्सा वो था जब तुम कहा रहे थे तुम्हें क्या-क्या नहीं पता माने कि तुम्हें पता है कि तुम्हें नहीं पता यह ग्यान की शुरुआत है
05:47यह होता है ग्यान मैं नहीं जानता मैं नहीं जानता या फिर पूछना कि जो बाते मुझे लगती हैं कि मैं जानता हूं मैं कैसे आश्वस्त हूँ कि मैं जानता हूं
06:10यह ग्यान होता है और यह बैठ करके सवाल अपने आप से पूछोगे तो कोई उत्तर नहीं मिलने वाला
06:21मैं जानता नहीं फिर भी जीता रहता हूं उधार की सूचनाओं को अपना ग्यान समझ लेता हूं यह बात पता चलती है अपने कामों को देखकर अपनी कामनाओं को विचारों को देखकर अपने रिष्टों को देखकर अपने लक्षों को देखकर यह आत्मग्यान है आत्मग
06:51मैं कमने में बैठा हूँ
06:54शांती है
06:55मैं कुछ सोच रहा हूँ
06:57मैं खिड़की खोलता हूँ
06:59कई शादी ओर यह ढोल बज़ रहा है
07:02वहाँ कुछ घटिया
07:04म्यूजिक चल रहा है
07:04वो ऐसे तेरता हुआ कान में घुज गया
07:07और मेरे पूरे विचार बदल गए
07:09मेरे विचार बिलकुल बदल गए
07:12तो यह मेरे विचार है क्या
07:15यह ज्ञान की शुरुवात है
07:18लेकिन हम ज्ञान को ही एक विचार बना लेते हैं
07:21नहीं ज्ञान विचार नहीं होता
07:22ज्ञान द्रिष्टी होता है
07:23वो द्रिष्टी जो सब विचारों को
07:26भावनाओं को, देखती है उनके प्रवाह को, उनके सुरोत को, कहां से आ रहा है ये पूरा, ये होता है ज्ञान, तो ज्ञान कोई संकलित सूचनाओं का भंडार नहीं है, यहां से मिली बात, वहां से मिली बात, और खुब इकठा कर ली, रट भी लिया, उसको कहीं जाकर उ�
07:56उसके साथ शब्द चलते हैं, इंसाइट, एपिफिनी, अभी, अधुना, ज्ञान का कोई निशकर्ष नहीं होता, कोई पूछे क्या ज्ञान हो गया, ज्ञान कुछ नहीं हो गया, ज्ञान तो रोशनी की तरह होता है, जो कुछ है, सब पर रोशनी पढ़ रही है, अंधेर
08:26ज्ञान है, मैं देख पाँ रहा हूँ, अभी, ये ग्ञान है, मैं देख पाँ रहा हूँ, अभी, और जब रोशनी नहीं थी, तब अंधेरे में बहुत सारी फाल्तू चीज़ें पड़ी थी, मैं उसे टकरा के गिर भी
08:46या किसी वेर्थ चीज को उठा करके जेब में रख लेता था, यहां पे कुछ रखा है, देख नहीं पा रहा था, रोशनी नहीं थी, तो खा भी लेता था, अब रोशनी है, तो इस रोशनी के कारण मेरे जीवन के सारे निर्णे सही होते जा रहे हैं, मैं अब टकरा कर लणख
09:16हो, और फिर जब अंत में खीर वगयरा का नंबर आए तो रोशनी बंद करतो ही, यह आधे रास्ते हैडलाइट जलनी चाहिए गाड़ी की, और बाकी आधे
09:24आधे रास्ते headlights बंद कर दो, अधेरे में यात्रा कर लेंगे, जैसे यात्रा में लगातार headlights चाहिए, वैसे ही जिन्दगी में प्रतिपल वो द्रिश्टी चाहिए, जो समझ रही है, ठीक अभी, I can see, मैंने देखा क्या हुआ, और ये भी नहीं कि रुक गए, सोचने के लिए,
09:54तो क्या होगा, आगे गढ़ा आजाएगा, बेरियर से कहीं से किसी चीज से भीड़ोगे, तो ज्ञान इसी लिए हमेशा डाइनमिक होता है, वो एक rolling on होता है, सजीव, गतिशील होता है, ये सब बाते हैं कि मैंने ये दो-चार बाते जान लिए, एक शलोग पढ़ लिया, �
10:24पर ग्यानियों ने कहा है कि ग्यान ही तुम्हारा बंधन है, जो नकली वाला ग्यान होता है इसको समाज ग्यान बोलता है, जो लोक ग्यान बोल दो, समाज जिसको ग्यान मानता है, वो ग्यान नहीं होता, ऐसे ग्यान, वो तो सूतर कहते हैं कि ये ग्यान तो बंधन है तुम
10:54बाते पढ़ रखी हैं तो क्या सुन पाओगे नहीं
11:07कि यर्दि अगर उन में उल्जह रहोगे तो जिस सामने है जिसक्त मारथा वास्त है क्योंकि जीना उसी में है
11:15यह जो अभी सामने है ओ जिसे अभी आफ ने बोला की जो बरत्मान में छल रही वह है तो तो जैसे मैं अभी आपके पास चल के आ हैं यह बरत्मान इस्तिति क्या थे इक एक रेकी मुझे तो आचारी के पास पहुंचना
11:35है आगे वाले के ऊपर होगे निकलना है मुझे साइट आगेन मतब इस चीज के मुझे चेतना या फिर कहें मुझे
11:47जानकारी कहां से आएगी मेरा लग्षा पहुंचना है मुझे साइट से लिए यह चीज्च तो जाओ दुनिया से जानकारी असल कर लो यह
11:59ह Lehr तो तुम सीडिय के बारे में पूछ रहे हों नहीं में मेरे पास आना है और कैसे होगे
12:07यह तो मैंने सिसट्रिफ ऊदारणद लिया इजी उटिस कि बात कर रहा क्यों आधि जीवन किया है
12:14जीवन क्मारे इम मैटीरियल क्या है जी सर यह माइक क्या है एबस्ट्रैक्ट या मिटीरियल है तो हो गया बस माइक उठाके बात कर रहे हो एक्चल मैं कहें कि मैं जिस बिन्दू पर आना चाहा रहा हूं अभी हम उस पर पहुंचे नहीं है पहुंचाओ
12:31जिन्दगी तुम्हारी है बेचेहनी तुम्हारी है तो पहुंचाओ कि तुम्हीं पहुंचाओ जैसे आपने बोला कि बरतमान में रहना है मैं कह रहा हूं कि मैं बरतमान में रहना है पीछे हटो मैं कह रहा हूं अतीत में नहीं रहना है हां अतीत में तुम्हें पांच चीज
13:01समाज में जो चल रहा है उसे छोड़ सका वार में बाढ भी निआ सकता में जंगल में भी निआ सकता रहना समाज के अंदर है
13:09मैं चाहता हूँ समाज में रहते हुए मैं अपने आत्मिक विकास समाज का भी पिकास और चाहता
13:15योगदान मने क्या समाज मने क्या विकास मने क्या जैसे मैं विद्यारती हूं ने जैसे नहीं समझो बात को विकास के नाम पर अंधादुन्द विनाश होता है देखा है
13:39तो इतना तो इस पश्ट हो रहा है न जैसे विकास की बहुत गलत परिभाशाएं भी हो सकती है कि आपने गौर करा है कि आप जिस शब्द को इस्तमाल कर रहे हो बहुत हलके तरीके से वो बहुत गहरा शब्द है
13:51समाज माने क्या आपने शुरुआत में कहा रहना तो मुझे समाज में ही है ये ग्यान कहां से आया क्या ये आपकी आत्मा से उद्भूत है कि रहना तो समाज में ही है
14:04ये सारी बातें जो सिर्फ उधार की है उनको अपना ग्यान बना कर बैठे हो प्रश्ण नहीं है तुम्हारे पास माननेताएं है और उन माननेताओं के कारण परिशानी है अब तुम परिशानी का समाधान चाहते हो बिना माननेता छोड़े वो कैसे हो जाएगा अभी भी ज
14:34हेत ये योगदान योगदान माने क्या होता है या पता क्या होता है योगदान माने एक आदमी पड़ा हुआ था उसका रोड एक्सिलेंट हुआ था ये बिलकुल सची घटना है एक शराबी उसके पास जाता है बिलकु ऐसे हो खुद भी गिरा जा रहा है वहाँ एक आदमी
15:04रोड पर उसकी ब्रेन सरजरी कर दी योगदान दे रहा था भाई तुम्हें कैसे पता योगदान माने क्या
15:13शब्दों की सतह पर तैर रहे हो गहराई में नहीं जा रहे हो और सबसे ज्यादा अंधेरे में भुलावे में आप उन्हीं शब्दों को लेकर रहते हो जिनका आप बहुत बहुत ज्यादा इस्तिमाल करते हो बहुत जल्दी जल्दी इस्तिमाल करते हो बहुत बच्पन से इस
15:43बच्पन से ही
15:45जैस ममा लव यू
15:47बताओ प्रेम माने क्या
15:49मैं माने क्या
15:52जीवन माने क्या
15:52बताओ न शिक्षा माने क्या
15:54इन सब शब्दों का इस्तिमाल रोज करते हो
15:57समाज माने क्या
15:59कभी सोचा भी है इन शब्दों का अर्थ
16:00पैसा माने क्या
16:03सरलता माने क्या बार-बार बोलते हुआ वो नो सुन्दर है बताओ ब्यूटी माने क्या बताओ तो
16:16खुशी माने क्या सेल्फ माने क्या और इनके किताबी जवाब ठीक होते हैं पूरे नहीं होते
16:26पढ़ लोग किताबें जिनमें इनके बारे में लिखा हुआ है पर यह सचमुच क्या है यह तो लगातार इसी वक्त जीवन को देखकर ही पता चलता है कि जीवन माने क्या
16:37मैं भी क्या हूँ यह तुम्हें तुम्हारी गतिविधियों से ही पता चलेगा नहीं तो अपने बारें बस कल्पना बनाओगे
16:45मैं बहुत होशीयार हूँ
16:48या मैं बहुत निर्भीक हूँ
16:52मुझे डर तो लगता नहीं
16:54पर जिन्दगी में देखो कि
16:56एक कुट्टा भी पीछे पड़ गया तो पसीने चूट गए
16:58तो पता चलता है न कि मैं सचमुच कौन हूँ
17:01अगर जिन्दगी कैसी चल रही है इस पर गौर नहीं करोगे
17:06तो कुछ नहीं जान पाओगे यही सोचते रहोगे कि मैं तो बिलकुल निडर हूँ
17:10जैसे थुट देर पहले सोच रहे थे मैं बिलकुल ग्यानी हूँ
17:13तो वो पता तभी चलता है जब जिन्दगी पर गौर करते हो
17:20माननेताएं एक बात हैं बाहर से लिए सूचना एक बात है
17:26और जो सचमुच सामने यथार्थ तत्थ है वो बिलकुल अलग बात होती है
17:31उसी से संपर्क बनाने को ज्ञान कहते हैं वो है ज्ञान और उससे संपर्क बनाओ तो आगे कि जितने ये सवाल है ये अपने आप खत्म हो जाते हैं सवाल ही नहीं पचता
17:46इस टेंडेंसी से सब बचिएगा ये जो टेंडेंसी होती है गीता में कृष्ण ने कहा है कि अपने कर्म करो और फल की चिंता मत करो तुम्हें कैसे पता गीता में कहा है कृष्ण ने तुम्हें कैसे पता और जिस तरह से जिस आधार पर तुमने अभी अभी ये घोशना कर द
18:16जिसमें मैंने जान नहीं लगाई, मैंने दिल नहीं लगाया, मैंने कोई मौलिक जिग्यासा नहीं करी, कहीं से मैंने कुछ सुन लिया और मैं सोच रहा हूँ कि उधर सुन लिया, आलस है आतम सा है ये, आलस है ना, कि सुन तो लिया ये, भगवत गीता क्या है, उसकी दुनिय
18:46और यही नहीं है आप तो एक विश्युद्यालाय में हो जहां पर अच्छे खासे संस्कृत विभाग है अनुवाद पर भी निर्भर नहीं रहना है तो चले जाओ किसी संस्कृत के विद्यार्थी के पास या प्रोफेसर के पास उसे सीधे ही पूछ लो कि यह क्या है और पू
19:16विभी में समाज में गली नुकड़ चौराहे में जो चल रही है और वही ग्यान है ताओ जी ने कुछ बोल दिया ओर किसी ने कुछ बोल दिया हमारे है वही ग्यान है
19:31कि मैं कहा रहा हूं इस ग्यान को चुनोती दो
19:33और चुनोती उसे तभी दे पाओगे जब सबसे पहले मानोगे कि तुम्हारा ग्यान जूठा है और अपने ग्यान को जूठा मानना माने असली ग्यान की शुरुवात
19:45देखो बाचीद अभी भी वहां नहीं पहुँच पारी है जहां तुम चाहते हो
19:51लेकिन मैं उसे वहाँ पहुचने दूँगा भी नहीं तुम मैं बाचीद को तुम तक लेकर आना चाहता हूं यहां तक
20:02और तुम उसे छितरा कर रखना चाह रहे हो गौर करना
20:06कोई भी बात ऐसी मत कहो कि ऐसा तो होता ही है ना समाज में तो रहना ही होता है ना
20:14अरे भाई तुम्हारी एक ही जिन्दगी है इसके बारे में तुमने इतनी जल्दी इतना सस्ता फैसला कैसे कर लिया
20:22ने पर तो common sense है ना obviously ऐसा तो होता है ना यह क्या common sense और यह सब बोल रहे हो
20:29जिन्दगी इतनी सस्ती चीज होती है पर ऐसा तो करना ही होता है ना
20:34तुम्हें कैसे पता फिल्में बहुत देखी हैं करना ही होता है तुम्हें कैसे पता यह करना ही होता है
20:39ये ग्यान नहीं होता
20:43ये बस ऐसे ही है कुछ
20:47कथा पचीसी
20:48रहना तुम्हें समाज में ही है
20:54सौ तरह के समाज होते है
20:56और समाज अभी बदल जाएगा
20:58इस मंच पर मैं खड़ा हूँ
20:59तो यही लोग यही सभागार एक समाज है
21:02कितनी सूख्षमों कितनी महीन
21:07और कितनी मल्टी लेयर्ड चीज होती है
21:09तुमने कभी गौर करा
21:11समाज में तो रहने होता है
21:12समाज माने क्या
21:13कभी विचारी नहीं करा
21:14एक समाज होता है क्या
21:17तुम्हारा एक समाज है
21:18आप में से कई लोग होंगे
21:20कई WhatsApp groups में होंगे
21:22क्या वो सारे WhatsApp groups एक में मिलाए जा सकते हैं
21:25तो समाज कोई एक होता है क्या
21:27आप कई समाजों के हिस्से हो
21:29माने चुनाव उपलब्ध है न
21:31कि मुझे इस समाज का हिस्सा होना है कि नहीं होना है
21:35तो मुझे तो समाज में रहना ही है न
21:37जैसे मजबूरी हो मैं कहा रहा हूँ चुनाव है तुम कहा रहे हो मजबूरी है
21:40मैं समाज में रहूंगा नहीं मैं अपना समाज बनाऊंगा
21:45क्या समझ से आओ गई बोलो
21:48पर इतनी सी उम्र में ही जैसे गुलामी छा गई है
21:58ऐसा तो है ही क्रिष्ण ने ये बोला है ऐसा होता है क्यों
22:02ताकत होनी चाहिए न जवानी में हाँ ठीक है हम अनादर नहीं कर रहे आपका पर हम जाचेंगे
22:09हम आपकी बात को काट नहीं रहे पर हम जाचेंगे तो जरूर
22:16आपने बता दिया अच्छी बात है हमें विचार भी करने दीजिए हमें सवाल भी पूछने दीजिए
22:24यह सस्ती उड़ती वही अफवाहें वाट्सेप इन्यूरस्ट्री वाली गीता
22:29ऐसे होता है क्यों जिन्दगे ऐसे चलेगी
22:35अगर कोई वीख है और वो अपने लिए स्टांड नहीं ले पा रहे है तो उसे तो मजबूरान समाज का इससा बनना ही पड़ेगा और जैसा लोग चाहेंगे वैसे करना पड़ेगा
22:53वीख कोई नहीं होता नलायक होते हैं
23:05मज़ा आता है दूसरों पर आश्रीत रहने में तुई धा मिलती है स्वार्थ होता है
23:13पीकनेस के कितने फायदे होते हैं पता नहीं है क्या
23:19इस दिन कॉलेज नहीं आना होता है तो एप्लिकेशन में क्या लिखते हो फीलिंग वीक
23:24दुर्बल होने के बीमार होने के अंगेनत लाव होते हैं भाई बहुत लाव होते हैं मैं तो कमजोर हूँ तुम तीन लोग काम कर लो
23:36मेरा काम भी तुम तीन लोग कर लो क्योंकि मैं तो कमजोर हूँ तो कोई वीक नहीं होता नालायक होते हैं जिन्हें पराश्रित जिन्दगी जीनी होती है
23:50जिन्हें जिन्दगी के खत्रे नहीं उठाने जिन्हें अपनी गुलामी को बंधनों को चुनोती नहीं देनी, जुनने स्विकार कर लिया है कि चलो गुलामी के एवज में बढ़िया दाना पानी तो मिल रहे न, चिडिया कह रही है सोने की सलाके है, खाने को भी अच्छा मिल
24:20और फिर बोलती है मैं क्या करूं मैं तो मजबूर हूं तो मजबूर नहीं है तुने सौधा करा है
24:25दर्शन में विवश्टा जैसा कोई शब्द नहीं होता है चुनाव का शब्द होता है चुनाव तो आप अगर मजबूर हो तो ये भी आपका चुनाव है कि आप अपने आपको मजबूर रखना चाहते हो
24:40जिस दिन भीतर से आग उठेगी कि ऐसी जिन्दगी नहीं जीनी सारी मजबूरियां जल जाएंगी
24:49और जिनको मौज आ रही है मजबूरी का जीवन जीने में वही उम्र भर मजबूर पड़े रहते हैं
24:57वो मजबूरी नहीं है वो सुविधा है स्वार्थ है मस्ती है मौज है
25:03कोई कोई मजबूरी नहीं कुछ नहीं क्या मजबूरी
25:10स्टेंड नहीं ले पाते किसके सामने स्टेंड नहीं ले पाते ठीक उन्हीं के सामने स्टेंड नहीं ले पाते न जिनके सामने स्टेंड लिया तो तुम्हारे स्वार्थों पर आगहात हो जाएगा
25:25बाकी तो हर जगे स्टेंड ले लेते हो
25:27ओफिस में अपने ब laser के सामने स्चैंड नहीं ले पाता मजबूर है टिमिड है पिल्कुल ऐसा है
25:40यही घर में आकरगे बीवी के सामने स्चैंड भी लेता है ठपड भी लगाता है
25:45अब बीवी मजबूर है , add mild है, और यहािजा के बच्चों को दो ठपड लगाती है
25:57तो मजबूरी है कि स्वार्त है
26:03इसको आफिस से पैसा मिलना है तो यह वहां स्टेंड नहीं ले पाता है
26:10उसको पती से पैसा मिलना है तो वहां स्टेंड नहीं ले पाती
26:13उनको मां से खाना मिलना है तो वहां स्टेंड नहीं ले पाते
26:27अब क्या करें अब तो फस गई बात देखिये यह बात भी वो नहीं है यहां वो मुझे ले जाना चाह रही थी
26:46उपिर मेरा तो भ्हुत यहां वह तुम ले जाओंगे यह दुलिए युनि तके तुम बहां जाओ यहां है क्यं।
26:57अब और सुनिए में अब यह बात नहीं कर रहा हूं कि आप कहीं कि ऐसे थोड़ी ताकत आजाती है
27:10मैं सहमत हूँ आपकी बात से कि कई बार जिस हद तक हम देख सकते हैं और जितना हम अधिक से अधिक इमांदार हो सकते हैं
27:19हमें वाकई ऐसा लगता है कि हम कमजोर हैं लगता है ना लगता है ना सबको लगता मुझे भी तो तब क्या करना है वो जान लीजिए जो चीज आप जान जाओ सही है उसमें जूज जाओ
27:33भले यह लगराओ कि वो कर पाने की आपने एक शमता बल या काबिलियत नहीं है जूज जाओ जूजने से पता है क्या होता है ताकत अपने आप आ जाती है आ भी नहीं जाती है उद्घाडित हो जाती है प्रकट हो जाती है अनावरित हो जाती है है पहले से है पर जिस चीज का
28:03ताकत आपके ही पास है, आप भूल गए हो क्योंकि आपने कभी उसका इस्तिमाल करा ही नहीं है, तो उसका अहवान करना पड़ता है, इन्वोकेशन करना पड़ता है, और कैसे करा जाता है, किसी सार्थक उद्यम में जूज करके, और ये काम सही है, अब मैं इससे पीछे इसल
28:33कुबो, तो एक जादूई, चमतकारिक तरीके से पाते हो कि ताकत कहीं से आ गई, तुम भी हैरान रह जाते हो, कि मुझमें इतनी ताकत आ गई, मैं स्टेंड ले पा रही हूं, मैं तो अपने आपको टिमिड टाइनी फीबल समझती थी, अबला नारी, इतनी भारी, ये कैस
29:03जिन्दगी में सही लक्ष बनाओगे, अपने भीतर बहुत ताकत पाओगे, वो लक्ष तुम्हें ताकत दे देगा, बात समझ में आ रही है, जैसे लोहा अपने आपको अनुमती दे दे चुम्बक के प्यार में पढ़ने की, अब लोहे ने दौर लगा दी, चुम्बक की �
29:33परदस्त चुम्बक को अनुमती दी है न, कि वो च्छा सके तुछ पर, तो तेरी ताकत है, तेरी गति की जो काइनिटिक एनरजी है, वो चुम्बक से आ रही है, तुम्हारा लक्ष तुम्हें ताकत दे देगा, यह करिएगा, आजमाईएगा, आप अपने ही एक नए और �
30:03बिलकुल भौचक के रह जाएंगे, आप कहेंगे, is that me? कोई करेगा, हाँ, that's not just you, that's the real you, वही हो तुम, तत्वमसी, हुँ?
30:18नमस्ते, मेरा नाम निधी तिवारी है, और मैं आचारीजी को पिछले तीन सालों से सुन रही हूँ, और गीता सत्रों में पिछले डेट साल से जुड़ी हूँ, गीता सत्र जो हम सुनते हैं, तो हमें लगता है कि कोई श्लोक बाचन होगा, कोई बहुत बड़ी-बाते हों
30:48पिशित की मेरा निधी जिन्दगी को पुरा गदल के रख देता है, इसको हमारे लिये बहुत आसान तरीके से हमें समझाते हैं, और उसको हमारी निजी जिंदिगी में कैसे कारगर है, किस तरीके से वह मारी जिंदगीों को बड़ल से भी आज़ा है तर जैसा उसका अलग �
31:18समझ आ रहा है कि जो मैं हो सकती हूँ जो मेरा best possible जो मैं हो सकती हूँ उसकी मुझे probability दिख रही है
31:25मुझे समझ आ रहा है कि मैं जो अभी बन के बैठी हूँ उससे बहुत ज्यादा कुछ हो सकती हूँ धन्नवाद

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