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  • 6/30/2025

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Transcript
00:00:00जिसकी जिंदगी में भवक नहीं और लपट नहीं वो क्या खोखला दावा कर रहा है कि वो ग्यानी है
00:00:06आग जलती पहले है रौशनी बाद में देती है जब जले ही नहीं तो रौशनी कहां से आएगी
00:00:12पर यहां इतने सारे थंडे लोग मिलते हैं
00:00:15जिनका दावा होता है कि प्रकाशित है
00:00:17मैं कहता हूँ गसब
00:00:18इतनी थंडे जिंदगी और दावा यह है कि ग्यान पूरा है
00:00:22ग्यानी बहुत है और मुँपे देखो
00:00:24तो ग्लेशियर जबा हुआ है
00:00:26ग्यानी के चेहरे पर आग होती है
00:00:30और ठंडे लोगों की चीज नहीं है अध्यात्म
00:00:32नहीं होगी वो आग
00:00:34तो कहां से लाओगे दम ये कहने का
00:00:36कि अगर इसी को जिंदगी कहते हैं तो नहीं जीना
00:00:39इसी को चाहना जीवन है नहीं चाहना
00:00:41यही सब मानना जरूरी है नहीं मानना कहां से लाओगे साहस
00:00:46सबको लगता है कि उनके पास आखे हैं
00:00:53सबको लगता है उनके पास बुद्धी है दिमाग है
00:00:58और सबको लगता है कि वो जिन्दा हैं तो दुनिया का नहुल यही रहे है
00:01:03आपको ऐसा लगता है फिर भी
00:01:09जिन्होंने जिन्दगी को समझा है उन्होंने आपसे आगरह करा है कि थोड़ा और करीब से देखो
00:01:18दुनिया को भी लोगों की जिन्दगी को भी और अपने जीवन को भी
00:01:25जो इधर चल रहा है उसको भी जरा ठीक से देखो
00:01:32और जो इधर चल रहा है उसको भी जरा गोर से देखो
00:01:38और हम क्या देते हैं कि साहब ये गोर करने की जरूरत ही क्या है
00:01:44हमारे पास आखें हैं ना
00:01:47और आपको क्या लग रहा है कि इतनी उम्र हमने बिना कुछ देखे जाने ही बिता दी है
00:01:53हमने देखा भी है हमने जाना भी है फिर भी
00:01:59जानने वाले आपसे आग्रह करती ही रहते हैं कि नहीं शायद कहीं कोई भूल हो रही है
00:02:09जाओ थोड़ा और प्रयास करो
00:02:14कुछ देखना आपसे चूक रहा है
00:02:18कुछ है बात जो अभी समझ नहीं पा रहे हो
00:02:24कोई है तत्व जिससे वंचित रह जा रहे हो
00:02:28ज़रा ठीक से देखो न
00:02:29इस ठीक से देखने
00:02:32कि आग्रह को वो अब लोकन कहते है
00:02:39अब लोकन
00:02:40कहते हैं जाओ अब लोकन करो
00:02:42जगत का और जीव का मने दुनिया का और अपना
00:02:47इनी दोनों करना होता है
00:02:48जगत की तरफ जब गौर से देखा जाता है
00:02:53तो उससे एक प्रकार का ग्यान पैदा होता है
00:02:56अपनी और जब गौर से देखा जाता है
00:02:58तो उससे दूसरी तरह का ग्यान होता है
00:03:00ये दोनों ही ग्यान जिन्दके में बहुत जरूरी है
00:03:01दुनिया को देखने से जो ग्यान मिलता है
00:03:06उपनिशद उसे कहते हैं विद्या
00:03:07कहते हैं बहुत जरूरी ग्यान है
00:03:09आपको जगत का पता होना चाहिए
00:03:12वहां क्या काम धंधा चल रहा है
00:03:15क्या हिसा�ब किताब है
00:03:16और अपने आपको देखने से
00:03:19जो ग्यान पैदा होता है
00:03:20उसे कहते हैं विद्या
00:03:21और उसको भी उपनिशद कहते हैं
00:03:24कि बहुत जरूरी है
00:03:25कहते हैं ये दोनों ही तरह के
00:03:27आपके बास ग्यान होने चाहिए
00:03:42करो और अविद्या हासिल करो आप क्यों हमसे ऐसे बार बार बोल रहे हैं तो कहते हैं नहीं नहीं नहीं नहीं अभी तुमने नहीं ठीक से देखा है हम आग्रह करने लग जाते हैं हम कहते हैं सब देख लिया है ठीक से बताइए क्या नहीं देखा है दिन रात तो हम जंदगी क
00:04:12नहीं हम फिर भी तुमसे कह रहे हैं कि तुमने कुछ नहीं देखा
00:04:15हम चिड़ और जाते हैं
00:04:18जब वो बार बार
00:04:20हम पर यही दोर आते हैं कि तुमने अभी नहीं देखा
00:04:24तो हमें बुरा और लग जाता है हम कहते हैं
00:04:28तो कहते हैं जा अवलोकन करो
00:04:31हम कहते हैं उसी चीज़ का कितनी बार अवलोकन करें देख तो आए
00:04:35जब हम बहुत हट के साथ और बहुत दुराग्रह के साथ
00:04:43और भीतर भारी विरोध और असम्मान लेकर के फिर ज्यानियों के मुह पर
00:04:51घोशेती कर देना चाते हैं कि ना हमें कुछ देखना है ना समझना है ना जानना है हमने सब देख जान समझ लिया
00:05:00तब वो फिर मजबूर हो करके हमसे कुछ बात कहते हैं तीन हिस्सों की है वो बात
00:05:07वो कहते हैं अगर तुमने सचमुच देख लिया होता
00:05:13जिन्दगी को और खुद को
00:05:19तो तुमने कहा होता जैसे जी रहा हूं वैसे जी यूँगा नहीं
00:05:31जिसकी कामना है वो चाहूंगा नहीं
00:05:37और जो मान रहा हूं वो मानूँगा नहीं
00:05:42तीन बाते बोल रहा है अगर तुम्हारा अवलोकन जरा भी सच्चा या गहरा होता तो तुमने तीन बाते बोली होती
00:05:50जैसे जी रहा हूं वैसे जी यूँगा नहीं
00:05:53जो चाह रहा हूँ उसे चाहूँगा नहीं
00:05:58और जो मान रहा हूं उसे मानूँगा नहीं
00:06:00दावा तुमने तीन में से एक बात नहीं बोली इन में से
00:06:04और दावा तुम्हारा यही है कि अवलोकन पूरा है
00:06:10अवलोकन हुआ होता
00:06:12तो जैसे जी रहे हो ऐसे जी नहीं रहे होते
00:06:15जो चाह रहे हो उसी को नहीं चाहे जाते
00:06:22तो मारी चाहत बदल गई होती
00:06:24और अवलोकन में अगर सच्चाई होती
00:06:31तो जो बात पकड़ के बांध के बैठे हो मानने था
00:06:34वो कपकी छोड़ दी होती
00:06:40प्रानी घिसी पिटी चीज अभी भी माने जा रहे हो तुम्हारे लिए जो तुमको थमा दिया गया वही बस सच है तुमने अवलोकन से क्या देखा अगर थमाई चीजे उसी को सच मानना है तो
00:06:48अवलोकन का तो मतलब होता है मौलिक ज्यान स्वयम देखा मैं कहता आखन देखी तुमने क्या अपनी साफ और तीक्षण आखों से देखा जब तुम बस मानने तामे ही जी रहे हो तो
00:07:05जैसे जी रहा हूँ वैसे जीऊंगा नहीं जो चाह रहा हूँ उसको चाहूंगा नहीं जो मानता आया हूँ उसको मानूंगा नहीं और ये तीनों फल मिल जाते हैं उसको जिसने बस साफ निर्मल निश्पक्ष पुरवागरह रहित आखों से जीवन को देखने की हिम्मत द
00:07:35आप कहें मुझे आता नहीं है, तो प्रेम चाहिए, प्रेम, तो प्रेम सही आता है और नहीं तो कहां कोई साहस आएगा प्रक्रति में तो उतनी सहास पाया
00:07:58जाता है जितना शिकार करने के लिए जरूरी है प्रक्रति में तो उतना ही साहस पाया जाता है जितना आग लगी जगह से भाग जाने के लिए जरूरी है प्रक्रति बस उतना ही साहस देती है आपको इस स्यादा साहस नहीं देती
00:08:09उसके आगे का साहस तो वो स्प्रीम से आता है
00:08:12तो आज की तीन शब्द हैं हमारे सामने
00:08:20जी जी विशा
00:08:24बुभुक्षा
00:08:33और बुभुत्सा
00:08:39हम मुक्ति की बात करते हैं बार बार
00:08:43इन ही तीनों से मुक्ति चाहिए होती है
00:08:46जी जी विशा से मुक्ति माने
00:08:49जैसे जी रहा हूँ अगर इसको जिन्दगी कहते हैं तो नहीं जीना
00:08:54यह हुई जी जी विशा से मुक्ति
00:08:55बुभुक्षा से मुक्ति माने
00:09:00जिसको चाह रहाऊं उसमें कुछ रखा ही नहीं है उसको नहीं चाहना
00:09:07और भुथ्सा से मुक्तिमाने जो कुछ मानता चला आया हो वो निश्चित रूप से जूट है उसको नहीं मानना
00:09:14जो भी कुछ तुमने मुझे सिखा पढ़ा दिया है जो भी तुम्हारे पुराने ढर्रे हैं वैसे न जीना है न चाहना है न मानना है
00:09:33नहीं जीएंगे नहीं चाहेंगे नहीं मानेंगे
00:09:37और ये तीनों फल हैं मातर उस छोटी सी चीज़ के जिसको गहते हैं अवलोकन
00:09:44तो श्टाओकर कह रहे हैं किया होता अगर अवलोकन
00:09:51तो जैसे जी रहे हो वैसे ही जीते जाने कि तुम में कैसे इतनी प्रवलिक्छा होती
00:09:57तुम तो अपनी जिंदगी बदलना इहीं नहीं चाहते हैं कुई तुम्हारे पीछे डणडा लेके भी पढ़ा होगे जिंदगी बदल लो
00:10:06तुम तबही एकदम अड़िल टट्टू की तरह है कुछ बदलना हीं नहीं चाहते अब बदलाहत उस्वाएं हाजाता है
00:10:21जिसने जान लिया कि ये दुनिया कैसी है
00:10:30वो कैसे इसी दुनिया की सिखाई सीख पर चलता रहेगा
00:10:37बदलाओ तो आई जाएगा न
00:10:40आप कोई अपनी इक्षा पर अपने बोध पर थोड़ी चलते हो
00:10:51किसे ने कह दिया
00:10:52आप तो चलते हो ये दुनिया में जो आपके मालिक बैठे है
00:10:56उनकी सीख पर और उनके नक्षे कदम पर
00:11:00और एक बार आपको देख जाए कि ये सब जो आपके मालिक बैठे हैं
00:11:05ये कितने पानी में है
00:11:06और इनका अपना क्या हाल है
00:11:11उसके बाद आप इनकी स्वीकार करोगे
00:11:13आप इनके पतचिन्हों का करोगे नुसरण
00:11:15करोगे क्या
00:11:19पर उसके लिए पहले दिखना तो चाहिए न वो है कैसे
00:11:25जब आप जानती नहीं हो कैसे हैं
00:11:27तो फिर वो आपको जिधर को खीशते हैं आप खीचे चले जाते हो
00:11:29पर श्टा वकर कह रहे हैं
00:11:37इनके आगे निकल जाता है
00:11:56ये एक चाहिए पीछे चूट जाती है
00:11:58ये तीन चीजे पीछे चूट जाती है
00:12:00कौन से तीन चीजे जैसे सब जीते हैं
00:12:04वही जीना है
00:12:05जिसको सब चाहते हैं उसी को चाहना है
00:12:10और जो सब की माननेता है उसी को मानना है
00:12:13और ये सब पीछे चूट जाएगा अगर तुमने
00:12:16एक उनको और एक खुद को ठीक से देख लिया होता
00:12:19ना तुम उनको जानते ना तुम खुद को जानते
00:12:22सिर्फ इसी लिए तुम उनके ऐसे शागिर्द
00:12:25ऐसे अन्याई ऐसे ऐसे शिश ऐसे भगत बने हुए हो
00:12:29तुम कुछ नहीं जानते
00:12:34और जाना जब जाता है न दोनों कोई कठे ही जाना जाता है
00:12:37जैसे खुद को नहीं जानते हैं वैसे उनको भी नहीं जानते
00:12:42तो तुम्हारे लिए वही आदर्श हो जाते हैं
00:12:48आदर्श नहीं भी हो जाते हैं तो
00:12:49कम से कम सम्मानिय तो हो जाते हैं
00:12:52सम्मानिय नहीं भी होते
00:12:54तो भी त्याज्य तो नहीं होने पाते कभी
00:12:57तुम कहते हो ठीक
00:13:00थोड़ा है थोड़े की जरूरत है
00:13:03मामला बीच का है
00:13:04वन अफ दे शेड्स अफ ग्रे
00:13:08इतना भी बुरा नहीं है मामला
00:13:13कि उससे पूरे तरीके से मुँँ फेर ले
00:13:16तो अश्टागर कह रहे है
00:13:19धन्य कोई बिरला ही होता है
00:13:22जिसको दिखाई दे जाए
00:13:23कि मामला सचमुच इतना ही बुरा है
00:13:25कि तुम्हें उससे पूरे तरीके से
00:13:28अपने आप को हटा लेना चाहिए
00:13:30तुम्हारे मन में कहीं न कहीं
00:13:32कुछ सुईकार रह जाता है
00:13:33कि क्या पता सत्य के अलावा
00:13:35भी 15, 20, 40 कुछ वैकलपिक
00:13:38सत्य होते हो
00:13:38वैकलपिक सत्य कौन बता रहा है
00:13:41वो कोई फिल्म वाला बता रहा है
00:13:43कोई टीवी वाला बता रहा है
00:13:45कोई चाचा ताउ बता रहा है
00:13:47कोई दोस्तियार बता रहा है
00:13:49कोई किस्सा कहानी बता रहा है
00:13:51कई बार तो वो जो
00:13:55और इधर उधर की भी किताबे होती है
00:13:57धर्म के नाम की
00:13:58उनसे भी तुम उठाने लग जाते हो
00:13:59कि ये भी बता रही है तो ठीक ही होगा
00:14:01मैं लोगों से कहता हूँ
00:14:04गीता तो कहते हैं
00:14:05गीता ही थोड़ी कोई एक धर्म गरंथ है
00:14:07हमारे और भी तो धर्म गरंथ है
00:14:08मैं पूछता हूँ कौन से धर्म गरंथ से पढ़ा है
00:14:11बोलते हैं मनु स्मृती से पढ़ लिया
00:14:12गरूर पुरान से पढ़ लिया
00:14:13गीता ही क्यों माने और भी तो ये चीजे हैं उनसे पढ़ लेते हैं
00:14:18तुमने अगर ठीक से पढ़ भी लिया होता तो उनको छोड़ दिया होता
00:14:29सौ जगहों से सीख हम उठा लाते हैं
00:14:33न जाने कितने हम अपने आका बना लेते हैं मालिक
00:14:37याज से नहीं हो रहा है या तब से हो रहा है
00:14:41कम से कम
00:14:442000 साल पुरानी है अश्टाकर संख्यता
00:14:48उससे जादा ही होगी कुछ
00:14:49अश्टाकर कहा रहे हैं धन है वो
00:14:55जो जब जगत की चेश्टाएं देखता है
00:14:59उनका अवलोकन करता है
00:15:02यही शब्द उनका अवलोकन
00:15:03वलोकन जब वो जगस्त की चेश्टाओं का वलोकन कर लेता है तो उसके बाद इन तीन से मुक्त हो जाता है जिविशा जिसको यहां पर कह रहे हैं जीवित इच्छा कि ऐसे ही जीना है जैसे सब जीते आएं ऐसे ही जीना है अश्टाकर कह रहे हैं जैसे सब जीते आएं हो मौ
00:15:33की तरह जीने को तुम कहते हो परमपरा का पालन, कह Tú थो सब ऐसे जी जी ए हमारे बाप, ददा और आज कलताओ चचा ये सब ऐसे जी रहें,
00:15:42तो हम भी यह नहीं तरह तो जीएंगे
00:15:45और जानने वारे कहते हैं कि
00:15:50उनकी तरह जीने के लिए पहले उनके पास तो जीवन होना चाहिए
00:15:54किसी चीज की नकल करने के लिए उधर तो कुछ होना चाहिए
00:15:59नहीं तो यह भी कर सकते थे कि परिक्षा में जब नकल करनी हो
00:16:05तुब बोलो कि दीजेगा जड़ा supplementary sheet
00:16:08वो जो खाली आपको दी जाती है
00:16:11answer sheet
00:16:11extra जो मांगते हो
00:16:13और उसी में से नकल करते
00:16:14कोई वैसा मिल जाए नकल करता हुआ
00:16:16तो वो मुरक्त क्या लाएगा
00:16:17क्यों?
00:16:18तुकि वहाँ नकल करने के लिए भी कुछ
00:16:20है यह नहीं
00:16:21नकल भी वहाँ करो न जहाँ कुछ हो
00:16:24वहाँ कुछ नहीं है
00:16:25वो खाली है वो शून्य है
00:16:26बुद्द से पूछो कहेंगे रिक्त है खाली शून्य है
00:16:29वहाँ तुम नकल भी किसकी करोगे
00:16:31पर नकल भी चल रही है
00:16:33यहाँ कुछ नहीं है वहाँ
00:16:35उसकी नकल चल रही है
00:16:51तो आप कहते हो लेकिन कुछ था तो नकल करी तो थी हमने, मैं बताता हूँ क्या था
00:16:55उनकी आंसर शीट उत्तर पुस्तगाप पर एक मक्खी बैठ गई थी नहीं उसको ऐसे मार दिया थो चिपक गई थी
00:17:04आपने उसकी नकल कर लिये, वहाँ कुछ लिखा हुआ नहीं था, वहाँ कुछ मरा हुआ था
00:17:09आप मौत की नकल कर रहे हो, आप पुरानी मरी हुई मक्खियों को देख करके नई नई मरी हुई मक्खियां चिपका रहे हो
00:17:17और ये बात कोई नई नई है
00:17:22ये बात बहुत पुरानी है
00:17:24दो हजार साल बात पुरानी बात है ये
00:17:31वो कह रहे हैं
00:17:32कह रहे हैं जिसने जगत को देख लिया
00:17:34वो फिर कभी नहीं कह पाएगा
00:17:37कि जैसे सब जीते हैं वैसे ही जीना है
00:17:38तो अगर आपकी जिंदगी लगभग वैसी है जैसी सब की जिंदगी है तो एक बात पकी है, आप जिंदगी के बारे में कुछ नहीं जानते
00:17:46आप मुक्त ही कितने हो जगत से आपके अवलोकन में सच्चाई कितनी रही है यही ऐसे नाप लीजिए कि आपकी और दूसरों की जिंदगी में समानता कितनी है
00:17:57तीनों कसा उटिया हैं किसी का भी प्रयोक कर लीजिए
00:18:01दूसरों की और आपकी जिंदगी में समानता कितनी है
00:18:04दूसरों की और आपकी इच्छाओं में समानता कितनी है
00:18:07और दूसरों की और आपकी माननेताओं में समानता कितनी है
00:18:11जितनी आपकी माननेता हैं दूसरों जैसी उतने आप मुर्दा
00:18:14उतना आपने अभी कुछ जाना ही नहीं है
00:18:19मुर्दे क्या जानेंगे कुछ नहीं पता आपको
00:18:21जितना आप भी वही सब कुछ चाहते हो
00:18:25जो दूसरे चाहते हैं उतने आप मुर्दा
00:18:27लोहा खिचा आता है चुम्बक की ओर
00:18:33उसे कुछ पता थोड़ी है
00:18:35पर फिर भी खिचा आ रहा है आकरिशन है चाहत तो ही
00:18:37खिचा चला आ रहा है
00:18:38पतंगा खिचा चला आता है प्रकाश की ओर
00:18:44उसे कुछ पता थोड़ी है
00:18:46जो कहते हैं अभी दीवाली आ रही
00:18:50लोग कहते हैं दिवाली के अन्य कारणों में एक कारणी ये भी है
00:18:53कि बरसाद के बाद कीड़े बहुत हो जाते है
00:18:57तो जब खूब प्रकाश कर दो रात में दिये वगएरा जला दो तो उसमें आके कीड़े मर जाते है
00:19:03कीडों को पता है क्या क्यों प्रकाश की और क्यों खिचे आ रहे हैं वसा आ रहे हैं आ रहे हैं वैसे ही हम हैं कुछ भी कर रहे हैं
00:19:13हमें इतना तो दिख जाता है कि उस दिये की और जो पतंगा आया वो बिना ये जाने आया कि वो दिये की और क्यों जा रहा है पर हमें ये नहीं दिखता कि जिस जीवने वो दिया जलाया है उसने भी बिना ये जाने जलाया कि वो दिया क्यों जला रहा है तो बताओ दिया जला
00:19:43आर्थ पता है आप से पूछा जाए तो आपको हाँ आर्थ पता है कुछ आप सतही सा धूरा सा आड़ा तिर्चा कोई परंपरिक सा अर्थ पता दोगे ये कोई नहीं बोलेगा मैं नहीं जानता जो भी बोल दे नहीं जानता उसके तो जानने की संभाव ना खुल जाती आप �
00:20:13की गई थी तो हम भी दिये चला रहे हैं इतने से तो नहीं बात बंती है पता तो आपको भी कुछ नहीं है पता उस पतंगे को भी कुछ नहीं है पतंगा भी तो अपनी पुरानी परंपरा का ही पालन कर रहा है उसका ददा भी वैसे ही मरा था
00:20:30दो दिवाली पहले उसका ददा वहीं मरा था उसी घर में
00:20:35वैसी किसी दिये में आकर मूँ डाला था मरा था
00:20:37वो भी अपनी परंपरा का पालन कर रहा आप भी परंपरा का पालन कर रहा हो
00:20:42जानता वो कुछ नहीं जानते आप कुछ नहीं
00:20:44ये बात रिशेष्टा आपकर आपको समझा रहे हैं
00:20:46समझ सकते हों तो समझिए
00:20:47उन्हें भी भहुत उम्मीद नहीं कि आप समझ पाएंगे
00:20:49वो भी यही कहा रहे हैं कि धन्ने है वो बिरला
00:20:51जिसको ये बात समझ में आती है
00:20:52क्योंकि समझ में आती नहीं ये बात किसी को
00:20:54लोग आ जाते हैं
00:21:01हाँ भही अवलोकन लिखा है
00:21:03आप लोग एप पर भी तो आवलोकन खूब लिखते हो
00:21:05हमारी गीता कम्यूनिटी की है
00:21:06अरे अवलोकन अगर सच्चा होता तो जिंदगी बदल गई होती ही न
00:21:09आवलोकन सच्चा होता तो आप वही सब कुछ कैसे चाह रहे होते
00:21:12जो आप चाहते जाते हो वही सब कुछ कैसे मान रहे होते है
00:21:15जो आप मानते जाते हो
00:21:16जिसने देख लिया
00:21:18वो आँखों देखी मक्षी अब कैसे निगल लेगा बताओ
00:21:21देखने का ये अर्थ होता है
00:21:23देख लिया आज में मक्खी पड़ी हुई ये बढ़िया वाली
00:21:25और मैं कहूं आखा
00:21:26कईयों को तो कलपना में ही उल्टी आ गई होगी
00:21:32कहा देखो मक्खी पड़ी है और ये पी रहे है
00:21:35आ गई न
00:21:37रिशियों को ऐसे ही हमारी जिंदगी देखके
00:21:39वमन आता है एकदम
00:21:40आपको दिखराओ ना दिखराओ उन्हें दिखता है
00:21:45कि हमारी जिंदगी है मक्खिया ही मक्खिया है
00:21:47और रोज हम हलक से नीचे उतारते है
00:21:49जैसे चाय की पत्ती होती है काली-काली
00:22:03वही चाहते हो जो सब चाहते है
00:22:07वही मांगते हो जो सब मांगते है
00:22:11और वही मानते हो जो सब मानते है
00:22:13तो आखें कहा है तुमारी
00:22:17मासूम सा सवाल है यह हम कह रहें हैं श्टावकर रिशे
00:22:21पर यह एक युवा है यह किशोर है जो आपसे खड़ा होकर के
00:22:25बगावत के स्वर में एक सवाल पूछ रहा है
00:22:29ये एक विद्रोही का प्रश्ण है बताओ न
00:22:37कुछ ऐसा चाहते हो जो दूसरे नहीं चाहते
00:22:40कहते हैं इनकी आयो इस वक्त चौधा साल की है
00:22:46मैं गहारा हूँ चलो थोड़ी अतिश्योक्ति होगी
00:22:47चौधा के नहीं होगे चौबीस के होगे पर चौबीस के हैं तो भी बहुत जवान है
00:22:51और ये एक जवान आदमी आप से सवाल पूछ रहा है
00:22:59कैसे तुम वही सब कुछ चाह रहे हो जो पूरी दुनिया चाह रही है
00:23:03जानवर हो
00:23:04एक कुट्टा वही चाहता है दूसरा कुट्टा चाहता है हाँ या ना
00:23:11कुट्टे कुट्टे की चाहत में अंतर नहीं मिल सकता आपको
00:23:14लड़ जाएंगे कुट्टे एक रोटी एक हड़ी के लिए दोनों कुट्टे एक ही चीज चाह रहे हैं
00:23:19बिल्ली बिल्ली भी वही चाहती है
00:23:25लेकिन दो इनसान
00:23:31अगर एक ही चीज के पीछे पड़े हो
00:23:33तो कुछ गड़बड है
00:23:35और अगर दो हजार इनसान
00:23:37एक ही चीज के पीछे पड़े हो
00:23:38और दो करोड
00:23:41और दो करोड ही नहीं
00:23:48दो शताब्दियों से दो करोण
00:23:50तो
00:23:51तो
00:23:55फिर ये ऐसा तो नहीं कि
00:23:58किसी को भी नहीं पता कि जिन्दगी में चाहने
00:24:00लायक क्या है इसलिए सब
00:24:02एक भीड बन करके किसी
00:24:04एक चीज की और चल पड़ते हैं
00:24:07जिसकी और बहुमत जा रहा होता है
00:24:08तो एक चलो यहीं चाहले
00:24:10अगर सचमुच
00:24:18हमारे पास कुछ निजता होती
00:24:20कुछ इंडिविजुएलिटी होती
00:24:22तो जितने लोग होते
00:24:24उनके रास्तों में
00:24:26कुछ तो भी विधता दिखाई देती
00:24:28अगर दुनिया में
00:24:30800 करोड लोग हैं
00:24:32तो 800 करोड नहीं तो कम से कम
00:24:3410 करोड तो अलग-अलग रास्ते दिखाई देते
00:24:35पर 800 करोड लोग कुल जमा-जमा
00:24:392, 4, 6 रास्तों पर ही चल रहा हो इसका मतलब क्या है
00:24:41क्या मतलब है
00:24:44कैंपस में थे
00:24:52तो हाँ मैंने पूछा मैंने का इतने सारे हैं
00:24:56और सबसे अभी पूछा जाए कि
00:24:59अपनी ड्रीम कंपनी बताना 1, 2, 3
00:25:01तो 90 प्रतिशत लोगों की वही वही निकलेंगी
00:25:06मैंने का इक कौन सी ड्रीम है
00:25:07जो जो तुम्हारी है वही तुम्हारे पडोसी की है
00:25:10वही पूरे कैंपस की है
00:25:11ये सपना कौन सा ये सपना तो है नहीं
00:25:14अरे सपना भी तो थोड़ा सा अपना हो
00:25:17अगर अपना नहीं तो सपना नहीं
00:25:22वो फिर एक भ्रम मात्र है
00:25:26जो उसको बोलना हो
00:25:29डिलूजन हैलूसिनेशन
00:25:33और रात में देख रहे हो तो नाइटमेर
00:25:36आपके सपने आपके अपने है क्या
00:25:42आपका पडोसी बिल्कुल वही सपना ले रहा है जो आप ले रहे हो
00:25:47अब वो सपना ना आपका है न आपके पडोसी का है
00:25:50वो सपना एक बहुत विस्तित
00:25:55All Pervasive सर्वव्यापी अग्यान का है
00:26:06वो किसी का नहीं है, जैसे कि हड़ी मिल जाए, कुत्ते को सपना आ रहा है, कुत्ते का सपना थोड़ी है, दस कुत्ते लेटे, दसो एकी सपना ले रहे हड़ी मिल जाए, आप क्या बोलोगे, इस कुत्ते ने कोई विशेश पातरता हासिल करी है, कोई ग्यान है इसके पास, क�
00:26:36वो बहुत सारोजनिक है
00:26:37सर्वव्यापी अज्ञान से उठती सारोजनिक चाहते है
00:26:42यह जो बड़े-बड़े residential complexes होते हैं
00:26:48यह उचा होगा कम से कम 25 मंजिल्या
00:26:50अब तो 50-50 मंजिल वाले भी होने लग गए
00:26:54जमीन की कमी है
00:26:55और उसमें आप देखो गए वो सब वही हैं
00:27:06सेकड़ो यूनिट्स है
00:27:07सेकड़ो यूनिट्स है
00:27:08तो पहला सवाल तो यह कि क्या आप सबका सपना
00:27:12इतना एक जैसा था
00:27:14कि सबने यही कहा था कि मुझे ऐसा घर मिले
00:27:16सबका घर बिलकुल एक जैसा
00:27:18चलो कोई बात नहीं
00:27:21घर की बनावट इट पत्थरों का खेल
00:27:24हम क्या सकते हैं बाहरी बात है
00:27:26लेकिन जब हम आपके घर में
00:27:28प्रवेश करते हैं तो हम पाते हैं कि
00:27:30घर कोई भी हो जिन्दगी एक जैसी है
00:27:32किसी भी घर में घुसो
00:27:36टीवी पर लगभग एक से कारकरम चल रहे हैं
00:27:38किसी भी घर में घुसो
00:27:41तो प्रेम तो नहीं ही पाओगे
00:27:43क्लेश भी एक जैसे है
00:27:44हमारे क्लेशों में भी विविधता नहीं है
00:27:47लगभग एक से ही समवाद
00:27:51चल रहे होते हैं
00:27:52पति पत्नी सास बहु
00:27:53मा बेटे के बीच में
00:27:55लगभग एक सी बात है
00:27:58तभी तो जब
00:28:01एक घर से कोई जाके
00:28:04दूसरे घर में चुगली करता है
00:28:05तो दूसरे घर वाला तो रन समझ जाता है क्या बात हो रही
00:28:08क्योंकि वही बात कर रहा थो उसके घर में भी हो रही थी
00:28:10हमारा तो क्लेश भी उधार का है
00:28:16हमें क्लेश भी
00:28:17इतनी भी हमारी किसमत नहीं कि
00:28:20क्लेश भी मौलिक ओरिजिनल मिल जाए
00:28:21हम लड़ते भी ऐसे हैं जैसे किसी स्क्रिप्ट से
00:28:24उठा करके लड़ाई कर रहे हूँ
00:28:27पिक्चरों की पठकता होती है उसे पहले ही बता दिया जाता है
00:28:32नायक खल नायक खड़े अब तु इसको गाली देगा
00:28:34फिर ये तुझे कुछ बोलेगा फिर तु कुछ बोलेगा फिर तु कुछ बोलेगा
00:28:36उनकी तो लड़ाई भी नकलिए
00:28:38प्रेम तो हमारे पास है ही नहीं असलिए हमारा क्लेश भी नकलिए
00:28:42माननेता क्या पता होता आपको अगर आपको नहीं बताया गया होता
00:28:54क्या पता होता आपको अगर नहीं बताया गया होता आपका अपना क्या है
00:29:00ये सब जो आप माने बैठे हो क्या आप इसमें से कुछ भी मान रहे होते हैं अगर आपको बताया नहीं गया होता है
00:29:05बुलिए भाशा आपको बताई गई गड़ेत आपको सिखाई गई
00:29:11आप में से अधिकांश लोग दुनिया के अधिकांश देशों में नहीं गए होंगे
00:29:17हम बाहर भी जाते हैं तो दो ही चार देशें महां घूमके आ जाते हैं
00:29:21अमेरिका, कनेडा, आस्ट्रेलिया, बहुत हुआ तो ब्रिटेन हो गए रहा बस
00:29:25दुनिया के अधिकांश देशों में आप गई नहीं होंगे, लेकिन आपको पक्का भरोसा है, वो है, वो आपको बताया गया है
00:29:34चलो वहां तक फिर भी ठीक होता है
00:29:36लेकिन हम ही क्या चीज़ हैं, हमको ये भी किसी और ने बताया है
00:29:42जिन विचारों को, माननेताओं को, आदर्शों को, आप बहुत अब जिन्दगी में अपनी पवित्र और केंद्रिय मानने लगे हो, वो भी क्या सब आपके अपने हैं?
00:30:05मैं कटर वामपन्थी हूँ, कोई बोल रहा है
00:30:12ये वामपन्थ तुमने पैदा कराये क्या?
00:30:20कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो तुमने लिखा था क्या?
00:30:25किसी ने अगर पढ़ाया नहीं होता
00:30:27तो कहां से लाते तुम वामपन्थ?
00:30:35पर आज उसके लिए तुम जान देने को तयार हो
00:30:37मैं कटर मुसल्मान हूँ, इसाई हूँ
00:30:41हिंदू हूँ, हिंदूओं में भी फिर मैं
00:30:45छत्री हूँ, गुजर हूँ, जाट हूँ, ब्राह्मन हूँ, कुछ
00:30:48तुम पैदा हुए, तुमको बताया नहीं गया होता ये सब
00:30:52ये तो छोड़ दो कि तुम कटर होते
00:30:59तुम जो भी बने हुए हो, हिंदू, मुसल्मान, इसाई, क्या तुम वो भी होते?
00:31:04ये धर में तुम्हारा अपना है क्या? किसी ने बताया नहीं होता
00:31:09पैदा हो गए, कि वेटा तुम
00:31:14क्रिश्चियन हो और नाम चाल्स है, कोई और आके बता देता
00:31:19कि नाम चुन्नूलाल है, तो तुम चुन्नूलाल हो जाते
00:31:23आज जान देने को तयार हो
00:31:27कह रहे हो, My God is the only God and Christ is His only Son
00:31:37ये सब ग्यान तुमको सपने में आया था, आकाशवाड़ी हुई थी
00:31:43फिर तुम्हारे उपर डाउनलोड उतरा था
00:31:46तुम्हें कैसे पता ये सब?
00:31:52किसी ने बता दिया, हर चीज किसी ने बता दी
00:31:54और जो कुछ किसी ने बता दिया, उसको जन्दगी बना लिया
00:31:57ऐसे ही तो चल रहा है
00:32:01आप एग चीज बता दीजिए
00:32:08जो आपके दिमाग में होती
00:32:10बिना किसी दूसरे
00:32:12के बताए हुए भी
00:32:14बता दीजिए
00:32:16और ये छोटी मोटी बाते हो
00:32:19तो चलेगा हम जिन चीजों के आधार पर ही खड़े हैं
00:32:25जो चीजें हमारी जिन्दगी की बुनियाद हैं
00:32:27वो भी हमने बस दूसरों से ही सुन ली हैं
00:32:31सुनी सुना ही बात
00:32:32पर पूरी जिन्दगी बिता रहे हैं
00:32:37तभी तो फिर जब आपसे कोई गहरी चर्चा की जाती है
00:32:44तो दो मिनिट में आप अचका चाना शुरू कर देते हो
00:32:46और कहते हो नहीं बोरिंग है
00:32:52बोरिंग नहीं है आपके पास अब कोई जवाब नहीं है
00:32:55तुम्हें किसने बताया कि इतना पैसा जिंदगी में होना ही चाहिए कैसे पता है पता हो तुम्हें कुछ नहीं पता है चुकि तुम्हें कुछ नहीं पता है इसलिए जो सब कर रहे हैं वहीं करने में तुम भी लगे पड़े हो
00:33:09ऐलाद तो पैदा करनी है थीक है कर लो
00:33:24ट्रिकरतिन मे ने शरीर में विश्था दिया है उससे ऑलाद पैदा हो सकती है कर लो ठीक है
00:33:31होती भी रहिए
00:33:32ये कोई समस्या की बात नहीं कि आलाद पैदा करनी है
00:33:36लेगिन ये तो बता दो
00:33:37कि ये तुम्हें किसने बताया कि ये जीवन में
00:33:40इतनी महत्वपूर्ण बात है
00:33:41ये किसने बताया
00:33:45कैसे तुमने इस बात को इतनी
00:33:49इज़त दे दी
00:33:52जिन्दगी में
00:33:53आप स्कूल कॉलेज हॉस्टल में
00:34:02रहे हैं
00:34:04बहुत लोग
00:34:06खास करके जो
00:34:11जेंड्स होंस्टल होते हैं
00:34:12उनमें तो ऐसा कोई भाव नहीं होता
00:34:1420, 22, 24, 25 की उमर में भी
00:34:18कि जिन्दगी है ही
00:34:21इसलिए कि
00:34:21हाथ में
00:34:24बच्चा
00:34:26रोए
00:34:31कुछ और भी बोल सकता था पर अब छोड़ो
00:34:35भीतर कोई बैठा है जिसे जानना है
00:34:43लेकिन जानना महनत का काम होता और साहस का
00:34:48जब न महनत करनी है न साहस दिखाना है
00:34:53तो जानना फिर उधारी का काम बन जाता है
00:34:57जानना तो ही कहीं ने कहीं से तो
00:35:01ये भाव लाना ही है भीतर के मुझे भी पता है
00:35:04मुझे भी पता है दो तरीके जो सकता है
00:35:08मैंने पता लगाया है
00:35:09या मैंने मान लिया है
00:35:11अब पता लगाने
00:35:14वाली मेहनत करनी नहीं
00:35:17तो मान लो
00:35:17वो सस्ता विकल्प है
00:35:19मान लो
00:35:20जो सब कर रहे हैं धर-धर देखो और मान लो
00:35:22आरी भाद समझे
00:35:27मान लो भूस
00:35:28जीवित एच्छा
00:35:37बुभुक्षा
00:35:39च बुभुत्सो पशम गता
00:35:42आगे निकल जाएगा
00:35:48जिस किसी ने
00:35:50कस्या पे
00:35:52कोई जो भी कोई
00:35:56बिरला धन्य
00:35:57कोई जिसने भी देख लिया
00:36:05कि जिन्दगी वास्तव में क्या चीज़ है
00:36:07और ये देखना कोई ऐसा नहीं कि
00:36:09साधू सन्यासियों का ही धर्मिक लोगों का ही काम है
00:36:14जिस किसी को भी जिन्दगी जीनी है
00:36:16उसे जिन्दगी
00:36:18का दर्शन तो करना ही पड़ेगा न
00:36:22जिन्दगी जाननी तो पड़ेगी न
00:36:23कि बस दार्शनिको कोई जिन्दगी जी नहीं आपको नहीं जीनी
00:36:27आपको जीनी है ना जिसको भी जिन्दगी जीनी है उसको जिन्दगी समझ नहीं पड़ेगे नहीं तो जी कैसे रहो
00:36:45जिसने भी जिन्दगी जी ली वो इन तीन बातों से मुक्त हो जाएगा
00:36:51पहला दूसरों की तरह ही जीना है
00:36:55दूसरों की तरह ही चाहना है
00:36:59दूसरों की तरह ही मानना है
00:37:02न दूसरों की तरह जीऊंगा
00:37:09न दूसरों की तरह चाहूंगा
00:37:13न दूसरों की तरह मानूंगा
00:37:15मेरी एक जिन्दगी है
00:37:22उसे पूरी मौलिकता में जियूँगा
00:37:27अवसर बार बार नहीं आवे
00:37:30दूसरा कोई जीवन तो है नहीं
00:37:34यही है
00:37:36यही है और इसकी अनन्त संभावना है
00:37:41कैसे मैं कोई एक पल की भी बरबादी बरदाश्ट कर लूँ
00:37:46सीमित जीवन संभावना अनन्त
00:37:59समय कम और राह बहुत लंबी
00:38:02सोना कैसे सुईकार कर लूँ
00:38:11मनजिल मेरी प्यार मेरा दूसरों के पीछे कैसे चल दूँ
00:38:15वो दूसरे का पता नहीं उसकी क्या मनजिल और उसका क्या प्यार मैं कैसे उसके पीछे पीछे चल दूँ
00:38:21यह होता है एक प्रज्वलित जीवन प्रज्वलित प्रज्वलित उसमें प्रेम से आता है आप सब के सब ग्यान मांगते रहते हो ग्यान चाहिए ग्यान चाहिए
00:38:51रौशनी ग्यान की ग्यान को प्रकाश बोलते न ग्यान की रौशनी से अज्ञान का अंधकार दूर होता है
00:38:57ग्यान से प्रकाशित हो पाओ उससे पहले प्रज्वलित होना पड़ता है
00:39:06आग जलती पहले है रौशनी बाद में देती है
00:39:13जिसकी जिन्दगी में भवक नहीं और लपट नहीं
00:39:21वो क्या खोखला दावा कर रहा है कि वो ग्यानी है
00:39:24और ये रिष्टा है ग्यान का और प्रेम का
00:39:30ग्यान प्रकाश है प्रेम प्रज्जुलन है
00:39:33बिना प्रज्जुलन के प्रकाश कहां से लाओगे बताओ
00:39:36जब जले ही नहीं तो रोशनी कहां से आएगी
00:39:41पर यहां इतने सारे ठंडे लोग मिलते हैं
00:39:51जिनका दावा होता है कि प्रकाशित है
00:39:53मैं कहता हूँ गजब
00:39:54इतनी ठंडी जिंदगी और दावा यह है कि ग्यान पूरा है
00:40:00ग्यानी बहुत है और मूँ पे देखो
00:40:02तो ग्यानी ही के चेहरे पर आग होती है
00:40:19उसके भीतर प्रेम जल रहा होता है
00:40:23वो ताप उसके चेहरे पर दिखाई देता है
00:40:27वो प्रेम का ताप है
00:40:28उसी ताप को फिर आप चाहो तो तेजस ओजस जो बोलना है बोल लो
00:40:34अग्यानी वैसा कि विरहिन ओदी लाकडी सुसके और धुदुआए
00:40:42अग्यानी ऐसा कि छूट पड़े या विरह से जो सगली जली जाए
00:40:48वो पूरा जल रहा है उसके अंतरस्थल में आग लगी हुई है उसी आग से पहली बात प्रकाश होता है
00:40:58तो अग्यान कटता है और दूसरी बात ताप होता है तो बंधन गलते है
00:41:03ऐसा ही थोड़ी ये बेडियां गल जानी है इसके लिए आग चाहिए और ठंडे लोगों की चीज नहीं है अध्यात्म
00:41:14जिन्दगी में कोई उर्जा नहीं कुछ है नहीं हर जग है अपने आपको बचाए बचाए फिरते हैं सबसे सुरक्षित रास्ता चुनना है
00:41:25रीड सीधी खड़ी करने जीवन का सामना करने का साहस नहीं हमेशा जुके जुके ही चले और दावा है ज्यान का
00:41:44जिनकी कभी रीड नहीं सीधी हो रही वो अपने आपको किस मूँ से ज्यानी बोलते है प्रेम विद्रहो होता है क्योंकि प्राकरतिक इस्थिति आपकी बंधन माने अप्रेम की होती है
00:42:10प्रेम जो आपकी प्राकरतिक जन्म जात इस्थिति है उसके खिलाफ बड़ा विद्रहो होता है
00:42:20उसी आग का प्रकाश ज्यान बनता है
00:42:26नहीं होगी वो आग तो कहां से लाओगे दम ये कहने का
00:42:44क्या अगर इसी को जिन्दगी कहते है तो नहीं जीना
00:42:52इसी को चाहना जीवन है नहीं चाहना
00:42:58यहीं सब मानना जरूरी है नहीं मानना
00:43:04कहां से लाओगे साहस नहीं जीऊंगा नहीं चाहनगा नहीं मानूंगा
00:43:14कैसे कह पाओगे जब तक भीतर कुछ धधक सा नहीं रहाओगा
00:43:26अभी थोड़े देर पहले बाहर थे तो यह पूछने लगा कि आज कितना सोए
00:43:33इसने घड़ी ला करके दिये वो नाप लेती है कि कितने घंटे सोए
00:43:39तो पहले बात दभी रह जाती थी अब सबको दिख जाता है कि आज कभी तीन घंटा सो रहे कभी चार घंटा पांच घंटा
00:43:46महीने में एक आज दो दिन निकले हैं जब 7-8 घंटे की नीन मिली नहीं तो यही चल रहा है पूछ रहा है आज कि तुम्हें क्या लगता है
00:43:53कि मुझे कोई भीमारी है इसलिए मुझे नीन नहीं आती
00:43:59मैं तुम्हें राज की बात बता रहा हूँ किसी को नहीं बता रहा है आप सबको बताई देनो अब तो क्या राज है
00:44:05मैं नहीं कहा जो तुमने घड़ी दी है न यह हार्ट रेट भी नापती है
00:44:13उसमें ऐसे एक गोल दिल बना हुए लाल वो बताता रहता है कि कितना है आपका
00:44:20वह आम तोर पर होना चाहिए कुछ सत्तर पिशत्तर इतनी होना चाहिए न
00:44:25मैं रात में तीन चार बज़े सत्र खतम होता है सुबह नौदस बज़े भी मेरा नब्बे पिचान भी रहता है
00:44:34वो मेरे लिए
00:44:40सेलिब्रेशन के घंटे होते हैं मुझे नींद कैसे आ जाएगी
00:44:45कोई बहुत ठंडा मरा हुआ बुझा हुआ आदमी होगा जो सत्र के बाद सो सकता होगा
00:44:51सत्र में आग लग जाती है मुझे में वो मेरे पज्वलन का समय होता है
00:44:59मैं कैसे सो जाऊ उसके बाद मेरा पूरा शरीर तपरा होता है मुझे कैसे नींद आ जाएगी
00:45:04इसलिए नींद नहीं आती और तुम लोग सोचर हो कोई सोचर है इनको मच्छर आ गया मच्छर
00:45:10मच्छर ने क्या किया
00:45:11कोई लगा हुआ है जाके इसके इसके बाद सो जाने का लाश थोड़ी हो
00:45:31कैसे सो जाओ
00:45:35कैसे सो जाओ
00:45:40अनहद बाजा
00:45:42बजे सुहान
00:45:45अनहद बाजा बज़ता है
00:45:48वो ऐसा बज़ता है कि
00:45:50सो के दिखा दो
00:45:53दत हजार वाट के स्पीकर लगे हूँ
00:45:56ऐसा बज़ता है
00:45:57इसके बाद कोई सो सकता है
00:45:59कोई तरीका ही नहीं सोने का
00:46:01इसके बाद तो मुझे नाचना होता है, वो उत्सव है हमारा वो त्योहार है, दिक्कत इन की है कि उत्योहार महीने में 25 दिन हो रहा है, इतनी इन में ख्षमता ही नहीं, एपिटाइट ही नहीं कि उतनी खुश्रिये बरदाश्ट कर पाएं,
00:46:18सारी समस्या यह है कि तुम्हारे पास आनंद के लिए पाचन शक्ती नहीं है, आनंद तुम्हें पच्ट नहीं रहा है, यह जगह है, यह संस्ता अमारी उनके लिए है, जो छोटी मुटी खुशी से राजी ना होते हूं, जिनके पास एपिटाइट हो हाईयर प्लेजर की, और
00:46:48इनसे दूनी उमर का हूं, मैं कहता हूं, अब सत्र खतम हुआ है, मुझे फेस्टिविटीज चाहिए, और यहां चारो तरफ सुनसान, सुनसान तो कम, समसान, मुझे सत्र के बाद पार्टी चाहिए भाई, एक मुझे एक्जिस्टेंशियल सेलेबरेशन चाहिए, उसकी ज�
00:47:18मैं अभी जोक कुछ बोल रहा हूं, यह ग्यान नहीं बोल रहा हूं, यह प्रेम ही बोल रहा है, बेना प्रेम के कोई नहीं ग्यान होता, लोग अलग अलग आके बताते हैं, ग्यान मार गलग है, प्रेम मार गलग है, कुछ नहीं, बेकार की बात, अपनी जिन्दगी से बता
00:47:48इस से उंचा क्या होगा
00:47:50यह अम्रित है जिन्दगी का
00:47:51मेरी नहीं सब की जिन्दगी का
00:47:53और यहां बैठ करके यही ध्यान है मेरा
00:47:55यही जिन्दगी है मेरी
00:47:56लोग कहते हैं मेडिटेशन
00:47:59मैं मेडिटेशन में ही तो हूँ अभी और क्या होता है मेडिटेशन
00:48:01अब सत्र समात्त हुए
00:48:12मैं बोलता हूँ चलो खेलेंगे
00:48:13खेलने के लिए वाँ कोई होता ही नहीं
00:48:15अब पैचारे उम्रत अरास हो गए है
00:48:20दर्द हो गया घुटनों हो गएरा हमे
00:48:21सो जाते हैं जल्दीज जाके
00:48:23कईओं को मुझपे लगता है दया जाती
00:48:31कहते है अब यह इतनों ने भी
00:48:334-6 गंटे बोला है अब यह खेलेंगे क्या
00:48:35तो जाने मुझपे रहम करके
00:48:37नहीं आते सामने
00:48:43एक यह बैठा हुआ
00:48:44यह इतना सारा खाना लेके आ जाता है
00:48:46अरे खाने का होश होता है क्या
00:48:48पार्टी में खाना खाने जो जाएं वो कौन क्या लाते हैं
00:48:53वो मोटी तोंद वाले 60 साल वाले अंकल
00:48:54खवरदार मुझे अंकल समझातो
00:48:56जवान आदमी तो पार्टी में नाचने जाता है
00:49:00वो जो 60 साल वाले होते हैं
00:49:04ये इतनी बड़ी तोंद लेके खाने जाते हैं
00:49:06ये मेरी पार्टी चल रहा है, ये खाना ले आता है बहुत सारा, मैं कहा रहा हूँ, खाना मत लेके आभी, तब गंभीर हो जाते हैं, बहुत देखो अभी, अध्यात्म कशेतर हैं, बहुत गंभीर बाते हैं, हरियोम, न तुम हरिकार समझते, न ओम जानते, क्या ये तुम गं
00:49:36जब पूरी जान लगा करके कोट पे स्मैश वारो न
00:49:40उस आवास को समझना वो जो आवास आती है
00:49:45जब एक जवान आदमी का हाथ हवा को चीरता है
00:49:49तो उसमें एक आवास आती है जैसी जब तलवार हवा को चीरे तो
00:49:54तब ओम समझोगे
00:49:58जब तक
00:50:01तुम्हारे आग्रह में
00:50:05तुम्हारी मुमुक्षा में
00:50:09और तुम्हारे प्रेम में वो ताकत नहीं होगी
00:50:12कि तुम हवा को चीरो तो भी आवास आए
00:50:15तब तक तुम ओम का क्या आर्थ समझोगे
00:50:17हम चुकि मुर्दा और ठंडे लोग हैं
00:50:23तो हमने अपने रिशियों की छवी भी ऐसे ही बना लिये
00:50:25आप देखोगे किस्से कहानियों में
00:50:27चित्रों में पुराणों में
00:50:29और टीवी सीरिलों में वहाँ जो रिशी आते हैं
00:50:31वो ऐसा होता है कि बस अभी इनकी बात सुन लो
00:50:33कोई भरोसा नहीं पांच नडवादी होंगे कि नहीं
00:50:36बहुत ध्यान से बहुत इज़त से अभी इनकी बात सुन लो
00:50:39गिरने वाले हैं बस
00:50:40उन्हें रिशियों को ऐसा समझ रखा है
00:50:46ये सामने अश्टा वक्र है
00:50:47जवान आदमी
00:50:50जब दिल इतनी जोर से धड़कर आओ तो नीद कहां से आ जाएगी
00:51:00और सत्य अगर दिल को नहीं धड़काएगा
00:51:06तो दिल फिर प्रेम कैसे कर पाएगा
00:51:11सच के सामने अगर आपका दिल नहीं धड़कता
00:51:16तो बताओ फिर प्यार किस से करते हो
00:51:20या सच के सामने बिलकुल ऐसे
00:51:23शान्त हो करके और ठंडे होके बैठ जाओगे
00:51:26और दिल धड़केगा जब कंचन कामी नहीं सामने आएंगे
00:51:29जैसे आपका दिल धड़कता है ना जब सामने बहुत सारा कुछ आ जाता होगा कि
00:51:37कामना पूर्ती की कोई चीज आ गई
00:51:39क्या आकरशक बदन वाली यूती आ गई है
00:51:42क्या बढ़ियां सुडॉल राजकुमार आ गया या बहुत सारा पैसा आ गया है
00:51:47या कुछ लोगे लिए खाना आ गया बहुत सारा
00:51:49या डर लग गया बहुत ज्यादा तब भी दिल धड़कता है
00:51:53तो जैसे आपका दिल तब धड़कता है वैसी मेरे दिल धड़कता है इन सत्रों में
00:51:57पहले तो मुझे बस लगता था जब से ओ घड़ी आई है
00:52:01तब से तो प्रमान आ गया और वो सेव भी कर देटी है डेटा
00:52:04वो सब सेव हो रहा है
00:52:05जागे जाँच लेना कि इस दिन इतने वज़े सत्र खतम हुआ
00:52:09उसके चार घंटे बाद तक हार्ट बीट नॉर्मल नहीं रहती
00:52:22नहीं तो सिर्फ ग्यान की बुनियाद पर कैसे तुम उतना बड़ा विद्रोह कर पाओगे जिसकी आज बात हो रही है
00:52:28नहीं जीना नहीं चाहना नहीं मानना कैसे कह पाओगे
00:52:37सिर्फ थड़कता हुआ भी नहीं जलता हुआ दिल चाहिए तब कह पाओगे
00:52:42सच ऐसी चीज है कि जब सामने आए तो यह न कहो कि अरे मैं तो बिलकुल सहियत हो गया शांत हो गया
00:52:49कहो आग लग गई
00:52:50आग लग गई
00:52:53पूरा जिस्म जलने लगा
00:52:56यह जो आपको सिखा दिया गया है थंडा सत्य
00:53:02इसी के कारण
00:53:05फिर आज दुनिया में सच्चाई की इतनी हार है
00:53:14बस नाम का चलता है सत्य में हो जायते
00:53:17जीता क्या दिखाई देता है चार ओर
00:53:18जूट क्योंकि आपको एक ठंडा सत्य बता दिया गया है
00:53:22तो सत्य वाले सारे लोग क्या करते हैं वो बैट करके बस
00:53:28यह कौन सा सत्य है जिसके सामने बस यह कर रहे हो
00:53:33या छुप छुप करके कई पर जा करके दो चार कुछ लिख दिया
00:53:37या ठीक है
00:53:38उद्गोश कहां है दहार कहां है
00:53:44जिन्दगी कहां है
00:53:49अश्टा ओकर कहा है कोई बिरला
00:53:58कोई बिरला होता है
00:54:01जो यह विद्रोह कर पाता है
00:54:06और यह आश्टा की बात इसलिए है
00:54:14क्योंकि दुनिया का जो हाल है वो प्रकट सब पर है
00:54:19आप जिनको अपना आदर्श मानते हो
00:54:25आप जिनको अनुकर्णिये मानते हो
00:54:29उनकी जिन्दगी कैसी बीती है या आप भी जानते हो
00:54:33तब भी आपको उन्ही के पदचिन्हों पर चलना है
00:54:42अगर खुद से प्यार होगा तो आदमी कहेगा
00:54:44जिनको बरबाद देख रहा हूँ
00:54:47उनकी तरह थोड़ी जीना है
00:54:50और अगर दूसरे से प्यार होगा तो आदमी कहेगा
00:54:53देखो हमारी जिन्दगी बरबाद गई
00:54:55तुम कैसी भी जिन्दगी जीना हमारी जैसी जिन्दगी मत जीना
00:55:00माबाप अगर सचमुच इमांदार होंगे
00:55:04और बच्चें से प्यार रखते होंगे
00:55:06तो कहेंगे तुम कैसी भी जिन्दगी जी लेना हमारे जैसी मत जीना
00:55:09अगर तुम जानना चाहते हो कि जिन्दगी में क्या क्या नहीं करना है
00:55:15तो बस ये देख लो कि तुम्हारे माबाप ने क्या क्या किया बिटा
00:55:18ये कहेंगे माबाप
00:55:20हमने जो कुछ किया बस जान लो वही सब कुछ तुमको नहीं करना है अपनी जिंदगी में
00:55:24उल्टा होता है
00:55:26जिनकी जिंदगी आप बरबाद देख रहे हो आप उन्हीं के पीछे पीछे चल रहे हो
00:55:32और जिनको अपनी जिन्दगे में कुछ नहीं हांसे लुआ वो चाहते हैं अपने बच्चों को भी
00:55:37वैसा ही असफल जीवन विरासत में दे दें
00:55:42देखिए कितनी दूर तक जा रहे हैं अश्टा वक्र कह रहे हैं कि
00:55:54जीविशा से भी आगे निकल जाऊंगा लेकिन माने जीना ही छोड़ दूँगा बहुत दबाव डालोगे तो
00:56:02बहुत परिशान करोगे तो ये कह देंगे जी नहीं नहीं है
00:56:12लेकिन वैसे नहीं जीएंगे जैसे तुम जीए हो आज तक
00:56:15जान ले लो हमारी लेकिन तुम्हारी तरह नहीं जीएंगे
00:56:32समझ में आ रहा है ये सब बातें ये ज्यान अध्यात्म ये श्री कृष्णी भगवद गीता ये अश्टावक्र गीता ये उनके लिए होते हैं जिनें साधारन जिन्दगी नहीं जीनी
00:56:48जो थोड़ी सी खुशी में और साधारन संतुष्टी में राजी नहीं है
00:57:02जिनकी अकांग्शा भूत हर्दिक है जो कहरें पैदा हुए है तो पूरा पी के जाएंगे
00:57:11और जिन्दा है तो पूरा जी के जाएंगे
00:57:24यही तो हंकार की अपूर्णता होती न अगरू अपूर्ण से राजी हो जाए तो
00:57:28हम बार बार कहते हैं अहंकार अपूर्ण होता है अपूर्ण कौन जो अपूर्ण से ही समझाता कर ले चलो अपूर्ण ता है जिंदी में कोई बात नहीं जैसा चल रहा है बेटा संतोशम पर्ममसुखंप
00:57:41जो अपूर्ण से ही समझाता कर ले
00:57:45उसी को तो अहंकार कहते है
00:57:46आदमी वो जो कहे कि
00:57:57अगर जबरदस्ती करोगे तो
00:57:59जीना छोड़ देंगे
00:58:03इसी को सत्याग्रह कहते है
00:58:10सत्य के लिए अग्रह
00:58:11छुटी मुटी बात पे नहीं कि
00:58:14नसकाटली
00:58:15और फालतु में फीता लटका दिया
00:58:19पंखे से वो जो नोटंकियां कलेश घरों में चलते है
00:58:23वो सब नहीं
00:58:26वो बेकार की बात है
00:58:28सत्याग्रह
00:58:30सत्याग्रह शब्द आप जोडते हो गांधी से
00:58:38ज़्यादा जोड़ा जाना चाहिए भगत सिंग से
00:58:40या तो आजाद जीऊंगा
00:58:44नहीं तो जीऊंगा ही नहीं
00:58:46और आजाद कह रहे हो तो अचनर शेखार आजाद
00:58:49उन्होंने तो ये भी नहीं करा कि अंग्रेश फांसी देंगे
00:58:51बोले आखरी गोली है
00:58:54जब तक गोलियां थी
00:58:56तब तक तुम पर बजाएं
00:58:59अभी आखरी है पेड के नीचे बैठे हुए तही लहाबाद
00:59:01आखरी गोली है
00:59:04जब मैंने तुम्हें जिन्दगी में मौका नहीं दिया
00:59:09खुद को छूने का
00:59:11तो अब कैसे छूलोगे तुम मुझे
00:59:14आजाद परिंदा हूँ
00:59:16कैसे तुम हत्कडी बान दोगे मुझे
00:59:18आखरी गोली मेरे लिए
00:59:20ये हैं असली आध्यात्मिक लोग
00:59:27पर हमने आध्यात्मिक आदमी की छवी क्या बना दिये
00:59:29थंडा, मुर्दा
00:59:32क्रांति का और विद्रोह का
00:59:35तो हमने संबंध ही नहीं रखा ध्यात्म से
00:59:38सत्याग्र, सत्याग्र
00:59:45संत्कवीर मचली के लिए बोलते हैं
00:59:54क्या, मचली का सत्याग्र क्या है
00:59:56परान मेरा
00:59:58समुद्र में है
01:00:01समुद्र ही मेरा प्रेम है
01:00:06इतनी सी भी देर को निकालोगे
01:00:08तो प्रान त्याग दूँगी
01:00:10पल्भर को भी जो बीछुडए
01:00:18जट से त्यागे दे
01:00:20अधिक सने ही माचरी
01:00:22बाकी अलप सने
01:00:23ये होता है प्रेम
01:00:26फोड़ी भी देर को यहां से निकालोगे
01:00:28जान दे दूँगी, ये कोशिश मत करना
01:00:30ये कोशिश मत करना
01:00:32ये उम्मीद मत रखना कि मुझे यहां से निकाल भी लोगे
01:00:34और मुझे जिन्दा भी पा लोगे
01:00:36मुझे पा सकते हो
01:00:38बस लाश के तौर पे
01:00:40लाश मिलेगी मेरी
01:00:42खालो मेरी लाश को
01:00:43पर जिन्दा नहीं पाओगे मुझे
01:00:45तो ग्यानियों ने इसको वास्तविक प्रेम
01:00:53और उचितम विद्रोह का प्रतीखी बना दिया
01:00:57वो बोले चिडिया तो फिर भी सुईकार कर लेती है
01:01:00पिंजडे में जिन्दा रहना
01:01:02मचली है जो नहीं सुईकार करती
01:01:09मचली कहती है पानी के बिना नहीं जिएउगी
01:01:13ये प्रेश्न अपने आप से करिएगा
01:01:20एकदम खाली होके बैठी है और अपने आप से पूछिए
01:01:24अगर मुझे ये सब बताया नहीं गया होता तो
01:01:27मैं जैसे भी जी रहा हूँ जी रही हूँ
01:01:33कैसे जी रही होती
01:01:35अगर मुझे यह सब बताया नहीं गया होता
01:01:38तो
01:01:39ना इधर से ना �udher से कुछ ना पता चला होता
01:01:44तो मेरा क्या होता
01:01:45मेरा अपना क्या होता
01:01:48यह प्रश्ण बहुत जरूरी है यह प्रश्ण
01:02:03जिसके जीवन में कुछ नहीं होगा जो पूर्णतया उसका अपना है आत्मिक है उसका जीवन बड़ा रसहीन होता है
01:02:17आत्मिक है आत्मा के लिए कहा गया रसो वैसख उपनिशत कहते हैं
01:02:23जीवन में रस तभी होगा जब जीवन में आत्मा होती है
01:02:28आत्मिक्ता होती है आत्मिक्ता
01:02:32तो जिसका ज्यान आत्मिक नहीं है जिसकी कामना आत्मिक नहीं है
01:02:41उसका जीवन फिर रसहीन होता है
01:02:53कुछ आरी ये बात समझ हुए है?

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