- 6/30/2025
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00:00सब लोग अपने आपको आपने दिल पर बढाती हैं और लटकी लटकी ये बिसाइब करते हैं कि वो आपस में शाधी ना करते हैं, वेट वाल से लटकी आप वाशन के लिए आती हैं
00:12चाहे इस्तरी हो, चाहे पुरुश हो, अगर आपने उसके हाथ में ताकत दे दी
00:16जिसको पता ही नहीं अधिकारों का इस्तिमाल करना कैसे है, उसको अधिकार दे करके आप क्या करोगे?
00:24इंटरनेट मिल गया, जिससे आप कुछ भी जान सकते हैं, लेकिन भीतर से अगर आप जानवर ही रह गए, तो इंटरनेट पॉर्ण के लिए हैं
00:33तो यह होता है, जब शक्ति होती है, लेकिन भीतर अंधेरा होता है
00:51रोशनी नहीं है, ताकत मिल गई, अधिकार मिल गई, शक्ति मिल गई
00:56आपस में लड़की लड़की का आपस में मद बेरोना और जो भी उनकी प्राप्टर तेक
01:23आपस में में लड़की लड़के के बीच ने वो सामन जसे नहीं बन पाता जिसकी वज़े से वो
01:34मराइटल लाइफ उनकी ठीक नहीं जलती है फिर टेंशन शुरू हो जाती है तो अगर
01:39सब लोग अपने आपको आधम दिर्वर बनाते हैं और लड़की लड़की यह डिसाइड करते हैं कि वो आपस में शादी ना करके देविल
01:49में यह जाधि वीड़की बहुत सी लड़की आती हैं जो की आउट अपने शेच्स की वज़े से फ्रेग्न हो चाती है और उसके बाद फें वो लोग अवाशन के लिए आती हैं
02:07इंटर्सवलेन नेपो भी मतलब जजने करना चाहिं लेकिन इंटर्नली अइस्तार्ट
02:11कि I start judging them, कि why can't they control themselves, why do they have sex before marriage?
02:18और हमारी सुसाइटी ने इसको लेकि बहुत stigma भी है, कि
02:22मतलब why don't they control, once they meet, why do they have to go directly to this thing?
02:29तो मतलब हम लोग एक तरफ कह रहे हैं कि हमें नारी का सश्यक्ति करना है,
02:34उन लोग को independent बनाना है, लड़ियों को अपने एरो पे खड़ाओ के अपनी जन्दगी अपने आप घुजारनी चाहिए,
02:41शादी के बंदन में जल्दी से नहीं ठसना चाहिए, तो फिर अगर उनका out of marriage sex होता है,
02:47और फिर उनके प्राकृतिक instincts की वज़े से वो सब जीज़ करते हैं, तो उसको कैसे हम लोग समाज में जगा देएंगें।
02:55सशक्ति करन अगर सिर्फ बाहरी है, तो आपको जो शक्ति दी जा रही है, आप उस शक्ति से अपना ही नाश कर लेंगी।
03:07सशक्ति करन का ये बहुत आधा धूरा, उथला और घातक अर्थ हुआ, कि एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में शक्ति दे दो,
03:21जो अंदरूनी तोर पर अभी जगा नहीं है, विकसित नहीं है, ये भी जो आप सवस्या बता रही है,
03:31कि विवाः पूर्वी गर्भाधान हो गया है, उसके बाद अबॉरशन गर्भाध के लिए आते हैं, ये क्या है?
03:41गौर्स देखिए तो यही इस्थेति तो है
03:45शरीर विक्सित हो गया है चेतना विक्सित हुई नहीं
03:48शरीर विक्सित हो गया है तो सेक्स कर लिया
03:51गर्ब भी हो गया क्योंकि शरीर तो विक्सित है
03:55शरीर विक्सित है तो शरीर वाले काम कर लिये सारे
04:00धीतर चेतना विक्सित हुई नहीं है
04:02तो चेतना अभी पश्वों की ही है
04:04जिधर ज़रा शारीरिक सुख दिखा
04:09उधर को चल दी चेतना
04:11और शरीर विक्सित हो चुका था
04:14इसी तरीके से
04:16चाहे स्त्री हो चाहे पुरुष हो
04:18अगर आपने उसके हाथ में टाकत दे दी
04:20और उसको यह पता ही नहीं है कि वो कौन है
04:24और इसलिए उसको उस टाकत का इस्तेमाल क्या करना है
04:27तो नतीजे बहुत घातक होते है
04:30है ना
04:33आज आप दुनिया की समस्याइं देखिए
04:35इनमें आप यही तो पाएंगे
04:37आज लोगों के पास पैसा बहुत है
04:41टेक्नालोजी बहुत है
04:45इन्फोर्मेशन भी इंटरनेट के माध्यम से
04:49जितनी पहले कभी उपलब्द नहीं थी
04:51उतनी आज उपलब्द है आज आपको जानना चाहते हैं
04:53खट से गूगल करते हैं मिल जाता है
04:55आज इतनी उपलब्द हैं उतने कभी नहीं थी
05:04सामाजिक तल पर देखें तो आपको वोट देने का अधिकार मिला हुआ है
05:13युनिवर्सल एडल्ट राइट है ये
05:18कि अगर आपकी किसी लोगतंत्र में आपकी अवस्था 18 या 21 से उपर किये
05:26तो फर्त नहीं पड़ता आप कौन हैं आप जा करके मतदान कर सकते हैं
05:31लेकिर हम क्या करते हैं अपनी ताकतों का
05:36आपको ताकत तो दे दी गई शक्ति तो दे दी गई कि जाये
05:40और अपना प्रतिनिद्य और अपना नेता चुनिए आप किसको चुनाते हैं
05:44जब आत्मग्यान नहीं है आप नहीं जानते आप कौन है इसलिए आपको किसको चुनना चाहिए
05:49तो आप कैसे उल्टे पुल्टे नेता चुनते हैं
05:52आपके हाथ में पैसा है लेकिन आप जानते ही नहीं कि आप कौन है इसलिए आपको क्या खरीदना चाहिए
05:59तो देखिए आप क्या चीज़े खरीद लाते हैं और किस तरह की चीजों से बाजार पटे पडे हैं
06:05आपको टेकनोलोजी मिल गई है सशक्तिकरण हो रहा है लेकिन आप जानते हैं उस टेकनोलोजी का करना क्या है
06:11तो देखिए मोबाइल फोन का क्या इस्तेमाल होता है इंटरनेट मिल गया जिससे आप कुछ भी जान सकते हैं
06:20लेकिन भीतर से अगर आप जानवर ही रह गए तो इंटरनेट का आज भी आधे से ज्यादा ट्रैफिक पॉर्ण के लिए है
06:27मिल तो गया इतनी जबरदस्ट चीज मिली इंटरनेट मिला है और इस्तेमाल किसलिए हो रहा है जानवरों वाले काम के लिए हो रहा है
06:36आपने एटम के भीतर भुस करके उसके नाभिक को भेद दिया बिलकुल और वहाँ जो जबरदस्ट उर्जा है उसके गुप्त सूत्र आपके हाथ लग गए
06:52क्या शक्ति है कितनी जबरदस्ट ताकत है वहाँ पर और आपने उसका इस्तेमाल क्या किया
06:58आज दुनिया को जितना लाभ नहीं मिल रहा है नुकलियर एनरजी से उससे ज्यादा बड़ा खतरा सर पर तलवार की तरह लटक रहा है
07:09कि ना जाने कब नुकलियर वार हो जाए हमने नुकलियर एनरजी को साधा उससे लाभ तो यह हुआ है
07:21कि nuclear power plant से उनसे energy आती है पर nuclear power plant से जितना फाइदा मिल रहा है उससे कहीं ज्यादा बड़ा खतरा खड़ा हुआ है
07:31कोई नहीं जालता यह रूस-युक्रेन युद्ध कब आनविक युद्ध में तबदील हो जाए
07:38तो यह होता है जब शक्ति होती है लेकिन भीतर अंधेरा होता है अब उस शक्ति का बहुत गलत इस्तिमाल होगा
07:48मैं जब महिला सशक्तिकरण की बात कर रहा हूँ
07:52तो मैं यही नहीं कहा रहा हूँ कि महिला के हाथ में पैसा दे दो, ताकत दे दो, सारे तरीके के अधिकार दे दो
07:59मैं कहा रहा हूँ पहले उसकी भीतरी चेतना तो जागरत करो
08:03नहीं जागरत करोगे तो देखिए नर हो नारी हो हैं तो सब जानवर ही ना
08:09नर पशु जैसे होते हैं वैसे ही नारी पशु भी होते हैं
08:15या ऐसा है क्या कि अगर बच्चा पैदा हुआ है तो उसमें पशुता ज्यादा होगी और बच्ची पैदा हुई है
08:22तो थोड़ी कम पशु होगी नहीं ऐसा कुछ नहीं है एक ही प्रजाती है नर्नारी अगर एक जानवर है तो दूसरा भी जानवर है आत्मग्यान के आंतरिक जागरती के अभावों में दोनों बराबर के जानवर है तो महिला सशक्तिकरण की जब मैं बात करता हूँ तो उसमे
08:52जोना ही उल्टा पुल्टा और घातक इस्तिमाल करेगी जितना की पुरुषों ने अपने हाथ की ताकत का करा है इतिहास में ताकत बहुत ज्यादा पुरुषों के ही हाथ में रही है इस्त्रियों को कम पुरुषों ने क्या करा उस ताकत का ज्यादा तर तो उस ताकत का इ
09:22वर था तो उसमें बहुत इधर उधर लड़ाई है नहीं इतने युद्धुए जंगल काट दिये हजार काम करें आप इस्तरी के हाथ में ताकत दे दोगे वो भी यही सब कुछ करेगी
09:33आप एक समाज बना दो जिसमें पुरुषों को कम तागा तो इस्तरीयों को चुरू हो जाएगा
10:03कि अध्यात्मिक पुरुषों के लिए जितना जरूरी होगा तो होगा महिलाओं के लिए और ज्यादा जरूरी है क्योंकि सशक्तिकरण की शुरुवात तो आंतरक जागरती से ही होती है
10:14देखिए अंतर समझेए
10:17अगर आपके पास बाहरी ताकत हो और भीतरी रोशनी ना हो तो बरबाद है आप है ना बलकि अब और घाता किस्तिती आ गई जैसे ही कोई नशे में हो आद्मियों और उसके आथ में कुलाड़ी दे दिये बीतर क्या है अंधेरा और हाथ में क्या है ताकत हाथ में कुलाड़ी
10:47तो इस आदमी के हाथ में कोई ताकत होनी नहीं चाहिए, लिकिन इसकी विप्रीत इस्थिति सोचिए, अगर भीतर रोशनी हो, तो हाथ में कुलहाडी नहीं भी हो, तो बहुत अंतर नहीं पड़ेगा,
11:04अगर भीतर प्रकाश हो, भीतर शक्ति हो, तो बाहरी शक्ति बहुत महत्वपून नहीं रह जाती, संतों की ताकत क्या कम रही है,
11:18मानौता के इतिहास पर रिश्यों का संतों को प्रभाव देखिए, उनके पास कौन सी कुलहाडी थी, उनके पास सिर्व भीतर की रोशनी थी, लेकिन उस भीतर की रोशनी के बूते, कितनी ताकत थी हुई उनके पास, हुई की नहीं हुई, और दूसरी बात, भीतर रोशनी
11:48चाहे भीतर रोशनी है और आपको कुलाड़ी का इंतजाम करना है आपने कर डाला दोनों इस सितियों में पहले क्या आता है भीतर रोशनी का होना तो इसलिए महिलाओं के सशक्तिकरण में भी पहले क्या आएगी बात भीतर ही रोशनी बाहरी बात तो हमको बहुत पता नहीं �
12:18यह सब होगा, नहीं होगा, वो चलता रहेगा, लेकिन जो चीज़ सबसे पहले जरूरी है, वो ये, महिला अपने आपको जाने, अपने आपको अपने तन से, अपनी पशुता से अलग कुछ जाने, महिला के लिए भहुत भहुत आवश्चेख है,
12:35क्योंकि प्रक्रति ने महिला को ऐसा रचा है कि वो अपने तन से बहुत ज्यादा जुड़ी होती है
12:45बहुत ही ज्यादा और यही वज़या है कि वो बहुत बंधनों में जीती है
12:50वो इस हद तक अपने तन से जुड़ी होती है
12:56कि वो अपने तन को ही अपनी शक्ति समझना शुरू कर देती है
13:00अपने बंधन को ही अपनी ताकत समझना शुरू कर देती है
13:02और जब तक महिला अपने आपको शरीर ही मानती रहेगी
13:09या अपने शरीर में ही अपना सुक्त हो जेगी, अपने शरीर में ही वो अपनी शक्त हो जेगी, अपने शरीर को ही वो अजार की तरह, अस्तर की तरह इस्तिमाल करेगी, तब तक उसका कोई सशक्ति करण नहीं हो सकता,
13:24जितने भी शोशन करने को आतुर पुरुश होते हैं
13:33वो खोज ही कोई ऐसे महिला रहे होते है
13:36जो बिलकुल देह भाव में, बॉडी अडेंटिफिकेशन में जीती हो
13:41कोई भेडिया पुरुश हो, जो टूह में हो कि कोई मिले ऐसी लड़की या नारी
13:49जिसका शोशन किया जा सके, वो किसी ऐसे को खोजेगा
13:54जो चेतना शून्ने हो, खाली बिलकुल चेतना शून्ने
14:02लेकिन शरीर को लेकर के बिलकुल सजग
14:08चेतना को लेकर के बिलकुल सोई हुई और शरीर को लेकर के बिलकुल उतसाहित, सजग
14:15ऐसी हों का ही फिर शिकार होता है
14:19और ऐसी ही मैलाएं फिर
14:22हिंसक होकर के आगे शिकार करती भी है
14:25दोलों ही बाते होती है
14:27हम यहाँ पर जो साधारण
14:37फेमिनिज्म है उसकी
14:39बात को आगे नहीं बढ़ा रहे है
14:40अध्यात्मी जिस सशक्तिकरण की बात करता है
14:44वो प्रचलित नारीवाद
14:47फेमिनिज्म से बहुत अलग है
14:48प्रचलित नारीवाद कहता है जेंडर एक्वालिटी
14:53और अध्यात्म कहता है
14:56लिबरेशन फ्रॉम दे जेंडर आइडेंटिटी
14:58इन दोनों बातों में अंतर समझीए
15:00जेंडर एक्वालिटी का मतलब है
15:14लेकिन
15:16खूब भोग करता है
15:19मौज मारता है
15:20दुनिया भर की बेवकूफियां करता है
15:22मुझे वो सारी बेवकूफियां करनी है
15:24जो नर पशू करता है
15:25मादा पशू कह रही है
15:27जेंडर इक्वैलिटी
15:28समानता चाहिए
15:30किसी समानता चाहिए
15:32जो जो बेवकूफिया पुरुश करते हैं उसी के समान बेवकूफियां करने का अधिकार हमको भी दो
15:37लगभग ये है फेमिनिज्म
15:40बिलकुल आजकर यही हो रहा है
15:43पुरुशों के हाथ में शक्ति रही है मानाओ के इतिहास में
15:49क्या करा उन्होंने दुनिया का
15:51जैसी आज की दुनिया है आप तो खुद कहते हैं न
15:54इट्स अ मैंस वर्ल्ड
15:57पुरुश सत्ता दौरा संचाले थे आज की दुनिया
16:00कितनी अच्छी है आज की दुनिया बताइए
16:02तो पुरुशों के हाथ में सत्ता रही उन्होंने
16:06दुनिया की ऐसी बरबादी कर दी
16:09और महिलाएं कह रही है हमें पुरुशों के साथ
16:13इक्वालिटी करनी है
16:14माने अभी तक तो दुनिया को पुरुशी बरबाद कर रहे थे
16:17महिलाएं कह रही है हमें भी तो बरबाद करने दो
16:19अरे तुम ही भरबाद करते रहोगे क्या
16:22तबाही में हमें भी बराबर का हिस्सेदार होना है
16:28यह है जेंडर एक्वालिटी
16:30अध्यात्म जो कह रहा है वो बिलकुल आदाद बात हो कह रहा है
16:34फिर से कहेंगे
16:36लिबरेशन फ्रॉम जेंडर आइडेंटिटी
16:39अध्यात्म नारी को ये नहीं बोलता कि तुम एक सशक्त नारी बनो
16:45अध्यात्म नारी को बोलता है पूछो अपने आप से
16:51नारी की दे बने बने ही जीना है या अपने आपको चेतना रूप जानना है
16:57यही कहती रहोगी बार-बार मैं महिला हूँ, मैं महिला हूँ, तुम महिला ही बनी रह गई
17:03तो चेतना कब बनोगी और चेतना नहीं बनी तो तुम्हें मुक्ति कब मिलेगी
17:08फेमिनिस्म बोलता है be an empowered woman
17:13spirituality, अध्यात्म, विशेशकर विदान्त कहता है don't think of yourself as a woman
17:21because that you are not
17:27महिला बनकर घूमना है, क्यों तुम्हें अपने शरीर के बंधन को और मजबूत करके रखना है
17:34रोशनी नहीं है, ताकत मिल गई, अधिकार मिल गई, शक्ति मिल गई, उच्छरंग खलता बढ़ेगी बस
17:50जिसको पता ही नहीं अधिकारों का इस्तिमाल करना कैसे है, उसको अधिकार दे करके आप क्या करोगे
17:57बुलिए, लेकिन empowerment के नाम पर हम करते ही है
18:02जो जानता ही नहीं कि पैसे का क्या इस्तिमाल करना उसके हाथे पैसे थमा दिये
18:09वो क्या करेगा उन पैसों का यह एंपावर्मेंट है
18:13यह बदला निकाल रहे हो तबाह कर रहे हो
18:18आप मावाप हो आपका बच्चा है और मोह वश आप उसको नोटोई गड़ियां थमा देते हैं
18:2712 साल 14 साल 20 साल कितने का भी बच्चा है और बड़ा मोह होता है
18:32माओं में तो होता ही आजकल बापों में भहुत होता है बेटे को गड़ी थमा दी मोटी
18:39वो उससे दारू, मटन, मुर्गा, याशी, बदमाशी सब कर रहा है बताई ये तो
18:53बंदर के हाथ में तलवार देने से क्या होता है तो सशक्ति करण का अर्थ क्या ये है कि बंदर के हाथ में तलवार दे दो
18:59या सशक्तिकरणकार थी है कि बंदर को पहले इंसान बना दो
19:03अध्यात्म कहता है हम सब बंदर ही हैं हम सब जंगल से ही निकले हैं
19:11इस बंदर को इंसान बनाने की बहुत जरूरत है और वही है वास्तविक सशक्तिकरण
19:16प्रश्न हुआ और पिछले से तुम्हें भी मैंने प्रश्न बूठ था कि अब बता थे कि सहुमत अगर
19:33जिसे जो जो महिलाएं होती है में कहा ही यह जाता है कि तुम्हारा सर्वोपरी धरम तो घ्रस्ती ही है
19:42अगर उन्हें पोटेंशियल होता भी है तो जिसे अभी भी बात हुई और तो इसमें क्या आप यह ना जूठी कहानिया तो सुनाया मत करो
19:55कि महिलाएं इसलिए बेचारी क्योंकि बेचारी को बता दिया गया है कि सर्वोपरी धर्म ग्रहस्ती है इसलिए वो ग्रहस्ती के सारे अत्याचार सहती जाती है
20:05एक टर्म होती है पैट्रियार्कल बार्गेन उसकार्द जानते हो क्या होता है पैट्रियार्कल बार्गेन उसकार्द होता है कि यह जो पैट्रियार्की है पित्रसक्ता जिसमें पुरुशों का ही वर्चस्व चलता है
20:25उसमें बस पुरुशों का ही नहीं चल रहा है, बारगेन में स्त्रियों को भी बहुत कुछ मिल रहा है
20:32इसलिए ही तो दुनिया की आधी आबादी स्त्रियों के होते हुए भी पैट्रियार्की इतने समय से चली आ रही है
20:41क्योंकि उसमें स्त्रियों का भी स्वार्थ सिध्ध हो रहा है
20:44ग्रहस्ति कोई कम मौज की बात है
20:48अगर स्त्रियों को बता दिया गया है कि तुम्हारा धर्म ग्रहस्ति है
20:54तो ये बात उन्होंने सिर्फ बेचारगी में नहीं स्विकार कर ली है
20:57ये स्विकार करने में उनका स्वार्थ भी सम्मिलित है
21:00हाँ वो बहुत बिहोष स्वार्थ है
21:02बहुत अचेतन स्वार्थ है
21:05बहुत मुर्कता पूर्ण स्वार्थ है
21:07लेकिन स्वार्थ तो है
21:08बस में चली हो
21:11बस में
21:13कहीं जब railway crossing होती है
21:17traffic jam लगता है
21:18तो वो नीचे आ जाते हैं
21:21कोई चना बेच रहा है
21:22कोई बिसलेरी की बोतल लेकर रहे आ जाता है
21:25वो सब पाउन होते हैं
21:28वो लड़के होते हैं
21:29आप जब ग्रहस्ती में हो न
21:31तो सड़क की धूल खाने से बच जाते हो
21:34दिल्ली की धूप में और धूल में
21:38वो सब करने की सोचो
21:41जो पुरुश्वर्ग किया करता है दिन भर
21:44ताकि वो शाम को घर में कुछ पैसा ला सके
21:47ये सब कहानी करना बहुत आसान है
21:50कि महिलाई बिचारी तो ग्रहस्ती में ही बंदी है
21:52जब उन्हें ग्रहस्ती से आज बाहर निकलने का मौका मिलता भी है
21:57तो अधिकांश महिलाई निकलना बाहर चाहती ही नहीं
22:01कौन बाहर की धूल फाकेगा
22:03कौन बाहर की इतने कश्ट सहेगा
22:05और बाहर बहुत कश्ट है
22:08पुरुषवर्ग पर इलजाम लगाना आसान है
22:12मैंने भी बहुत इलजाम लगाए है
22:14मैं भी इस्त्रियों के पती ज़्यादा साहन भूती रखता रहा हूँ
22:17लेकिन आप ग्यासा प्रश्ण कर रही है
22:19उस प्रश्ण में पहले ये समझे
22:21कि महिला अपनी दुश्मन स्वयम रही है
22:25ग्रहस्ती में बंधना उसको भी बहुत पसंद है
22:28तभी तो खूब पड़ी लिखी सशक्त महिलाएं भी
22:33नौकरी और छोड़ करके पसंद करती है कि घर पर ही बैठ जाओ
22:37कुछ बोल दिया जाता है बच्चा हो गया है तो उसलिए हम घर पे रहेंगे
22:41अच्छा बच्चा तो बड़ा हो गया है अब तो चली जाओ वापस काम पर नहीं
22:45नहीं कुछ पाना घर पर बढ़िया है
22:49एक बहुत बड़ा वर्ग पैदा हो गया है जहां घर पर दो-तीन तरह के मेड लगे हैं
22:55नौकर लगे हुए है मस्त बिस्तर है मुलायम वाला उसके सामने बड़ा टीवी लगा हुआ है
23:00एर कंडिशनल चल रहा है जब घर पे ये सब कुछ है तो बाहर काही के लिए निकलना है
23:06कमा कर लाने के लिए पुरुश है
23:08मैं मजदूर स्तरियों की बात नहीं कर रहा हूँ
23:12भली बात जानता हूँ कि सबसे बड़ा वर्ग उन महिलाओं का है
23:16जो महनत कश है जो बहुत काम करती है
23:18जो पेट में बच्चा बांध करके भी इटेड होती है
23:22उनके पूरा सम्मान रखते हुए
23:24मैं एक दूसरे वर्ग की बात कर रहा हूँ अभी
23:26आप जिस पीड़ी से आती है
23:34वो हर तरीके से लिबरेटेड है
23:37हमारी डॉक्टर में तरह यहाँ पर अभी ओ कह रही थी
23:44गानेकलोजिस्ट है कि
23:45आपकी पीड़ी की लड़कियां आती रहती है
23:49कि उन्होंने सेक्स कर लिया खूब आवर्शन कराने के लिए आई हुई है
23:53क्यों तब यह याद नहीं आया कि माता पिता ने धर्म क्या बताया था
24:00इस बारे नों तो उन्होंने कुछ धर्म बताया होगा ना तब नहीं याद आया
24:03मैं नहीं कहा रहा हूँ जो धर्म बताया हूँ सही बताया था
24:06पर जैसे आप कह रही हैं कि माबाप ने बता दिया कि ग्रहस्ती सबसे बड़ा धर्म है, हमने मान लिया
24:11तो माबाप ने फिर उन्ही माबाप ने उसी मुझ से ये भी तो बताया हुआ कि शादी से पहले सेक्स ना करना भी धर्म है
24:18तो वो बात क्यों नहीं मानी बात सीधी है
24:21जिस बात में स्वार्थ पूरा हुआ वो बात मान ली
24:24और जिस बात में सुख जरा कम दिखा वो बात नहीं मानी
24:30तो ऐसा नहीं है कि लड़किया बेशारी तो बेशारी भेड़ हैं
24:35गाये हैं जिसने जहांचाहाँ बान दिया
24:37ऐसा कुछ नहीं है
24:38जिसने जहांचाहाँ बान दिया
24:39बहुत तेज होती है
24:40सबकी बात लिंग कर रहा हूँ
24:45डिस्क्लेमर कर लाके बोलता हूं
24:47अमेशा
24:47तीक है
24:52ये बेचारगी का स्वांग छोड़ो
24:55अगर पाती हो कि कष्ट में हो
24:58तो अपने जीवन का नियंत्रण अपने हाथ में लो
25:02यह सब छोड़ो कि मेरी तो बुरी हालत इसलिए है
25:05क्योंकि मावा आपने मुझे गलत रूडियां पढ़ा दी
25:07मेरी तो बुरी हालत इसलिए है क्योंकि
25:10ये समाज ही बड़ा शोशक है, ये सब बहाने हैं, ये जिम्मेदारी से मूँ चुराने आली बात है, आप महिला पैदा हुई हैं, पुरुष पैदा हुए हैं, अपनी देखभाल करना आपका अपना दाइत है, आप एडल्ट हैं, और किसी वयस्क की जिम्मेदारी कोई दूस
25:40अपने हाथ, बाकि बहाने बताने का मजबूरी गिनाने का कोई अंतर नहीं होता कभी, आपको विक्टिम बने रहने में ही सुख लेना है, तो विक्टिम कार्ड खेलने का सुख तो बहुत बढ़िया होता है, और बड़ा ग्यहरा, खेच लेते रहे हैं वही सुख, लेकिन �
26:10हुआ?