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  • 7/9/2025

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00:00:00हमारे जीवने प्रकाश का इतना ही महत्त है
00:00:02पुराने होते थे स्टीम लोकोमोटिव्स
00:00:05दो लोग लगे होते थे उसमें कोईला जोकने में
00:00:08तक तक तक जल रहा है
00:00:09जैसे इंजन का दिल जल रहा हो
00:00:11और रेल गाड़ी पीछे बहुत सारे डबे लगे हों
00:00:14से मस्त लोक सो रहे हैं
00:00:15उन्हें पता ही नहीं कि इंजन का दिल जल रहा है
00:00:17तुमारी रेल आत्रा में
00:00:18हमारा कर्म ये है कि हम कुछ नहीं करते
00:00:21और कुछ ना करके हम कुछ ऐसा करके दिखा देंगे
00:00:24हम सूरज को जमीन पे ला देंगे
00:00:26धोस्त कर देंगे बुझा देंगे सूरज को भी
00:00:28अकर्म में कर्म है हमारा
00:00:29हमें यकीन ही तब आता है जब सामने वाला मरी जाए
00:00:32उसके मरने से एक दिन पहले तक भी यकीन नहीं आएगा
00:00:35उनको लएगा जरूर कोई चाल है
00:00:37जो वेक्टे मुझे सम्हालने सुधारने चला था
00:00:41उसको मैंने बरबाद कर दिया
00:00:43ये मेरा क्लेम टू फेम है
00:00:44प्रिश्म कभी नहीं कहते
00:00:46आज कभीर साब भी नहीं कह रहे हैं कि सुख छोड़ दो
00:00:50अजीब बात
00:00:52दोनों क्या कह रहे हैं
00:00:54आशा छोड़ दो
00:00:56क्यों नहीं कह रहे हैं सुख छोड़ दो
00:00:58आजीब शब्द मेरे सामने आ रहे हैं
00:01:07तो इन पर
00:01:07एक तरह से बोलूँगा
00:01:11किसी और दन सामने आते तो किसी और तरह से बोलता
00:01:18और
00:01:21अज़गा
00:01:26यही सत्य की बात है वो
00:01:32प्रति दिन नया रहता है
00:01:35आज की बात आज के तरीके से और आज के संदर रुक में
00:01:40रकाश
00:01:43आशा बोद
00:01:56आज के वक्तवे के केंदर में हैं
00:02:02वह प्रकाश
00:02:04आस गई दूजी
00:02:10उगिया निर्मल नूर
00:02:14प्रकाश
00:02:21इसको नहीं चाहिए
00:02:24अज्ञान अधेरा
00:02:26लड़कडाना
00:02:28लोड़कना
00:02:28दोखा खाना
00:02:30किसी को पसंद नहीं होता
00:02:32आप किसी से भी पूछेंगे
00:02:37सचाई जाननी है
00:02:40बात समझनी है
00:02:43ना बोल देगा
00:02:46विमना नहीं करेगा
00:02:50समस्या
00:02:54ये नहीं होती कि हमें प्रकाश चाहिए नहीं
00:02:57समस्या हमरी ये आती है
00:03:04कि हमें प्रकाश भी चाहिए
00:03:06लगभग उस तरह से जैसे
00:03:12जिस कमरे में
00:03:15कुछ हो ही नहीं
00:03:18वहाँ आप
00:03:24बिजली की भूत वे वस्था करना नहीं चाहिएंगे
00:03:27नहीं करना चाहिएंगे
00:03:31बड़ा भारी खुला कमरा है
00:03:34उसमें कौन बिजली लगवाए
00:03:40खर्चा बढ़ाए
00:03:41प्रकाश तो हमें चाहिए होता है लेकिन उसके साथ एक शर्ट जोड़ते हैं
00:03:50प्रकाश चाहिए विशे के लिए
00:03:54कमरे में सब विशे हूँ चीजें चिज्जू माल बढ़या बढ़या
00:04:04तो एक तरह का नहीं सौ तरह का इंतजाम हम करेंगे रोशनी का करेंगे ना
00:04:13और खाली किसी की जमीन पड़ी हो कौन उस पर रोशनी लगवाता है तक कुछ है नहीं इसमें तक क्या करना है
00:04:23तो हमें प्रकाश भी चाहिए प्रकाश हमरे चीवन में विशे की खातिर होता है
00:04:37विशे की सेवा के लिए होता है
00:04:39विशे है तो प्रकाश होगा और प्रकाश की दिशा भी कुछ ऐसी रखेंगे कि विशे जगमग दिखता रहे
00:04:51क्यों दिखता रहे उसको भोगने में सोविधा रहेगी न तभी
00:04:55अंधेरे में खाना नहीं खाना चाहते आप
00:04:58एकदम अंधेरा हो जाए तो
00:05:01आप अंधेरे कमरे में जाएं आपको भूजन परोसा जाए तो भूजन परोसने वला साथ में बत्ती भी जला देगा
00:05:08अब बत्ती थोड़ी खाने वाले हो
00:05:11या बल्ब चबाओगे
00:05:15पर प्रकाश चाहिए आये तो हो खाने
00:05:20आये तो हो खाने
00:05:22बनसूबा क्या है भूजने का
00:05:25पर बत्ती जला दी जाती है बत्ती किसके खातिर जला दी जाती है
00:05:29विशे की खातिर
00:05:32तो हमारे जीवने प्रकाश का इतना ही महत्त्त है
00:05:35उसे भोगने में साहिता मिल जाए तो बढ़ी है
00:05:42उच्वारी बात
00:05:48ये वो दूजी यास है जिसकी बात हो रही है
00:05:53इस दूजी यास को बहुत अन्य तरीकों से भी समझाया जा सकता है
00:06:00ये आज का तरीका है
00:06:05प्रकाश से कुछ फाइदा चाहिए जो प्रकाश से भिन हो
00:06:12प्रकाश से ये फाइदा नहीं चाहिए कि प्रकाश अपने आप में मिल गया
00:06:16आप और क्या मांगें प्रकाश ही तो आखिरी बात है
00:06:20प्रकाश से दूसरा फाइदा चाहिए और दूसरा
00:06:25कोई बहुत गुप्ट फाइदा होता नहीं
00:06:28वो वही है पुराना आदिम पाशविक फाइदा
00:06:32भोगने में मदद मिलने चाहिए प्रकाश के माध्यम से
00:06:35कुछ भी हो जीवन में वो होता बस इसलिए है कि
00:06:43उससे
00:06:44जो पुराना जानवर है
00:06:47उसको लगे कि उसका पेट भर रहा है
00:06:51भरेगा कभी नहीं पर लगता रहे
00:06:53तो क्या प्रकाश का
00:07:01अभी हम जब प्रकाश कह रहे हैं
00:07:04तो किसका प्रतीक है वो
00:07:05जानने का
00:07:06बोध का
00:07:08क्या प्रकाश का विश्यों से
00:07:11कोई संबंध ही नहीं होता
00:07:13होता है
00:07:15प्रकाश का विशय से संबंध होता है
00:07:17कि वो आपको दिखा दे
00:07:19कि कोई विशय
00:07:21आपकी आशा पूरी नहीं कर सकता
00:07:23यह प्रकाश का काम है
00:07:30आपको विशयों
00:07:32के प्रति व्यर्थ
00:07:33की आशा से आजाद कर देना
00:07:35अंधेरा था
00:07:40हाथ में कुछ उठा रखा था और उसको सोना समझ रहे थे
00:07:45जब तक प्रकाश नहीं है तब तक ऐसा भ्रह्म पाला जा सकता है
00:07:51मैंने अपने हाथ में सोने की इट उठा रखी है
00:07:56और अंधेरा है तो कोई तरीका नहीं है आखें तो
00:08:01प्रकाश इसलिए चाहिए कि इट को बहर फेक दो रोशनी हो गई दिख गया कि
00:08:09इट तो जंग खाय लोहे किये कुछ है नहीं प्रकाश का विश्यों से संबंध होता है
00:08:16नकार का प्रकाश का विश्यों से संबंध कामना का नहीं होता
00:08:24और नकार से हमें बड़ी समस्या होती है
00:08:30हम चाहते हैं प्रकाश कभी विश्यों से डकार का सम्बंद रहे
00:08:36यह जिसके तो न टॉर्च मारो भई बंचाही चीज खोजनी है
00:08:54कुछ कहीं गिर गया उसको निकाला खापी के डकार मार दी
00:08:58यह हमारे देखे प्रकाश का विश्यों सम्द क्या हमें प्रकाश नहीं चाहिए चाहिए
00:09:03दुनिया भर में रौशनी के बाजार हैं बिलकुल हैं
00:09:08पर वो प्रकाश हमारा
00:09:12दूसरा स्थान पाता है
00:09:14प्रफम उसको मूले नहीं देते हैं
00:09:19हम यह नहीं कहेंगे कि रोशनी आ गई
00:09:21जो चाहिए था मिल गया हम कहते हैं रोशनी आ गई
00:09:24अब इसके माध्यम से वो असली चीज आईगी
00:09:28कुछ भी हमारी दिन्दगी में आ जाए
00:09:31हमें रगता असली चीज दूसरी है
00:09:34यह कुछ तक ठीक भी है जब तक आप साधारन
00:09:38विश्यों की बात कर रहे हैं पर जब बोध की
00:09:42बात हो रही हो तब यह बात बड़ी बेढ़ंगी हो
00:09:46जाती है यह भी कुछ और भी चाहिए
00:09:48बात समुझ रहे हैं इसलिए फिर हम अक्सर
00:09:58इस तरह के सवाल किया करते हैं कोई बैठा है
00:10:04यहां पर और आनंदे थे विलकुल डूब किया आई वारी जाओं
00:10:09मैं सत्य गुरू के पर दिर में कोई आकर उससे पूछेगा
00:10:13इससे मिला क्या प्रशन समझ रहे हैं यहां प्रकाश हो
00:10:22सकता है पर इस प्रकाश के माध्यम से तुम भोग क्या पाई हो वो तो बताओ
00:10:28क्योंकि यह बात तो हमने अंतिम सत्य की तरह पकड़ ली है कि
00:10:33भोगना ही लक्ष है हर चीज का हर बात का जीवन का अंधकार का प्रकाश का सबका लक्ष तो
00:10:42भोग नहीं है मनुष्य जन में ही भोग नहीं है तो हुआ है यह बात तो हमारे लिए निर्विवाद सत्य बनी हुई है कोई आपको मिल जाए गीता पड़ता हुआ
00:10:52अब उससे भी यह पूछोगे इससे मिला क्या
00:10:56मिला क्या तो ऐसे उनके लिए यह उत्तर होता है वह प्रकाश आस गई दूजी यह मिला कि दूसरी आस चली गई
00:11:09यह मिला कि अब तुम्हारी तरह ऐसे फिजूल प्रश्ण नहीं पुछते कि मिला क्या
00:11:14सब कुछ जिसको पाने के लिए पाया जाता है वही मिल गया तो अब उसके माध्यम से कुछ और पाएं क्या
00:11:32सब कुछ जिसको पाने के लिए पाया जाता है अगर वही मिल गया तो अब उसके माध्यम से और क्या पाएं
00:11:39ऐसी सी बात है कि
00:11:42मन्जल पर पहुँचे से
00:11:44पूछा जा रहा हूँ
00:11:45हाँ भई कहा का टिकट काटे है भी
00:11:50यह जो मन्जल पर पहुँच गया है
00:11:56उससे पूछ रहा है अच्छा मन्जल तो मिल गई
00:11:58पर मिला क्या
00:11:58मन्जल ही मिल गई और क्या मिलना है
00:12:01और ये जरूरी नहीं होता कि
00:12:07कोई और हम से आकर के
00:12:09प्रश्न पूछे, विवाद करे
00:12:13हम खुदी अपने आप से ये पूछने में सबस्यादा माहिरे मिल किया रहा है
00:12:18नहीं तो ठीक है पर इससे मिला क्या
00:12:21भाई तुम इसी के लिए पैदा हुए हो
00:12:23और क्या मिलेगा
00:12:31इनसान का जन्म तुम्हारा इसी पल तक पहुँचने के लिए हुआ है
00:12:36ये मिल गया तुम्हे अब और क्या मिल सकता है
00:12:40तुम्हारी समस्या ये नहीं है कि जो तुम्हें मिलना चाहिए था वो तुम्हें मिला नहीं
00:12:45तुम्हारी समस्या ये है कि तुम्हें अभी और चाहिए
00:12:48मैंने आपको सौ बार बोला है ना आत्मा
00:12:55जो सत्य है आत्मा तो सबकी है
00:12:59नामी है उसका आत्म
00:13:01वो आत्म है तो कहीं छिटक के भटक के छूट के
00:13:09खो के दूर जा नहीं सकता वो तो है
00:13:12उस दिन आपको समझा रहा था कि
00:13:16अहम का सौ भाव भी आत्म ही है
00:13:18तो आत्मा तो किसी की खो सकती नहीं
00:13:26कुमारी समझ से ये है कि हमारे पास और बहुत कुछ होता है
00:13:29जो होता है उसमें कुछ धम नहीं होता
00:13:38कोई वस्तता नहीं होती वो एक तरह की आशा होती है पर वो होती है और यह आशा आपको सब कुछ पाने के बाद भी भिखारी बनाई रखेगी भिखारी कौन है जिसको अभी आशा बची हुई हो तुम्हें सब कुछ दे दिया जाए लेकिन तुम आशा नहीं छोड़ो तो त
00:14:08आपने उसको नेती नेती की तलवार दे दी प्रकाश का यही काम है ना नकार आपने दे दी उसको नेती नेती की तलवार आपने उसको गीता ग्यान दे दिया सब कुछ दे दिया देखें अब आप यह थोड़ी कहें कि इस तलवार से तुम को काटनेया काम भी हम कर देंगे
00:14:38का नाम हंकार, एक अत्रिक्तता
00:14:40वो आपको भिकारी बनाई रखेगी
00:14:44आपके पास
00:14:46पूरे ब्रहमान्ड की दौलत आजाए
00:14:48आप तो भी भिकारी रहोगे
00:14:49क्योंकि आपने
00:14:52ये माननेता बैठा रखी है
00:14:54ये जो
00:14:56मिलना है
00:14:58वो भोग के लिए मिलना है
00:15:00आप अपना
00:15:08निजी अस्तित्तों एक कौने में बचा के रखते ही रखते हो
00:15:12और हमें से बहुतों को तो ये बात
00:15:15बड़ी चतुराई की लगती है
00:15:18कि कितना भी
00:15:22ग्यान हो जाए, प्रकाश हो जाए
00:15:27मैंने सफलता पूरुवक अपना अंधेरा
00:15:31अपने निजी कोने में बचा कर रखा हुआ है
00:15:33देखो मैं कितना हुशियार, कितना कुशल हूँ
00:15:36अतिरिक्तता
00:15:41किसी ने एक सत्र गहराई से सुन लिया हो
00:15:46किसी ने एक महीने गहराई से सुन लिया हो
00:15:48कुछ ऐसा नहीं है जो उसको नहीं बता दिया गया
00:15:51सारी बाते शब्दों में नहीं बता जाते हैं
00:15:55कुछ बाते इशारों में होती है
00:15:56सारी बाते हो सकता है
00:16:01जसकी तस पार्ट सामने न रख दी गई हूँ
00:16:04वो बातें
00:16:10निश्पत्ति के तौर पर निकाली जा सकती है
00:16:13इन्फरेंस
00:16:20तो सब कुछ बता दिया गया है
00:16:22तो सब कुछ पता होने पर भी कुछ पता क्यों नहीं होता
00:16:27क्योंकि
00:16:2910,000 वाट का
00:16:32हैलोजन भी दे दिया गया है
00:16:35तो अब खोज तो उस प्रकाश में चूहा ही रहे हो ना
00:16:44चूहा मिल नहीं रहा
00:16:46एक चूहा मिल भी गया तो पूरा नहीं पड़ता
00:16:50अभी और चाहिए
00:16:52अभी और चाहिए
00:16:58क्योंकि माननेता ये बना रखी है कि मैं कौन हूँ जिसको चूहा
00:17:05चाहिए
00:17:06भारी प्रकाश भी मिल गया है तो उसका उप्योग किया जा रहा है
00:17:11चूहा ढूंडने के लिए
00:17:12कुछ भी उच्चे से उच्चा मिल जाए
00:17:18उसका उप्योग किया जाएगा
00:17:20अपनी ही खातिर
00:17:23वो जो प्रकाश मिला है उसको अनुमती ही नहीं दी जाएगी
00:17:28कि तू ही तू बचे मैं बचू ही नहीं मैं ही प्रकाशित हो जाओ
00:17:34मुझे में और प्रकाश में कोई अंतर ही न रह जाए अपना अंधेरा बचा के रखना है तो प्रकाश बाहर बाहर अंधेरा भीतर भीतर
00:17:53बाहर बाहर कितना भी आलोग होगा, भीतर भीतर तो हम हैं, एक किवाड है जो आलोग के मुह पर बंद कर देते हैं हम, एक दर्वाजा है जिसको बंद करने के बाद भीतर हमारी निजी दुनिया शुरू हो जाती है,
00:18:11और प्रकाश को हम कताई अनुमत ही नहीं देते हैं कि उस किवाड को खोले, उस निजी दुनिया में किसी तरह दखल दे, एक हाथ की दूरी बनागे रखते हैं, प्रकाश के साथ सोशल डिस्टेंसिंग करते हैं,
00:18:27हम सब के पास हो किवाड है न, और आप जानते हैं, अच्छे से सूरज सर पे चमक रहा हो, पर बंद खिड़की दरवाजों को भेद करके किरणे आपके कमरे में नहीं आ पाती,
00:18:42आपने तै कर लिया हो, आपको पड़े ही रहना है, तो सूरज भी आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता, सब असफल हो गए, बुद्ध कृष्ण कपीर कौन जीत पाया आपसे,
00:19:00हमरी किताब आई थी तो, उसमें तो हमने अपनी हार का इलानी कर दिया था,
00:19:04माया, I bow to thee, you cannot be overcome, तुम्हें नहीं जीता जा सकता है, तुम बहुत धुरंदर हो,
00:19:22तुम्हारे पास वो किवाड है, जो किसी भी सूरज के मुँपे थपड़ की तरह बंद करा जा सकता है,
00:19:28कभी देखा है, किवाड के बंद होने के बाद कैसे अपनी दूसरी दुनिया शुरू होती है,
00:19:38देखा है,
00:19:44वही दूसरी दुनिया, एक अतिरिक्तता है, वही अहंकार है,
00:19:49उसको मिटाने का दाइद तो किसी प्रकाश के उपर नहीं है,
00:19:59किसी प्रकाश की हैसियत नहीं कि उसको मिटा दे,
00:20:06वो तो अपना चुनाव अपनी जिम्मेदारी होती है,
00:20:15प्यार हो गया तो हो गया,
00:20:17और वो यूँ ही अपने आप वो भी नहीं जाता,
00:20:23उसको भी अनुमते देनी पड़ती है कि हो जाए,
00:20:27अपने आप हो जायेगा वही वाला,
00:20:30चुहा ढूंदना, चुहे से बड़ा प्यार है,
00:20:34अपने आप वही वाला हो जाता है,
00:20:35वास्तव एक प्यार को तो इजाज़त देनी पड़ती है,
00:20:38क्योंकि वो कीमत मांगता है ना,
00:20:47जो चीज,
00:20:49आप किसी को दे रहे हूं, उससे कीमत ले करके,
00:20:52वो चीज अबर्दस्ती तो नहीं दी जा सकती,
00:20:54बस प्रस्ताव रखा जा सकता है,
00:20:55कि यह मैं आपको दे सकता हूं,
00:20:57लेकिन इसके बदले में मुझे आपसे यह चाहिए होगा,
00:21:01यह ना,
00:21:03तो कुछ जहां छोड़ने की बात आती है,
00:21:05वहां बताओ प्रम सत्ती भी जप्रदस्ती कैसे करें आपके साथ,
00:21:09वो तो बस प्रस्ताव देता रहता है,
00:21:11प्रपोजल,
00:21:14तो पीछे पीछे,
00:21:15आपके पड़ा रहता है कि देख लो,
00:21:18बढ़ियां है आजमा के,
00:21:22मुझे नहीं चाहिए,
00:21:23मुझे चूह चाहिए,
00:21:30चूहे से वो कहानी याँ था ना,
00:21:33पुना मुशकर भव,
00:21:37एक थे रिशी,
00:21:41उनके पास एक ठूचूहा आ गया,
00:21:49बड़ी बदहाल हालत में,
00:21:54तो उन्होंने,
00:21:56क्या है भाई,
00:21:58बोले दुनिया बहर में,
00:21:59जंजाल बहुत है ये,
00:22:02बिल्लियां दौडाती है,
00:22:06बोले अच्छा,
00:22:09यहीं रुख जो,
00:22:10तो में बिल्ली करे देते हैं,
00:22:12अब,
00:22:14बिल्लियों की बराबरी हो गई,
00:22:16कोई नहीं परिशान करेगा,
00:22:19बिल्ली कर दिया,
00:22:21एक दिन बिल्ली भी परिशान आई बहुत,
00:22:24और उसके,
00:22:25बाल नुचे हुए हैं,
00:22:26घरोच पड़ी हुई हैं,
00:22:27क्या हो गया,
00:22:28बिल्ली कुट्टों ने रगड़ दिया आज,
00:22:33बिल्ली अच्छ लाओ,
00:22:34तो में कुट्टा करे देते हैं,
00:22:37अब ये एक तरह से इनकी प्रोन्नते हो रही है,
00:22:40कमझे रहे हैं,
00:22:40प्रमोशन है ये,
00:22:42उनका,
00:22:42कद,
00:22:43उनका रुतबा बढ़ाया जा रहा है,
00:22:45कुट्टा भी खाय को बचा रहा है,
00:22:52जंगल का मामला,
00:22:55एक दिन कुट्टा भी आया,
00:22:57लंगडा था,
00:22:59लग तुझे क्या हो गया,
00:23:03उनके तीन दूएन एक घात लगा के,
00:23:05बड़ी मुश्किल से आया हूँ,
00:23:06बस टांग ही उसकी पकड़ में आई,
00:23:08तो उसको क्या बना दिया,
00:23:15शेर बना दिया,
00:23:17तेन दूए पर भी तुभारी पड़ेगा,
00:23:20जब शेर बना दिया,
00:23:21तो उसने आओ देखा नत्ता आओ,
00:23:26एक दिन रिशी पर ही हमला कर दिया,
00:23:30क्योंकि उसको तो क्या करना है,
00:23:33भोगना है,
00:23:33ट्रकाश भी उसके लिए बस भोग का माध्यम है,
00:23:39तो खुद पड़ा,
00:23:40तो रिशी बोले,
00:23:41पुना मूशका भफ,
00:23:44बेटा तू,
00:23:45चूह ही ठीक है,
00:23:48हम सब के भीतर वो चूहा बैठा हुआ है,
00:23:52बाहर से हमें कितना भी कुछ दे दिया जाए,
00:23:55बाहर से हमें कितना भी बड़ा कर दिया जाए,
00:23:58भीतर हम उस चूहे को छोड़ ही नहीं रहे हैं,
00:24:02और हमारे देखे,
00:24:03वो चूहा ही तो हमारा व्यक्तित तो है,
00:24:06वो चूहा हमारी निजता है,
00:24:08हमारे देखे,
00:24:08वो चूहा हमारा व्यक्तित जीवन है,
00:24:10वो आरे देखें वो चुहा हमारे गुप्त अरमान है
00:24:15जो हम किसी को नहीं बताते हैं पर हमारे जबरदस्त कामना है
00:24:22ये पा लो वो कर लो
00:24:23हमारे गुपनी है इरादे
00:24:28हमारी नजरों में हमारे मीठे राज
00:24:35वो सब कुछ है वही चुहा है
00:24:40उसके आगे हर रिशी हारा हुआ है
00:24:43आप समझ पारें चुहा ही बिल्ली था
00:24:48बिल्ली ही कुत्ता थी
00:24:50कुत्ता ही शेर था
00:24:52और जब रिशी ने देखा कि ये बाहर-बाहर से इसको देने-देने-देने से कोई लाव नहीं है
00:24:58तोनोंने खाया कि भीतर से जब तो चूह ही रहना है तो चूह ही रह
00:25:01दूजी आस
00:25:06सत्य कोई दूर की कौड़ी नहीं होता
00:25:10मुक्ते कोई असाध्य बात नहीं होती
00:25:14आस बंधनों की है
00:25:18मुक्ते के अलावा जितनी भी आस हैं
00:25:21वो सब बंधन कीत होंगी ना और क्या होगा
00:25:23जैसे रिष्टों में होता है ना
00:25:32बहुत पुराना हो सकता है रिष्टा हो
00:25:33पर
00:25:38सुईकार है, मन्जूर है, कुबूल है
00:25:43I do
00:25:45ये बोले बिना
00:25:48कुछ
00:25:50अठका सा रह जाता है
00:25:53वैसा ही सत्य के साथ होता है
00:25:57एक बिंद उपर आ करके
00:26:02सोहम को बोलना पड़ता है कि हाँ
00:26:06तेरे हुए खुद को छोड़ा
00:26:11आस गई दूजी
00:26:13और हो नहीं बोलोगे
00:26:15तो दिल में
00:26:20वो विकल्प बचा रह जाएगा
00:26:23ये प्रकाश बढ़िया है पर अंधेरा भी तो है
00:26:30जो विकल्प बचा रह जाता है उसका इस्तिमाल भी होता है
00:26:39जो विकल्प बचा हुआ है वो योई नहीं बचा हुआ है
00:26:46हम बहुत धुरंदर हैं अपने आपको भी बोलते हैं नहीं मैं बस एक
00:26:49विकल्प की तरह फलानी चीज़ को रख रहा हूँ एक आप्शन है हम इसका कभी इस्तेमाल थोड़ी करेंगे
00:26:55एक प्रक्षात नाटकार हुए थे नाम क्यों नहीं आदा रहा हूँ
00:27:02इसका है
00:27:07बर्नार्ट शौ का है किसका है आप देख लीजिए
00:27:14तो नहीं नहीं कहा है कि एक बंदूक
00:27:18जो किसी नाटक के पहले हिस्से में
00:27:32एक्ट वन में अंग्रेजी में उन्होंने कहा था
00:27:35पहले हिस्से में स्टेज पर दिखाई देती है
00:27:40निश्चित है कि वो एक्ट थ्री में चलेगी भी
00:27:44अगन देट अपियर्स इन पार्ट वन
00:27:49विल बी फायर्ड इन पार्ट थ्री
00:27:53उसका मंच पर होना बे सबब नहीं है
00:27:59आपने जो विकल्प पकड़के रखे होते हैं
00:28:02सत्य के अतेरिक्त
00:28:04वो यूही नहीं होते हैं
00:28:07वो इसी लिए होते हैं कि उनका इस्तिमाल किया जाए और उनका इस्तिमाल होता है
00:28:11दूजी आस
00:28:15दूजा भरोसा
00:28:17दूजा रिष्टा
00:28:19दूजा समर्पन
00:28:21दूजी निश्ठा
00:28:23दूजी कामना
00:28:25यही खा रहे हैं हमको
00:28:27पात समझ में आ रही है
00:28:36अब उसमें बहुत समस्या हो जानी है
00:28:42क्योंकि
00:28:46छोड़ने का
00:28:49तरीका यह है ही नहीं कि और पालो
00:28:52छोड़ने का तरीका यह ही नहीं कि और पालो
00:28:59इसको ध्यान से समझीएगा बात को
00:29:01छोड़ने का तरीका क्या है
00:29:06छोड़ना
00:29:09उसे कोई विधी नहीं होती
00:29:12अपनी बात होती यह दिल की बात होती है
00:29:20छोड़ो न या जब जानी गए हैं कि
00:29:25चीज फालतू है तो पकड़ क्यों रखनी है छोड़ दिया
00:29:28छोड़ना तो है बात पकड़ने वाले की
00:29:33जिसने पकड़ रखा है
00:29:37सिर्फ वही फैसला कर सकता है कि
00:29:39छोड़ना है
00:29:41और छोड़ने में कोई जोड़ा आजमाईश की बात नहीं
00:29:44छोड़ने में कुछ और नहीं छोड़ना तो अपने चुनना हो
00:29:47निरने की बात है
00:29:48लेकिन जो प्रकाश का सुरोथ है
00:29:56वो बिलकुल बेबस है इस मामले में
00:30:01वो क्या छुडवा सकता है ने छुडवा नहीं सकता है वो बस दिखा सकता है प्रकाश का क्या काम है दिखा ना वो दिखा सकता है छुडवा तो सकता नहीं वो दिखा सकता है दिखा सकता है अब यह पार्थिव दुनिया इसमें क्या होता है
00:30:26प्रकाश भी शरम से आता है
00:30:31ठीक वैसे जैसे
00:30:36जैसे यह प्रकाश है
00:30:42तो कहीं कोईला जल रहा है तो यह आया है
00:30:46आपको क्या दिख रहा है
00:30:49पर कहीं कुछ जल रहा है उससे ही रोशनी आई यह
00:30:52जो जल रहा है और एकदम लाल हुआ जा रहा है वो आपको दिख नहीं रहा
00:30:57भसमी भूत हो रहा है वो आपको दिख नहीं रहा
00:31:01आपको बस प्रकाश दिख रहा है अच्छा लग रहा बढ़िया है
00:31:03यह ना
00:31:05पकड़ रखा है किसी ने मान लो
00:31:12आप हैं आपने पकड़ लीजे अपना ये कलम ऐसे दबा लीजे मुठी हो ये भीचे हुए है ठीक है ये भीचे हुए है
00:31:27छोड़ तो रहे नहीं
00:31:28तो प्रकाश का स्रोत है वो क्या करेगा वो वही करेगा जो विचारक कर सकता वो क्या करेगा आके मुठी तो खलवा सकता नहीं जब रदस्ति तो क्या करेगा
00:31:40वो प्रकाश को और बढ़ाएगा, और बढ़ाएगा, हाला कि प्रकाश के बढ़ने का मुठी के खोलने से कोई रिष्टा है यह नहीं, सत्य तो यह है कि जितना प्रकाश अभी है वही भहुत पर्याप्त है, सच तो यह है कि जितना प्रकाश बहुत पहले से है वही भहुत प
00:32:10अब आपकी जिद है कि आप इसे ऐसे मुठी भीच के पकड़े रहो गये
00:32:15तो प्रकाश देने वाला प्रकाश बढ़ाएगा उसके लिए क्या करेगा
00:32:23कोईला और जलेगा कोईला और जलेगा हलनकि उससे परिणाम कुछ नहीं आएगा
00:32:29परिणाम कुछ भी नहीं आएगा
00:32:40कि कोईला पर्याप्त नहीं था कि उधर जला नहीं जा रहा था पूरी तरह कोईला भी पर्याप्त है और कोईला जल भी रहा है प्रच्च और अनुपात में और ट्रकाश भी बहुत है
00:33:00समस्या नियत की है अब और रोशनी दे करके नियत कैसे बदल दे बाबा यह फस जाता है ना मामला
00:33:10और और और प्रकाश देते भी जाओ तो जब नियत ही नहीं है छोड़ने की तो उससे क्या होगा
00:33:18बात आ रही समझा जबकि प्रकाश काम ही यही होता है कि आपको दिख जाए कि जो आपने पकड़ रखा है वो आपके लिए वेर्थ है
00:33:32लेकिन कितिनी भी रोशनी हो
00:33:39और मैं रोशनी के सामने ऐसे खड़ा हूँ तन के इन डिफायंस ओफ लाइट
00:33:46और ऐसे खड़ा हो गया हूँ उधर से प्रकाश आ रहा है और मैं ऐसे खड़ा हो गया हूँ
00:33:51या अगर आखें चार करने में आखें जलती है तो मैं उसकी और पीठ करके खड़ा हो गया हूँ
00:33:56और इसको ऐसे पकड़ रखा है मैंने, पता हो क्या प्रगाश सफल हो सकता है, और वो बिचारा अपनी और से क्या करेगा, कोईला और जलेगा, और जलेगा, धक धक धक धक धक धक धक भट्टी जल रही है, पुराने होते थे स्टीम लोकोमोटिव्स, उनकी भट्टी देखी �
00:34:26डबे लगए हो, उसे मस्त लोग सो रहे हैं, जो नोग मस्त सो रहे हो, करे आप बढ़ मजा आ रहा है, रेल यात्रा, रेल यात्रा, उन्हें पता ही नहीं है कि इंजन का दिल जल रहा है, तुम्हारी रेल यात्रा में,
00:34:36आप यूँ पकड़ के खड़े हो, प्रकाश असफल हो जाएगा, कितनी भी उसकी इंटेंसिटी तीवरता बढ़ा दी जाया है, असफल हो जाएगा, क्योंकि प्रकाश इसलिए है कि आप इसको देखो, कितना भी प्रकाश हो, उसमें आप इसको देखने से इंकार कर दो त�
00:35:06बहुत रोशनी हो, और मैंने इसको ऐसे पकड़ लिया है, मैं इसको न देखूं तो, न देखूं, और ये तो चीज फिर भी ऐसी है कि पकड़ से सोड़ी बाहर की है, हम तो जिन चीजों को पकड़ते हैं, वो हमारी बड़ी प्यारी प्यारी गोलू मोलू छोटी मोटी ची
00:35:36कितनी भी रोशनी हो, कुछ दिखाई देगा, आपकी पकड़ के कारण ही आपको कुछ नहीं दिखाई देगा, कुछ दिखाई दे रहे हैं, कुछ दिखाई दे रहे हैं, और वहाँ वो जला जा रहा है, जला जा रहा है, पचाह हजार वाट की रोशनी कर दूँगा, इन्ह
00:36:06क्या है और नहीं दिखाई पड़ता मुझ मेहारी यह बाती है इंजन का काम है धक-धक कोईला जलाना हुमारी दिल-गाड़ी चलती रहे बहुत अच्छा है
00:36:33क्यों इदू जी आस है
00:36:36मेरे नन्हे अर्मान
00:36:42और भी तो चीज़े है न जिन्दगी में वही तो देखनी है
00:36:47मैं पर्सनल स्पेस
00:36:48भारत एक मामले में बहुत चतुर रहा है
00:37:00कई बार बोला है
00:37:01हम
00:37:03आपको
00:37:07प्रकाश बिलकुल
00:37:10खत्म कर देना हो
00:37:14तो एक तरीका तो यह होता है कि जाके पावर प्रॉंट में बम लगा दो विस्फोट कर दो
00:37:18यह होता है न एक
00:37:19तो एक तरीका और भी हो सकता है
00:37:24इतने जबरदस्त तरीके
00:37:30कि एलेक्ट्रिकल एक्विप्मेंट्स लगा दो ग्रिड में
00:37:35यह ग्रिड उनका लोडी न उठा पाए फेल कर जाए
00:37:42मैं बहुत थियोरिटिकली बोल रहा हूँ
00:37:48ग्रिड से जितना भी आ रहा हो आप उसकी अर्थिंग करते जाओ
00:37:51तो ग्रिड कॉलाप्स कर जाएगी
00:37:53और आपने बंबी नहीं लगाया आपके उपर कोई आरोब भी नहीं आएगा
00:37:57ऐसा हो नहीं सकता
00:37:59क्योंकि
00:38:03बेभारिक जगत में बहुत तरीके
00:38:07कि उसमें
00:38:11सेफटी मेथर्ट दोर होते हैं
00:38:15बहुत सारी चीज़ें होती हैं
00:38:16तोरिटिकली बिलकुल ऐसा होगा
00:38:18ये लेक्रिसिटी का कोई सोर्स हो
00:38:24और उससे जो कुछ हार आओ आप उसकी अर्थिंग कर दो
00:38:28तो सोर्स कॉलैप्स कर जाएगा
00:38:31क्योंकि अर्थ
00:38:32तो मानते हैं कि उसमें
00:38:36इन्फाइनाइट अब्सॉर्प्शन की ख्रमता है
00:38:38तो इसी तरीके से
00:38:43प्रकाश का सुरोत भी
00:38:45कॉलैप्स कर सकता है
00:38:46अगर उसके सामने कुछ ऐसा डाल दो
00:38:48जो इन्फाइनाइटली अब्सॉर्प करे जाता है
00:38:52और बदलता बिलकुल नहीं
00:38:59जैसे प्रत्वी
00:39:00तो आप कितनी भी अर्थिंग कर दो करेंट की
00:39:02प्रत्वी चार्ज नहीं हो जाती
00:39:04इन्फाइनाइट सिंक बोलते हैं उसको
00:39:07उसी तरीके से
00:39:10बहुत सारे
00:39:12शुरोता और
00:39:14शिश्य लोग भी होते हैं
00:39:15वो इन्फाइनाइट सिंक होते हैं
00:39:17उनको तुम दुनिया भरका दे दो
00:39:19वो उसको एब्सॉर्ब कर लेते हैं
00:39:21चार्ज नहीं होते कभी
00:39:22लेकिन इस प्रक्रिया में जो
00:39:25देने वाली ग्रिड है वो निश्चित रूप से
00:39:27कॉलाप्स कर जाती है
00:39:28जब वो ग्रिड कॉलाप्स करती है तो शिश्य की सब्से बड़ी सफलता होती है
00:39:36देखा वैसे तो मैं चूहा हूँ
00:39:38लेकिन मैंने
00:39:40पूरी ग्रिड कॉलाप्स कर दी
00:39:42वैसे तो मैं इस दुनिया में कुछ ना करके दिखा पाता किसी लायक नहीं हूँ मैं पर एक काम मैंने कर दिया
00:39:50जो वेक्टे मुझे सम्हालने सुधारने चला था उसको मैंने बरबाद कर दिया
00:39:56यह मेरा क्लेम टू फेम है वैसे तो मैं किसी लायक नहीं हूँ
00:40:00दुनिया भर में यह हुआ है कि बंब लगाया गया है भारत में बंब नहीं लगाया गया भारत में पैसिवली ही
00:40:11काम तमाम कर दिया गया
00:40:16इबने कृष्ण से सीखा था एक्षिन इन इनक्षिन
00:40:24अकर्म में कर्म
00:40:29हमारा कर्म यह है कि हम कुछ नहीं करते
00:40:32अकर्म में कर्म कोई पूछे तुमने क्या किया बोले हमारा कर्म ही यह है कि हम कुछ नहीं करते
00:40:38और कुछ ना करके हम कुछ ऐसा करके दिखा देंगे जो बड़े-बड़े करने वाले नहीं कर सकते
00:40:44पूरे दिन कुछ ना करके
00:40:46हम सूरज को जमीन पे ला देंगे
00:40:48धौस्त कर देंगे बुजा देंगे सूरज को भी
00:40:50अकर्म में कर्म है हमारा
00:40:52हम गीता के देश से हैं
00:40:54बातारी ये समझ में
00:41:06सत्य का सुभाव ये है
00:41:08कि उसके साथ दो चार और चीजें
00:41:10नहीं चल सकती आत्मा और आप
00:41:16के निजी ख्याल निजी पसंद ना पसंद ये
00:41:20इकठे नहीं चल सकते
00:41:21वहां तो ये है कि उसके हो जाओ
00:41:27और फिर उसके प्रवाह में
00:41:31जो होना होगा होगा
00:41:33आपके हिसाब से नहीं होगा
00:41:40दिल हमारे चूहे का है
00:41:43धक्स धड़क जाता है
00:41:46पता है न जो जानवर जितना छोटा होता है
00:41:52उसके दिल उतना धड़कता है
00:41:54कोई मा
00:41:59कोई मा
00:42:00कोई मा
00:42:02कोई मा
00:42:06कोई माइ पर्सनल प्रियरटीज
00:42:08उच्चितम के साथ हमारी समस्य यही बैठ जाती है
00:42:25उच्चितम मिलेगा पर हमारे हिसाब से नहीं मिलेगा
00:42:30जो हमारा हिसाब है उससे सिर्फ निम्नतम मिल सकता है
00:42:34तो हमसे कहा जाता है चुन लो अपने हिसाब का और निम्नतम
00:42:39या उसके हिसाब का और उच्चितम
00:42:44हम ऐसे डरे हुए लोग हैं चुहे के दिल वाले
00:42:47हम कहते हैं अपने हिसाब का चाहिए भले निम्नतम हो
00:42:49चाहिए अपने हिसाब का
00:42:54एक बार आपसे पूछा था
00:42:58हम अपने केंदर पर बैठकर
00:43:01सच्चाई को नापते हैं
00:43:03हिसाब मेरा ही रहेगा
00:43:06फीता मेरा रहेगा उससे नापूंगा
00:43:08कि सच्चाई कितनी लंबी चोड़ी है
00:43:20फीता मेरा रहेगा
00:43:21अब तुम सच्चाई को नाप रहे हो
00:43:24और तुम्हें कैसे नाप जाए
00:43:28लोग आते हैं, भहुत लोग, अभी हमने का बुद्ध, कृष्न, कबीर, हमने बड़े नाम लिये, इन पे भी बड़े आक्शेब लगते हैं, जब आक्शेब लगते हैं, तो एक ही बात पूछा करिए, जिस पर आक्शेब लगा रहे हो उसका तो हम जानते हैं, आप अपना भ
00:43:58ठीक है, अब गीता को तो हम जानते हैं, साथोश लोग हैं, सारुजनिक हैं, सब जानते हैं।
00:44:10और गीता के कोई ना कोई इरचाइता रहोंगे तो उसनाते हम कृष्ण को भी जानते हैं।
00:44:16आप अपना तो थोड़ा साठि, आप कौन हों, मैं कौन हूँ, मैं कभी नहीं देखूंगा,
00:44:27लिकिन मैं अपना फीता लेके क्रिश्णों कवीरों को भी नापने पहुच जाता हूँ,
00:44:31मैं कौन हूँ कभी नहीं देखूंगा
00:44:36बड़ी बड़ी आपत्तियां होंगी
00:44:38आपत्तियां तो कर रहे हैं
00:44:39जिन पर आपत्ति कर रहे हैं वो ठीक है
00:44:41Sir, your credentials please
00:44:43आप कौन है
00:44:44आपने उनकी गीता पर आपत्ति कर दी
00:44:47ठीक है, आप अपनी गीता भी दिखा दीजिए
00:44:49उनके साथोश लोखों पर आपने आपत्ति कर दी
00:44:57अपने साथ दिखा दीजिए
00:44:58ताकि आपके होने का भी तो कुछ नापजोग हो सके
00:45:03या आपका काम बस यह है
00:45:07कि आप अंधेरे में बैठ करके
00:45:08प्रकाश के सुरोतों उपर गोली चलाते रहेंगे
00:45:11जैसे कोई दूर छिपा हुआ हो चोर
00:45:17बंदूग ले करके और बड़े बड़े प्रकाश के सुरोतों
00:45:21और वो अंधेरे में छिपा हुआ हो और वहां से वो
00:45:23प्रकाश के सुरोतों पर गोली चला रहा है
00:45:26उन पर तुम गोली भी इसलिए चला रहे हो क्योंकि वो प्रकाश ये थे, वो दिख सकते है
00:45:30तुम भी तो थोड़ा दिखने में आओ, तुम भी सामने आओ, कुछ अपने बारे में बताओ, तुम कौन हो
00:45:36अंकार से ये प्रशन पूछते ही, उसकी घिगी बन जाती है
00:45:40इसलिए वेदान्त कहता है, यही प्रशन पूछो तुम कौन हो
00:45:44तुम्हारे नाते ज्ञान में लाभ नहीं, तुम्हारे नाते प्रकाश में लाभ नहीं
00:45:50तुम्हारे नाते अध्यात्म की सारी बातें व्यर्थ हैं
00:45:54तुम्हारे नाते किसी उचे आदमी में ये खोट थी, दूसरे महापुरुष ने ये गलती करी, तुम्हारे नाते सब कुछ दागदार है, रंजित है, तुम्हारे नाते सब लोग भरष्ट और विक्रत हैं, हो सकते हों, पर तुम भी तो सामने आओ, कुछ अपने बारे में �
00:46:24हम ये देख नहीं पाते क्योंकि आत्मवलोकन करना अहंकार एक शम्ता, शम्ता गलत शब्द है, नियत में होता नहीं, कभी नहीं होता,
00:46:42तो जब अहं कहता है कि वो गड़बड है, वो गड़बड है, तो आप भी उसकी और देखने लगते हो, किसकी और? जिसकी और उंगली उठाई गई?
00:46:58क्योंकि विशय क्या बन गया है
00:47:03बात का मुद्दा क्या बन गया है
00:47:04जिसकी और उंगली उठाई गई
00:47:06जिसकी और उंगली उठाई गई उसकी बात बात में करेंगे
00:47:08पहले बताओ
00:47:09तुम कौन हो kindly
00:47:11introduce yourself तुम कौन हो
00:47:14जिसकी और उंगली उठा रहे हो
00:47:16इसलिए उठा पा रहे हो क्योंकि यो प्रकाशित है
00:47:18तो सबको दिख रहा है वो रहा प्रकाश का सुरोत
00:47:20तो उसी और उगली उठा सकते हो
00:47:22और तुम सिर्फ इसलिए बचे हुए हो
00:47:25क्योंकि तुम बिलकुल अंधेरे हो
00:47:27तो इसलिए तुम्हारे और कोई उंगली उठाई नहीं सकता
00:47:30तुम दिखी नहीं रहो
00:47:32पर ये तो गरिल्ला वार फेर हो गई
00:47:35कि खुद दिखेंगे नहीं
00:47:37और जो दिख रहा है उस पर
00:47:38आप सामने आएं
00:47:40श्रीमान मंच पर आएं
00:47:42अपना परिचे दें
00:47:43जैसे ही अंकार से कहोगे अपना परिचे दें
00:47:46कुछ परिचे होगा तो न बताऊंगा भानुमती का कुनबा हूँ मैं
00:47:51कहीं कीट
00:47:54कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा मैं
00:47:57क्या अपनी पहचान बताऊं से कोई पहचान है यह नहीं
00:47:59वो भग जाता है जैसे उससे कहो
00:48:02श्रीमान
00:48:03अपनी तारीफ में दो शब बयान करें
00:48:07मेरी तारीफ
00:48:09वो सिर्फ मैं ही कर सकता हूँ
00:48:11आपको पता चल गए
00:48:14आप मैं कौन हूँ तो तारीफ नहीं करोगे
00:48:26बाता रही है समझ में
00:48:28आस गई दूजी
00:48:35और क्या बोले
00:48:42वही तारा खेल आशा का है
00:48:48ये नहीं कह रहे है सुख गया दूसरा
00:48:50क्या कह रहे हैं
00:48:52वे सुख तो कभी मिलता भी नहीं है
00:48:58आशा ही रहती है सुख की जब लगता है कि आशा पूरी हो रही है तो हम क्या देते हैं
00:49:05क्रिश्न कभी नहीं कहते आज कभीर साब भी नहीं कह रहे हैं कि सुख छोड़ दो
00:49:16अजीब बात है दोनों क्या कह रहे हैं आशा छोड़ दो क्यों नहीं कह रहे हैं सुख छोड़ दो हैई नहीं
00:49:25होगा तो छोड़ोगे न हमें सुख का क्या पता चुहे को आसमानों का क्या पता कि चुहे को उड़ानों का क्या पता हमें सुख का क्या पता हमारा तो जब दुख थोड़ा कम हो जाता है तो हम कहते हैं बड़ा सुख मिला हमारे पास
00:49:48दुख की
00:49:51अलग अलग तीवरताएं होती है
00:49:53तो जो कहा जाता ना
00:49:58सुख और दुख एक हैं
00:49:59दोनों दौयत के सिक्खे के
00:50:01दो चहरे हैं तो ये नहीं कहा जाता
00:50:03सुख और दुख एक एक
00:50:04कहा जाता दुख और दुख एक है
00:50:07दुख और दुख
00:50:11एक है
00:50:12ऐसे समझो कि
00:50:14ये जैसे है ये आपके सामने
00:50:18एक आयाम में
00:50:20वन डाइमेंशनल
00:50:22ये दुख का आयाम हो
00:50:24और दुखी दुख है
00:50:27वो कहीं से चला रहा है दुखी दुख है
00:50:29अनंत तक दुखी दुख है
00:50:30ये
00:50:31है तो ये पूरा दुख का आयाम
00:50:35डी एक्सिस
00:50:37दुख का एक्सिस है
00:50:40आप उसमें होशियारी लगा दो
00:50:43आप क्या दो मैं यहाँ पे न ओरिजिन मानूँगा
00:50:47तो जो इसके इधर वाला दुख है उसको क्या बोलूँगा
00:50:51दुख और जो इसके इधर वाला उसको क्या बोलूँगा
00:50:54यह हमारी होशियारी है
00:50:56यह origin यह तुम ने लगा रखा है यह अंकार है
00:51:01यह पूरा दुख ही दुख है
00:51:03इसलिए
00:51:10वो नहीं कहेंगे कि सुख त्याग दो
00:51:13कह रहे हैं आशा छोड़ दो
00:51:14क्योंकि जो दुख में होता है उसके बाद आशा बहुत सारी होती है
00:51:17समस्य बस यह है कि वो समझता नहीं कि आशा ही दुख है
00:51:20अश्टा होकर फिर कहते हैं आशा ही परमम दुख हम
00:51:25जो दुख में होगा उसके बाद आशा जरूर होगी
00:51:29जो आशा है वही दुख है
00:51:35यह आशा को आप वही ऐसे पकड़े रहते हो
00:51:40और ये पकड़ ही दुख है
00:51:44प्रकाश होता है
00:51:47कि जो आपने पकड़ रखा है
00:51:48उसका यथार्थ देखो
00:51:50पर हम ऐसे डरे हुएं
00:51:51डरे आदमी की मुठ़्ियां देखना कैसे भिची होती है
00:51:54छोटा बच्चा भी हो
00:51:55वो डर गया हो
00:51:57या किसी भावों के स्थिते में आ गया हो
00:52:00उसकी भीची मुठ़्ी खुलवाना मुश्किल बढ़ जाएगा
00:52:03जो खोशिश भी मत करिएगा कि
00:52:07बच्चे ने ऐसे अगर मुठ़्ी कर रखी है
00:52:09तो जबरदस्ती खुलवाएं
00:52:11कुछ उसके टूट टाट जाएगा
00:52:14पर खोलेगा नहीं आसानी से
00:52:15वी बच्चे होते हैं जब वो
00:52:19तेल मिला जाते हैं या बहुत डर जाते हैं
00:52:22तो वो ऐसे दात भीच लेते हैं
00:52:24कई बार उसमें उनकी जीव कड़ जाती है
00:52:25इसलिए मामला जबरदस्ती का
00:52:31है ही नहीं
00:52:33सवाल यह कि जबरदस्ती न करें तो क्या करें
00:52:38यही करो कि कोईला फूंको
00:52:40और बाट जो हो
00:52:44कि क्या पता किसी दिन
00:52:47चमतकार होई जाए और
00:52:49जो आप तलाश रहे हैं
00:52:57वो
00:52:58प्रकाश से
00:53:01हट कर
00:53:03किसी विशय में नहीं है
00:53:05जो आप तलाश रहे हैं
00:53:08वो प्रकाश में दिखने वाले
00:53:10किसी विशय में नहीं है
00:53:11जो आप तलाश रहे हैं
00:53:12वो प्रकाश में ही है
00:53:13और विशयों की लत लगी हुई है
00:53:17हमें लगता है
00:53:18चिज्जू
00:53:19चिज्ज्यू में होगा, चिज्ज्यू में नहीं है, वो प्रकाश में ही है,
00:53:35हम सब सच्चाई से हटकर, एन्वाइंड करने, अपने अपने कोनों में जाते हैं न, वही जब किवाड बंध होता है,
00:53:45जो तुम अपने गंदे कोनों, कतरों, कमरों में तलाश रहे हो, वो वहाँ नहीं हैं, वो सच्चाई में डूब कर सच्चाई की गहराईयों में हैं,
00:53:57आप सुचते हो, जो आपका मेंटल मॉडल है, वो यह है कि यह जो है, बहुत अच्छा काम है, गीता का काम है, पर इसके अलावा मेरा परसनल स्पेस भी तो होना चाहिए न, जो आप परसनल स्पेस में तलाश हो रहे हो, वहाँ नहीं मिलने वाला, वो सही काम में डूब कर ह
00:54:27पिर दो इधा में दोनों गए, माया मिली न राम, माया तो परिभाशा से वो है जो मिल नहीं सकती, राम के साथ हमने अपने लिए, बड़ी नाइन साफी कर ली, राम वो जो मिले हुए हैं, अपाई चीज खो दी, बैठे मू लगवाए, माया वो जो दुरुश्प्राप प
00:54:57पर उसकी चाहत में वो जो मिला ही हुआ था, उससे भी वंचित रह गए, इतके रहे, न उतके, बैठे मूल कवाए
00:55:27नया डराता है, अब क्या करें, सच तो नया ही लगेगा ना, जिब जिन्दगी पूरी जूट में बिताई हो, तो सच तो नया लगेगा ना, नया लगता है तो खतरनाक लगता है, चुई है का दिल और ऐसे, तक चुई है, आईर हम पता नहीं क्या हो जाएगा,
00:55:54विशय गंधाता था, और परिचित था, कैसे मान ले कि, मुक्ति में वो सब मिल जाएगा, और ज्यादा भी कुछ मिल जाएगा,
00:56:11जो बंधनों में मिला करता था, कैसे मान ले, बंधनों में दर्द है, पर भरोसा तो है, कि दर्द है,
00:56:27बरोसा है, कि दर्द है, मौत नहीं है, मुक्ति तो मौत जैसी लगती है, तो एक तरफ मौत हो, एक तरफ दर्द हो, तो आदमी क्या चुन लेता है,
00:56:42उआ प्रकाश, आस गई दू जी, उगिया निर्मल नूर, इसमें गुरू का काम, प्रकाश तक हो सकता है, नूर तक हो सकता है, पर आस जाएगी के नहीं जाएगी, ये गुरू के हाथ में, नहीं होता है,
00:57:12आस पकड़ के बैठे रहो, हाँ, आप देख लो, प्रकाश दे दिया गया, वो कहाँ चला गया भाई, कौन ले गया, हाई मेरा दिल, हाई मेरा दिल, ये रहा,
00:57:31आप देख लो, प्रकाश में, तो छूट जाएगा, विशेय आशा सब छूट जाएंगे, और कितना भी प्रकाश,
00:57:44प्रकाश, चकाचौंध भी कर दी जाए, और ऐसे, हम दुनिया में किसी का मुकाबला करने लायक हो न हो, दुनिया में हम किसी के सामने, छाती तान के अवग्या से, खड़े हो सकते हो, न हो सकते हो,
00:58:03सच सामने आ जाए, तो हमारी बहादुरी जम जाती है बिलकुल, सोई मरदानगी जग जाती है एकदम, दुनिया का सबसे चूहा, सबसे लीचड आदमी भी, सच की अवग्या करने में एकदम मरद हो जाता है, मरद नमबर एक,
00:58:23तो दुनिया में किसी के सामने तन के नहीं खड़ा हो सकता, हाँ सच से जबान लडा लेगा, डिफाइन्स दिखा देगा,
00:58:42बंदी होई मुठी सच की तरफ घुसा बन जाती है,
00:58:45अब कितनी तो रौशनी कर दी, लेकिन जबरदस्ती थोड़ी दिखा सकते हैं,
00:58:57देखना तो खुदी पड़ेगा ना, रौशनी कर दी है, लेकिन देखो तो,
00:59:02अद देखने में चुहिया का दिल,
00:59:06क्योंकि पता है कि मामला तो गुलमाल है, वहीं सब गुलमाल है,
00:59:10हारी बात सोच पर है,
00:59:34तो फिर काहे के लिए बुल रहे हैं, वारी जाओ मैं सद्गुरू के,
00:59:37जब यह ना लाया कितना निकमा है, इतना अक्छम है, इतना बेबस है,
00:59:48कि बंदी हुई मुठी भी नहीं खोल सकता, तो गुरू का एक लिए,
00:59:55उसके सामने फिर एक ही विकल बचता है,
01:00:02जितना कोईला है सब जला दो,
01:00:07तो यह कोई भावनात्मक बात नहीं है,
01:00:14इसके पीछे भी एक तरक है,
01:00:19चुंकि हम खुद ठग हैं बहुत,
01:00:25धोखे बाज हैं बहुत,
01:00:28तो हमारी और कोई रोशनी भी लेके आता है,
01:00:31तो हमको लगता है यह कि वो भी ठग होगा बहुत,
01:00:33और धोखे बाज होगा बहुत,
01:00:41और चुंकि वो ठग है और वो कहा रहा है,
01:00:43देखो तो मुठी में क्या है,
01:00:45मुठी में क्या है,
01:00:45तो हम मुठी और भीच लेते हैं,
01:00:47कि तो जरूर अगर मैंने यह से देखा,
01:00:49तो इतने में आएगा और,
01:00:50कि जैसे कोई,
01:00:56झेब कतरा आपको बोले,
01:00:57कि जेब में जो माल है,
01:00:58उत को जरूर निकाल के देखना क्या है,
01:01:00और तुम निकाल के देखा,
01:01:01और जैसी देखा,
01:01:02इतने में वह आके ले गया,
01:01:03और असानी इसे ले गया,
01:01:04तो हमको लगता है नहीं,
01:01:05वो देखने को बोली इसलिए राय कि देखने के लिए मुठी को लेंगे इतने में वो पकड़ छूमंतर हो जाएगा
01:01:12भरोसा नहीं आता भरोसा आए इसके लिए कुर्बानी दी जाती है
01:01:19यह आप जितनी कथाएं पढ़ते हैं
01:01:24महापुरुशों की गुरुवों की
01:01:28जिन्होंने फिर कश्ट उठाए अपना जीवन ही होम कर दिया
01:01:34वो इसलिए कर दिया क्योंकि हम ऐसे ठग लोग हैं कि हमें यकीनी नहीं आता
01:01:38हमें यकीनी तब आता है जब सामने वारा मरी जाए
01:01:43उसके मरने से एक दिन पहले तक भी यकीन नहीं आएगा
01:01:46हमको लेगा जरूर कोई चाल है जरूर कोई चाल है नहीं तो ये तो वो लोग थे
01:02:02कि जीवन जिनके पीछे-पीछे दोड़ता था जिन्दगी की सारी नियामतें
01:02:08खुद जिनके सामने हाजिर रहती थी ये क्यों अपना जीवन उत्सर्ग कर देंगे
01:02:16च्योंकि उसके लागव और कुछ होता नहीं फिर
01:02:21वो जो चुईया वैठी उसको मेशे ही लग रहा होता है
01:02:25बोलो बोलो चुईया की तरह ऐसे दात निकालके जरूर कोई चाल है
01:02:33और जब वो चाल खेल सकता है तो
01:02:39मैं भी खेल सकता हूं तो मैं तो अपनी चाल खेलता रहूंगा
01:02:43My personal space, my personal space
01:02:45My personal priorities and desires
01:02:50बारी बाद समझता है
01:02:59अलंकि उससे भी होता आवाता कुछ है नहीं
01:03:11इतने आई इतने चले गए
01:03:15तो वारी जाओं भी
01:03:24कहने का अचित्त बस इतने नहीं है
01:03:29भरम दूर भी
01:03:36बस शायद इसी तरीके से हो सकता है
01:03:47जो आखिरी चीज़ है
01:03:50वही आपको दरशादी जाए
01:03:53आदमी हर चीज़ को छोड़ सकता है
01:03:58जो आखिरी चीज़ पकड़ के रखता है
01:03:59तो क्या होती है दे
01:04:00जब दिखा दी जाए कि भाई तो ये अपना
01:04:04गुलगुला छोड़ने को तयार नहीं है
01:04:05तो सामने वाले ने तो
01:04:08जिंदगी छोड़ दी
01:04:11तो हमें थोड़ा बहुत भरोसा आता है
01:04:14फिर हम क्या देते हैं वारी जाओं किया मेरा भरम सब दूर
01:04:19नहीं तो भरम दूर
01:04:21करना कोई इतनी तो मुश्किल बात है नहीं
01:04:23भरम का मतलब ही यही है कि जो चीज़ नकली है
01:04:27उसको हटाना इतना तो मुश्किल होना नहीं चाहिए न
01:04:29नियत डर भरोसा
01:04:41छोटा सा मेरा दिल है इत्ती बार तो इस दुनिया ने तोड़ दिया है
01:04:49यह एक और आ गया है कहीं फिर से न तोड़ते
01:04:52हाई मेरा दिल हाई मेरा दिल
01:04:56मुझे अपने छुटू से दिल बचा के रखना है
01:04:59भरी नाम पर थे तोड़ के रखने जाए पर दिल है
01:05:16सत गूरू के वारी नाम, सत गूरू के दिया मेरा भरम सब्दू
01:05:38दिया मेरा भरम सब्दू
01:05:48चंद चड़ा खुल आलम देखे
01:05:58चंद चड़ा खुल आलम देखे
01:06:08मैं देखो भरम दू
01:06:18वारी जाओं मैं सत गूरू के
01:06:28वारी जाओं मैं सत गूरू के
01:06:38किया मेरा भरम सब्दू
01:06:44किया मेरा भरम सब्दू
01:06:54वा प्रकाश्र आस गई तूजी
01:07:05वा प्रकाश्र आस गई दूजी
01:07:15किया निर मलनो
01:07:25किया निर मलनो
01:07:33आया मोहत मेरे सब नाशा
01:07:43आया मोहत मेरे सब नाशा
01:07:53आया आया आले भुजू
01:08:03पाया आले खुरूर।
01:08:13वारी जाओं मैं सत गूरू के, वारी जाओं मैं सत गूरू के, किया मेरा भरम सब्रू।
01:08:40दिया मेरा भरम सब्रू।
01:08:50विश्य विकार लार है जीता।
01:09:00विश्य विकार लार है जीता।
01:09:10दिया सब कुछ मेरा भरम सब्रू।
01:09:20दिया सब कुछ मेरा भरम सब्रू।
01:09:30विया प्याला सुद बूद विसरी।
01:09:39यह याला सुद्ध बुद्ध मिस्री
01:09:49वो आचक नाचो
01:09:58वो आचक नाचो
01:10:05वारी जाओं मैं सत्गूरू के
01:10:16वारी जाओं मैं सत्गूरू के
01:10:25किया मेरा भरम सब्धू
01:10:35किया मेरा भरम सब्धू
01:10:41किया मेरा भरम सब्धूरू के जाओं
01:10:46वारी जाओं मैं सत्गूरू के जाओं
01:10:49किया मेरा भरम सब्धूरू के जाओं मैं सत्गूरू के जाओं
01:10:55किया मेरा भरम सब्धूरू के जाओं मैं सत्गूरू के जाओं
01:11:05किया मेरा भरम सब्धूरू के जाओं मैं सत्गूरू के जाओं
01:11:15पाया जीवन मुदू
01:11:25बंदन कर्णा जूटिया जमसे
01:11:34बंदन कर्णा जूटिया जमसे
01:11:43दिया दरस मन्दू
01:11:50दिया दरस मन्दू
01:12:00बारी जाओं मैं सत्गूरू के जाओं
01:12:05मैं सत्गूरू के बारी जाओं
01:12:14मैं सत्गूरू के किया मेरा भरम सब्धू
01:12:29दिया मेरा भरम सब्धू
01:12:36मुदू
01:12:37मुदू
01:12:38मुदू
01:12:39मुदू
01:12:40मम तागई मही ओर समता
01:12:49मम तागई मही ओर समता
01:12:58सुख दो दारा दो
01:13:07सुख दुख डारा दो
01:13:17समझे बने कहे नहीं आवे
01:13:26समझे बने कहे नहीं आवे
01:13:36भयो आनन्द भर्थो
01:13:46भयो आनन्द भर्थो
01:13:54वारी जाओं मैं सत्र गूरू के
01:14:04एक किया मेरा घरम सब दू
01:14:14किया मेरा घरम सब दू
01:14:24कहे कभी साहब सुनो भाई सादो
01:14:34सुनो भाई सादो
01:14:40कहे गभी साहब सुनो भाई सादो
01:14:46पाजिया निर्मल तू
01:14:56वारी जाओं मैं सत्र गूरू के
01:15:08वारी जाओं मैं सत्र गूरू के
01:15:26किया मेरा घरम सब दू
01:15:32किया मेरा घरम सब दू
01:15:42झाल झाल

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