**"अध क भगय"** is a captivating Hindi cartoon story that will delight and inspire young viewers. Join us on a magical adventure as we explore the power of fate and the importance of perseverance. Through vibrant animation and a heartwarming narrative, this moral story teaches valuable lessons about overcoming challenges and believing in oneself. Don't miss this enchanting tale that will leave you with a smile and a sense of wonder.
**Watch now and discover the magic of "अध क भगय"!**
00:00एक समय की बात है एक गाउं में तो भाई रहते थे। उनमें से एक बहुत अमीर था जबकि दूसरा करीब था। एक बार वे दोनों इखटा हुए और आपस में बातचीत करने लगे।
00:22हाँ बेशक जिन्दगी बहुत कड़वी है और फिर भी बैमानी के तुल्णा में इमानदारी की जिंदगी बसर करना कहीं बैतर है।
00:31वाव। वाव। क्या बात कही है और अब कि उनमें कोई ही मांदारी की था नाम की था। सेरह बैमानी ही बैमानी विच्ता है इमान इस्ते कुछ भी बड़ा नहीं हो county, सम्जे।
00:43अरे नहीं भाई, मैं तो यहीं समझता हूँ
00:46कि इमानदार होना ही बेथर हैं।
00:49अच्छा, अगर ऐसी बात है तो आओ,
00:52एक शर्त हो जाये। देखो,
00:55हमें जो तीन आदमी सबसे पहले मिलेंगे,
00:58हम उनसे यह पूछेंगे कि उनकी इस बारे में क्या राय है।
01:01अगर वो कहेंगे कि तुम जो कहते हो वो ठीक है,
01:04तो मेरे पास जो कुछ भी है, वो सब तुम्हारा हो जाएगा।
01:07अगर वो यह कहेंगे कि मैं ठीक कहता हूँ,
01:10तो जो कुछ तुम्हारे पास है, वो सब मैं ले लूगा।
01:13गरीब भाई राजी हो गया, फिर सडक पर चल दिये।
01:17वे चलते गए, चलते गए, और आखिर एक आदमी से उनकी मुलाकात हुई,
01:22जो उसी रास्ते से लोट रहा था।
01:25नमस्ते वाले मानस।
01:28नमस्ते।
01:30सुनो, हम तुम से कुछ पूछना चाहते हैं,
01:33आधिक है, पूछो, क्या पूछना चाहते हो।
01:36अब तुम मुझे ये बताओ, कि तुमारे इसाफ से दुनिया में,
01:40इमानादारी के जिन्दगी बिताना बैतर है या बैमानी की।
01:44अरे भाले लोगो, आज की दुनिया में इमानदारी है ही कहा,
01:49अब तुम मुझे नहीं ले लो, मैंने हर दिन बहुत-बहुत देर तक और करी मेहनत से काम किया,
01:55मगर कमया लगबा कुछ भी नहीं,
01:58मेरी जारा सी कमय का कुछ हिस्सा भी मलिक ने हरब लिया,
02:02ये हैं इमानदारी का नतीजा,
02:05चलो आओ आओ, अबी और चलते हैं आगे, आजाओ.
02:35वे आगे चल दिये, वे चलते गए चलते गए, और आखिर उन्हें एक बेपारी मिला.
02:44नमस्ते हुजूर
02:47नमस्ते
02:49दरसल हम आप से कुछ पूछना चाहते हैं
02:53अच्छा, क्या पूछना है, पूछो
02:57आप मुझे यह बताये कि दुनिया में इमानदारी की सिंदगी बिताना बैतर है या बैमानी की?
03:03अरे वारे भुने लोग, इमानदारी की जिंदगी में क्या रखा है, अग तु मुझे ही ले लो.
03:10अगर मुझे कोई माल बेचना हो तो सो बार जूट बोलने की जूर्वत पड़ती है, छाल कपट करना पड़ता है, ऐसा ना करने का मतलब होगा कुछ भी ना बेच पाना.
03:23इतना कहकर वो अपने रास्ते चल दिया.
03:26दूसरी बार भी मेरी बात सही निकली, चलो आओ आओ, एक और हो जाए आखरी वाला.
03:36गरीब भाई का दिल और भी बेट गया, मगर वो करता भी तो क्या, और वो आगे चल दिये.
03:44वो चलते गए, चलते गए, पर आखिर एक जमिनदार से उनकी मुलाकात हुई.
03:50नमस्ते श्रीमान जी.
03:52नमस्ते.
03:54दरसल हम आप से कुछ पूछना चाहते हैं.
03:57अच्छा, क्या बात है, पूछो.
04:00आपकी राय में दुनिया में इमानदारी की जिंदगी बिताना बैठर है, या बेमानी की?
04:06अरे वारे बले मानसों, आज के दुरिया में इमानदारी है ही कहाँ.
04:11अगर मैं इमानदारी की जिंदगी बिताता, तो मेरी ये ठाट बात होती क्या?
04:17इमानदारी.
04:20अपनी बात पूरी किये बिना ही, जमिनदार ने अपना खोड़ा आगे बढ़ा दिया.
04:25अपनी बात पूरी किये बिना ही, जमिनदार ने अपना खोड़ा आगे बढ़ा दिया.
04:32हाँ, हाँ तो मेरे भाई, अब तो तुम्हें समझ में आ गया होगा.
04:38चलो, अब घर चलते हैं, जो कुछ भी तुम्हारे बास है, अब वो तुम मेरे हवाले कर दो.
04:43गरीब भाई अपने घर की और चला जा रहा था, मन ही मन बहुत दुखी होता हुआ, उसकी जो थोड़ी सी चमा पुंजी थी, वो अमीर भाई ने ले ली और केबल छोपडी उसके पास रहने दी.
05:00अच्छा ठीक है, तुम फिलाल यहां रह सकते हो, अभी मुझे इसकी जरूरत नहीं है, मगर जल्दी तुम्हें अपने रहने के लिए कोई दूसरी जगह तलाश करनी होगी, समझे?
05:30गरीब भाई अपने परिवार के साथ उसी छोपडी में रहने लगा, उनके पास खाने के लिए रोटी का एक टुकडा तक नहीं था, वो कहीं जाकर कुछ काम भी नहीं कर सकता था, यूकि उस साल फसल ही नहीं हुई थी.
05:46गरीब भाई ने अपने आप को वस में किया, मगर पच्चे भूँक से रोने चिनलाने लगे, तब गरीब भाई ने एक बोरी ली और आटा मांगने के लिए अपने भाई के पास गया.
05:59भाई दया करके मुझे कुछ आटा या अनाज दे दो, घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है और बच्चों का भूँक के मारे बुरा हाल है. देखो मैं तुम्हे आटा तो दे सकता हूँ, पर इसके लिए तुम्हे अपनी एक आँख निकल वानी होगी.
06:18गरीब भाई ने कुछ देर सोच बिचार किया, मगर इसके सिबा चारा ही क्या था?
06:25ठीक है, मुझे मनजूर है, निकाल लो मेरी आँख, बगवान तुम्हारा भला करे, बगवान के लिए मुझे कुछ आटा अवश्य दे दो.
06:35अब अमीर भाई ने गरीब भाई की एक आँख निकाल ली, और उसे सड़ा हुआ कुछ आटा दे दिया. गरीब भाई आटा लेकर घर लोटा. उसकी पतनी के जैसे ही अपने पती पर नजर पड़ी, वैसे ही वो कलेजा थाम कर रह गई.
06:55यह तुम्हें क्या हुआ है? तुम्हारी एक आँख कहा गई? भाई ने निकाल ली. गरीब भाई ने अपनी पत्नी को सारा किस्सा के सुनाया, फिर रोये धोये, चीखे चिलनाये, मगर फिर उसी आटे से पेट की आँख बुजाने लगे.
07:13एक सपता और सायद इससे कुछ अधिक समय बीता और वो आटा खतम हो गया. गरीब भाई ने फिर से बोरी उठाई और अपने भाई के पास पोचा.
07:29मेरे भाई, मेरे प्यारे भाई, मुझे कुछ आटा और दे दो, जो आटा तुमने कुछ दिन पहले दिया था, वो तो खतम हो गया. अगर दूसरी आँख निकाल कर दोगे, तो आटा दे दूँगा, बोलो.
07:49मेरे भाई, दोनों आँखें गवा कर मैं इस दुनिया में कैसे रहूंगा, मेरी एक आँख तो तुम पहले ही निकाल चुके हो, जड़ा रहम करो, कृपा करके अंधा किये बिना ही मुझे कुछ आटा दे दो.
08:02ना, ना, ना, ना.. मैं मुफ़्ट में आटा तो नहीं दूँगा, अगर तुमें और आटा चाहिए, तो एक ाख और निकाल लेने दो, तब भी मैं तुमेन आटा दूंगा, बोलो..
08:13गरीब भाई, करता भी तो क्या करता.
08:17हाँ ठीक है भाई निकाल लो भगवान तुम्हारा भला करे
08:24अब अमीर भाई ने गरीब भाई की दूसरी आग पी निकाल ले और उसकी बोरी आटे से भी भर दी
08:31गरीब भाई बोरी उठा कर घर की और चल दिया फिर जगा जगा ठोकर खाता रस्ता तो डोलता और एक के बाद एक बार से टकराता
08:43बड़ा मुस्किल से आटा लिये हुए घर पोचा उसकी पतनी ने उसे देखा तो सिर पीट कर रह गई
08:50अरे बद किसमत आत्मी आखो के पिना तुम इस दुनिया में कैसे रोहोगे सायद हमें किसी और जगे से कुछ आटा मिल जाता
09:04मगर आप बेचारी पतनी ऐसे जोर जोर से रोई कि उसके मुँझ से एक सब्त भी ना पोच सका
09:12रो मत पतनी, दुनिया में मैं अकेला ही अंधा नहीं हूँ, मुझ जैसे और भी लोग हैं, वो भी आखो के बिना काम चला लेते हैं न, तो हम भी चला लेंगे
09:30मगर एक पोरी आटा तो परिवार के लिए बहुत नहीं होता, वो जल्दी खतम हो गया
09:38मैं अब अपने भाई के पास नहीं जाओंगा, मुझे गाओं के बाहर सड़क के किनारे वाले चिनार के पेड़ के नीचे दिन भर के लिए पहुंचा दो, शाम को आकर तुम मुझे घर ले आना, उस रास्ते से बहुत से ब्यापारी और घुर सवार गुजरते हैं, कोई न
10:09अन्धा वही बेठा रहा, किसी रागिर ने उसे एक पेसा दिया, तो किसी ने दो, शाम होने को थी, मगर उसकी पतनी को आने में देर हो गई, अन्धा ठक गया था, इसलिए वो एकेले ही घर की और चल दिया,
10:29वो कलत दिशा में मुड़ गया और घर पहुँचने के बजाए तथा ये जाने पिना ही कि किधर जा रहा है, आगे ही आगे चलता गया, अचलक उसे अपने सभी और ब्रिक्षों की सरसर की आवास सुनाई दी, अन्धे को ये समझने में देर न लगी, कि वो किसी जंगल में
10:59एक जाड़ी के पीछे चुप गया. आधी रात हुई, तो अचानक उसी जगा एक ब्रिक्ष के नीचे भूदप्रेत उड़ते हुए आये, उनके सरदार ने पूछना सुरू किया, कि वे क्या कुछ करते रहे हैं?
11:16मैंने दो बोरी आटे के लिए एक भाई को अंधा करवा दिया.
11:22हाँ, तुमने अच्छा किया, मगर बहुत अच्छा नहीं.
11:27पर सरदार, वो कैसे?
11:30अरे बुद्धू, वो ऐसे कि जब ये अंधा इस व्रिक्ष के नीचे पड़ी हुई ओस की बूदों को अपने आखों पर मलेगा, वैसे ही उसकी आखों की रोशनी लौट आएगी.
11:44मगर ये तो ना किसी ने सुना है और ना कोई जानता है, इसलिए वो अंधा ही रहेगा.
11:53अब तुम बताओ, तुमने क्या काम किया?
11:56मैंने एक गाउ का सारा पानी सुखा दिया है सरदार, वहां पानी की एक बोन तक नहीं रही, इसलिए वहां के लोगों को 40 कोश दूर से पानी लाना पड़ता है और बहुत से लोग रास्ते में ही धेर हो जाते हैं.
12:12तुमने तो ये अच्छा काम किया, मगर बहुत अच्छा नहीं. पर वो कैसे सरदार?
12:19वो ऐसे कि उस गाओं के बीचों बीच एक बड़ा सा पेड़, उस पेड़ के नीचे एक पत्थर रखा हुआ है. अगर उस पत्थर को हटा दिया जाये, तो वहां से सभी की जरूरते पूरी करने के लिए पर्याब्त पानी मिल सकता है. लेकिन ना तो किसी ने ये सुना है �
12:50और अब तुम बताओ कि तुमने क्या किया?
12:54सर्दार, मैंने एक राज्य की राजा के इकलौते बेटे को कूंगा कर दिया, हकीम वैद्धों से भी कुछ ना हुआ.
13:03हाँ, तुमने अच्छा किया, मगर बहुत अच्छा नहीं.
13:08वो कैसे सर्दार?
13:11वो ऐसे कि अगर उस गाओं के पत्थर के नीचे वाले पानी को पिला दिया जाएं, तो वो ठीक हो जाएंगा.
13:19मगर ना ये किसी ने सुना है और ना कोई जानता है, इसलिए वो कूंगा ही रहेगा.
13:32जाड़ी के पीछे बेठा हुआ अंधा सारी बाते सुन रहा था.
13:36जैसे ही भूदप्रेत वहाँ से उड़ चले, वैसे ही वो ए ब्रिक्स के नीचे गया और उसने अपने आखों पर ओस्मली, तुरंत ही उससे नजर आने लगा. तब उसने सोचा,
13:49अच्छा, अब चल कर लोगों की मदद करता हूँ.
13:54उसने सुबा होने का इंतिजार किया और सुबा होते ही वहाँ से चल दिया. वो उस गाउ के पास पहुचा जहां पानी नहीं था. उसने देखा कि एक बुढिया एक मटका लेकर जा रही थी. उसने बुढिया को नमसकार किया और कहा,
14:11दादी मुझे जरा पानी पिला दो. अरे वेटा ये पानी मैं लगबग 40 कोट से ला रही हूँ. आधा तो रस्ते में ही गिर गया. फिर मेरा तो परिवार भी बहुत बड़ा है. पानी के बिना उनका बुरा हान हो जाएगा.
14:33दादी आपके गाउ में मेरे पहुँचते ही सब के लिए काफी पानी हो जाएगा. बुढिया ने उसे पानी पिलाया. अब उसकी खुसी का कोई ठिकाना ना रहा. वे चल्दी चल्दी गाउ पहुचे और उसने लोगों से इस आदमी की चर्चा की. किसी को बिस्वास हुआ
15:04ठीक है अब चिन्ता की कोई जरूरत नहीं. पर तुम लोग मेरी मदद करो.
15:09मुझे अपने गाउं के बीच वाले बड़े पेड़ के नीचे ले चलो जहां एक बड़ा सा पत्थर है.
15:20सबने मिलकर उस पेड़ के नीचे गए.
15:24सब लोग मिलकर उस पत्थर को हटाया.
15:27पत्थर हट ते ही उधर से पानी निकनना सुरू हो गया.
15:30सब लोग खूस हुए.
15:33आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
15:35आज अब हमें इतनी बड़ी मुश्किल से बचाई,
15:39जिसकिने हम नाजने कितने दिनों से परिशान थे.
15:44अब आप लोगों को चिंता की कोई आविशक्ता नहीं है.
15:47अभी कुछी समय में ये पानी तालाब, नदी और नालों को भर देगा.
15:54फिर उसने अपने पास रखी लोटे में थोड़ा चल भरा
15:58और लोगों को उस राज्ये का रास्ता पूचकर वहाँ से चला गया.
16:05आखिर, वो उस राज्ये में पहुँच गया, जिसका राजा का बेटा गुंगा हो गया था.
16:12मैंने सुना है कि आपके राजा का बेटा सक्त बीमार है.
16:17शायद मैं उसका इलाज कर सकता हूँ.
16:19अरे, तुम क्या इलाज करोगे उसका? यहाँ बड़े-बड़े हकीमों बेदों के किये भी कुछ न हुआ. तुम खला क्या करोगे?
16:30अरे भाई, फिर भी आप लोग एक बार राजा को खबर तो कर दो.
16:35वे राजा को खबर नहीं देना चाहते थे, मगर यह बेकती जीत करता गया, करता गया. आखिर कोई चारा ना देखकर, वे मान गये.
16:47तुम मेरे बेटे का इलाज कैसे कर सकते हो? बोलो.
16:51हाँ महाराज, मैं यह कर सकता हूँ.
16:54ठीक है, अगर तुम उसे भला चंगा कर दोगे, तो मैं तुम्हे मू माँगा इनाम दूँगा.
17:01फिर उसे राजकुमार के कमरे में पहुचाया गया. उसने वो पानी राजकुमार को पिलाया, जो उसने अपने साथ लाया था. पानी पीते ही, राजकुमार बोलने लग गया.
17:13राजा ने उसे इतना दोलत दी, कि उसे घर ले जाने के लिए गोड़ा गाड़ियों की जरुवत पड़ी. उसने वो पानी राजकुमार को पिलाया, जो उसने अपने साथ लाया था. पानी पीते ही, राजकुमार बोलने लग गया.
17:28वाव, वाव, वाव, बहुत बढ़िया, अती उत्तम, मैं, मैं बहुत प्रसन हुँ तुमसे.
17:35राजा ने उसे इतना दोलत दी, कि उसे घर ले जाने के लिए गोड़ा गाड़ियों की जरुवत पड़ी. इधर घर में पत्नी उसका पती के बारे में ही सोचते सोचते रोय जा रही थी. उन्हें लग रहा था कि अब वो इस दुनिया में नहीं रहा.
17:53अचानक से जब पती ने आवाज लगाई, वो छोपडी से बाहर निकली. तुमारी नजर लोटाई, हे भगवान तुमारा फ़ला हो, पर आप बताईए कि ये सो कैसे हुआ?
18:08हाँ हाँ जरा ठेहने, पहले धन दोलत अंदर तो ले आए, फिर आराम से सब बात बताते हैं। फिर दोनों धन को घर के अंदर ले आए और अपने पत्नी को सारा बात कह सुनाया।
18:24अमीर भाई की दोलत अब इसके मुकाबले में थी ही क्या? अब गरीब भाई बहुत अमीर होकर खुद मज़े की सिंदगी पिताने लगे, अमीर भाई को भी इसके बारे में खबर मिली, तो भागता हुआ वो अपने गरीब भाई के पास पोचा।
18:47भाई, ये सब कैसे हुआ? तुम्हारी नजर लोट आई, और तुम ऐसे धनी भी हो गए, ये कैसे हुआ?
18:58इस भाई ने कुछ भी नहीं छुपाया, और सारा किस्सा के सुनाया. अमीर भाई भी अब और अधिक अमीर होना चाता था.
19:06जैसे ही रात हुई, वैसे ही वो भागता हुआ, चुपके चुपके उस चंगल में जाप पोचा और उसी छाड़ी के पीछे चुपकर बेठा रहा. आचानक आधी रात को सबी भूद प्रेत और उनका संतार उड़ते हुए इसी ब्रिक्ष के नीचे इकठा हुए.
19:23ये क्या किस्सा है, ना तो कभी किसी ने इनके बारे में सुना था और ना ही कोई जानता था और फिर भी अंधा भाई आखों वाला हो गया, पच्चर के नीचे से पानी बह निकला और राज कुमार भला चंगा हो गया. आँ, कहीं किसी ने चोरी चोरी हमारी बाते तो नहीं
19:53हो गया, तो वहाँ अमीर भाई को बेटा पाया, उन्होंने उसे पकड़ा और उसकी बहुत बिटाई की, बेचारा अमीर भाई किसी तरह अपने घर वापस पहुँचा, अब अमीर भाई को काफी पच्चतावा हुआ कि उसने अपने गरीब भाई के साथ कितना बुरा व्य