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  • 9/14/2024

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**"गरब लडक क भगय"** is a captivating Hindi cartoon story that will delight and inspire young viewers. Join us on a magical adventure as we explore the power of fate and the importance of perseverance. Through vibrant animation and a heartwarming narrative, this moral story teaches valuable lessons about overcoming challenges and believing in oneself. Don't miss this enchanting tale that will leave you with a smile and a sense of wonder.

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गरब लडक क भगय (exact title)
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Transcript
00:00ए उपरवाले, मैं कितना हाँ भागा हुँ
00:02Aaj इस गरीब के घर, एक पूतर ले जनमल्ली आ है
00:05आज तक मैं अपनी पत्ले को बी सुखी नहीं रख पाए
00:07तो मैं कैसी अपने पोतरका अच्छा पालंपोषन करॉंगा
00:11ये उपरवाले मैं कितना अभागा हूँ।
00:16आज इस गरीब के घर एक पुतर ने जनम लिया है।
00:20आज तक मैं अपनी पत्नी को भी सुखी नहीं रख पाया।
00:24तो मैं कैसे अपने पुतर का अच्छा पालन पूश्ण करूँगा।
00:28मेरी सहायता करो।
00:29ललिटपुर राजे की छोटे से गाउ रोनक में रेने वाला बिंदा एक गरीब आद्मी था।
00:35उसे जो भी काम मिलता वो करता।
00:38और जैसे तैसे अपनं और अपनी पत्नी को सल्या का पेट पालता।
00:43अपनी गरीबी से दोनों पति-पत्नी बहुत ही तुखी थे।
00:46उसी गरीबी की तशा में उनके यहाँ एक संतान ने जन्द लिया।
00:51उन्होंने अपने पुत्रा का नाम चंदा रखा।
00:55सुनो जी, पहले हम दो थे, तबी परिवार का गुशारा मुश्किल से हो पाता था।
01:03बगवान की दया से अब तो हम तीन हो गये हैं।
01:06क्या बात सोची है तुमने कोशल्या।
01:09मैं क्या बोलती हूँ, कि आज से खेद, खन्दिहान में मैं भी मस्तूरी करने जाया करूंगे।
01:20कोशल्या की बात सुन, बिंदा दुखी हो उठा।
01:24कोशल्या हमारी शादी को इतने साल हो चुके हैं, और आज तक मैं तुम्हें कुछ भी सुख नहीं दे पाया।
01:33दुखी क्यों होते हो जी, दुख सुख तो जीवन में आती ही रहते हैं, और फिर हम एक काड़ी के दो भईये हैं, दोनों को एक समान चनना चाहिए।
01:45कोशल्या, सब पुर्वचनमों की पापों का फल है, बारा वर्ष में तो कुड़े के धेर के भी दिन फिरते हैं, फिर हमने ऐसा कौन सा पाप किया है, जो गद भी हमसे एक पापों की पापों का फिरते हैं।
01:57कोशल्या, सब पुर्वचनमों की पापों का फल है, बारा वर्ष में तो कुड़े के धेर के भी दिन फिरते हैं, फिर हमने ऐसा कौन सा पाप किया है, जो गद भी हमसे चिपक कर ही रह गई है।
02:27बिंदा, तेरा बेटा बड़ा हो गया है, इसे पढ़ाता क्यों नहीं है।
02:42देवी सरस्वती, आप तो मेरी आर्थिक परिस्थितियों से भली बाती अवगत हैं, एसी कथिन परिस्थिति में मैं कैसे चंदा को पढ़ा सकता हूं।
02:54कुछ भी हो बिंदा, चाहे तुम्हें अपना तन पेट काटना पढ़े, पर चंदा को जरूर पढ़ाओ, उसे पढ़ाने से ही तुम्हारी गरीबी दोर हो सकेगी।
03:05ततकाल ही बिंदा की आखे खुल गई, और वो सोचने लगा, ये मैंने कैसा सपना देखा।
03:14सुबा जब उसने कोसल्या से रात को देखी हुई सपने की चर्चा की, तो कोसल्या कहने लगी,
03:26सुनु जी, तुम चंदा को लेकर आज ही विशाका नगरी चले जाओ।
03:32विशाका नगरी, पर वहां क्यों?
03:36विशाका नगरी में चेतन्या नाम का विध्वान रहते हैं, सीख्सा जगत में उनका बड़ा नाम है,
03:43तुम चंदा को विध्या अध्यान है तो उनके पास ही ले जाओ।
03:48लेकिन कोशल्या, इस काम के लिए तो बहुत अधिक दन की आवशक्ता होगी, कहां से आएगा वो दन?
03:55इसके लिए तो आप सुखी लाला के पास चले जाओ।
03:59क्या, सुखी लाला के पास?
04:03हाँ, लेदेकर गाउ में वही तो एक महाजण है,
04:08चन्दा की सिक्सा है तो उनसे कर्ज ले लो।
04:12कोशल्या, सुखी लाला अत्याचारी महाजण है,
04:16वो हमेशा गरीबों का शूशन करते हैं,
04:19वो बहुत जदा व्याज पर कर्ज देते हैं,
04:22और समय पर उधारने चुकाने पर वे बहुत क्रूर हो जाते हैं,
04:26वे बहुत क्रूर हो जाते हैं,
04:28तुम इसे महाजण से उधार लेने की बात कर रही हो।
04:32इसके बिना और कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं है जी,
04:36कुछ भी हो,
04:38जब साक्सा सर्वसति माने चन्दा को सिक्सा दिलवाने को कहा है,
04:42तो हम अपने बेटे को सिक्सा अवश्य दिलवाएंगे।
04:46परन्तु रिन लेने के लिए हमारे पास गिर्वी रखने के लिए है ही क्या।
04:51सुखिलाल बिना कोई वस्तु गिर्वी रखे,
04:54किसी को भी रिन नहीं देते हैं।
04:56हाँ, तुम चिंता मत करो।
04:59इसका उपाई भी मैंने सोच निया है जी,
05:02तुम अपनी चोप्री को उनके पास गिर्वी रख आना।
05:05क्या कह रही हो तुम?
05:07सिर्फ छिपाने का यही तो एक आसरा है।
05:10भगवान ना करे ये भी छिन गया तो क्या होगा।
05:15सुप सुप सोचो जी,
05:17भगवान जो करेगा ठीक ही करेगा।
05:28तब उसी दिन,
05:30बिंदा सुखी लाला के यहां पोचा
05:32और कहने लगा,
05:35राम राम सुखी लाल जी,
05:37कहो बिंदा, कैसे आना हुआ?
05:40दरसल लाला जी,
05:42एक अर्ज लेकर आया हूँ आपके पास।
05:47हाँ हाँ, कहो बिंदा,
05:49क्या अर्ज है तुमारी?
05:52ओ लाला जी, मुझे थोड़ा कर्ज चाहिए था।
05:57कर्ज, किस लिए?
06:00मैं अपने बेटे को पढ़ाना चाहता हूँ लाला,
06:04इसके लिए मुझे कर्ज चाहिए।
06:08ओ, तो तुम कर्ज लोगे किस पर?
06:12अरे मतलब गिरवी रखने के लिए
06:14तुमारे पास है ही क्या?
06:18लाला, तुम तो जानते ही हो
06:20कि मैं कितना गरीब हूँ,
06:22ले दे कर बस एक जूपडी ही है मेरे पास,
06:24बस उसी जूपडी को आपके पास
06:26गिरवी रख दूँगा।
06:30लाला मन ही मन सोचने लगा।
06:33हाँ, सौधा बुरा नहीं रहेगा,
06:36बिंदा रिन तो अदा करपाएगा नहीं,
06:39फिर उसके जौपडे पर मेरा कभजा हो जाएगा।
06:43हाँ हाँ, ठीक है ठीक है ठीक है बिंदा,
06:47मैं तुम्हें सो चादी के सिक्के उधार दे सकता हूँ,
06:51ठीक है?
06:53ठीक है लाला जी, आपकी बड़ी महरबानी होगी।
06:59सुखी लाला ने एक कागच पर
07:01बिंदा का अंगोठा लगवा लिया
07:03और कहने लगा,
07:04पूरे दस वर्ष की मौलत देता हूँ मैं तुझे,
07:08यदि इन दस वर्षों के अंदर तू मेरा रिन ना चुका पाया,
07:13तो तेरी जोपडी और जमीन मेरी होगी, बोल।
07:19हाँ हाँ, ठीक है, मुझे ये स्विकार है लाला।
07:24फिर सुखी लाला ने उसे
07:26सो चांधी के सिखे गिनवा कर दे दिये।
07:30भगवान तुमारा भला करे लाला।
07:44बिंदा अपने बेटे चंदा को साथ लेकर,
07:47उसी दिन बिसाका नगरी की और चल पड़ा,
07:50और सोचने लगा,
07:51भगवान मेरे बच्चे की रक्षा करना,
07:54इसे खुब विद्वान बनाना।
07:59लंबा सफर ते करनी के बाद,
08:01बिंदा और चंदा बिसाका नगरी में
08:04चेटन या गुरू के आश्रम में पहुँझ गए,
08:07और कहने लगे,
08:09गुरू जी, प्रनाम,
08:11गुरू जी, प्रनाम,
08:14कहा से आये हो तुम लोग?
08:17गुरू जी,
08:18मैं ललिटपुर राजी के छोटे से गाउं
08:21रौनक में रहता हूं,
08:22मेरा नाम बिंदा है,
08:24और ये मेरा बेटा चंदा है,
08:26मैं अपने बेटे चंदा को
08:28आप से सिख्षा दिलवाना चाहता हूं,
08:30और इसी उद्देशिसे
08:31मैं आपके पास लाया हूं गुरू जी.
08:36बिंदा ने तुरण चांदी के सिक्के से
08:38भरी थेली,
08:39गुरू जी के चर्णों में रग दी,
08:41और कहने लगा,
08:43इन्हे सुखार कीजिए,
08:45क्या है इस थेली में?
08:49इसमें चांदी के सो सिक्के हैं गुरू जी,
08:51मैं जैसे तैसे इसका प्रबंद कर पाया हूं,
08:54इससे अधिग और आपको नहीं दे पाऊंगा.
09:01गुरू जी,
09:02मैं गरीब हूं,
09:03मेरे बेटे को सिख्षा देने के लिए
09:05मना मत करना.
09:07बड़ा भोला आदमी लगता है,
09:09इसे मिराश करना ठीक नहीं है.
09:13मैं तुम्हारे बेटे को अवश्य पढ़ाऊंगा.
09:16बिंदा,
09:17तुम्हारा पुत्र दस वर्ष के लिए
09:19हमारे आश्रम में रहेगा,
09:21तब ही उसके सिख्षा पूर्ण हो पाएगी.
09:24बोलो.
09:25बिंदा अपने बेटे चंदा को
09:27चेतन्या गुरु के गुरुकुल में छोड़ा आया.
09:30बिंदा और कोसंद्या का दिनचारिय
09:32पहने के ही भाती फिर चलने लगा.
09:35इधर चंदा,
09:36चेतन्या गुरु से सिख्षा पाने लगा.
09:39दस वर्ष कब बीट गए,
09:41पता ही नहीं चला,
09:43तब गुरु जी कहने लगे,
09:45चंदा,
09:46आज तुम्हारी सिख्षा पूर्ण होई,
09:49तुम हमारे शिश्यों में
09:51सबसे मिधावी शात्र हो,
09:53इस पर सदा गर्व रहेगा हमें.
09:56गुरुदेव,
09:57सब आपकी कृपा का फल है,
10:00चंदा,
10:01अब तुम अपने माता पिदा के पास लोड़ जाओ,
10:04तुम्हारी प्रतिक्षा में नजाने,
10:06वो कब से बाड़ जो रहे होंगे,
10:08जाओ.
10:12वो उसी दिन,
10:13अपने गाउं की ओर्श चल दिया,
10:15और फिर लंबाद के पास,
10:17ये युवक कौन है?
10:20चंदा ने आगे बढ़ कर,
10:22बिंदा के पेर छूल लिये,
10:24तुम्हारी प्रतिक्षा में नजाने,
10:26वो कब से बाड़ जो रहे होंगे,
10:28जाओ.
10:31वो उसी दिन,
10:32अपने गाउं की ओर्श चल दिया,
10:34और फिर लंबा सफर ते करके,
10:36ये युवक कौन है?
10:39चंदा ने आगे बढ़ कर,
10:41बिंदा के पेर छूल लिये,
10:45अरे अरे,
10:46क्या कह रहे हो?
10:47कौन हो तुम?
10:49मैं चंदा हूँ पिताजी,
10:51आपका बेटा.
10:53चंदा तुम?
10:54तुम्हारी सिक्षा पूरी हो गई क्या?
10:57हाँ पिताजी,
10:58मैं गुरुदेव की आग्यां पाकर ही लोटा हूँ.
11:01अरे सुनती हो,
11:02कहां हो तुम कोशल्या?
11:04शिगर आओ,
11:05देखो हमारा बेटा
11:06पढ़ाई पूरी करके लोट आया है.
11:10तुरंती कोशल्या बाहर आयी,
11:12और चंदा को देखकर बहुत खुस हुई.
11:14चंदा मा की पेर छुआ,
11:16और कोशल्या की खुसी का
11:18अब कोई ठिकाना ना था.
11:21कोशल्या,
11:22अब हमें और चिंता करने की
11:24कोई जरूरत नहीं है.
11:25हमारा बेटा
11:26अब नौकरी करेगा,
11:27और हमारे बूरे दिन भी
11:29बिड़ जाएंगे.
11:31बगवान कर यो,
11:32पूरे दस वर्ष तो बीड चुके हैं.
11:35चलो भाई,
11:36चल कर अब बिंदा से
11:38चान्दी के सिक्के लोटाने का
11:40तगादा करने का समय आ गया है.
11:58जो पूरे तस वर्ष तो बीड चुके हैं,
12:00पूरे तस वर्ष तो बीड चुके हैं.
12:15लगता है बिंदा का लड़का
12:17पढ़ाई पोरी करके आ गया है.
12:19अरे आप सुखी लाला.
12:21ओ हो हो हो.
12:23भूले नहीं तुम मुझे.
12:25लाला
12:27आप कोई भूलने की चीज हो क्या?
12:29कहिए
12:31कैसे आना हुआ आपको?
12:33तुमारे माता पिता कहा है चंडा?
12:35चंडा ये सुनकर चुप रहा.
12:41चंडा ये सुनकर चुप रहा.
12:43तुम्हारे माता पिता कहा है चन्दा?
12:47चन्दा ये सुनकर चुप रहा
12:49ये देख लाला के तेबर चड़ गए
12:53अरे बताते क्यों नहीं
12:55तुम्हारे माता पिता कहा है
12:59सुनो लाला, मेरे पिता जी
13:01जिनदा पेड़ों को काटने
13:03और मुर्दा पेड़ों को रोपने गए है
13:05क्या?
13:07हाँ लाला
13:09मेरी माँ हवा बेचने
13:11और चान्दी खरीदने गई हुई है
13:15लगता है चन्दा आविशकता से
13:17अधिक पढ़कर आया है
13:19तभी ऐसी बाता से मुझे मूर्ख बना रहा है
13:21ये कैसी उट पटांग बातें कर रहे हो
13:23मैंने जो प्रशन पूचा है
13:25उसका ठीक ठीक उत्तर दो
13:27तुम्हारे माता पिता कहा गए है
13:29ये बताओ
13:31चन्दा ने पुना
13:33पहली वाली बात दोहरा दी
13:35जिसे सुनकर सुखी लाला
13:37बुरी तरहा खीज गया
13:39चन्दा मेरी बात द्यान से सुनो
13:41तुम्हारे पिताजी ने
13:43दस वर्ष पहले
13:45ये जोपडी गिरवी पर रख कर
13:47मुझसे पाथ सो चादी के
13:49सिक्के उधार लिये थे
13:51क्या
13:53क्या लाला सच मुझ
13:55हाँ चन्दा
13:57बिंदाने दस वर्ष बीटने पर भी
13:59वो सिक्के मुझे नहीं लटाए
14:01आज मैं अपने सिक्के लेने आया हूँ
14:03यदि तुम सच सच बता दोगे
14:05कि तुम्हारे माता पिता कहा है
14:07तो
14:09तो क्या करोगे तुम सुखी लाला
14:11लाला सोचने लगा
14:13लड़का बड़ा चालाक है
14:15इससे चालबाजी से काम
14:29चंदा
14:31अगर तुम बताओगे कि तुम्हारे
14:33माता पिता कहा है तो
14:35मैं उधार दिये हुए सिक्के
14:37वापस नहीं मागोंगा
14:39यानि कि आप कर्ज माफ कर दोगे
14:41हाँ हाँ
14:43मैं कर्ज माफ कर दूँगा
14:45तुम बताओ तो सही कि
14:47तुम्हारे माता पिता कहा है
14:49सुखी लाला
14:51मैं आपकी बात पर विश्वास
14:53कैसे करूँ भला
14:55अरे मैं पृत्वी और आकाश
14:57को साक्षि बना रहा हूँ
14:59कि यदि तुम मुझे ये बता दो
15:01कि तुम्हारे माता पिता इस समय कहा है
15:03तो मैं उधार के
15:05सिक्के वापस नहीं मागोंगा
15:07बोलो
15:09लाला
15:11ये पृत्वी और आकाश बोल नहीं सकते
15:13अता इने साक्षि नहीं बनाया जा सकता
15:17तो फिर
15:19यदि आप किसी जीवित प्राणी को
15:21साक्षि बनाओ तो मैं आपकी बात
15:23मान लूँगा
15:25ये बित्ता भर का छोकरा
15:27तो हाथ ही नहीं रखने दे रहा
15:29पर मैं भी कोई कम नहीं हूँ
15:35लाला की नजर उसकी छोपडी पर बेटी
15:37तितली पर पड़ी
15:39और वो कहने लगा
15:41हाँ तो सुन
15:43मैं इस तितली को
15:45साक्षि मान कर वादा करता हूँ
15:47कि यदि तुम मुझे अबने
15:49माता पिता का पता बता दोगे
15:51तो मैं तुम्हारे पिता को दिया
15:53हुआ उधार माफ कर दूँगा
15:55ये होई न कुछ बात
15:57लाला आप सुनो
15:59मैंने आप से कहा था
16:01कि पिता जी जिंदा पेड़ों को काटने
16:03और मुर्दा पेड़ों को रोपने गए
16:05इसका मतलब है कि वो पेड़
16:07काट कर किसी मकान के सामने
16:09बाड लगाने गए हैं
16:13ओ तो ये मतलब था तुम्हारा
16:17मैंने कहा था कि मेरी मा
16:19हवा बेचने और चांदी
16:21खरीदने गई है
16:23मेरी बात का मतलब था कि वो
16:25पंखे बेचने और बिकरी
16:27मिलने वाले पैसों से तेल खरीदने गई है
16:29जिससे घर में
16:31चांदी जैसा प्रकाश हो सके
16:35हाँ तुम सचमुझ
16:37बुद्धिमान हो चंदा
16:39चलो ठीक है अब मैं चलता हूँ
16:49खुसी लाला को जाते हुए देखकर
16:51चंदा सोचने लगा
16:53लाला तुने आज तक
16:55बहुत भोले भाले और गरीब लोगों को
16:57अपना शिकार बनाया
16:59देख अब तु मेरे जाल में
17:01कैसे फसता है
17:03जब बिन्दा और कोसल्या घर
17:05वापस लोटे तो चंदा
17:07ने बताया
17:09पिता जी सुखी लाला आया था
17:11ओं कोसल्या
17:13अब क्या होगा
17:15पिता जी आप घबराओ नहीं
17:17मैं आ गया हूँ न
17:19उस जमा को लाला से मैं निपट लूँगा
17:21तुम
17:23लकिन कैसे बेटा
17:25लाला बहुत ही चालक है
17:27पिता जी घबराओ नहीं
17:29घबराओ नहीं
17:31इश्वर जो चाहेगा वही होगा
17:33और वो ठीक ही करेगा
17:45अगले दिन सुखी लाला
17:47फिर आधम का
17:49और उस दिन भी चंदा ही
17:51घर पर था
17:53लाला आज कैसे आना हुआ
17:57अरे अपना उधार मांगने आया हूँ
17:59कहाँ है तुम्हारे माता पिता
18:03तुम कौन से
18:05उधार की बात कर रहे हो लाला
18:07अच्छा हा
18:09उसी उधार की
18:15क्या मैंने कब माफ किया था
18:17तुम जोड बोल रहे हो चंदा
18:19लाला
18:21बात को पल्टो नहीं
18:23जब कर्ज माफ हो गया
18:25तो वापस करने का सवाल
18:27ही नहीं उठता
18:29चंदा मैं तुझे
18:31और तेरे बाप को बक्षूंगा नहीं
18:33मैं दरबार में तुम दोनों के
18:35शिकात लेके जाओंगा
18:37जाओ जाओ ये एक चाब
18:39ही पूरी करके देख लो लाला
18:49उसी दिन सुखी लाला
18:51दरबार में पहुँच गया
18:53और कहने लगा
18:55दुहाई है महराज दुहाई है
18:57मेरा न्याय कीजिए
19:01सुखी लाला तुम्हें कौन
19:03कर सकता है भला
19:05महराज गाउं में बिंदा ने
19:07दस वर्ष पूर मुझसे
19:09पाँच सो चादी के सिक्के लिये थे
19:11पर अब मांगने पर उसका धूर्त
19:13पुत्र साफ मन करता है
19:17बिंदा और शंदा को
19:19दरबार में बुलवाया गया
19:21और महराज कहने लगे
19:23बिंदा ये क्या मामला है
19:25शमा कीजे महराज
19:27पिताजी की ओर से
19:29मैं पैर भी करूँगा
19:31कहो क्या कहना चाहते हो
19:33ये सच है महराज
19:35कि दस वर्ष पूर मेरे पिताजी
19:37ने सुकीलाल से कर्ज लिया था
19:39तो फिर उसे
19:41लोटाते क्यों नहीं
19:43वही तो बताने जा रहा हूँ राजन
19:45कल सुकीलाल हमारे
19:47यहाँ पर आए था
19:49तब इन्होंने कर्ज माफ करने का
19:51मुझे वचन दिया था
19:53फिर कर्ज लोटाने का प्रश्न ही
19:55कहां रह जाता है
19:57जंदा
19:59क्या अपनी बात सिद्ध करने हे
20:01तब चंदा ने बिस्तार पुर्वक
20:03राजा को अपने और सुकीलाला
20:05के बीच में कल हुई
20:07बातचीत के विशय में बताया
20:09तो एक तितली है
20:11तुम्हारी गवा
20:13हाँ राजन
20:15सुकीलाला ने एक तितली को
20:17गवा बना कर उसके सामने
20:19उधार माफ करने की बात कही थी
20:21देखो चंदा
20:23ये कोई साधारन पंचायत नहीं है
20:25अपितु राज दर्बार है
20:27यहाँ पर ऐसी मन गणत बातें
20:29स्विकार नहीं की जाते
20:31शमा करें महराज
20:33मैं मन गणत कहानी नहीं
20:35अपितु सच कह रहा हूँ
20:38शमा करें महराज
20:40मैं मन गणत कहानी नहीं
20:42अपितु सच कह रहा हूँ
20:44कल सुखी लाला ने
20:46अपनी नाग पर बैठी तितली को गवाह बना कर
20:48उधार माफ करने का वचन दिया था
20:52महराज ये लड़का जूट बोल रहा है
20:55कल जब मैं इसके आहां गया था
20:57तब टितली मेरी नाग पर नहीं बलकि इसकी जोपडी पर बैठी थी
21:00जूटा कहीं का
21:03ये सुनकर राजा मुस्कुरा उठा
21:07सुखी लाला को आब अपने भूल का अभास हुआ
21:11आवेश में आकर मैंने ये क्या कह दिया
21:14जिस बात को मना कर रहा था
21:17उसे ही स्विकार कर बैठा
21:23सुखी लाला आकर तु मेरे शब्द जाल में फसी गया
21:28सुखी लाला तुमारी बात से ये सिद्ध होता है कि चंदा का कहना ठीक है
21:34लाला सच सच कहो कि तुमने कितना कर्ज दिया था
21:39महराज बगवान जूट न पुलाए
21:41पिंदा को मैंने सौचादी के सिक्के करज दिये थे
21:48परंतु तुम तो पाँच्चो चादी के सिक्के की फर्याद ले कर आयथे
21:54इक शमा करे महराज मैं भूल से सौझ की जगए पांच्चो कह गया था
22:00लाला हम समझ गए कि तुमने वो सब भूल से नहीं अपितु जान पूछ कर कहा था
22:08हमारा अदेश है कि तुमें अपना वचन निभाते हुए बिंदा के पिता का करज माफ करना होगा
22:15जी महाराज
22:17मरता क्या ना करता चंदा ने जाल ही ऐसे बिछाई कि फसना ही था
22:24और फिर महाराज कहने लगे
22:27देखो सुखीलाला बहुत दिनों से तुमारे विरुद हमें शिकायतें मिल रही थे
22:32पर हम किसी ठोस अवसर की खोश में थे
22:35आज वो अवसर हमें मिल गया
22:38हम तुमें चेताबनी देते हैं कि तुम अपनी हरकतों से बाज आ जाओ
22:43और लोगों का खुण चूसना छोड़ दो
22:46जी महाराज
22:49हम ये नहीं कहते कि तुम अपना धन्दा छोड़ दो
22:52धन्दा करो परिमानदारी से करो
22:56फिर सुखीलाला मू लटका कर दरबार से चला गया
23:00तब राजपुमरी बसुंद्रा
23:02जो की पर्दे की और से ये सब कुछ देख रही थी
23:06सामने आई और प्रसन होकर चन्दा से के उठी
23:11यूबक
23:13तुमारे सूजपुच की मैं तात देती हूँ
23:17धन्यवाद राजकुमारी जी
23:20राजा को प्रनाम कर चन्दा और बिंदा जब दरबार से जाने लगे
23:24तो राजा कहने लगे
23:26रुको
23:28आज्या महराज
23:30बिंदा तुमारे पुत्रि गुणी है
23:33हम इसके बुद्धिमानी से अध्यन प्रभावित हुए
23:36हमारे साथ हमारी पुत्री वसुंद्रा ने भी
23:38चन्दा की बुद्धिमानी को स्विकारा है
23:41ये देख हमें लगा कि हमारी खोज पूरी हो गई है
23:45खोज
23:46कैसी खोज महराज
23:48मैं कुछ समझा नहीं
23:51हम राज कुमारी के लिए उजित वर की खोज में थे
23:55बिंदा
23:56तुमारे पुत्र के रूप में हमें अपने पुत्री का वर मिल गया है
24:01राजन
24:02ये क्या कह रहे हो
24:03कहा राजा भोज और कहां गंगु तेली
24:07हम ओच नीश को नहीं मानते
24:09बिंदा
24:10हमें बस तुमारी स्विक्रती चाहिए
24:13मेरी ऐसी मजल कहा राजन
24:15जो आपको मना कर सकू
24:21और फिर
24:22कुछ दिनों बाद बड़े धूमधाम से
24:24चन्दा और राजकुमरी बसंद्र का विवा संपन हुआ
24:28तब पस्चात
24:29राजा ने दरबार में घोसना की
24:33हमारा कोई पुत्र नहीं है
24:35अताय दामाद चन्दा को हम
24:37अपना राजपाट सौपते हैं

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