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वफदर (exact title) Hindi fairy tale Hindi bedtime story Hindi folktale Indian cartoon Hindi children's stories
00:00दोपेर का समय था, राजा विक्रम क्रोधित अवस्ता में अपने मेहल के बाहर टेहल रहा था, कि तभी एक सेनिक वहाँ आकर सर छुकाकर खड़ा हो गया. राजा विक्रम क्रोधित अवस्ता में उस सेनिक की और देखकर बोला,
00:20बोलो, कुछ पता लगा? नहीं महराज, अमने राजकुमार अशोक को बहुत ढूंडा, मगर वे हमें नहीं मिले. औरे आखर ये राजकुमार अशोक कहां जा सकता है, क्या तुमने उसे सही से ढूंडा भी है या नहीं? महराज, अमने राज कवो हार कोना छान मारा, ज
00:50जंगल में शिकार करने के लिए गए हूँ, बोलो?
00:54महराज, अमने जंगल का भी एक एक च पचान मारा,
00:58मगर राजकुमार अशोक हमें वहाँ भी नहीं मिले.
01:04सेनिक की बात सुनकर, राजा विक्रम गुस्से से पेर पटकता हुआ,
01:09मेहन के अंदर अपने पतनी के गक्ष में चला गया,
01:13अपने पती को इतना क्रोधी देख, राजा विक्रम की पतनी रुकमनी बोली,
01:19क्या बात है, आपके चेरे पर इतना क्रोध क्यों जहनक रहा है?
01:25रुकमनी, तुम्हें अपने बेटे अशोक को समझाना चाहिए,
01:30तुम्हें उसे याद दिलाना चाहिए कि वो इस राजे का आने वाला राजा है,
01:36उसकी इस तरह की बेपरबाही राजे को खत्रे में डाल सकती है,
01:41आप तो जानते हैं कि अशोक अभी सिर्फ 20 वर्स का है, धीले धीले समझ चाहेगा,
01:48राज महल में जन्म लेने वाले लड़के जन्म से ही राजकुमार बन जाते हैं,
01:54मुझे ही देखो, मैं केवल सत्रह वर्ष का था, जब मैंने राज गधी समहारी थी,
02:02इतना बोलकर राजा बिग्रम गुस्सी से कक से निकल गए,
02:07राजकुमार असोग एक घने ब्रिक्स के नीचे एक सुन्दर लड़की के साथ बेठा हुआ था,
02:18सुन्दर लड़की राजकुमार असोग की ओर देख कर बोली,
02:23हमरा और तुम्हारा इस तरह से छुप छुप कर मिलना सही नहीं है,
02:27अगर गलती से महाराज को इस पारे में पता नक गया, तो वो मुझे मेरे परिवार सही खतम कर देंगे,
02:36नहीं चन्दा, मैं आज तुम्हारे और अपने विवह की बात पिताजी से जरूर करूँगा,
02:42पागन हो गये हो क्या, तुम्हारे पिता महाराज है, वो एक करीब नड़की को कभी भी सुईकार नहीं करेंगे,
02:51अपने पिताजी को मनाना मेरा काम है,
02:58इतना बोल कर राजकुमर असोक खोड़े पर बेट कर सीधा अपने महल चला गया,
03:04असोक अपने कक्ष में पोचा ही था, कि तब ही अपने कक्ष में अपने पिता राजा बिक्रम को देख कर वो बुरी तरहा से चोक पड़ा,
03:17आज तुम्हें मुझे ये बताना ही पड़ेगा राजकुमर, कि तुम अचानक से गायब कहा हो जाते हो,
03:24पिता जी, मैं वैसे भी आज आप से बात करने वाला था, मैं एक लड़की से प्रेम करता हूँ, और उस से विवाह करना चाहता हूँ,
03:34ऐसी बात थी, तो तुम मुझे पहने बता दे दे, बताओ, किस राजजी की राजकुमारी से तुम प्रेम करते हूँ, बोलो पुत्र,
03:46अपनी पिता की पास सुनकर, राजकुमर असोग डरते हुए, अपने पिता की और देखते हुए बोला,
03:55पिता जी, मैं जिसे प्रेम करता हूँ, वो कोई राजकुमारी नहीं, बलकि एक साधारन सी लड़की है, एक गरीब लड़की.
04:04ये सुनकर, राजा विक्रम का गुस्सा साथवे आसमान पर पहुँच गया,
04:11और तुम्हें ऐसा लगता है, कि मैं एक साधारन लड़की को बहु के रूप में स्विकार कर लूँगा, असंभाव.
04:22पिता जी, मैं विवहा करूँगा, तो उसी से करूँगा.
04:25तुम बश्पन से ही बहुत जिद्दी रहे हो राजकुमार, और मैंने तुम्हारी हर बात मानी भी है, लेकिन ये बात तुम्हारी नहीं मानूंगा, तुम अभी और इसी समय यहां से निकल चाओ, और मेरे राज और महल में तब ही कदम रखना, जब तुम उस वड़की का �
04:55राजकुमार असोग क्रोधित होते हुए मेहन से बाहर निकल गया, और क्रोधित अवस्ता में जंगल के एक तलाब की किनारे बेटकर अपने आप से बोला,
05:07पिताजी अपने आप को समझते क्या हैं, अगर उन्हें लगता है कि मैं चंदा को अपने मन से निकालने में काम्याग हो जाओंगा, तो उन्हें गलत लगता है, हर बार की तरह इस बार भी पिताजी को मेरी बात माननी ही होगी,
05:23राजकुमर असोक ने इतने कहा ही था, कि तभी छाडियों से दो सेनिक निकल कर राजकुमर असोक के सामने खड़े हो गए, एक सेनिक राजकुमर असोक की और देख कर बोला,
05:36तुम तो चंदन नगर राजी के महराज राजा विक्रम के पुतर अशोक हो, लेकिन तुम तो मेरे राजी के सैनिक नहीं लगते,
05:47हाँ सही कहा हम तुम्हारे पडोसी शतुराजी के सेनिक हैं, तुम निहत्ते हो हम तुम्हे मार कर अपने राजा के पास ले जाएंगे, वो हमें धेर सारा इनाम देंगे
06:02उस सेनिक ने इतना कहा ही था कि तभी चंगल के चार और से सेर भेडियों की आवाज आने लगे, सेर और जंगली भेडियों की आवाज सुनकर वो सेनिक डरते हुए दूसरे सेनिक से बोला
06:18लगता है बहुत सारे सेर और भेडियों हमारी ओरा रहे हैं, फिलाल तो हम दोनों को प्री जान बचाने जाएंगे, नहीं तो हम दोनों भी मारे जाएंगे
06:28वो दोनों सेनिक वहाँ से भाग गये, उन दोनों के भागते ही एक सुन्दर योबत एक पेड़ के पीछे से निकल कर राजकुमर असोक के सामने ख़ड़ा हो गया, राजकुमर उस योबत से बोला
06:44कौन हो तुम?
06:47मेरा नाम अर्जुन है, शुक्र मनाओ कि मुझे जानवरों की आवाज निकालना आती थी, नहीं तो वो सैनिक तुम्हें मार देते
06:57अर्जुन की बात सुनकर पसुत बोला
07:02तुमने मेरी जान बचाई है, इस नाते से तुम मेरे दोस्त हुए
07:06मैं एक गरीब हूँ राजकुमार, और तुम महराज के पुतर हो, इस राजय के होने बाले राजा हो, एक राजकुमार और एक गरीब कभी दोस्त नहीं हो सकते
07:15लगिन मैं तुम्हारी वर मितरता का हाथ बढ़ाता हूँ, मेरी मितरता सुविकार करके, तुम उच पर बहुत बड़ा उपकार करोगे
07:25सोच लो राजकुमार, मितरता करना बड़ी आसान होती है, लेकिन उसे मितरता की वफादारी निभाना बहुत मुश्किल काम होती है।
07:37चिंता मत करो, मैं मितरता की वफादारी पर खरा उत्रूंगा।
07:46तुम्हारा चेहरा देख कर ऐसा लगता है कि राजकुमार, जैसे तुम भूके हो। तुमने बिलकुल सही पहचाना।
08:03अर्जुन राजकुमार असोप को अपने छोपरी में ले गया और राजकुमार के सामने ताजा फल रखते हुए बोला
08:13मैं एक गरीब व्यक्ति हूँ राजकुमार, तुम्हें मेरी छोपरी में शाही भोजन तो नहीं मिलेगा, हाँ कुछ ताजे फल हैं उन्हें खाकर तुम अबने भूक शांत कर सकते हो।
08:23सबसे पहले तो तुम मुझे राजकुमार कहना बंद करो, तुम मुझे केवल अशोक कहकर बुलाओ, ठीक है अशोक, जैसी तुम्हारी इच्छा
08:39राजकुमार अशोक उस रात अर्जुन की छोपरी में ही सो गया, अकने दिन अर्जुन राजकुमार अशोक से बोला
09:02एक बात समझ में ये नहीं आती अशोक की तुम अपना महल छोड़कर जंगल में क्या कर रहे हो।
09:12राजकुमर अशोक अर्जुन को सारी खटना बताते हुए बोला,
09:18मैं चन्दा से प्रेम करता हूँ,
09:22मैं तुम्हारी प्रेम की कद्र करता हूँ अशोक,
09:25लेकिन तुम्हें अपने पिता की बात माननी चाहिए,
09:28क्योंकि माता-पिता से बढ़कर इस संसार में कोई प्रेम नहीं होता,
09:33और इस बात को मैं समझता हूँ,
09:36क्योंकि बच्चपन से ही मेरे माता-पिता मुझे छोड़कर चले गए।
09:46राजकुमार अशोक को अर्जुन के साथ रहते हुए काफी समय बीच चुका था,
09:53और उनकी मित्रता अफ काफी गेहरी हो चुकी थी.
09:57एक दिन राजकुमार अशोक अपने मित्र अर्जुन के साथ तलाब की किनारे बेठा हुआ था,
10:04कि तब ही एक सेनिक वहाँ पर आ पोचा, और राजकुमार अशोक की ओर देख कर बोला,
10:11हारे राजकुमार अशोक, आप यहाँ है, आपको आपके पिता ने याद किया है, चलिए मैल बाबच चलिए.
10:21मेरे पिताजी से कह दो कि मैं नहीं आओंगा.
10:24एसा मत बोलिये राजकुमार, अम आपको काफे दिन से तलाश रहे थे, राजकुमार आपके पिता बहुत बिमार है, और वह चाहते है कि उनकी मिठ्तिव से पहले आपको राजा खुशित कर दिया जाए.
10:38ये सुनकर राजकुमार असोक बुरी तरहा से चोक पढ़ा, तबी अर्जुन राजकुमार असोक से बोला,
10:48आपको तुरंत अपने माता पिता के बास जाना चाहिए, भगवान ना करे अगर महराज को कुछ हो गया, तो पढ़ोसी शत्रु राज राज पर हमला करने में देर नहीं लगाएगा, मैं तुमसे मिलने जरूर आओंगा.
11:02राजकुमार असोक उसी समय सेनिक की साथ अपने मेहन में चला गया, राजा बिक्रम ने उसी रात राजकुमार असोक को राजा खोसित कर दिया, पर अगले दिन उनकी मृत्यू हो गई.
11:17अपने पिता के मिल्त्यू के बाद राजकुमार असोक राजा बन कर जीवन व्यतीप करने लगा. एक दिल असोक की मा लुखमनी असोक से बोली, बेटा आप तुम राजकुमार से राजा बन गये हो, तुम्हारे पिता की अंतिम इच्छा थी कि तुम्हारे विवा उनकी मि
11:48आपनी मा की बात सुनकर, असोक ग्रोदित होते हुए अपनी मा से बोला,
11:54मா जब पिताजी राजा थे तब अपनी मनमानी करते थे और मुझे उनकी मनमानी सेहनी परटी थी
12:02परणतू आज मैं राजा हूं, इसलिए मैं विवहा उसे से करूँगा जिससे मैं प्रेम करता हूं
12:09बेता, तुम राजा मानसिन को नहीं जानते...
12:12अगर तुमने कसी दोस्रे नड़की से विवाख किया, तो वो पहुत बुरा मान जाएंगे
12:18पर इसे वो अपना अपमान समझेंगे तो मारी जाँ खत्रे में पर सकती है।
12:25ज्यादा से ज्यादा वो क्या करेगा? हमारी राज्य पर हमला करेगा?
12:29अमारे सैनिकों ने भी चूड़िया नहीं पैन रखी है मा तुम्हारे बाद असोप ने चन्दा के साथ विवा कर लिया और चन्दा असोप की पत्मी बन कर राणी की तरहा जीवन विधीत करने लगी।
12:49कुछ महीनों बाद चंदन नगर राज्जियों में भयंकर सुखा पड़ गया, पूरे राज्जियों में हाहाकार मच गया, अर्जुन के गाउं के वासी सुखी के वज़ा से भूखे मरने लगे। अर्जुन उदास होकर बेठा हुआ था कि तभी अर्जुन का गाउं का बिल
13:19तो वो राजा बन गया है, तुम अपने मितर के पास सहायता मांगने के लिए क्यों नहीं जाते।
13:26तुम सही कह रहे हूँ बल्या, मुझसे अपने गाउं बालों की भूख देखी नहीं जाती।
13:32मैं आज ही अशुक के पास जाऊँगा और उससे अपने गाउं के लिए अनाज और चावल मांगुंगा।
13:44असोक उसी दिन चंडन नगर के महल के अंदर चला गया।
13:49असोक फिंगहासन पर अपना दरवार में बेठा हुआ था
13:52कि तबी असोक को देख़र अर्जुन मुस्कुराता हुआ बोला
13:58कैसे हों मेरे दोस्त तुम तो ऐसे राजा बने की तुमने तो पलट के अपने दोस्त से खपर भी नहीं ली।
14:06अर्जुन की बात सुनकर दरवार में बेठे सबी लोग आश्यरिय से अर्जुन की ओर देखने लगे।
14:12अर्जुन का इस तरहा से बात करना असोक को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया।
14:18सच तो ये था कि राजा बनने के बाद असोक के अंदर एक खमन सा आ गया था।
14:24असोक क्रोधित होते हुए अर्जुन की ओर देखकर बोला ये तुम क्या बक्वास कर रहे हो तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे दोस्त कहने की मैं इस राज का राजा हूँ और तुम एक गरीग व्यक्ती एक राजा और एक गरीब कभी दोस्त नहीं होते।
14:44असोक की सुबान से ये सब सुनकर अर्जुन का छेहरा उतर गया। अर्जुन फीकी मुस्कान से असोक की ओर देखकर बोला।
14:54मुझे माफ करना महराज, शायद मैं कुछ ज़्यादा ही बोल गया। आप तो जानते ही हैं की सुखे की चपेट में सारा राज्य है। और इस राज्य में मेरा गाउ भी आता है। मेरे गाउ के वासियों का भूग से बुरा हाल है। लोग तडब तडब कर मर रहे हैं। मु
15:24किल के अंदर के लोग भी भूखे मरना शुरू हो जाएंगे। इसलिए मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। तुम जा सकते हो।
15:33अर्जुन उदास होकर वहाँ से चला गया।
15:36कुछ महीन बाद चंदन नगर राज्य में बरसा होने लगी पर बरसा ने सूखे को खतम कर दिया। अर्जुन अब उदास रहने लगा था। इधर राजा मान सिंग अपने मंत्री चतूर सिंग से बोला।
15:56राजा विक्रम के पुतर अशोक ने एक आम लड़की से विवाह किया है। जब कि उसके पिता ने मुझे वचन दिया था कि वो मेरी पुतरी को अपने राज का बहु बनाएंगे, मैं अशोक को नहीं छोड़ूंगा।
16:11महराज, राजा विक्रम एक बुद्धिमान राजा था और अशोक एक मूर्ख राजा है। आपको अशोक से बदला लेने के लिए खून पहाने की आवशक्ता नहीं है। मैं एक ऐसे तांत्रिक को जानता हूँ, जो बैटे-बैटे ही अशोक को ख़तम कर देगा।
16:32अच्छा, और वो कैसे?
16:35महराज, वो काला जादू जानता है। मैंने सुना है कि वो बैठे-बैठे किसी भी इनसान के उपर इतना खतरनाक काला जादू करता है जो उस व्यक्ति की मिर्ति हो सकती है।
16:51अगर हम अशोक के उपर काला जादू करवा कर उसे खत्म करते हैं तो ये जादा सही रहेगा। ऐसे आपका पदला भी पूरा हो जाएगा। अशोक के खत्म होते ही आप चंदन नगर राज पर हमला कर देना।
17:07इस से चंदन नगर की प्रजा बागी भी नहीं होगी क्योंकि अशोक के मरने के बाद उन्हें भी एक राजा की तो आवशक्ता होगी न।
17:18मुझे तुम्हारा सुझाओ पसंद आया। जाओ उस तांत्रिक को बुलाओ।
17:25कुछ ही दीर में एक तांत्रिक राजा मान सिंग के सामने खड़ा हुआ था। राजा मान सिंग उस तांत्रिक से बोला। तुम्हें तो पता ही होगा मैंने यहाँ पर तुम्हें क्यों बुलाया है।
17:42जानता हूँ महराज आपने चंदर नगर के राजा अशोक के ऊपर काला जादू करने के लिए मुझे यहाँ पर बुलाया हुआ। मैं उसके ऊपर ऐसा काला जादू करूँगा कि वो कुछ दिनों में ही बिमार होकर मर जाएगा।
18:00इतना बोल कर तांत्रिक ले मंत्र पढ़ना सुरु कर दिया। कुछ दिर बाद तांत्रिक राजा मान सिंग से बोला। अब यह काले मंत्र अशोक की जान ले कर ही मेरे पास वापस आएंगे। देखना महराज।
18:19अगले दिन अशोक पुरी तरह से बिमार पढ़ गया। अशोक की इलाज के लिए राज्ये के कई बड़े बड़े बेद बुलाए गए। मगर अशोक सही नहीं हुआ। अशोक की पत्नी और उसकी मा का रो रो कर बुरा हल था। अशोक की पत्नी चन्दा अपने सास रुकम
18:50मा राज्ये के बड़े बड़े बेदों ने अपना हाथ खणा कर दिया है। अब क्या होगा।
18:57चिंता मात कर बहु, मैंने एक सादु महराज को बुलाया है। मुझे पिश्वास है कि वो सादु महराज अशोक को सही कर देंगे।
19:07कुछ ही देर में एक सादु वहाँ पर आ पोजा और अशोक की ओर देख सर रुकमनी से बोली
19:19महराज को कोई बिमारी नहीं है बलके इनके उपर किसी ने बड़ा ही खतरनाक काला जादू करवाया है।
19:27अगर उस काले जादू को खत्म नहीं किया गया तो दो दिन बाद महराज की मृत्यों निस्चंध है।
19:36तो फिर आप कुछ कीचिये सादु महराज।
19:40इनके उपर जो काला जादू है उस काले जादू को मैं एक गुढिया के रूप में परिवर्तित कर सकता हूं
19:49मगर उस गुढिया को महराज के किसी मित्र को ही जंगल के किसी एक तालाब में फैकने होगी
19:56मगर महराज का कोई भी मित्र उस गुढिया को तालाब में फैकेगा तो उस गुढिया को तालाब में फैकने के बाद महराज तो बज जाएंगे
20:07लेकिन गुढिया को तालाब में फैकने वाला और महराज के उपर काला जादू करने और कराने वाले उसी समय मौत की आकोश में समा जाएंगे
20:21रुकमनी ने असोक की सारे मित्रे से बिन्ती की
20:25मगर असोक की जान बचाने के लिए कोई आगे नहीं आया
20:29और ये खबर जंगल की आग की तरहा राज्यों में फेल गई
20:33अर्जुन अपने छोपती से बाहर निकला ही था कि तवे बिलिया दोड़ते हुए जाकर अर्जुन को सारी घटना बताते हुए बोला
20:43अर्जुन तुम्हारे साथ महराज अशोक ने बहुत गलक किया, उन्हें उनके किये की सजा मिली, दो दिन बाद उनकी मृत्यू निश्चित है
20:56ये सुनकर अर्जुन दोड़ता हुआ महल के अंदर वस सादु के पास पहुच जाया और बोला
21:04गुडिया को मैं तालाब में फेख कर आउंगा
21:08लेकिन जैसे ही तुम गुडिया को तालाब में फेकों गे, तुम उसी सबए मर जाओगे और वैसे भी ये काम तुम नहीं कर सकते, क्योंकि ये काम तो महराज अशोक का कोई दोस्त ही कर सकता है
21:23मैं महराज का दोस्त हूँ ये बात और है कि अशोक ने अभी तक इस बात को प्रजा के सामने जाहीर नहीं किया।
21:31वो मुझे भुल गया लेकिन मैं अपनी दोस्ती का वफाधारी का कर्ज जरूर चुकाऊंगा।
21:37जब अशोक सही हो जाए तो आप उसे मेरी एक बात जरूर कहना कि अर्जुन ने अपनी दोस्ती की वफाधारी का कर्ज निभा दिया।
21:46और उसे ये भी कहना कि भविश्य में वो किसी से भी दोस्ती करे तो उस दोस्ती को जरूर निभाए।
21:54साधू ने उस गुड़िये को अर्जुन को पक्रा दिया. अर्जुन उसी समय जंगल के एक तलाब में चला गया.
22:04जैसे ही अर्जुन ने वो गुड़िया तलाब में फेकी, अच्छनक अर्जुन के सरीर में आग लग गई और वो राक बन कर तलाब में समा गया.
22:13अर्जुन के तलाब में समाते ही असोप को तुरंट होस आ गया. असोप के होस आते ही राजा मांसिंग तांत्रिक सहीट मोद की आगोस में समा गये. असोप साधू से बोला,
22:27मुझे क्या हुआ था?
22:30साधू असोप को सारी बात बताते हुए बोला,
22:36तुम्हारा दोस्त अर्जुन तुम्हारा सचा मित्र निकला, उसने अपनी जान देकर अपनी दोस्ती की वफाधारी का कर्ज चुका दिया.
22:48ये सुनकर असोप रोने लगा,
22:51मगर अब वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था,
22:54क्योंकि अर्जुन इस दुनिया फे चाह चुका था.
22:57असोप सारी उम्र अपने दोस्त अर्जुन को याद करकर पश्टाता रहा.