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नयय क परकष (exact title) Hindi fairy tale Hindi bedtime story Hindi folktale Indian cartoon Hindi children's stories
00:00एक समय की बाद है एक अरुनदेब नाम का राजा रहा करता था। उसके तीन बेटे थे। उसके पास एक बहुत बड़ा राज्या था। और उस राज्या का उत्तर अधिकारी चुड़ने का वक्त आ गया था।
00:23अब मैं काफी बुढ़ा हो चला हूँ। कुछ सालों के बाद ही मुझे इस दुनिया से विदा लेना होगा और अपना राज्य अपने बेटों के हवाले करना होगा।
00:34ऐसी अशुब बाते ना बोले महराज। अभी तो आप और जीएंगे।
00:40कोई भी धरती पर अमर होकर नहीं आया। एक न एक दिन सब को जाना है।
00:46मेरी चिंता ये है कि मेरे तीन बेटों में से वो कौन होगा जो प्रजा को साथ लेकर चलेगा और एक अच्छा राजा बन पाएगा।
00:58अब महराज इसकी तो परिक्षा शायद वक्त ही लेगा। अब आप इसे वक्त पर छोड़ दीजे।
01:06राजा कुछ सोच रहा होता है।
01:10वक्त पर छोड़ने की जरूरत नहीं है सुजान सिंग। मुझे अभी एक तरकीब मिल गई है।
01:16इस तरकीब से शायद मैं अपने बच्चों की परिक्षा ले पाऊंगा और पता कर पाऊंगा कि इन तीनों मेंसे कौन राजा बनने के काबिल है।
01:29राजा वहाँ से चला जाता है।
01:34और फिर राजा अरुंदेब अपना एक मित्र मंगल के पास जाता है।
01:40कैसे हो मंगल?
01:44अरे अरे इतने बड़े महराज आज मेरी कुटिया में कैसे?
01:50अरे दुनिया की नजरों में महराज हूं पर तुमारा तो बशपन का दोस्त हुना क्यो मंगल?
01:59शायद पहली बार हो रहा है कि कृष्ण खुद सुदामा के घर पधारे है क्यो महराज?
02:05अब तुम मुझे जो भी कहो सत्य तो यही है कि मैं तुमसे मदद माँगने आया हूं.
02:14आपके पास तो भगवान का दिया हुआ सब कुछ है महराज, आपको भला मेरी मदद की जरूरत कैसे पढ़ गए?
02:22ये काम मेरा तुम ही कर सकते हो.
02:24जी, बताये ना मुझे क्या करना होगा?
02:28असल में कुछ सालों बाद मेरी हालत नहीं रहेगी राज चलाने की, और मुझे अपने तीनों बेटों मेंसे किसी एक को राजगधी देनी पढ़ेगी.
02:36अब कौन उस राजगधी का असली हगदार है, कौन सच में काबिल है, ये पता करने के लिए तुम्हें और मुझे मिलकर एक नाटक रचना होगा.
02:49कैसा नाटक महराज?
02:53और फिर राजा मंगल के कान में सब कुछ पताता है.
02:58ठीक है, मैं समझ गया, आप बिल्कुल चिंता ना करें, मैं ये बहुत अच्छे से कर लूँगा महराज.
03:07इस नाटक से ये पता चल जाएगा कि मेरे बेटों बेसे कौन एक सच्चा इंसान है और प्रजा की देखभाल कर सकता है और उसी बेटे को मैं सिहासन दे दूँगा.
03:22राजा अपने महल में वापस आ जाता है, राजा के तीन संतान थे, अजै, बिजै और धननजै. राजा अपने तीनों बेटों को एक एक करके एक कमरे में बुलाता है और सबसे एक ही बात बोलता है.
03:45प्रणाम पिता जी.
03:47अजै, तुम मेरे सबसे प्रिय पुत्र हो और मुझे लगता है कि तुम सबसे जादा काबिल हो, इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम्हें मेरे सिहासन का उत्तर अधिकारी चुना जाए.
03:59ये तो मेरे लिए बहुत ही सौभागी की बात होगी पिता जी.
04:04हुँ ठीक है, अभी तुम जाओ और हाँ ये बात अभी किसी से कहना मत कि मैंने तुम्हें अगले राजा के रूप में चुना है. ठीक है, जाओ.
04:14थोड़ी तेर पात राजा बिजए को अंदर बुलाता है और उससे भी यही कहता है कि वो अगला राजा बनेगा.
04:30थोड़ी तेर पात धननजय भी अंदर जाता है और राजा उससे भी कह देता है कि अगला राजा उससे चुना जाएगा.
04:39वहाँ मंतरी सुजान सिंग भी था, वो यह सब देख रहा था.
04:46महराज, आपका दिमाग में चल क्या रहा है? आपने तीनों राजकुमारों को सिंगहासन का वादा कर दिया, आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?
04:57तुम बस देखते जाओ सुजान सिंग, इन तीनों राजकुमारों की अब एक परिक्षा होने वाली है.
05:07तीनों भाई के समाचार सुनकर बहुत जादा खुस थे, लेकिन वो ये नहीं जानते थे कि आप उनका सामना एक परिक्षा से होने वाला है, और उसमें सफल होने के बाद ही उन्हें वो सिंगहासन मिनेगा.
05:23कई दिन बीच जाते हैं, तीनों भाई राजा बनने के सपने देख रहे थे, तभी अचानक एक सभा बुलाई जाती है, उसमें राजा था, राजा का मंतरी सुजन सिंग भी था, एक सेनिक था, राजा की तीनों बेटे भी थे, इन सब के अलावा वहाँ पर एक केदी भी थ
05:53जो कि सिर्फ केदी होने का नाटक कर रहा था
05:57क्या हुआ पिताजी, इस केदी का अपराध क्या है, और इसे क्या सजा दी जाने वाली है
06:03इसे इसी समय फासी दी जाने वाली है
06:06पर फासी ही क्यों, इसका अपराध क्या है
06:10ये इंसान आज भरे बाजार में महराज, यानि कि मुझे गालिया दे रहा था
06:16राजा के किलाग जो भी आवाज उठाता है, उसका सिर्फ एक ही दंड है, मृत्यो
06:23ये आप क्या कह रहे हैं पिता जी, इतने छोटे अपराध के लिए इतना बड़ा दंड, ये तो अन्याय है
06:31अब तुम मुझे न्याय और अन्याय का मतलब समझाऊगे, इसने सबके सामने मेरे बारे में उल्टा सीधा कहा है, इसे तो आज मृत्यो दंड मिलकर ही रहेगा
06:43ये तो गलत है पिताश्री, प्रजा में हर किसी को अपने विचार विक्त करने की आजाधी होनी चाहिए, फिर भी अगर वो सीमा से बाहर जाकर कुछ बोलता है, तो उसे दंड दिया जाना चाहिए, पर इतना बड़ा नहीं कि उसका जीवन ही खत्म हो जाये
07:01मैं आप तीनों राजकुमारों से हाँ चोड़ कर बिनती करता हूँ कि महराज से कहिए कि मुझे माफ कर दे, मुझे माफ कर दे
07:15ये मंगल तो बहुत ही अच्छा नाटक कर रहा है, वाह मंगल, तुम तो कलकार निकले
07:23पिता शरी मैं शमा चाहूँगा पर मैं आपके इस निर्ने के बिलकोल खिलाफ हूँ
07:29अच्छा और कौन कौन है तुम मेंसे जो इस निर्ने के खिलाफ है और इस अपराधी को बचाना चाहता है
07:38मैं, मैं भी इसके खिलाफ हूँ पिता शरी
07:43हाँ पिता जी, मैं भी इसके खिलाफ ही हूँ
07:47वाँ, मेरे तीनों बेटे नयाय की समझ रखते हैं, ये समझते हैं कि किस अपराध का क्या दंड है
07:57मतलब, तुम तीनों ये चाहते हो कि इस कैदी को मिर्त्य दंड ना दिया जाए, ठीक है
08:04तुम तीनों एक एक करके मेरे कमरे में आओ
08:11राजा अपने कमरे में चला जाता है और सबसे पहले बिज़ई को अंदर बुलाता है
08:19प्रणाम पिता जी, तो तुमने मन बना लिया है कि तुम उस अपराधी को मौत की सजा नहीं दिलवाना चाहते है
08:27जी पिता जी, मुझे लगता है कि उस अपराधी को चोटे से अपराध के लिए बहुत बड़ी सजा दी जा रही है
08:35ठीक है, अगर तुम कहते हो तो मैं उसकी मिर्त्युदर्ण की सजा रोग देता हूँ, पर इसके लिए तुमें अपना सिंघासन छोड़ना होगा
08:44क्या?
08:46हाँ, तुम एक राचा के निर्णे को बदलने के लिए कह रहे हो, तो तुमें इसकी कीमत चुगानी होगी
08:54मैंने तुमें जो सिंघासन देने का वचन किया था, तुमें उस सिंघासन को हमेशा हमेशा के लिए भूलना पड़ेगा, बोलो, तयार हो इसके लिए
09:05विजय कुछ देर सोचता है
09:09पिता जी, मैं एक आम इनसान की जान बचाने के लिए अपना भविश्य दाव पर नहीं लगा सकता, आप, आप उसको मृत्योदंड दे दीजे
09:20वाँ, वैसे तो बड़ी नयाय की बातें कर रहा था, जब बलिदान देने की बात आई तो अपने पाउं पीछे ले रहा है, ये तो राजा बनने के काबिल कता ही नहीं है
09:31ठीक है, मैं समझ गया, अब तुम जाओ यहां से
09:34थोड़ी देर पार, राजा अजै को अपने कमरे में बुलाता है
09:43बेटा अजै, अगर तुम चाहते हो कि उस व्यक्ति को मृत्यू दन ना मिले, तो तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगा, इसकी जान के बदले तुम्हें अपना भविष्व में मिलने बाला सिहासन छोड़ना होगा
09:56अजै तुरंट बोलता है
09:58क्या, एक आम इंसान की जिंदगी बचाने के लिए मैं अपना सिहासन छोड़ दू, ये कता ही नहीं होगा मुझसे पिता जी, मैं इतना भी बड़ा देवता नहीं हूँ, कि इतना बड़ा वलिदान दे दू, आप दे दीजे उसको मृत्यू दन, क्या फरक पड़ता है मु�
10:28प्रणाम पिता श्री
10:31बेटा धननजय, क्या तुम उस अपराधी को मृत्यू दन देने के खिलाफ हो?
10:36जे पिता जी, निया यही कहता है कि जितना बड़ा अपराध हो, दन्ड सिर्फ उतना ही होना चाहिए,
10:42नाही बड़े अपराध के लिए छोटा धन मिलना चाहिए, और नाही छोटे अपराध के लिए बड़ा धन मिलना चाहिए.
10:50ठीक है, अगर तुम चाहते हो कि मैं अपना निर्ने बदल लूँ और अपराधी की जान बखश तूँ, तो तुम्हें इसके लिए खुद कुछ बलिदान देना होगा.
11:00जी बिलकुल, मैं उस इंसान को नयाई दिलाने के लिए कुछ भी करने को तयार हूँ. आप बताईए, मुझे क्या बलिदान देना होगा?
11:09याद है, मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुम्हें अपना उत्राधिकारी बनाओंगा. बस तुम्हें इसी का बलिदान देना होगा. अगर तुम चाहते हो कि वो इंसान बज जाए, तो तुम्हें राजा बनने का सपना हमेशा हमेशा के लिए छोड़ना होगा.
11:25मुझे मनजूर है, दुनिया का कोई भी सिहासन प्रजा से बढ़कर नहीं होता. और प्रजा के साथ अन्याय अगर मैं होने दूंगा, तो वैसे भी मैं राजा बनने के काबिल नहीं रहूंगा.
11:37आकरकार मुझे अपना उत्तर अधिकारी मिल ही गया. मेरे बाकी दोनों बेटे अपने स्वार्थ को प्रजा से उपर रख दे थे. लेकिन धरनजे उन दोनों से अलग है, वो प्रजा के साथ न्याय करने के लिए अपना सिहासन तक छोड़ने को थियार है. वाह बेटे वाह
12:08आउ मैं तुम्हें उस अपराधी से मिल वाता हूँ.
12:14तबी मंगल अंदर आता है. उसने बहुत ही अच्छे कपड़े पहने हुए थे. उसकी हालत बहुत अच्छी थी. उसे देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि वो एक अपराधी है, जिसको मृत्यू डन मिलने वाला है.
12:37इस इंसान ने कोई भी अपराध नहीं किया है और इसे मृत्यू डन नहीं दिया जाने वाला है. यह मेरे बश्पन का मित्र मंगल है, जिसके साथ मिलकर मैंने ये नाटक रचा और अपने तीनों बेटों की परिक्षा ली. उस परिक्षा में अजय और विजय सफल नहीं हो स
13:07उसको मैंने अपने जीवन में भली भाती उतारा है. मैं जानता हूँ कि संसार में न्याय से बढ़कर कुछ भी नहीं है. एक राजा कभी निर्दोश को सजा नहीं देगा.
13:19वाह! तुम शत प्रतिशत काबिल हो इस सिंघासन के.
13:24फिर महाराज अरुनदेप अपना बेटा धननजय को राजगाती के उतरादिकारी बना कर राजा खोसित कर देते हैं. और ये देखकर दोनों भाई अजय और विजय बहुत उदास हो जाते हैं.