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  • 9/20/2024
"धोखेबाज" is a captivating Hindi animated movie that will delight and inspire young viewers. Join us on a journey through the world of karma, where actions have consequences and good deeds are rewarded. This moral story teaches valuable lessons about responsibility, kindness, and the importance of making positive choices. With vibrant animation and a heartwarming narrative, "धोखेबाज" is a must-watch for families and children of all ages.

Watch now and discover the power of karma!

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Transcript
00:00मग कोन रखो
00:16किसी समय एक गाउं में देपकर नाम का Mali रह थ३ , और राजा के साही बगीच में काम करथे
00:23और वो बौद गरीब था
00:24एक दिन जब हो सबेरे सबेरे राजा के बागीशे की ओर जा रहा था, तो अचानक एक छोटी सी चिड़िया उचके पेरों तले कुछले जाने से बाल-बाल बची. उसने चिड़िया को उठा कर एक तरफ रख दिया, तभी चिड़िया बोली,
00:40तुम्हारी महरबानी का धन्यबात नोजवान, मैं बिमार हूँ, इसलिए उड़ नहीं सकती, यदि तुम मुझे मेरे गोसले में पोचा दोगे, तो मैं तुम्हारे ऐसान जीवन भर नहीं भूलूंगी.
00:55कहां है तुम्हारा गोसला चड़िया राणी, बताओ?
01:00वो जो पीपल को पेट तुम देख रहे हो न, उसी पर मेरा गोसला है.
01:05ठीक है चड़िया राणी.
01:11देपकर ने चड़िया को उसके गोसले में रख दिया.
01:19तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यबात नोजवान.
01:23चड़िया राणी, जब तुम बीमार हो, तो भोजन करने कैसे जाओगी?
01:27क्योंकि तुम तो उड़ी नहीं सकती, क्यों?
01:31हां, जब तक मैं ठीक नहीं हो जाती, मुझे भूका ही रहना पड़ेगा.
01:36यदि तुम मेरे खाने के लिए कुछ फूलों का प्रबंद कर दो,
01:53अच्छा, अब मैं चलता हूँ, लोटते समय तुम्हारे लिए मैं ढेर सारे फूल ले आउंगा, ठीक है?
02:09देपकन राज महल की और चल पड़ा,
02:14वहाँ पहुशकर देपकन सारा दिन बगीजे में काम करता रहा,
02:19घर लोटते समय जब उसने कुछ फूल तोड़ कर अपने जेब में रखे, तो उसे प्रमुग माली प्रभुतास ने देख लिया और वो बोला,
02:29ओ, क्या, ये फूल तुम चोरी करके कहा ले जा रहे हो, जानते हो, शाही फूलों को चोरी करने की सजा क्या है?
02:49माफ कर दीजे प्रभु जी, मैं आप से आग्या लेना भूल गया, दरसल ये फूल मैं एक बीमार,
02:57ऐ, बगवास बंद करो, मैं इसी वक्त तुम्हे सैनिकों के हवाले करूंगा, समझे?
03:02नहीं, नहीं, मुझे शमा कर दीजे प्रभु जी, मुझे चाहे तो सजा दे दीजे, लेकिन सैनिकों के हवाले मत कीजेगा,
03:11एक ही शर्ट पर मैं तुम्हारी चोरी छिपा सकता हूं, और तुम्हारी जान बचा सकता हूं,
03:19मुझे आपकी हर शर्ट मनजूर है,
03:22तुम्हें इन फूलों की कीमत, यानी चांदी का एक चोटा सा सिक्का मुझे देना होगा, समझे?
03:30ठीक है, ये लीजे प्रभु जी,
03:39लेकिन एक बात हमेशा द्यान ढखना, कि तुम्हें इस बात का जिक्र किसी के सामने नहीं करना है, ठीक है?
03:46और जब जब फूल लोगे, मेरी दक्षणा देते रहोगे, ठीक है न?
03:54ठीक है प्रभु जी,
04:07वहां से देपकन सीधा चिरिया के पास पहुचा,
04:11ये लो चिरिया राणी अपना आहार अच्छे सिखाओ,
04:19उस दिन से देपकन रोज पाग से फूल तोड़ता और उसके कीमत प्रमुग माली को देकर फूल चिरिया को पहुचा आता,
04:31तुम मेरे लिए कितना कस्ट उठा रहे हो योबक,
04:34ऐसी कोई बात नहीं है चिरिया राणी, तुम्हारी मदद करके मुझे खुशी मिलती है, तुम जल्दी से मस्त हो जाओ, अच्छी हो जाओ, ठीक है, चलो, अच्छा मैं चलता हूँ है न,
04:46इसी तरह कई दिन बीट गए, और एक दिन जब वो साम को पाग से फूल ले कर चिरिया के पास पहुचा, तो उसे उदास देख कर चिरिया बोली,
05:06या पात है देपकन, आज तुम कुछ उदास लग रहे हो, मुझे अफसोस है चिरिया राणी, कि कल शाद मैं तुम्हारे खाने के लिए फूल न ला सकूं, देपकन, मेरे लिए अब फूल लानी की कोई ज़रुब नहीं है, अब मैं बिलकुल अच्छी हो चुकी हूँ, त�
05:37चिरिया राणी, मैं इन फूलों की कीमत प्रमुख माली को देका राता था, लेकिन अब मेरे पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं बची।
05:45ये कहकर देपकन ने चिरिया को सारी बात बता दी, सब कुछ जान सुनकर चिरिया की आखे डबडबा गई।
05:53देपकन, मैं नहीं जानती थी कि मेरे लिए तुम इतनी बड़ी कुर्बानी दे रहे हो, वरना मैं तुम्हें ऐसा हाई किस करने नहीं देती।
06:04अरे तुम दुखी मत हो चुरिया राणी, मैं इसलिए उदास नहीं था कि मेरे पास पैसे नहीं रहे, बलकि मैं तो इस बात से चिंतित था कि कल तुम्हारे लिए फूल कहां से लाऊंगा, लेकिन अब तुम्हें सवस्त जान कर मेरी सारी चिंताएं दूर हो गई है। चलो
06:35उस दिन से देपकन चिर्या के लिए फूल तो नहीं लाता, लेकिं,
06:41काम से लॉतते वक रोज उस से मिल कर जरूर जाताँ। एक दिन जब वह काम
06:48से घर लोत रहा था, तो उसे चिर्या से मिलने का ध्यान ही नहीं रहा.
06:52तो उसके चड़िया से मिलने का ध्यान ही नही रहा
06:56देपकन को जाते हुए देख चड़िया बोली
07:02देपकन, आज मैं ना जाने कब से तुम्हारा इन्तिजर कर रही हूँ
07:07और तुम मिले मिले भीना ही जा रहे हो
07:10ओ चड़िया राणी, आज मुझे ध्यान ही नहीं रहा, बोलो कैसे हाल-चाल हैं।
07:17सुनू, तुमने जो मुझपर बिमारी के समय उपकार किया, उसकी मैं कीमत तो नहीं चुका सकती,
07:25लेकिन मैं आज तुम्हें एक ऐसा बीच दूँगी, जो सायद तुम्हारे सारा दूपतर्ट एव करेपी तूर कर देगा।
07:33ये कहकर चड़िया ने अपने घोसले मेंसे एक बीच उठाया और देपकन की हातेली पर रख दिया।
07:41अरे इतना बड़ा बीच।
07:45सुनो, ये मृतियों वन संजीवनी ब्रिक्ष का बीच है, इसके फूल सुमने वाले सदा सुन्दर, सुस्त और चवान बना रहते हैं।
07:55इस बीच से जो ब्रिक्ष होगा और उसमें जो फूल लगेंगे वो अनमोल होगा।
08:01तुम उन्हें बेच कर बहुत सा धन कमा सकते हो, लेकिन ध्यान रखना, इसका ब्रिक्ष एक महीने में ही बड़ा हो जाएगा
08:09और वे फूल उस पर सूर्य चुपने के बाद ही रोज रात को निकलेंगे और भोर होने पे लुप्थ हो जाएंगे, इसलिए उन्हें तुम्हें रात ही रात में तोड़ना होगा।
08:22चुड़िया राणी, इतना अनमोल बीच देकर तुमने तो मेरी तक्दीर ही पलट दी है, लेकिन एक बात बताओ, कि इतना अनमोल बीच तुम्हें कहां से मिला?
08:34बस सइयोग से ही मिल गया, आज मैं सुबा सुबा उठ कर आहार के लिए निकली थी, उड़ते उठते मुझे एक एक इस्तान पर बहुत ही सुन्दर द्रिश्य दिखाई दिया।
08:47ओ, परिया, मुझे नीचे चल कर उनकी टा लेनी चुईये, हो सकता है उनकी बात जीसे मुझे कोई ऐसा उपई सूच चाए, जिससे मैं देपकन की गरीबी दूर करने में उसकी मदद कर सकूं।
09:05ये सोचकर मैं नीचे उतरी और एक पेड़ पर बेट कर उनकी बाते सुनने लगी।
09:12सखी, आज बहुत समय बाद सेर सपटा करने में बहुत आंदन आया है, मैं तो आब यहां रोज आया करूँगी।
09:21मैं भी।
09:23जब हमने रोज ही यहां आना है, तो क्यों न यहां मृत्य वन संजीवने ब्रिक्ष लगा दे, ताकि सेर सपटा के पस्चात उसके फूलों की महेक ले सके और सदा सदा के लिए स्वस्थ वो जवान रह सके।
09:39हाँ हाँ, तुम ठीक कह दियो, यहां दूर दूर तक कोई इंसान नजर नहीं आता है, अता वो ब्रिक्ष भी सुरक्सित रहेगा।
09:48फिर परियों ने वो बीच तालाब के किनारे मिट्टी कोद कर दबा दिया और अपने हातों में थमी चड़ी हिला कर आकास में उड़ गये।
10:04उनके वहाँ से जाने के बाद मैंने वो कठा कोदा और उस बीच को लेकर अपने घूसले में आ गये और मैं कब से तुम्हारा आने का इंतिजार कर रहे थी।
10:18सच में तुम कितनी अच्छी चड़िया राणी हो जो मेरे बारे में इतना सोचती हो। अच्छा चलो अब मैं चलता हूँ ठीक है तुम्हारे इस उपहार का बहुत बहुत धन्यवाद।
10:30ठीक है लेकिन मेरे पात का ध्यान रखना इसकी बिशेजत किसी को मत वतना वर्ण वे तुम्हारे लिए मुसीबत पेदा कर देगा।
10:42ठीक है चड़िया राणी
10:44चड़िया राणी ने ये अनमोल बीज तो दिया है लेकिन इसे गाड़ूंगा कहाँ। यदि इसे घर के बाहर गाड़ता हूँ तो विर्छ के बड़े होते ही और फूलों के लगते ही लोगों को तो इसकी विशेष्टा पता चल जाएगी और वो सारे फूल तोड़ लें�
11:15ऐसी कोई और सुरक्षित जगए भी तो नहीं है
11:17जहाँ मैं उस पेड़ को लोगों की निगाहों से बचा कर रख सकूँ।
11:22फिर उस बीज को लगाओं कहाँ।
11:38घर पोहच कर भी उसका ध्यान उस बीज को पोने के लिए
11:42किसी इतिस्तान के विशई में ही सोचता रहा।
11:45यदि एक बार वो पेड़ उग गया,
11:48तो शायद फिर मुझे जिंदगी में
11:50कभी किसी चीज की कमी नहीं रहेगी।
11:53महराज ही मुझे उन फूलों की मुह मागी कीमत देने को राजी हो जाएंगे।
11:58क्यों न मैं उस बीच को महराज के ही शाही बगीचे में बो दूँ।
12:02तब उसकी उचित सुरक्षा भी होती रहेगी।
12:05साथ ही महराज मुझे से उस अद्भुत ब्रिक्ष को पाकर प्रसन हो जाएंगे।
12:10और मुझे ढेरो इनाम देने के साथ साथ
12:13मेरी तरक्की भी कर देंगे।
12:23अगले दिन वो रोज की थरा शाही बाग में पोचा
12:27और एक इस्तान देखकर बीच बोने के लिए गथा कोदने लगा।
12:31उसे कढ़धा कोड़ते हुए प्रमुख माली ने देख लिया
12:34और वो कहने लगा।
12:37ओ ओ मूर्ख तू यहां क्या कर रहा है।
12:43प्रमुख जी मैं यहां एक अजीवो गरी फूलों का ब्रिक्ष का बीच बो रहा हूँ।
12:49फिर देपकण ने प्रमुख माली प्रभुदास को उस बीच
12:52और उसके निकनने वाले ब्रिक्ष और फूलों की सारी बिचेष्टा बता दी।
12:57सब कुछ सुनकर प्रमुख माली की आखों में लालच की गहरी चमक उबर आए।
13:05अगर इसकी बात सच है तो वास्तों में यह बीच अनमोल है।
13:10इससे तो मैं महराज से लाखों मोहरे कमा सकता हूँ।
13:15क्यों न एक माह में इसका परणाम देख तो लूँ पहले।
13:20प्रमुख जी, कृपया मुझे इसे बोने की इजाज़त तो दीजिये।
13:25बीच के उगने पर फूलों से जो आमदनी होगी, उसमें आधा हिस्सा मैं आपको भी दूँगा।
13:32हा हा ठीक है ठीक है, तुम इसे बो सकते हो।
13:35अच्छा, देवकांत ये बताओ कि ये अद्भूत बीच तुम्हें मिला कहां से।
13:41प्रमुग जी, मुझे एक चडीया ने दिआ है।
13:45फिर देवकांत ने उसे चडीया के मिले से लेकर बीच के मिलमे तक की कहाणी बता दी।
13:51बीच बोने के बाद देवकांत दूसरे कामों में जूट गया और प्रमुग मालि भी अपने काम में जूट गया।
13:57लेकिन उस दिन से प्रमुखमाली उस से पहुत अच्छे ढंग से पेस आने लगा और उसकी मदद भी करने लगा।
14:09एक एक करके दिन बीटते रहे बीच से अंकूर फूट निकला और वो दिन प्रति दिन बड़ा होने लगा.
14:17तिक तीस दिन बाद उस पोधे ने एक विशेल ब्रीक्ष का रूप धारन कर लिया।
14:22देपकन और प्रमुखमाली दिन बर अपने अपने काम में जुटे रहे, फिर जैसे ही सूरज डूबा, राजमहल और आसपास का बातावरन अद्बूत सुगंध से महेख उठा।
14:34आ प्रमुख जी देखिये व्रिक्ष पर फूल खिलूटे हैं।
14:40वा वा वा देवकान्त, कितनी मनमोहक सुगंध है इन फूलों की, क्या बात है, मैं अपने आपको बिलकुल तरो ताजा, आ सवस्थ महसूस कर रहा हूं।
14:52देवकान्त इसका मतलब ये हुआ, कि ये फूल निसंदेश चमतकारी है, है ना।
14:59तभी देवकान्त अनन्म विभार होकर फूल तोड़ने के लिए प्रिक्ष की और बड़ा।

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