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  • 6/25/2025
बेंगलुरू : दुनिया कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू के फ्रीडम पार्क को विरोध प्रदर्शनों के लिए तय जगह के रूप में जानती है. ये एक ऐसी जगह है, जिसपर हर राजनीतिक दल, हर सामाजिक कार्यकर्ता और हर नागरिक का समान अधिकार है. कम ही लोग जानते हैं कि ये वही जगह है जहां कभी बेंगलुरू सेंट्रल जेल हुआ करती थी. उस जेल में देश के कुछ मशहूर राजनैतिक हस्तियों और कार्यकर्ताओं को कैद किया गया था. न सिर्फ आजादी की लड़ाई के दौरान, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के एक और अध्याय - आपातकाल के समय भी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लगाया था. इस घटना को 50 साल हो चुके हैं. बेंगलुरु का फ्रीडम पार्क लोकतंत्र के लिए अजनबी दौर का चश्मदीद है. बेंगलुरु सेंट्रल जेल में पार्टी लाइन से परे कई नेताओं को बंद किया गया था. उनमें लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, रामकृष्ण हेगड़े, एच. डी. देवेगौड़ा और न्यायमूर्ति एम. रामा जोइस के अलावा स्नेहलता रेड्डी और माइकल फर्नांडिस जैसे मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता भी थे. बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में पुरानी जेल का एक हिस्सा अब भी खड़ा है. इसकी एकांत कोठरी और ढहती दीवारें उस दौर की मूक गवाह हैं जब लोकतंत्र को एक अजनबी दौर देखने को मिला था.

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00:00दुनिया करनाटक की राजधानी बेंगलोरू के फ्रीडम पार्क को विरोध प्रदरशनों के लिए तै जगह के रूप में जानती है
00:08ये एक ऐसी जगह है जिस पर हर राजनेतिक दल, हर सामाजे कारे करता और हर नागरिक का समान अधिकार है
00:16कम ही लोग जानते हैं कि ये वही जगह है जहां कभी बेंगलोरू सेंटरल जेल हुआ करती थी
00:22ब्रिटिश काल में बनाई गई तगड़ी सुरक्षा वाली जेल
00:26उस जेल में देश के कुछ मशूर राजनेतिक हस्तियों और कारेकरताओं को कैद किया गया था
00:32ना सिर्फ आजादी की लड़ाई के दोरान बलकि भारतिय लोगतंत्र के एक और अध्याए आपातकाल के समय भी
00:40तदकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया था
00:46उस घटना को फचास साल हो चुके हैं
00:50बेंगलूरू का फ्रीडम पार्क लोगतंत्र के लिए अजनभी दोर का चश्म दीद है
00:54बेंगलूरू सेंट्रल जेल में पार्टी लाइन से परे कई नेताओं को बंद किया गया था
01:00उनमें लाल कृष्ण आडवानी, अटल बिहारी वाजपेई, राम कृष्ण हेकडे, स्डी देवे गौड़ा और न्यायमूर्ती M. रामा जोईस के अलावा
01:10स्नेहलता रिड़ी और माइकल फर्णांडिस जैसे मशूर समाजिक कारिकरता भी थे
01:16जो कभी कैद खाना था, वो अप्रतिरोध और यादों का प्रतीक है
01:22आर अशोग करनाटक विधान सभा में विपक्ष के नेता हैं
01:27वे 1970 के दशक में छात्र थे, उन्होंने उस दौर को भारती एतिहास का सबसे काला दिन बताया
01:33उन्होंने याद किया कि किस तरह एक विरोध प्रदर्शन के दौराद उन्हें गिरफतार किया गया था और एक महिना जेल में बंद रखा गया था
01:421975 इंद्रा गांधी पुट अन दे नेशन एमर्जेंसी
01:54in time nation suffered many political leaders and judges writers media people war in the jail
02:08I am also the time I am 17 18 years old I am string in PUC from College so I also participated in this second freedom fight
02:22of Mr. J. Prakash Narayan, his leadership.
02:28I also protested near Ashwantapura,
02:31a police station against the emergency.
02:35The police arrested me and tortured me.
02:52No, I was not arrested during those days.
02:58But we were actively involved in other activities.
03:02Those dark days are always be remembered
03:05for the brutality the police committed
03:08and the way the constitution was barouded by Mrs. Gandhi.
03:13Many political leaders were arrested.
03:15Some of my friends were also behind the bar in those days.
03:18It was a very tense and fearful day
03:21under Indira Gandhi regime.
03:24The police was prevailing
03:26and they could arrest anyone on the suspicion
03:30and put them behind the bar.
03:33Bengaluru के Freedom Park में
03:34पुरानी जेल का एक हिस्सा अब भी खड़ा है.
03:38इसकी एक आंथ कोठरी और ढहती दिवारें
03:40उस दौर की मुग गवा है
03:42जब लोकतंत्र को एक अजनभी दौर देखने को मिला था.
03:46Freedom Park राजनेतिक दिगजों से लेकर
03:49छात्र प्रदर्शन कार्गियों तक का चश्मदीद रहा है.
03:53आजादी के पहले भी और आजादी के बाद भी.
03:57यहां आज भी अपना हक पाने की आवाजें कुझती हैं.
04:01शायद पहले से कहीं ज्यादा तेज.

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