कोडाईकनाल : तमिलनाडु के कोडाईकनाल में सौर वेधशाला की स्थापना के सवा सौ साल पूरे हो गए हैं. ये वेधशाला वायुमंडलीय और सौर अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों में एक है. समुद्र तल से सात हजार 687 फीट ऊंची और कोडाईकनाल झील से करीब तीन किलोमीटर दूर वेधशाला की स्थापना 1899 में हुई थी. वेधशाला की पुरानी दूरबीनें अब भी काम कर रही हैं. हालांकि यहां आधुनिक दूरबीनें भी लगी हैं. यहां सूर्य के बदलते व्यवहार का अवलोकन किया जाता है. कोडाईकनाल सौर वेधशाला के प्रभारी राजलिंगम ने कहा हम हर फिल्म और फोटोग्राफिक प्लेट को तत्परता से संरक्षित कर रहे हैं और उन्हें साल और महीने के हिसाब से व्यवस्थित कर रहे हैं। इसके माध्यम से हम एनालॉग डेटा और डिजिटल डेटा को भी वेबसाइट पर अपलोड करके संरक्षित कर रहे हैं. वेधशाला में सवा सौ साल से ज्यादा समय के सारे सौर अवलोकन आंकड़ों को सावधानी से रखा गया है. इन्हें एक समर्पित कमरे में समय के हिसाब से व्यवस्थित किया गया है. ये एक ऐसी उपलब्धि है जिसकी बराबरी किसी भी राज्य और यहां तक कि कई देशों के संसाधन भी नहीं कर सकते.
00:00तमिलाड के कोडाई कनाल में सौर वेदशाला की इस्थापना के सवा सो साल पूरे हो गए हैं ये वेदशाला वायो मंडली और सौर अरुसंधान के ख्षेत्र में भारत के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण व्यज्यानिक प्रतिस्ठानों में एक है
00:30वेदशाला की इस्थापना 899 में हुई थी
00:58वेदशाला की पुरानी दुर्भीने अब भी काम कर रही है
01:02हालंकि यहां आधुनिक दुर्भीने भी लगी है
01:04कहां सूरी के बदलते व्यवहार का अवलोकन किया जाता है
01:28वेदशाला में सवासो साल से ज्यादा समय के
01:57सारे सौर अवलोकन आकणों को साधानी से रखा गया है
02:01इन्हें एक समर्पित कमरे में समय के हिसाब से विवस्थित किया गया है
02:05यह एक ऐसी उपलब्धी है जिसकी बराबरी किसी भी राजे
02:10और यहां तक कि कई देशों के संसादन भी नहीं कर सकते