कोल्हापुर : कोल्हापुरी चप्पल महाराष्ट्र के कोल्हापुर की सदियों पुरानी पारंपरिक कला है. ये चप्पल हर पीढ़ी के लोगों की खास पसंद और कई लोगों की तो पहली पसंद है. इतालवी लक्जरी फैशन ब्रांड प्रादा ने हाल में पुरुषों के स्प्रिंग और समर 2026 कलेक्शन में पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलों से मिलता-जुलता सैंडल शामिल किया है. इससे कोल्हापुरी चप्पलों के निर्माता और ग्राहक नाराज हैं. महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में हाथ से बनने वाली चमड़े की चप्पलों को जीआई टैग मिला हुआ है. ये उनका सांस्कृतिक और क्षेत्रीय महत्व बताता है. फैशन के शौकीनों ने बेशक इस लुक की तारीफ की है, लेकिन कोल्हापुरी चप्पल के निर्माता निराश हैं. उनके मुताबिक फैशन ब्रांड ने डिजाइन के भारतीय मूल की अनदेखी की है. उन्होंने प्रादा पर सांस्कृतिक दखलंदाजी का आरोप लगाया. बता दें कि कोल्हापुरी चप्पलें अपनी सपाट तली, मजबूत बनावट और अंगूठे के अनोखे लूप के लिए मशहूर हैं. स्थानीय कारीगर सदियों से हाथ से ये पैटर्न बनाते आ रहे हैं. कोल्हापुरी चप्पलों के निर्माता और कारीगर अब पारंपरिक शिल्प की सुरक्षा पर जोर दे रहे हैं. वे कला और सांस्कृतिक विरासत का दुरुपयोग रोकने और उसे संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं.