करीब 600 कश्मीरी विस्थापितों ने रविवार को कश्मीर घाटी का दौरा किया. भावुक पलों में उन्होंने अपनी घर वापसी की इच्छा जताई. उनका दौरा नई पहल की दिशा में एक प्रयोग था. यात्रा के दौरान ऐतिहासिक मंदिरों के दर्शन और श्रीनगर के प्रतिष्ठित लाल चौक का दौरा भी शामिल था. खास बात थी कि यात्रा का आयोजन बिना किसी सरकारी मदद के किया गया था. ये यात्रा 'आलव' के पहल का हिस्सा थी. आलव कश्मीरी शब्द है, जिसका मतलब है आमंत्रण या बुलावा. सिविल सोसाइटी और कश्मीरी पंडित सामाजिक कार्यकर्ताओं की इस पहल का मकसद विस्थापित कश्मीरी पंडितों को दोबारा उनकी जड़ों से जोड़ना था, जिनका दशकों पहले अलगाव हो गया था. 90 के दशक के शुरुआत में आतंकवाद के दौर में घाटी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था. वे तीन दशक से ज्यादा समय से शरणार्थी का जीवन बिता रहे थे. अब कई लोगों में घर वापसी की उम्मीद जागी है. एक बार फिर नए सिरे से वहां नई जिंदगी शुरू करने की आस जागी है, जिसे वे कभी अपना घर कहते थे.
00:04गरिब 600 कश्विवी विस्थापितों ने रविवार को खश्मी भाटी का दोरा किया
00:08भावक फ़लों में उन्होंने अपनी घर वापसी को उचाए भाई
00:14उनका दोरा ने पहल की दिशा में एक प्रयोग थी
00:21यात्रा के दोरान एतिहासिक मंदिरों के दर्शन और स्रीनिगर के प्रतिश्टित लाल चौक का दोरा भी शामिद था
00:28खास बात थी कि यात्रा का आयोजद बिना किसी सरकारी मदद के किया गया था
00:33ये यात्रा आलो के पहल का हिस्सा दिए
00:41आलो कश्मीरी शब्द है जिसका मतलब है आमंत्रन या बुलावा
00:45सिविल सुसाइटीज और कश्मीरी पंडित सामाजी कारेकरताओं की इस पहल का मकसद
00:50विस्थापित कश्मीरी पंडितों को दुबारा उनकी जड़ों से जोड़ना था
00:55जिनका तशकों पहले अलगाव हो गया
00:5821 जुलाई दोहजार चोबीस को मैं जम्मो में एक महीना लगबग बैठा
01:03और मैंने कश्मीरी समाज पंडित से सीधी बात की
01:06साब अगर आना है तो शर्ते बताए अगर दुकान चलाने हैं तो वहीं रह जाएं
01:12तो आपको जानके हैरानी होगी
01:14बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित समाज ने अपनी सज्शे दी जो हमने डॉक्मेंट की है
01:19उसके बाद हमने गूगल फरम निकला आज से 10-15 दिन पहले
01:23और आवान के साथ आप अपना नंबर पता कश्मीर का पता और यहां का पता जमू का पता दीजिए दिल्मी का पता दीजिए
01:31और अपनी कंजन दीजिए कि आना चाहते हैं
01:33आप हैरान हो जाएंगे लगबट 1900 फैमिली जिसका मतब 10-15 लोग कश्मीरी आना चाहता है
01:40कई कश्मीरी पंडितों ने बताया कि वे पहले भी घाटी आ चुके हैं लेकिन बिना सुरक्षा बंदोबस्त के पहली बार आ रहे हैं
01:49इससे उनमें एक ना एक जिन घर वाप्टी की उमीद जा देए
01:53कि कि आना मुझे अच्छा लगा मैं आज पहली बानी दो चार बार चाहिए कि कश्मीर आ चुका हूं बड़ जिससा आज आए विदाउट स्क्योर्टी यह फस्ते में हुआ है
02:05कि रिजन क्या है इस यह है कि हम कश्मीर आने का ही है कि हम वाप पस आने चाहिते हैं हम कम से गम दोस्तों का गुरुप है दोसर फेंट इस यह सारी को अब कश्मीर पंडिस है यहां से हम निकल गए है
02:26and for our dream struggle to approach his life in 1990,
02:29that was during its 36th anniversary.
02:32But if we had so many years,
02:35we were in 1990.
02:38We were almost there.
02:40During this time, we didn't have anything at all.