कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में शहर के इतिहास के एक ऐसे हिस्से को दुनिया के सामने लाया जा रहा है, जिसे लंबे वक्त से भुला दिया गया था. शहर के दिल में बसे बॉरिंग इंस्टीट्यूट के नीचे सदियों से दफन और उपेक्षित ब्रिटिश दौर के एक कुएं को दोबारा खोजा गया है. ये शहर के हेरिटेज वाटर सिस्टम को दोबारा जिंदा करने के लिए बड़े पैमाने पर की जा रही कोशिशों का हिस्सा है. इस बारे में बॉरिंग इंस्टीट्यूट के सचिव श्रीकांत एचएस ने बताया कि जब अंग्रेज पहली बार बेंगलुरू आए और बसे, तो उनकी सबसे नजदीकी बस्तियां उल्सूर के पास कहीं थीं. उस समय, इसे 'हाई ग्राउंड' माना जाता था. बेंगलुरू में हजारों से ज़्यादा कुएं और सैकड़ों झीलें थीं, लेकिन उनमें से लगभग आठ या नौ को 'मदर वेल' माना जाता था और उनमें से एक ये खास कुआं था. हमें यह भी बताया गया था कि ऐतिहासिक रूप से, उनके लिए पानी की शुरुआती जरूरत इसी कुएं से पूरी होती थी. माना जाता है कि यह कुआं 200 साल से भी अधिक पुराना है.