मुंबई के धारावी, को एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती कहा जाता है लेकिन कम लोग जानते हैं कि ये कपड़ों, हस्तशिल्प और चमड़े के सामान सहित कई लघु उद्योगों का केंद्र भी है. जूते, बेल्ट, बैग और पर्स जैसी चमड़े की वस्तुओं को बनाने वालों का भविष्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार धारावी पुनर्विकास परियोजना को आगे बढ़ा रही है. चमड़े के सामान बनाने वाली कई छोटी कंपनियां कई दशकों से धारावी से संचालित हो रही हैं. उन्हें डर है कि एक बार जब वे यहां से चले जाएंगे तो उनकी कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला और स्थानीय बाज़ार दोनों तक पहुंच मुश्किल हो जाएगी. चमड़े के सामान बनाने वाली कंपनियों को डर है कि दूसरी जगह जाने से उनके कामकाज और कारोबार में भारी गिरावट आएगी. उनका यह भी दावा है कि पुनर्वास योजना के तहत उपलब्ध आवासीय स्थान उनके मौजूदा आवास से भी छोटा है.कुछ व्यवसाय मालिकों का कहना है कि बेहतर तरीका यह होता कि पुनर्विकास को धीरे-धीरे कई चरणों में किया जाता. महाराष्ट्र सरकार ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि सभी पात्र झुग्गीवासियों का धारावी में ही पुनर्वास किया जाएगा. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा में कहा था कि इस क्षेत्र के मिट्टी के बर्तन और चमड़ा कारीगरों को विशेष मामले के तौर पर पांच साल तक टैक्स छूट दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा था कि जिन लोगों को धारावी में घर नहीं मिलेंगे, उन्हें शहर में कहीं और बसाया जाएगा.