"क्योंकि बहु भी कभी बेटी थी" एक भावनात्मक और प्रेरणादायक कहानी है जो हर घर की सच्चाई को दर्शाती है। यह कहानी एक ऐसी बहू की है जिसे बेटी समझने में देर हो गई… लेकिन जब रिश्तों की अहमियत समझ आई, तो परिवार बदल गया।
👩👧👦 यह कहानी बताती है कि बहू सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं होती, वह भी किसी की बेटी होती है, जिसकी भावनाएँ, उम्मीदें और सपने होते हैं।
📚 अगर आपको ये कहानी पसंद आए, तो वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब करके ऐसी और भी दिल छू जाने वाली कहानियों का आनंद लें।
hindi kahani, emotional story, bahu beti story, hindi moral stories, story time, hindi kahaniya, family story, daughter in law story, bedtime story hindi, emotional kahaniyan, new kahani 2025, heart touching story, desi kahani, indian family story, kahani for adults, hindi storytime
00:00Guys, I know that you are in lockdown, so I am going to go to HelloF, India's leading social media platform.
00:09In HelloF, you will find trending news, funny educational, cooking, dance, and even more videos.
00:14This is the latest updates of your favorite celebrities.
00:17So, do you want to download HelloF and do your own story.
00:22This is the latest news.
00:31This is the latest news.
00:34I am going to watch this.
00:48ुआ बर्बाद हो गई, तेरे यहां लड़की पैदा हो गई, अरे तू ऐसा क्यों कह रही है, मैं तो बहुत खुशू, आरे जब तेरी पोती के पीछे तुझे खर्चे पर खर्चे करने पड़ेंगे न, तब यह तेरी सारी खुशी गम में फदल जाएगी, पहले लड़की
01:18लड़कियां तो सिर्फ खर्चा करवाने के लिए ही पैदा होती है, इस तरह लड़कियों के प्रती अपने विचार व्यक्त करते हुए सावित्री ममता को लंबा चोड़ा भाशन दे के चली जाती है, अब तो आप लोग इस कहानी में सावित्री दिवी का पात्रे अच्छ
01:48किस चनम का बदला ले रहा है, अरे मैं तो मंदिर में रोज आकर तुस्से कहती तो थी, कि मुझे एक पोता चाहिए और तुने मुझे पोती दे दी, इतनी मिठाईयां और प्रसाच चड़ाने का क्या फाइदा हुआ, तभी सावित्री की बहु नीशा कहती है, क्या मा जी,
02:18महंगे महंगे का जो बदा, फल फूट खिलाने का फाइदा क्या हुआ, मेरे तो सारे पैसे बरबाद हो गए, ये सुन सावित्री का बड़ा बेटा अजे कहता है, मा तुम सिर्फ नाम के लिए 2020 में रहती हो, असल में तुम्हारा दिमाग सैकडो साल पुरानी सोच रखता ह
02:48नहीं होता, नालायक, अपनी पत्नी की जबान बोल रहा है, मेरा बड़ा बेटा तो हाथ से गया, लेकिन सावित्री देवी हार मानने वाली नहीं थी, वो पोते की चाह में अपने छोटे बेटे विजय की शादी करवा देती है, कुछ समय बाद आखिरकार वो दिन आही जा
03:18ये क्या सावित्री, तू तो पोते के जनम से पहले ही मिठाई बाढ रही है, पहले पोता पैदा तो होने दे, और फिर क्या पता अगर पोते की जगब पोती पैदा हो गई तो
03:31ये सुन सावित्री चिट जाती है
03:33अरे अपने काल जबान मत चला
03:36मेरी मिठाय खाके मेरा ही بुरा सोच रही है
03:39बढ़ी आई ला मेरी मिठाय वापस कर
03:41देख ले ना इस बार मेरे यहां पोटा पैदा होगा पोटा
03:47लेकिन ठीक इसका उल्टा होता है
03:50005137500.?
03:510061700.
04:120072100.
04:1900817 008 content.
04:20आरे तुछ ठीक कहता है, मैं भी अब मा से तंग आ गया हूँ.
04:25अच्छा, तो अब तुम दोनों इस तरह पीट पीछे मेरी बुराई भी करने लग गये हो.
04:30अब, नहीं मा, हम चाहते हैं कि घर में शांती बनी रहे, हमें हमारी बेटियां बहुत प्यारी है, मैं नहीं चाहता कि वे तुम्हारे ताने सुन-सुन कर बड़ी हो, और इसलिए हम दोनों ये घर छोड़ कर चले जाएंगे.
04:44हाँ मा, मैं भहिया की बाद से सहमत हूँ, जब तुम इस घर में अकेली रहोगी, तब तुम्हें अपनों की कीमत का एहसास होगा.
04:53अपने दोनों बेटों के मुँ से अपनी मा के लिए इतने कठोर शब्द सुन, सावित्रिभावुक और रुवासी होकर कहती है.
05:00क्या सच में तुम दोनों मुझे इस घर में अकेली छोड़ कर चले जाओगे?
05:06हाँ मा, हाँ मा, अब पानी सर के उपर जा चुका है.
05:13मैं तुम दोनों के बिना नहीं रह सकती.
05:16अपनी सास के आंसु देख, अजे और विजे की पत्नी अपने पतियों से लड़ पड़ती है.
05:23अरे जिसे जाना है वो जाए, मैं मा जी को छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली.
05:28भाबी, आप ये क्या कह रही है?
05:30वही जो तुम सुन रहे हो, दीदी बिल्कुल सही कह रही है.
05:34हम बेटियों के संसकार हमें सिखाते हैं कि सास मा समान नहीं, बलकि मा ही होती है.
05:40और उस मा की जिन्दगी पर सेवा की जाती है.
05:44बेटे अपना फर्ज भूल सकते हैं, लेकिन बेटिया नहीं.
05:48आप दोनों शौक से जा सकते हैं.
05:50मा जी, हम दोनों के रहते आपको किसी बात की फिक्र करने के जरूरत नहीं.
05:55फिर क्या था?
05:57सावित्री के ऊपर छाए बेटों के घमन के बादल,
06:00उसकी बेटी स्वरूप बहूं के तेज के आगे आशू के रूप में परिवर्थित होकर सावित्री की आँखों से बहने लगते हैं.
06:09और वो उन दोनों को गले लगा लिती है.
06:12मैं जिन्देगी भर बेटियों को कोस्ती रही.
06:15लेकिन आज तुम दोनों को देख मुझे समझ आ गया कि बड़े अभागे होते हैं वो लोग जिनके घर बेटियां नहीं होती.