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  • 2 days ago
देखिए दिल छू लेने वाली कहानी "क्या माँ ऐसी होती है?" जो रिश्तों, समझदारी और पारिवारिक मूल्यों को दिखाती है।
इस प्रेरणादायक हिंदी कहानी में छुपा है एक गहरा संदेश जो हर बेटे-बेटी और माँ को समझना चाहिए।

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00:00
00:28नीरु के पिता जहाँ पंजाब की जाने माने व्यापारी थे, वहीं उसका पती राहुल दिल्ले में एक सिंपल नौकरी करता था
00:35मा यहाँ तो घी मक्कन इतना महंगा है कि क्या बताऊं, मैं तो तरसी जाती हूँ घी खाने के लिए
00:44नीरु की मा को ये सुनकर बहुत दुख होता है
00:47मेरी बेटी को घी नसीब नहीं हो रहा है, और ये बहु यहाँ बैटकर घी में शक्कर डाल रही है
00:55देख वनिता, मैं साफ कह रही हूँ, इस घर में जितना घी आएगा, उतना ही मेरी बेटी के घर दिल्ली भी जाएगा
01:03औरे, ये क्या बात होती मा जी, बेटी का उतना ही करो जो अच्छा लगे
01:09अब क्या माईके से घी और मक्कन तक कि सप्लाइ करोगी आप
01:13हाँ, मेरी बेटी किसी चीज को तरसे मुझसे बढ़ता आश नहीं होता
01:18अब क्या था, नीरो के माईके में दो किलो घी आता, तो दो किलो दिल्ली जाता नीरो के पास
01:25एक दिल
01:26मा, बड़ी गर्मी पढ़ती है दिल्ली में, इस घर में तो एक ही AC है और वो भी ड्राइंग रूम में
01:33सारा परिवार एक ही कमरे में सोता है
01:36मा, बेटा, वो तो हर घर की कहानी है, यहां भी एक ही AC है, अरे बिल इतना आता है कि क्या बोलू
01:44तब ही वहां राकेश आ जाता है
01:47मा, थोड़ी दिर में यहां कुछ प्लंबर आएंगे, मेरे कमरे में AC लगाने
01:52ज़रा ज्यान से लगवा देना ना मा
01:55ओए, ऐसे कैसे तेरे कमरे में AC लगेगा
01:59हाँ हाँ राकेश, एक बर बात तो किर लेता
02:03आरे, पापा, वो वनेता को गर्मी में नीन नहीं आती
02:07ड्राइंग रूम में सब के साथ सोने में वो अनकमफर्टेबल है, इसलिए
02:12आरे, पूरे परिवार के साथ, वहां तेरी बहन नीरू भी तो सोती है
02:17वो नहीं हो रही, क्या अनकमफर्टेबल
02:20समझ रहा है ना, अगर एसी लगेगा, तो एक दिल्ली में तेरी बहन के कमरे में भी लगेगा, तभी तु लगा सकेगा
02:30राकेश वनेता को सारी बात बताता है
02:33वनेता करती भी क्या, मन मार कर बैठ जाती है
02:37मा, ये लोग ठीक नहीं है, क्या करूँ मैं
02:42अरे बेटी, यहां आजा तू, यहां कर रहे ले, अरे छोड़ दे ऐसे पती को
02:48कैसे छोड़ दू मा, समाज क्या कहेगा, लोग क्या कहेंगे
02:53वैसे भी मेरा एक बेटा है मयंग
02:55अरे हटा बेटा, तेरी उम्र ही क्या है, इतनी परेशान रहेगी, तो काम कैसे चलेगा
03:03खैट, बात आई गई हो जाती है, मा को लगता है कि नीरू ठीक है
03:08तो वहीं नीरू के मन में एक ही लाइन चल रही होती है, यहां आजा
03:13हम, मा ने तो बोल ही दिया है कि यहां आजा, बस मयंग थोड़ा सा बड़ा हो जाए, इन गरीबों को छोड़कर मैं वापस मा के पास ही चली जाओंगी
03:23वो इसी सोच में बाजार में चल रही थी कि
03:26मैम, आपका दुपट्टा जमीन को छोड़ा है
03:30नीरू जैसे ही उस लड़की की तरफ देखती है, देखती ही रह जाती है
03:35हाई रे, कितना सुन्दर लड़का है यह
03:39अब क्या हुआ, मैंने कहा आपका दुपट्टा
03:42तो खोदी उठा कर दे दो ना
03:45लड़का समझ जाता है कि नीरू उस पर फिदा हो चुकी है
03:50वो उस से उसका नंबर लेकर चला जाता है
03:52अब क्या था, नीरू और रोहित में लगातार बाते होने लगती है
03:56मैं हर्याणा का रहने वाला हूँ, यहाँ एक बड़ी कंपनी का मैनेजर हूँ
04:01अच्छा, और कितने बच्चे हैं तुमारे?
04:05बच्चे?
04:06अरे, मेरी तो शादी भी नहीं हुई है
04:09तुम बताओ, शादी करोगी?
04:14नीरू शर्मा जाती है
04:15अब, लेकिन मैं तो पहले से ही शादी शुदा हूँ
04:18मुझे फर्क नहीं पड़ता
04:20बस तुम शादी कर लो
04:22भाग चलते हैं
04:24बहुत पैसे वाला हूँ मैं
04:26हमेशा खुश रखूंगा तुम्हें
04:28नीरू रोहित से मिलकर
04:30सारा प्लैन बना लेती है
04:31और फिर एक दिन घर से भाग जाती है
04:34दोनों शादी कर लेते हैं
04:36शादी के बाद
04:37क्या बाद है नीरू?
04:39तुम्हें परिशान सा देखता हूँ
04:41सब ठीक तो है ना?
04:44हाँ हाँ
04:45सब ठीक है
04:46ये कहते कहते ही
04:53वो रोने लगती है
04:55अरे क्या हो गया?
04:57रो क्यों रही हो?
04:59मैंने तुम से एक बात चुपाई है
05:01और वही बात अब मुझे परिशान कर रही है
05:04रोहित
05:05मेरा एक बेटा भी है
05:07उसका नाम मयंक है
05:09क्या बात कर रही हो?
05:12ये तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?
05:15देखो नीरू
05:16मेरी मा को मैंने ये नहीं बताया है
05:18कि तुम शादी शुदा हो
05:19बच्चा मैं मैंनेज नहीं कर पाऊंगा
05:22नीरू को समझ में नहीं आता कि वो क्या करे
05:25तुम उस बच्चे को अपनी मा को क्यों नहीं दे देती?
05:29नीरू चुपके से मा को फोन करती है
05:32मा, क्या मायंक को तुम रख सकती हो?
05:36बेटा, मैं राकेश के साथ बात करती हूँ
05:40आखिर घर का बेटा वही है
05:42जो वो बोलेगा
05:44वैसे भी बेटा, तुने जो किया है ना
05:47उसके बाद से पुरा घर तेरी बुराई कर रहा है
05:50मैं भी अब किसी से तेरे लिए लड़े नहीं सकती
05:54राकेश बेटा
05:57नीरू ने तो जो किया, बहुत ही बुरा किया
06:00लेकिन मैं सोच रही थी कि क्यों ना मयंग को हम यहां ले आए
06:04तबी वनीता बोल पड़ती है
06:07वा जी, ऐसे कैसे यहां ले आए?
06:11यहां क्या भंडारा भरा है?
06:13और जिस बच्ची की मा ने नहीं सोचा, उसके लिए हम क्यों सोचे?
06:17नीरू को एक बार तो अपने बच्ची के बारे में सोचना चाहिए था ना?
06:22अरे लेकिन तेरे पास भी तो लड़का नहीं है ना वनीता?
06:26मा, वनीता ठीक बोल रही है
06:28कल को वो बड़ा होकर इसी घर का हिस्सा मांगीगा
06:31तो हम क्या करेंगे?
06:34मा कहती भी तो क्या?
06:35वो चुप रह जाती है
06:36वहीं नीरू का पहला पती कहता है
06:39मा, अगर आज भी वो वापस आ जाये तो मैं उसे माफ कर दूँगा
06:44बेटा, गरीबी चीजी ऐसी है, क्या करेगा?
06:50तू तो अब मैंग का सोज
06:52वो बिचारा तो बिना मा का हो गया
06:56मैंग के खातिर तू दूसरी शादी कर ले बेटा
07:00लोगों के लाख समझाने के बाद
07:03नीरू के पहले पती के शादी रिद्धी से हो जाती है
07:06जिसके पहले पती से दो बच्चे होते है
07:09देखो जी, मैंने शादी सिर्फ बच्चे के खातिर की है
07:13मैंने भी शादी सिर्फ बच्चों के खातिर की है
07:17वही नीरू के दूसरे पती के मन में ये बात घर कर जाती है
07:21कि नीरू एक मासुम बच्चे को उसके खातिर छोड़ कर आई है
07:25अब देखो नीरू मुझे लगता है कि जो आरत अपनी कोक का बच्चा छोड़ सकती है
07:30वो तो कुछ भी कर सकती है
07:32कल को तुम्हें मुझसे अच्छा कोई मिल गया तो
07:35तुम तो मुझे भी भाई भाई कर दोगी न
07:37नीरू को अब उसका दूसरा पती ताने देना शुरू कर देता है
07:42तंग आकर नीरू उसकी यहां से भाग कर अपने पहले पती के पास चली जाती है
07:47लेकिन ससुराल में
07:49क्या लेने आई है नीरू मैं अंको
07:53नहीं नहीं सासु मा मुझसे गल्दी हो गई
07:57मुझे माफ कर देजिए
07:58नीरू अब वक्त खत्म हो गया है
08:01मेरी शादी हो चुकी है
08:04तो छोड़ दो ना उसे
08:05हमारा बच्चा है
08:07मैं आपको अपनी मा नहीं मानता
08:11मेरी नहीं मान तो बहुत अची है
08:14नीरू मैं के बाद सुनकर समझ जाती है
08:18कि उसके पास अब ना आसमान रहा
08:21ना ही समीन

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