बेबाक भाषा के दो टूक कार्यक्रम में पत्रकार भाषा सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले द्वारा धर्मनिरपेक्ष व सोशलिस्ट शब्दों को संविधान की प्रस्तावना से हटाने की मांग की विवेचना की और इसे संघ के डीएनए में संविधान विरोध से जोड़ा। साथ ही कांग्रेस नेता जयराम रमेश व राजद नेता लालू प्रसाद यादव के विरोध का भी जिक्र किया।
00:00राष्टी स्वेम सेवक संग यानी RSS को देश के सम्विधान से क्या दिक्कत है
00:07वह क्यों बदलना चाहता है देश के कॉंस्ट्यूशन को इसका जवाब बिलकुल सीधा है
00:12हिंदू राष्ट की स्थापना और उसकी राह में सिर्फ और सिर्फ यही कॉंस्ट्यूशन सबसे बड़ी अडचन है
00:20इसकड़ी में RSS के महा सचेव दक्तात्रे होस बोले की यह मांग को देखा जा सकता है
00:26जिसमें उन्होंने भारती समिधान की जो प्रस्तावना है जो प्रियामबल है उसमें से समाजवादी और धर्म निर्पेक्ष शब्द को हटाने की मांग की है
00:36कहने वाले वैसे तो कही सकते हैं कि अब यह दोनों शब्द सेकलरिजम और सोशलिजम जमीन पर कितना ही इस्तमाल होते हैं कोई लागू करता भी है की नहीं
00:47समिधान अपनी जगा और भारत में देखिए यह नफरती बिर्गेड इसका शाशन अपनी जगा
00:54धर्म के नाम पर मारना पीटना लिंचिंग अब न्यू इंडिया का न्यू नॉर्मल बन चुका है इसायों पर धर्म परिवर्तन के नाम पर और मुसल्मानों को तो बस मुसल्मान होने के नाम पर ही निप्टाने की खुली छूट मिली हुई है
01:09रही बास समाज बात की तो वह तो बिचारा समिधान की प्रस्तावना यानि कॉंस्ट्यूशन के प्रियम्बल में चिपक कर दफन हो रहा है
01:18हमीरी गिरीबी की खाई बढ़ती ही जा रही है अधानी जी का हर जगा बोल बाला है
01:24और मजदूरों की अधिकार की तो क्या ही बात करें देखे न योगी सरकार हरताल पर ही छे महीने का बैन लगा सकती है
01:31और तमाम सरकारें ऐसा ही कर रही है इतना कुछ होने के बाद भी सवाल सबसे बड़ा है
01:37कि RSS को धर्म निर्पेक्ष्टा यानि सेकलिरिजम और सोशलिजम से इतनी बड़ी दिक्कत क्यों है
01:45क्यों इतना परिशान है इस पर आप क्या सोचते हैं जरूर बताईए हमें अपने कमेंट बॉक्स में
01:51नमस्कार मैं आपकी दोस्त भाषा और आप देख रहे हैं वेबाग भाषा पर दोटू कारेक्रम
02:05राष्टी स्वेम सेवक संग के महासचिव दत्यत्रे होस बोले ने देश के समिधान यानि कॉंस्ट्यूशन की प्रस्तावना यानि प्रियांबल से धर्म निर्पेक्ष और समाजवादी
02:17सेक्लिरिजम और सोशलिजम शब्द को हटाने की मांग की और इस पर राज़नतिक हंगामा शुरू हो गया
02:23कॉंग्रिस ने इसे संग के डियने में जो समिधान का विरोध है उससे जोड़ा राज़त ने भी कड़ा विरोध किया
02:30उसके नेता लालू प्रसाद यादव ने तो लोकतंत्र और समिधान से RSS और BJP को कितनी नफरत और घृणा है इससे जोड़ कर देखा और कहा कि इस पर देश भर में बड़ा गुस्सा पहलेगा
02:43कॉंग्रस के नेता जैराम रमेश ने RSS पर निशाना साथते हुए कहा कि RSS ने तो कभी समिधान को स्विकारी नहीं किया और वह तो समिधान को मनुस्पृति के अनुकूल बनाना चाहता है
02:56ध्यान रहे संग का यह बयान तब आया है जब अभी पिछले साल यानि 2024 में ही सुप्रीम कोट ने 42 में संशोधन की वैदिता को मानेता दी थी
03:08देश के कॉंस्ट्यूशन में यह दो शब्द इसी एमेंड्मेंट से जुड़े थे
03:13हाई यह देखिए थोड़ी सी क्रोनोलोजी जो याद रखनी बहुत जरूरी है
03:24आरेसेस भूलने नहीं देती है
03:261949 में समिधान लागू होने के बाद से ही
03:30आरेसेस और जनसंग यानि जो भाजपा का पहले का संगठन है
03:35उसने देश के कॉंस्ट्यूशन को भारती परंपरा और इसके ग्रंतों के आधारित नहीं माना था
03:42और कहा था यह विदेशी विचारधारा से प्रभावित है
03:45आरेसेस के पूर्व सर संग्चालक MS गोल वर्कर ने
03:50कॉंस्ट्यूशन सभा में समिधान की सभा में कामकाज के दौरान ही कह दिया था
03:56कि हमारा समिधान विदेशी विचारों का संग्र है
04:00इसमें भारती तत्व कहा है
04:02यानि यह समझ लीजिए इस क्रोनोलोजी से
04:04कि शुरू से लेकर अभी तक
04:06RSS का मुख्य शत्रू
04:09बड़ा शत्रू
04:11देश का कॉंस्ट्यूशन रहा है
04:12तो यह बात तो तय है कि राश्टी स्वेम सेवक संग
04:15कॉंस्ट्यूशन के खिलाफ रहा है
04:17इसकी वज़ा है संग के DNA में
04:20हिंदू राष्ट और मनुस्मृति का होना है
04:23वैसे ध्यान से देखिए
04:25तो 2014 में BJP की सरकार
04:28यानि मोदी जी की सरकार आने के बाद से
04:30बार-बार कोशिश हुए
04:32कि इन दो शब्दों को डिलीट करके ही
04:34कॉंस्ट्यूशन और उसकी प्रस्तावना को बाटा जाए
04:37देखिए
04:3916 जनवरी 2015
04:41यानि 66 गरतंत्र दिवस उस समय सूचनवर प्रसाण मंत्राले ने जो विज्यापन दिये उसमें भी इन दोनों शब्दों को डिलीट कर दिया था पूरा का पूरा जो स्टेट्मेंट था वह पुराने प्रस्तावना को लेकर चापा गया था और इसके बाद देखिए
04:59नई संसद सितंबर 2023 में इस भवन में जब सांसदों को कॉंस्ट्यूशन की प्रती दी गई कॉपी दी गई उसमें भी ये शब्द दो नहीं थे
05:11लाग टके का सवाल यह है कि इस समय या बार बार आरेसेज और भाश्पा इन दो शब्दों पर ही बवाल क्यों काटते हैं
05:29वही भाश्पा करना चाहती है बार बार संग और बीजेपी दोनों यह देखना चाहते हैं कि कॉंस्ट्यूशन पर हाथ रखने पर कितना हंगामा होगा ज्यादा हंगामा हुआ तो जैसे बाइक्स पर टोल टैक्स और फिर वह वापस ले लिया गया उसी तरह से रड़नीती
05:59उसके fundamental agenda में है समिधान संशोधन की मांग भी उसी राजनिती का हिस्सा है ताकि दम लगा के हिंदुत्व के agenda को वैदिता दी जा सके विपक्ष को यह संदेश दिया जा सके कि दरसल भाश्पा और RSSZ कॉंस्ट्यूशन पर अपना अंतिम अधिकार चाहते हैं और इससे जु
06:29समीन तभी तैयार होगी जब इस तरह के दो मुद्दे दो शब्द डिलीट किये जाएंगे प्रियाम्बल से दरसल RSSZ और भाश्पा दो हजार पच्चिस में समाजिक न्याय के सिधान्त को कमजोर या यू कहें कि उस पर बुल्डोजर चलाना चाहती है समिधान का मौलिक �
06:59अब लड़ाई लोकतंत्र और बहुलबाद में है यानि मैजॉरिटेरिजम और कॉंस्ट्यूशनिजम इनके बीच जो लड़ाई है उसमें यह हथियार बार बार फेका जाता है बस इस क्रोनलोजी में यह समझना जरूरी है कि RSSZ के DNA में हिंदू राश्ट्र है और मनुस्म
07:29इस तरह के statement दे कर देखती है कि अब सही समय आया है कि नहीं वैसे भी 2025 यानि RSSZ के 100 साल पूरे हो रहे हैं और उसके agenda में सिर्फ यही agenda तो रह गया है बाकि सब तो मोदी जी ने बले-बले करवा ही दिये है शुक्रिया