इस्लाम में हरा रंग बहुत पवित्र है, लेकिन अगर किसी मस्जिद पर लाल झंडा लहरा रहा है और वो भी शिया मस्जिद पर तो समझ लीजिए कि यह ऐलान है– शहादत का और बदले का।
00:11लेकिन अगर किसी मस्जद पर लाल ज्छंडा लहरा रहा है
00:14और वो भी शिया मस्जद पर
00:16तो समझ लिजे कि एलान है
00:18शहादत का और बदले का
00:20एरान ने इसराइल के हमले के बाद अपने कुम शहर की जमकरान मस्जद पर ये लाल ज्छंडा फेरा दिया है
00:28ये मस्जद शिया मस्लमानों के लिए एक बेहत खास और पवितर स्थल है
00:33इस मस्जद पर लाल ज्छंडे का मतलब है कि किवल धार्मी की नहीं
00:38बलकि एरान ने सैन्ने और राजने तक्तार पर एलान कर दिया है कि इसराइल को अपने की एकी कीमत चुकानी होगी
00:45शिया परंपरा में लाल ज्छंडा तब फेराय जाता है जब किसी बेगुना का खून बहाया गया हो और बदला लिया जाना बाकी हो
00:59इसकी जड़े कर्बला की तरास्दी से जुड़ी है जब हजरत इमाम हुसैन और उनके बहातर अनियाईयों ने यजीत के अन्याई के सामने जुकने से इंकार कर दिया था और शहादत कबूल की थी
01:12हुसैन का खून अन्याई के खिलाफ खड़ा होने का प्रतीक बन गया है
01:17तब से लाल ज्छंडा शिया समुदाइक लिए उन शहीदों की याद और उसका बदला लिये जाने का वादा बन गया है
01:25यही वजह है कि एरान ने इस्राइल के खिलाफ अपने सेन्या उपरिशन का नाम ट्रू प्रामेस ट्री रखा है
01:33सच्चा वदा
01:35इससे पहले भी 2020 में कास्म सुलिमानी की हत्या के बाद भी यही जंडा इसी मजजद पर फेराया गया था
01:43और अब एक बार फिर यह जंडा लहरा रहा है संदेश साफ है शहादत का खून बहा है अब जवाब दिया जाएगा