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  • 6 days ago
बेबाक भाषा के Decoding RSS कार्यक्रम लेखक विचारक राम पुनियानी ने बताया कि किस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आदिवासियों की मूल संस्कृति के खिलाफ काम कर रहा है, उन्हें वनवासी व हिंदू बनाने पर उतारू है। साथ ही इसका एक सिरा जंगलों पर कारपोरेट लूट से जुड़ा हुआ है।

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Transcript
00:00दोस्तों बेबाक भाशा पर आपका स्वागत है
00:08Decoding RSS की इस गड़ी में आज हम बात करेंगे
00:12RSS और आदिवासियों के बीच के संबंदों
00:15RSS मानता है कि आदिवासी मूल रूप से हिंदू हैं
00:19वो केवल जंगल में रहते हैं
00:21इसलिए उन्हें वनवासी कहना चाहिए
00:23वो जंगलों में क्यों रहते हैं
00:25उन्हें धर्मांतरन करने की कोशिश की गई
00:28और वो इस धर्मांतरन से बचने के लिए
00:31अपनी अस्मिता को बचाए रखने के लिए
00:33जंगलों में भाग गए
00:34जिन से उनकी जाती थोड़ी नीचे गिर गई और वो इसलिए वनवासी हैं जो हिंदू है
00:40अब जादा तर आदिवासी नेता आदिवासी व्यक्ति और इसके जो शोद करता हैं वो इस बात से सैमत नहीं है
00:48उनके अनुसार आदिवासी वो समू है जो आरियों के आने के पहले यहां आया
00:56क्योंकि आज हम जानते हैं कि पॉपुलेशन जेनिटिक से बताता है कि मानो समाज की उत्पत्ती दक्षिन आफरीका से हुई
01:03और वो कई वेव्ज में कई लहरों में भारत की तरफ से आये
01:08तो आरे जो आये थे वो तीन हजार साल पहले आये थे और आरेों के पहले जो आये थे वो करीब चार या च्छी हजार साल पहले आये थे
01:16तो आदिवासी उस ही श्रंकला से जुड़े हुए लोग हैं जो जंगलों में रहने को मजबूर है
01:22अब सवाल यह है कि इन आदिवासियों को के बीश में RSS ने अपने कारेक्रम शुरू किये हैं
01:29और क्योंकि चुनावी कारणों से वो RSS को अपने साथ चोड़ना चाहते हैं
01:36इसलिए वो इन्हें हिंदू समाज के अंदर का एक भाग बताना चाहते हैं
01:40अब हिंदू समाज का एक भाग बताने के लिए उन्हें उन्होंने बहुत बड़े उपक्रम चलाए हैं
01:47जिनकी शुरूआत वैसे तो 1952 से हुई थी वनवासिक कल्यान आश्रम की स्थापना के साथ
01:53पर इनकी ज़्यादा सक्रियता 1980 के बाद दिखी
01:56पर वैसे 1952 से इन्होंने आदिवासिक शत्रों में जाकर मुख्य रूप से उन्हें हिंदू करर करने की कोशिश की
02:05और कई जगा उन्हें ये विनारा दिया गया घर वापसी
02:09घर वापसी याने आपको जवर्दस्ती से यहां रहना पड़ा है
02:12आप में से कई लोग इसाही बन गए हो, कई लोग दूसरे धर्वों में बन गए हो
02:17तो आप वापस अपने घर में आ जाईए
02:19तो ये घर वापसी की प्रक्रिया में कई RSS विश्व हिंदू परिशद के लोग सक्री रहें
02:25जो अलग अलग विश्वल निकाल कर उन्हें हिंदू बनाने की कोशिश करते रहें
02:30अब ये क्षित्रों में RSS ने 1910 के बाद कई बड़े-बड़े उनके निताओं को काम पे लगाया
02:38जो इन क्षित्रों में काम करने लग गए
02:40और खास तोर से इसाई मिशनरियों के खिलाफ नफरत फैलाने का काम करने लगे
02:46इन क्षित्रों में इसाई मिशनरी भी काम करते हैं
02:50जो जिन में से कुछ का उद्देश्य शायद धर्मांतरन होगा
02:54इसके बाद में मैंने शित्र नहीं कह सकता
02:56पर हाँ जहां तक सेवा और शिक्षा का सवाल है
02:59ये आदिवासी क्षित्रों में क्रिश्चन मिशनरिस का ये काम काफिरा है
03:04जिसके कारण कई आदिवासी क्रिश्चन धर्म को भी स्विकार करते हैं
03:10अब 1980 के बाद से 1970 से शुरू होकर 1980 के बाद
03:14इन क्षित्रों में जैसे डांग में स्वामी असीवानन, मध्यप्रदेश में असारम बापु के मानने वाले और ओईसा में कंदमाल में स्वामी लक्ष्मानन, ये इन्होंने अपना सक्रिय काम करके आदिवासियों को हिंदू बनाने की प्रक्रिया तेज की, इसी दौरान इन
03:44सोशल इंजिनिरिंग, सामाजिक तोर पर उन्होंने इन क्षित्रों में शबरी और हनुमान इन दोनों को काफी प्रवत्त किया, काफी प्रमोट किया, शबरी को उनकी देवी के रूप में रखा, जो काफी गरीब है, और जिसके पास भगवान राम को किलाने के लिए बेर क
04:14तनाव बढ़ा इन क्षित्रों में डांग से शुरू होकर तो कंदमाल से उसी की कारण इसाई विरोधी हिंसा भी हुई, जिसका एक पहला हमने अध्याय देखा ये डांग जिले में, उसके बाद जाबुआ में भी देखने को बिला, और औरिसा में तो पहले पैस्टर ग्र
04:44तो उसी के साथ साथ जब 1999 में गटना हुई, उसके बाद 2008 में कंदमाल में बहुत बड़ी हिंसा हुई, क्योंकि हर एक क्रिस्मस के मौके पर ये उन क्षित्रों में जाकर कुछ प्रोपगेंडा करते हैं और ये बताने की कोशिश करते हैं कि आदिवासी हिंदु ही हैं और �
05:14ये विशय काफी जुड़ा हुआ है, क्योंकि इनका मुख्य उद्देश उन क्षित्रों में जाकर एक तो घरवापसी करना है, हिंदु करन करना है और वहां उनकी मुख्य चुनोती इसाई मिश्णरियों के साथ होती हैं, तो इसी के चलते पहले पैस्टर स्टेंस की हत्या
05:44इसाई विरोधी इंसा का एक नर्शन सरू हमें कंदमाल में देखने को मिला, और उन क्षित्रों में कई आदिवासी हिंदु भी बन गए हैं, और कई आदिवासी क्रिश्चन बन गए हैं, कई अपने मोल रूप में जो भी उनके परंपरा थी, उसको लेकर चलते हैं, तो आ
06:14खनीजपदार्थ भी हैं, बहुत बड़े कर्पोरेट की नजरें इन खनीजपदार्थों के भंडार पर भी है, उसमें भी इसलिए चाहते हैं कि उनक्षेत्रों में जादा तर ऐसी पार्टी का प्रभुतु हो, जो कर्पोरेट को मदद कर सके, ताकि वो कर्पोरेट दुन
06:44हिंदू मानकर उन पर इन प्रकार की चीज़ों को लादना, हिंदू करन करना, घरवापसी करना और उन ख्षेत्रों में उपद्रों शुरू करना, ये वहां के समाज को काफी उद्वस्त कर देता है, व्यक्तियों की इच्छा है, वो जिस प्रकार के धर्म को स्विकार करना
07:14खुद का आधार ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करता है।
07:18आपका बहुत धन्यवादू, थैंक यू वेरी मिच्छ।

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