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  • 5/18/2025

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00:00हेलो दोस्तो मैं हूँ डाक्टर सिवराज सिंग स्वागत है आपका अपने चैनल हिस्ट्री विच सिंग में
00:05दोस्तो आसा है आप लोग अच्छे से होंगे और बढ़िया अपना अपना पढ़ाई कर रहे होंगे
00:08तो भाई हम लोग आधोनिक भरती इतिहास को पढ़ रहे हैं और तो भाई पिछले वीडियो में आप ने देखा कि
00:16जो समाचार पत्रों का इतिहास क्या था कैसे समाचार पत्र कब स्टार्ट हुआ किसने स्टार्ट किया ये पिछले वीडियो में आपने देखा है न और बाकी प्राचीन इतिहास का भी कमप्लीट है प्लेलिस्ट मैंने बनाया है यदि आपको प्राचीन इतिहास पढ़ना ह
00:46पीछे से आप अगर लगातर पढ़ते आ रहे हैं तो जानते हैं जानते होंगे, यदि आप
00:52मालिजे अधोनीक इतिहास अभी आपने नहीं पढ़ा है तो प्लेलिस्ट में जा करके अधोनीक इतिहास की प्लेलिस्ट से आप पढ़ना चालू कर सकते हैं
01:00ठीक है
01:01तो आज भाई जो अपना टॉपिक है
01:04वो है देखें
01:06सांस्कृतिक जागरण धार्मिक और सामाजिक सुधार
01:09है ना
01:10तो जो सामाजिक सुधार हुए हैं जो धार्मिक सुधार हुए हैं
01:14सांस्कृतिक जागरण आई है
01:16है ना
01:17उनिस्वी सतावदी की जो धार्मिक और सामाजिक सुधार है
01:22पुनर जागरण के बिना कोई भी धर्म सुधार संभाव नहीं
01:31कौन कहता है हीगल कहते हैं
01:33तो दिखे पुनर जागरण के बिना कोई भी धर्म सुधार संभाव नहीं
01:40पुनर जागरण यानि फिर से जागना है ना
01:45पुनर जागरण का प्रारमब आप जानते हैं इटिली के फ्लोरेंस सहर से स्टार्ट हुआ है
01:56अगर आप लोग कहेंगे तो इस पी अलग से मैं बीडियो बना दूँगा
02:01तो आप जैसे की अभी आपने पढ़ा की प्राचीन इतिहास में दिखा की
02:07बहुत सारे आकरमड करता थे है न भारत पर आकरमड किये लूट घसोट किये और यहां पे बस गए है न ऐसे मद्धिकाल में आप ने देखा
02:18मुगल इंपायर को आप देख लिए जिये की यहां पे आकरमड किये और यहां पे बस गए है न लेकिन यह अंग्रेजियों के साथ जो ब्रिटीश थे वो भारत पर जब आकरमड करते हैं यहां पे सासन भी करते हैं लेकिन इनके साथ जो पिछले आकरमड कारी थे वो तो आ
02:48उनसे अंग्रेज अलग थे ठीक है तो आईए शुरू करते हैं देखिए आप समझ़िए
02:53उननैस्वी सदी में अंग्रेजी हुकुमत का जो प्रभाव भारती समाश पर पड़ा
02:59वो उनके पूर्व के प्रभाव से भिन्य था यह मैंने आपको बता दिया
03:04जहां भारत पर आक्मर करने वाले विदेशियोंने भारत को aquí bar पराजित किया और यहां पर साशन किया
03:11उनोंने भारती सब्ययता, संसक्रिती, और धर्म को सिरकार किया तका यहां spieltes
03:18समाच के अभिन हिस्से बन गए वहीं अंग्रेज अकरांत अपनी सभ्यता और संस्कृती को भारतियों पर थोपने में काम्याब हुए
03:30बहुत सारे इसाई आप देखते हैं कि हैं भारत में और अठार्वी सताबदी के यूरोप में जागरण के योग की सुरुवात हुई
03:42तरकवात तथा अंतवेशण की भावना से उस समय के यूरोपी समाच को परगती का पथ दिखाया
03:51जिस पर चलका यूरोप सभयता का अग्राणी महादीव बन गया
03:56दूसरी ओर भारत अपने अंधविश्वास तथा कुरूतियों के कारण निश्चल, निश्प्राण तथा गिरते हुए समाच का चित्र प्रस्थूत कर रहा था
04:06तो जैसा कि आप देखें कि जब यूरोप में आप देखते हैं कि जो बाइग्यानिक खोजें हैं परगत की तरह बढ़ रहा है वही भारत आप देखें तो अपने जो कुरूतियां से जक्डा हुआ था है न और देखें
04:26अब उसी समय बंगाल में अंग्रेजी सिच्चा प्राप्त कुछ ऐसे बंगाली योकों का आगमन होता है जिनोंने हिंदु धर्म और संश्क्रिती में विद्धमान बुराईयों और अन्धविश्वास के प्रति ग्रिडा का परदर्शन करती है न और देखें
04:53बंगाली बुद्ध जीवियों में राजा रामोहन राय और उनके अनुयाई ऐसे पहले बुद्धिवादी थे जिनोंने पास्चा ते संश्क्रिती का अध्यान करते हुए उनसके बुद्धिवादी एवं प्रजातांत्रिक सिध्धान्तों धाडाओं भावनाओं को आत्म
05:23बुद्धिजीवी वर्ग की निर्डायक भुमका रही इसने भारती समाच को परयाप्त सीमा तक आधुनिक राष्ट के रूप में बिखसित किया
05:31ये कौन थी बुद्धिजीवी है न और इका नाम क्या था इनोंने क्या क्या कारे किये हैं
05:37कौन कौन सी अभी जो संस्थाएं आई हैं समास सुधार के लिए आई हैं धर्म का सुधार के लिए आई हैं सब पे आप बिल्कुल निश्चिन्त रही हैं सब की मैं चर्चा करूँगा एक एक करके
05:51बस आप ध्यान से सुनिएगा अभी कुछ लगता है आपको ऐसा न लगे कि नहीं इसका क्या मतलब है ये कौन है क्या है बिल्कुल आप बस सुनते रहिए और लास्ट तक जब आप सुनेंगे तो पूरी चीज़ें आपकी जो एक टापिक है पूरा टापिक क्लियर हो जाए
06:22ठीके
06:25उननैस्वी सदी में भारत में समाजिक तथा संस्कृत जगरण के लिए अनीग कारण उठदायी थे
06:32जएसमें परथम कारण भारत में अंग्रेजी साशन की इसथापना थी
06:38अंग्रीजी सासन की इस्थापना ने भारत के राजनितीक, आर्थीक, समाजीक और सांस्कृतिक जीवन को गहराई से प्रभावित किया, परिडाम सरूप बौधिक विकास के लिए अनुकूल प्रस्तितियां पनी।
06:50समाजीक और सांस्कृतिक सुधार हीतु जिमेदार दूसरा कारण था प्राच्यवादियों द्वारा भारत के अतीत को वैभवशाली बताना।
07:01प्राच्यवादियों में प्रमुक थे सर विलियम जोनस, जेम्स प्रिंसब्, चार्ल्स विलकिन तथा मैक्स मूलर।
07:11उत्करिष्ट रशनात्मक साहीति ने भी भारत के सुधार आंदोलनों के प्रसार में महत्मुर भूंक्या निभाई।
07:22चाउथा कारण इसाई धर्म प्रचारकों दोरा दुस्प्रचार था, जिसकी मानिता थी
07:27कि भारत में इसाई धर्म के प्रचार से ब्रीटीश सामराजी के हितों का में क्या होगा, ब्रिध्धी होगा।
07:34तो कारण आपने अभी समझा, अब आईए राजा राम मोहन राय और उनकी द्वारा स्थापित जो ब्रह्म समाज था, उसकी चर्चा हम लोग करते हैं।
07:48तो राजा राम मोहन राय परथम भारती थे, जिनोंने सबसे पहले भारतिय समाज में व्याप्त मध्योगीन बुराईयों के विरोध में आंदोलन चलाया।
07:59राजा राम मोहन राय वस्तुतह प्रजातंत्रवादी और मानौतावादी थे।
08:06उनके नवीन विचारों के कारण ही उन्नैस्वी सतावदी के भारत में पुनर जागरण का जन्म हुआ।
08:14उन्हें अतीत और भविश्य के मध्य सेतु भारती राष्टवाद का जनक और आधुनिक भारत के पिता भोर का तारा का सम्मान प्राप्त है।
08:26तो कहींपी आपको अगर दिखे या पूसता है कि भाई भोर का तारा कौन किसे कहा गया धुनिक भारत के पिता किसको कहा गया है भारती राष्टवाद का जनक है न अतीत और भविश्य के मध्य सेतु तो अगर ये कौन है अगर कहींपी question आपको पूसता है तो क्या आपको
08:56अगर में हुआ था इनकी पिता उस समय बंगाल के नवाब के यहां नौकरी में थे वहीं
09:05से उन्हें राय राया की उपाधी मिली थी राजा रामोहन राय कई भासाओं के ग्याता थे जिनमे से कौन कौन से वो भासा जानते थे वाप दिखे वो अरभी जानते थे
09:19फार्सी जानते थे संस्कीत जैसे भारती भासाएं जाते थे और अंग्रेजी फ्रांसीशी लेटीन युनानी और हिबरू जैसी भासाएं पास्यात भासाएं भी यह जानते थे अब सुठिये एक भासा जानने में कितना हम लोगों को सीखने में समय लग जाता है और यह दि
09:49अन्ग्रेजी भी सीखी है फ्रांसीशी भी सीखी है लेटीन युनानी हिबरू भी सीखी है न तो अब आप लोग सोचीं कि एक विशय आपको तैयार करना रहता है एक या दो तो आप कहते हो कि आप बहुत कठीन है बहुत कठीन है यह दिखे भासा�
10:19राजा रामोहन राय ने 1803 से 1814 इसवी तक कमपणी में नौकरी की ठीक है
10:26राजा रामोहन राय अपने धार्मीक, दार्शनीक और समाजिक द्रिष्टिकोड में
10:31इसलाम के एकेश्वरवाद, सुफी मत के रहस्यवाद, इसाई धर्म के आचार सास्त्रे,
10:38नीति परक्सिच्छा और पश्चिम के आधुनिक देशों के उदारवादी,
10:44बुद्धिवादी सिध्धान्तों से काफी प्रभावीद थे
10:49समाजिक शित्मी राजा रामोहन राय, हिंदु समाज की कुरूतियों, सती प्रथा, बहुपत्नी प्रथा,
10:56वैश्या गमन, जातिवाद आधिके गोर विरोधी थे, विद्धवा पुनर विवाह का भी इन्होंने समर्थन किया
11:05तो अब दिखे, ये जो है, इनके साथ दुरगटना भी घटी है, दिखे सती प्रथा, है न, ये सती प्रथा पे बहुत चोड़ दिये थे कि इसको जो है, खत्म किया जाए, इस कुरूति को खत्म किया जाए, किसको, सती प्रथा को, सती प्रथा को,
11:29अब आप कहोगे कि सती प्रथा क्या है, तो भाई दिखे, जैसा कि आप जानते भी होंगे, फिर भी मैं रिपीट कर दे रहा हूं, कि भाई जैसे आप देखते हैं, कि आप इतिहास में भी पढ़े होंगे, कि जब पती मर जाता है, तो फिर उसकी, जो बाड़ी होती है, उस
11:59सती जो प्रथा थी, ये बहुत थी, कुरूप थी, बहुत थी, अब आप ऐसे आप समझिए, कि एक जो अंग्रीज था, अभी क्लियर नहीं हो रहा है, कि कौन था, उसका क्या नाम था, तो उसने अपने जीवनी में लिखा था,
12:23सती प्रथा के बारे में, और उसने लाइव देखा था, कि कैसे एक लड़ीकी को जो है जिन्दा ही जला देते हैं, क्या घटना है, और सोचे कि वो अपने आखों से देखा है, वो स्टूरी मैं आपको बता रहा हूँ, आप देखें, सुनिये,
12:40तो वो देखता है कि एक आगे लास जा रही है, एक बुद्धे की बुद्धा करीब 85-90 से कम तो नहीं रहा होगा, 90 साल का बुद्धा है,
12:53वो उसकी लास आगे जा रही है, और पीछे एक 10-12 साल की लड़की होगी, वो पीछे चल रही है, और पीछे वो चल रही है, और उसको कुछ नसा जैसा उसको पिलाए हुए थे,
13:12उसके साथ के जो लोग थे नसा पिलाए हुए थे, कोई अवरत उसको पकड़ी थी, और नसे मतलब उसको होस्त नहीं था उस लड़की को, अब वो ले जाते हैं उसको, उस बुद्धे को जो है लास पूरी जो लकड़ी पे रग दी जाती है, और उस लड़की को भी उस पे
13:42अब आप सोचिए की बिल्कुल लड़की चिला रही है और उसको जो है अपने जो डंडे से या पूरे पुरजोर उसको मतलब बलपुर्वक उसको दबा करके दबा दिया गया और वो लड़की चल गयें उससे में
14:01तो ये क्या था आप सोचिए की ये जो प्रथा थी ये किस तरह की प्रथा थी और आप Discovery of India में जो जौहला नेहरू की बुक पे बनी है अगर आप दिखना चाहें तो Discovery of India पे पूरी हिस्ट्री की मैंने आप से पहले भी चर्चा किया है अगर आपको हिस्ट्री के आप प्रे
14:31तो कई सारे एपिसोड हैं प्राचीन इतिहास से लेकर आधुनी इतिहास की जो घटनाएं हैं वो आपको देखने को उसमें मिलेगी मजा भी आयेगा आपको और बहुत चीज़ें आप सीखने को मिलेगे
14:42क्योंकि जब आप जुड़ते हो कोई चीज़ आप देखते हो अब मालिजे कोई जब चल चित्र होता है कि भाई जो पात्र हम पढ़ रहे हैं वो लाइब वो बोल रहा है वो कारक कर रहा है तो वो आउर मजा आता है है न तो
14:58उसमें जो है दिखाये गए आप जैसे दिखे ये हैं आपके राजा रामोहन राय की हम लोग अभी चर्चा कर रहे हैं तो राजा रामोहन राय जो हैं उनके भाई थे तो भाई की उनकी मित्ति हो गई भाई की और भाई की मित्ति हो गई और राजा रामोहन राय उस समय थे
15:28अपनी को ले जा करके जवरजस्ति जो है सती कर देते हैं जला देते हैं अउरत को और ये देख करके उनको बहुत दुख होता है राजा रामोहन राय को की ऐसा जो है क्यों किये ये लोग गुशा भी होते हैं और उस समय की ये ज़्यादातर सिस्टम यही था अच्छा इतन
15:58तो कारण जान्ना चाहाकि एसा क्यों होता था
16:02तो दिखेये उस समे जैसे औरतों को इतना प्रतारीत कर डिया जाता था
16:07की वो
16:09उनको है बतलब जीना मिश्किल हो जाता था उनका
16:13कि तों उनके परती इतना जादा उनको सता दिया जाथा था मांद सीक, सारीरीक है न तो उनको लगता था कि हम सती हो जाएं तो जादा चहाँ रहेगा
16:23चूआ चूद, अलग कर देना उन्हें, समाच के जो सादी विवा प्रोग्राम हो, उनसे भी उनको अलग कर देना, इस तरह के बहुत सारी कुरूतियां से बताब उनको परसान हो जाती थी, अउर्टे तो उनको लगता थे यार सती हो जाएं तो हम मुक्त हो जाएंगे,
16:53इस जो घटना थी, इससे भी राजा राम मोहन राय ने थान लिया था कि हमें सती प्रथा को खत्म करना हैं,
17:04और घ्यानी तो आप देखी रहें कि कितने भासा के ज्यानकार हैं,
17:09और कितने घ्यानी हैं, और जो इन्होंने newspaper भी निकाले थे, मैंने अभी पिशले वीडियो में ही समाच्यार पत्र के दोरान, इनके जो समाच्यार पत्र हैं उसको भी मैंने बताया था आपको, ठीक हैं?
17:23तो यह है, तो जो राजा राम मोहन राय हैं, वो हिंदू समाच की जो कुरूतियां हैं, जैसे आपने अभी सती प्रथा को समझा, तो सती प्रथा, अब देखिए सती प्रथा,
17:37हाँ, हिंदू समाच की कुरूतियों सती प्रथा, बहु पत्नी प्रथा, अब आप समझिये की पहले बहुत ज्यादा सादी भी कर लेते थे, अब पती बुढ़ा भी हो गया है, तब भी सादी कर रहा है, और मर गया उसके पीछे, कितनी अउर्तें कम उम्र की रह जाती थी,
18:07मतलब बहु पत्नी प्रथा का भी विरोध कर रहे थी, बहु ज्यादा पत्नियों का विवाह ना हो एक आदमी से,
18:15वैसिया गमन का इन्होंने विरोध किया, जाती बाद आदी की खोर विरोधी थे ये,
18:21बिद्धवा पुनर विवाह का भी इन्होंने समर्थन किया, जो बिद्धवा हो गई थी वो इन्होंने समर्थन दिया कि भाई उनका साधी होना चाहिए,
18:31तो अब आप बताईए कि ये कितना अच्छा काम ये इन्होंने सोचा और ये इसके लिए प्रयास कर रहे थे,
18:42लेकिन उस समय के जो लोग थे, वो इनके विरोधी हो गए थे, जो कुछ एक वर्ग था, वो इनका विरोधी हो गया था कि ये ब्राम्हण हैं,
18:57अब सुचिए, ये जो राजा राम मोहन राय हैं, ये ब्राम्हण हैं और इनके एक वर्ग जो है बहुत विरोधी हो गया था, इनको समाज में से कितना लोग, मतलब चलते फीरते इनकी लोग बुराईया करते थे, इनकी अपमान करते थे इनका कि ये सही नहीं है, धर्म को �
19:27करते रहे, राजा राम मोहन राय, है न, और दिखिये, धर्मिक छेत्र में इन्होंने मूर्ती पूजा की एलोचना करते हुए, अपने पच्छिक को वेदोक्तियों के माध्यम से सिद्ध करने का प्रयास किया,
19:42इनका मुख्य उद्देश से भारतियों को वेदान्त के सत्य का दर्शन कराना था।
19:48अथारासों नौ इस्वी में राजा रामोहन राय की फार्सी भासा की पुस्तक तुह फाक उल मुआव ही दीन, यानी इसका अर्थ क्या है एकेश्वर वादियों के उपहार का प्रकासन हुआ।
20:03अथारासों पंदरा इस्वी में हिंदु धर्म के एकेश्वर वादी मत के प्रचार हेतु राजा रामोहन राय ने आत्मी सभा का गठन किया जिसे दौरका नाथ ठाकूर भी सामिल थे।
20:16तो राजा रामोहन राय का अभी मैं बता रहा था दोस्तों आपको कि एक वर्ग जो है गोर बिरोध इनका कर रहा था कि ये नास्तिक हैं ये सही व्यक्ति नहीं हैं है न तो लेकिन सब इतना बिरोध होते हुए भी इन्होंने पूरा प्रयास किया अपना पूरी ता
20:46उस समय संक्रमण का दवर आया जब उनके बड़े भाई की पतनी पती की मित्यु के बाद सती हो गई
20:52जो कि मैंने अभी आपको बताया है न समय क्या था अठारा सो एक ग्यारा अठारा सो अठारा स्वीमे रायने सती प्रथा के विरुदध अभियान चलाया
21:02मैंने आपको बताया था कि कैसे होता है अब इसके बाद ये अब इन्हें गुशा बहुत ज़यदा हो गया अब ये बतलब एक अभियान की तरह इन्होंने ले लिया पहले से ही संगर्स कर रहे थे और अभियान की तरह इन्होंने ले लिया
21:181820 इस्वी में राजा रामोहन राय की पुस्तक ईशा के नीती वचन सांती और खुसहाली का प्रकाशन हुआ इसमें इशाई धर्म की सहजता और नेतिकता के बारे में राय के द्रिण विश्वास का दर्शन होता है
21:361822 इस्वी में राय की एक और पुस्तक हिंदु उत्राधिकार नियम का प्रकाशन हुआ अगे दिखे 1821 इस्वी में राय ने अपने विचार प्रेश के माध्यम से लोगों तक पहुचाने के उध्येश से समवाद कमूदी जहान दिजे
22:01कमूदी अथवा प्रग्याच्यात का प्रकाशन किया
22:13समवाद कमूदी सायद भारतियों दोरा संपादित, प्रकाशित तथा संचालित प्रथम भारती समाचार पत्र था
22:24फारसी भासा में राय ने मिरातुल अगबार का भी प्रकाशन किया
22:301825 सिस्वी में राय ने वेदान्त कालेज की स्थापना कराई
22:3520 अगस्त, 1828 सिस्वी को राजा रामोहन राय ने ब्रह्म समाच की स्थापना की
22:43और ब्रह्म समाच, ब्रह्म सभा जो भी अगर आता है चाहे ब्रह्म समाच है चाहे ब्रह्म सभा है तीक है वो एक ही है तो इसकी स्थापना की ब्रह्म समाच की स्थापना का उदेश था एकेश्वर वात की उपासना
23:00मूर्ति पूजा का विरोध अब देखे ब्रह्म समाच जो उन्होंने बनाया है उसका उदेश क्या है और आगे पुरोहित वात का विरोध अवतार वात का खंडन आदी
23:14केन इस कठो मुंडो को पनिशद का बांगला भासा में अनुवात किया
23:36ब्रह्म सभा के प्रथम मंत्री ताराचंड चक्रोती थे अठारसव उन्तिस इस्वी में भारत के गवर्ण जनरल बैंटिक द्वारा सती प्रथा को प्रतिबंधित करने के लाए गए कानून को लागू करवाने में राजा रामोहन राय ने सरकार की मदद की थी
23:56तो ये आपने दिखा की जो काफी प्रयास राजा रामोहन राय ने जो सती प्रथा को लेकर और जो कुर्णतियां को लेकर इन्होंने प्रयास किया की खत्म हो तो दिखे सफलता उनको मिलती है जाकर की अठारसव उन्तिस में अब दिखे अठारसव अठारा में से ये बिल्
24:26पूरी ताकत तभी से अठारसव 11 से ही लग गय थे पूरी ताकत से लगे रहे और जाकर की दिखे सफलता इनको मिली है अठारसव उन्तिस इस्वी में इन्होंने संघर्स किया तब जाकर सती प्रथा पर कानून बना और रोक लग गई सती प्रथा पर ठीके
24:57अब आगे दिखिये
25:13अंगरीजी भासा में ब्रम्ह निकल मैगजीन प्रकासित की थी
25:18इसके साथ उन्होंने बंगला व्याकरण का संगर्न किया
25:21हिंदू उत्राधिकार नीयम नामक पुस्तक का भी उन्होंने प्रकासन किया है राजयराम मौन राय ने
25:26सती प्रथा का गोर विरोध समवाद कॉमिदी के माध्यम से किया
25:34ब्रम समाच की सुष्क बौधिकता जिसमें भावनाव का अभाव था
25:40उच्छवरग के सिच्छितों को ही अकरशित करने की चमता रखती थी
25:44मध्यम वरगी ये लोगों पर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा
25:48राजयराम मौन राय मनवतावादी थे इन्होंने विश्व बंधुत में गोर आस्ता थी
25:53ये जीवन की स्वतन्ता तथा संपत्तिक रहन करने के लिए प्राकृतिक अधिकारों के समर्थक थे
25:59भारत की स्वतन्ता के बारे में इनका मध था कि भारत को तुरंद स्वतन्द नकर
26:05सासन में जिम्मेदारी हिस्सेदारी देनी चाहिए एक तरह से वह ब्रिटीश सासन की समर्थक थी
26:14उन्होंने सरकार से आधूनिक पास्चात्य सिच्छा पर ध्यान देने का अनुरूद किया
26:20सिच्छा की प्राच्चे प्राणाली के बारे में राय ने कहा कि इससे देश कूप मंडू बना रहेगा
26:291817 स्वी में कलकत्ता में हिंदू कालेज की स्थापना में राय ने डेविड हेर का नाम सहयूग किया था
26:39राजा रामोहन राय को भारत में पत्रकारिता का अगर दूद बना जाता है इन्होंने समाचार पत्रों की स्वतंतरता का समर्थन किया
26:471829 स्वी में मुगल बाजसा अगबर दिति ने राजा रामोहन राय को राजा की उपाधी के साथ अपने दूद के रूप में तदकालिन बृतिश समराथ विलियम चतूर्थ के दरबार में भेजा
27:03राय को इंगलैंड में समराथ के मुगल बाजसा को मिलने वाली पेंशन की मातरा बढ़ाने पर बाचीत करनी थी यहीं पर बृष्टल में 27 सितंबर 1833 इसी को राजा रामोहन राय की मित्यू हो गई
27:20यानी ये बृतिन जब गए उसके बाद भारत लोटे नहीं इनकी जो है वही पर मित्यू हो जाती है कब 1833 में तो ये जब बृतिन गए तो फिर वापस भारत नहीं लोट सके
27:35सुबास चंद बोस ने राजा रामोहन राय को युग दूद की उबाधी से सम्मानित किया था
27:42राजा रामोहन राय की मित्यू के बाद ब्रह्म समाच की गतिविधियों का संचालन कुछ समय तक महरसी द्वारिकानाथ टैगोर और पंडित रामचंडर विध्या वागीस के हांतों में रहा
27:57महरसी द्वारिकानाथ के बाद उनके पूतर देवेंद्र टैगोर 1817 से 1905 इस्वी का जो समय के बीच नेट्रित में ब्रह्म समाच की गतिविधियां जारी रही
28:13ब्रह्म समाच में सामिल होने से पहले देवेंद्र नाथ ने कलकता के जोरा सांकी में तत्वरंजिनी सभा की स्थापना की थी आगे चल कर तत्वरंजिनी ही तत्वबोधनी सभा के रूप में आस्तित्व में आई तत्वबोधनी सभा के प्रमुक करियों में धर्म की खोच
28:44इस स्कूल के अने सदस्यों में कौन कौन लोग सामिल थे उनके नाम आप सुनिये
28:49राजेंद्र लाल मित्र, पंडीत इश्वरचन विद्यासागर, ताराचंडर चक्रवर्ती और प्यारे चंडर मित्र इत्यारी थी
28:59देवेंद्र नात ने 21 दिसंबर 1843 इसवी को ब्रह्म समाज की सदस्यता गरहण की और राजा राम भोहन राय की विचारों और धार्मिक लच्च का पुरे उत्सासे प्रचार प्रशार किया
29:12इसाई धर्म प्रचार अलेक्जेंडर डफ द्वारा भारती संस्कृती पर किय जा रहे प्रहार का भी टैगोर ने प्रवल विरोत किया
29:21टैगोर ने धार्मिक पुस्तिका का संकलन तथा पूजा के ब्रह्म बाह पोष्णा की सुरुवात करवाई
29:32दैवेंदर टैगोर ने 1857 सी में केशव चंडर सेन को ब्रह्म समाज की सदस्यता प्रदान करते हुए ब्रह्म समाज का आचारि नियोप्त किया
29:45आचार केशव ब्रह्म समाज के पुर्णकालिक सदस्य बने इनके उदारवादी विचारों ने ब्रह्म समाज की लोगप्रियता और बढ़ा दिया
29:54देखते देखते समाज की सखाओं का विष्तार बंगाल से बाहर उतरपदेश, पंजाब और मद्रास में हुआ
30:02आगे चलकर आचार केशव के उदारवादी विचारों के कारण ही समाज में फूट पड़ गई
30:091865 इस्वी में देविंद्र ना टेगोर ने केशव को ब्रह्म समाज के आचार पद से मुक्त कर दिया
30:18ब्रह्म समाज में प्रथम विभाजन से पुर आचार केशव ने संगत सभा इस्थापना की अध्याद्मिक तथा समाजिक समस्याओं पर विचारों के लिए किया था
30:321861 इस्वी में केशव ने इंडियन मीरर नामक अंगरेजी के प्रथम भारतिय दैनिक का संपादन किया
30:42आचार केशव के प्रयासों से ब्रह्म समाज को अखिल भारतिय अंधोलन का सुरूप प्राप्त हुआ
30:47आचार केशव के प्रयासों से ही मद्रास में वेद समाज और महराष्ट में प्रातना समाज की इस्थापना हुई
30:561865 इस्वी में ब्रह्म समाज में पहला विभाजन हुआ विभाजी समाज के देविंद्रनाथ वाले समोँ ने अपने को आधी ब्रह्म समाज कहा
31:07आधी ब्रह्म समाज का नारा था कि ब्रह्मवाद ही हिंदुवाद है
31:14आचार केशव चंडर सेन के नियतित वाले गुट ने अपने को भारत वर्षी ब्रह्म समाज का नाम दिया
31:22अचार केशव चंडर सेन के नियतित वाले गुट ने अपने को भारत वर्षी ब्रह्म समाज का नाम दिया
31:29अचार केशव चंडर सेन के नियतित वाले गुट ने अपने को भारत वर्षी ब्रह्म समाज का नाम दिया
31:45और देखिए ब्रह्म समाज में दूसरा विभाजन 1973 सीमी कब हो रहा है
31:571873 में अचार केशव चंडर सेन की कारण हुआ
32:05और अचार केशव ने ब्रह्म विवाह अधनियम 1872 का उलंगहन करते हुए अपनी अलपायू पुत्री का विवाह कूच विहार के राजा से कर दिया
32:271878 सीमी में उन्होंने विवाह कर दिया जो ब्रह्म समाज के दितिय जो है मलब दुबारा जो तूटा उसका कारण दूसरा कारण यही था और दिखे 1878 सीमी में ब्रह्म समाज में अलग हुए गुटने साधारन ब्रह्म समाज की इस्थापना की जिसका उद्देश जाती प्
32:581884 सीमी में केशव चंच सेन की मित्यू हो गये उनकी मित्यू पर मैक्स मूलर ने कहा था की भारत ने अपना सबसे स्रेष्ट पुत्र खो दिया
33:13साधारन ब्रह्म समाज की इस्थापना आनन्द मोहन भूष और सीव नाथ सास्त्री द्वारा बनाये गए धाचे और सिध्धान्त पर हुआ था
33:24आनन्द मोहन भूष साधारन ब्रह्म समाज की प्रतम अध्याच थे
33:30साधारन ब्रह्म समाज की अगरणी सदस्यों में सामिल थे सीव नाथ सास्त्री, विपिन चनपाल, द्वारिका नाथ गंगुली, सुरेन नाथ बनरजी
33:40जन समाने की कल्याण, नारी सिछ्छा, अकाल राहत कोश, अनाथालयों आदि की स्थापना की दिशा में साधारन ब्रह्म समाज काफी प्रयास्रत था
33:54जन साधारन को सिछ्छित करने हे तु साधारन ब्रह्म समाज ने तत्व कमोदी, संजीवनी, नव्य भारत ब्रह्म जनमत, इंडियन मेसेंजर, माडन रिवु जैसी पत्रिकाओं का प्रकाशन किया
34:12बाकि दोस्तों अगले वीडियो में हम लोग चर्चा करेंगे क्योंकि वीडियो देखे बहुत बड़ा हो रहा है बाकि आप लोग बताईए कि इस तरह से आपको मैं बता रहा हूँ तो कुछ काम की है या नहीं आपकी काम की नहीं आ रही है तो मैं दूसरे मेथटट से आ�
34:42करेंगे तो कैसे समझ में आएगा कि भाई कैसा आपको लग रहा है अच्छा लग रहा है नहीं लग रहा है या मैं दूसरे मेथटट से आपको
34:58समझाऊं जिस से कि आपको अच्छे से हिस्ट्री समझ में आए ठीक है तो बस यार दोस्तों ये वीडियो इसे पे समाप्त करते हैं और ये हम लोग कांटीनियू रहेगा अभी टॉपिक बड़ा है तो अभी और भी बहुत सारी चीजी है इस टॉपिक को पूरा करने के लि

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