भगवद गीता - अध्याय २ - पद ३० और ३१ | अर्था । आध्यात्मिक विचार | भगवद गीता का ज्ञान

  • 5 years ago
इस वीडियो देखिए की भगवान कृष्ण अर्जुन को किसी के भी मृत्यु पर शोक ना करने के लिए क्यों कहते है ?

Don't forget to Share, Like & Comment on this video

Subscribe Our Channel Artha : https://goo.gl/22PtcY

१ तीसवां श्लोक इस प्रकार है;

देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत।

तस्मात्सर्वाणि भूतानि न त्वं शोचितुमर्हसि।।३०।।

२ इस श्लोक का भावार्थ है;

हे अर्जुन ! इस आत्मा का शरीर में कभी वध नहीं किया जा सकता है, अत: तुझे किसी भी प्राणी के लिए शोक करने की आवश्यकता नहीं है

३ अगले पद में, भगवान कृष्ण अर्जुन को एक क्षत्रिय के कर्तव्यों के बारे में उपदेश देते है। इकत्तीसवां श्लोक इस प्रकार है;

स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि ।

धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते ।।३१।।

४ इस श्लोक का अर्थ है;

हे अर्जुन! क्षत्रिय होने के कारण अपने कर्तव्य का विचार कर, क्योंकि क्षत्रिय के लिए धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर युद्ध करने के अलावा अन्य कोई श्रेष्ठ कार्य नहीं है। इस लिए तुम्हे संकोच नहीं करना चाहिए

५ भगवद गीता हे अगले वीडियो में देखिए, की भगवान कृष्ण अर्जुन को क्षत्रिय के रूप में जन्म लेने के कारण भाग्यशाली क्यूँ बताते है

Like us @ Facebook - https://www.facebook.com/ArthaChannel/
Check us out on Google Plus - https://goo.gl/6qG2sv
Follow us on Twitter - https://twitter.com/ArthaChannel
Follow us on Instagram -https://www.instagram.com/arthachannel/
Follow us on Pinterest - https://in.pinterest.com/channelartha/
Follow us on Tumblr - https://www.tumblr.com/blog/arthachannel

Recommended