भगवद गीता - अध्याय २ - पद ४ और ५ | अर्था । आध्यात्मिक विचार | भगवद गीता का ज्ञान

  • 5 years ago
भगवान कृष्ण की आलोचना सुनने के बाद, अर्जुन भावुक हो गया और उसने भगवान कृष्ण के सामने एक प्रश्न रखा। इस वीडियो में देखिये की अर्जुन ने भगवान कृष्ण से क्या कहा

Don't forget to Share, Like & Comment on this video

Subscribe Our Channel Artha : https://goo.gl/22PtcY

१ भगवान कृष्ण के संबोधन पर अर्जुन एक भावुक मुद्दा बताते हुए उनसे एक प्रश्न पूछता है

२ चौथे पद में अर्जुन कहते हैं;

अर्जुन उवाच

कथं भीष्ममहं सङ्‍ख्ये द्रोणं च मधुसूदन ।

इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन ।।४।।

३ इस श्लोक में अर्जुन भगवान कृष्ण को बताते हैं;

हे मधुसूदन! मैं युद्धभूमि में भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य जैसे पूज्यनीय व्यक्तियों पर बाण कैसे चला सकता हूँ ?

४ पांचवे श्लोक में अर्जुन बताते है:

गुरूनहत्वा हि महानुभावा-ञ्छ्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके ।

हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव भुंजीय भोगान्‌ रुधिरप्रदिग्धान ।।५।।

५ इस श्लोक का भावार्थ है :

ऎसे महापुरुषों को जो कि मेरे गुरु हैं, इन्हे मार कर जीने के बजाय में भिक्षा माँग कर जीना श्रेयस्कर समझता हूँ क्योंकि गुरुजनों को मार कर भी तो इस संसार में खून से सने हुए सुख ही तो भोगने को मिलेंगे

६ भगवद गीता के अगले वीडियो में देखिये की अर्जुन भगवान कृष्ण को दोनों सेनाओं की स्थिति तथा इस युद्ध से किसी को भी कुछ लाभ नहीं है यह बताने का प्रयास कर रहा है

Like us @ Facebook - https://www.facebook.com/ArthaChannel/
Check us out on Google Plus - https://goo.gl/6qG2sv
Follow us on Twitter - https://twitter.com/ArthaChannel
Follow us on Instagram -https://www.instagram.com/arthachannel/
Follow us on Pinterest - https://in.pinterest.com/channelartha/
Follow us on Tumblr - https://www.tumblr.com/blog/arthachannel

Recommended