भगवद गीता - अध्याय १ - पद ७ और ८ | अर्था । आध्यात्मिक विचार | भगवद गीता का ज्ञान

  • 5 years ago
भगवद गीता के पिछले वीडियो में आपने देखा की दुर्योधन ने गुरु द्रोणाचार्य के सामने पांडव सेना के महान योद्धाओं का वर्णन किया, इस वीडियो में देखिये कौरव सेना में कौन से महान योद्धा थे

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१ पांडवों के बल के बारे में बताने के बाद अब दुर्योधन ने अपने पक्ष से युद्ध में भाग लेने वाले सिद्ध योद्धाओं के नामों का उल्लेख किया

२ सांतवे श्लोक में दुर्योधन ने द्रोणाचार्य को संबोधित करते हुए कहा :
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम ।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ।। ७ ।।

३ इस श्लोक का अर्थ यह है :
हे ब्राह्मण श्रेष्ठ ! हमारी पक्ष के भी उन महान शक्तिशाली योद्धाओं को भी जान लीजिये और आपकी जानकारी के लिये मेरी सेना के उन योद्धाओं के बारे में बतलाता हूँ

४ आठवें श्लोक में दुर्योधन उनके नाम बताता हैं :
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः ।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ।। ८ ।।

५ इसका भावार्थ है :
मेरी सेना में स्वयं आप-द्रोणाचार्य, पितामह भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा जैसे योद्धा है, जो सदैव युद्ध में विजयी रहे हैं

६ अगले गुरुवार को भगवद गीता श्रृंखला के वीडियो में देखिये की कैसे दुर्योधन कौरव सेना को पांडव सेना से महान बताता है


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