भगवद गीता - अध्याय १ - पद १४ | अर्था । आध्यात्मिक विचार | भगवद गीता का ज्ञान

  • 5 years ago
इस वीडियो में देखिये कि कैसे कौरव सेना के यहाँ से बज उठे वाद्यों के आवाज कि तीव्रता कम हो गई

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१ कौरव सेना के और से बजे वाद्यों की आवाजें कम होते ही, एक सुखदायक पर महाशक्तिशाली आवाज युद्ध के मैदान में गूंज उठी

२ यह और कुछ नहीं पर पांडवों के ओर से युद्ध का पहला हुंकार था जिसकी आवाज बहुत तीव्र थी

3 चौदवहा श्लोक इस प्रकार बताता है :

ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शंखौ प्रदध्मतुः ।।

4 इसका भावार्थ है
तत्पश्चात दूसरी ओर से सफेद घोड़ों से युक्त उत्तम रथ पर आसीन योगेश्वर माधव (यानि भगवान श्रीकृष्ण ) और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाए

५ भारत में, किसी भी नए काम की शुरवात करने से पहले देवताओं का आव्हान करना शुभ माना जाता है

६ आप कुरुक्षेत्र की सिर्फ कल्पना ही कर सकते है, जहा स्वयं भगवान कृष्ण ने युद्ध के कार्यवाही शुरू की थी

7 भगवद गीता के अगले वीडियो में देखिए, कि अर्जुन के बाद बाकि पांडव भाइयों ने कौन से शंख बजाए

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